विनोद सिल्ला 581 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read दुम दुम अवसर था अपने शहर में उपमंडल स्तर के आयोजन का जाने कितने छुटभैये दुम हिलाते लगा रहे थे चक्कर प्रशासनिक अमले के करने के लिए स्वार्थ-सिद्ध उन्हें पता है... Hindi · कविता 1 1 406 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read सब शिकायतें सब शिकायतें दूर -विनोद सिल्ला एक रोज मेरे विद्यालय में चल रहा था सफाई अभियान उठा रहे थे बिखरे कूड़ा-कर्कट को मैं और मेरे छात्र एक छात्र सचिन कूड़े के... Hindi · कविता 1 1 345 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read डाकबाबू डाकबाबू जब भी आता था डाक बाबू लिए हुए डाक मुहल्ले भर की उत्सुकतावश हो जाते थे एकत्रित उसके चारों ओर मुहल्ले भर के लोग करते थे चेष्टा जानने की... Hindi · कविता 1 2 295 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read सफाई अभियान सफाई अभियान आज मलीन बस्ती में थी गहमागहमी जो बङे वाले नेता उठा के झाङू आए थे शुरू करने सफाई अभियान बस्ती का रामू जो हमेशा से सफाई कार्य रहा... Hindi · कविता 1 1 390 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read लजीज खाना लजीज खाना मैं जब कई दिनों बाद गया गाँव माँ ने अपने हाथों से बनाई रोटी कद्दू की बनाई मसाले रहित सब्जी रोटी पर रखा मक्खन लस्सी का भर दिया... Hindi · कविता 1 1 354 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read कीमत चुकानी पड़ेगी कीमत चुकानी पड़ेगी बोलोगे तो कीमत चुकानी पड़ेगी चुप रहोगे तो कीमत आने वाली पीढ़ियों को भी चुकानी पड़ेगी बोलिए आवाज बुलंद कीजिए अभी चुका दीजिए कीमत उधार ठीक नहीं... Hindi · कविता 1 4 392 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read बाजारतंत्र बाजार तंत्र मैं कभी नहीं गया विदेश विदेशी सामान खरीदने न ही कभी कोई विदेशी कंपनी मेरे पास आई अपने उत्पाद बेचने विदेशी वस्तुओं का आयात किया आपके बाजार तंत्र... Hindi · कविता 2 1 376 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read मुझे गर्व है मुझे गर्व है मुझे गर्व है अपने पूर्वजों पर क्योंकि उन्होंने कभी खाया नहीं मांग कर कभी खाया नहीं छीन कर कभी खाया नहीं छल-कपट या हेरा-फेरी करके उन्होंने खाया... Hindi · कविता 1 3 236 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2020 · 1 min read अच्छे दिन अच्छे दिन क्या पता था कि दिन इतने अच्छे आएंगे सङे-सङे टमाटर भी पचास रुपये किलो हो जाएंगें क्या पता था अच्छे दिनों में बिजली भी नदारद पाएंगें क्या पता... Hindi · कविता 1 3 230 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नोटबंदी की वर्षगांठ नोटबंदी की वर्षगांठ सरकार जी आपने की थी नोटबंदी आठ नवंबर सन् दो हजार सोलह को नहीं थके आपके चाहने वाले नोटबंदी के फायदे बताते-बताते नहीं थके आपके आलोचक आलोचना... Hindi · कविता 7 4 326 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बाह्य मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन कोट-पैंट टाई ने बाह्य व्यक्तित्व बना दिया आकर्षक गिटपिट भाषा ने बना दिया इक्किसवीं शदी का लेकिन अंदर आदमी था वही पंद्रहवीं सत्रहवीं शदी पुराना वर्णाश्रम के सांचे... Hindi · कविता 3 3 512 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बलात्कार बलात्कार समाचार था कि हुआ है बलात्कार प्रिंट मिडिया के संवाददाता इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के कैमरामैन व एंकर शोसल मिडिया के यूजर संबंधित पुलिस कर्मी सभी राजनीतक दल व उनके आका... Hindi · कविता 4 2 416 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read रोटी रोटी सांसरिक सत्य तो यह है कि रोटी होती है अनाज की लेकिन भारत में रोटी नहीं होती अनाज की यहाँ होती है अगड़ों की रोटी पिछड़ों की रोटी अछूतों... Hindi · कविता 4 4 301 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read भोर का सपना भोर का सपना भोर में सपना आया सपने में था जातिविहीन समाज भ्रष्टाचार मुक्त शासन-प्रशासन चिकित्सा-शिक्षा व रोजगार के समान अवसर वर्ग व वर्ण विहीन समाज महिला-पुरुष सभी को समान... Hindi · कविता 5 2 699 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read हो गया सुन्न हो गया सुन्न आज मैं डांट रहा था छात्र को उसकी अकर्मण्यता पर क्रोधवश कह बैठा बुला कर लाना कल अपने पिता को साथी अध्यापक ने बताया नहीं हैं इसके... Hindi · कविता 3 3 435 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read दिन-दिहाड़े दिन-दिहाड़े गली में भौंके कुत्ते मैंने सोचा दिन-दिहाड़े तो नहीं आते चोर तभी किसी ने खटखटाया दरवाजा एक था सफेदपोश अनेक चमचों-चेलों संग आया था मांगने वोट चमचों ने किया... Hindi · कविता 3 2 251 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read राज-दरबारी राज-दरबारी वो हैं बड़े लेखक नवाजा जाता है उन्हें खिताबों से दी जाती है सरकार द्वारा सुविधाएं नाना प्रकार की बदले में मिलाते हैं वे कदम-ताल सरकार से कर रहे... Hindi · कविता 4 1 226 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read वो हैं बड़े वो हैं बड़े वो हैं बड़े नहीं-नहीं शायद बहुत बड़े मैं नहीं कहता वे स्वयं कहते हैं बात-बात पर लेकिन मुझे उनमें नहीं आया नजर कोई बड़प्पन वे बड़े हैं... Hindi · कविता 4 1 372 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बिखराव बिखराव नफरतों ने बढ़ा दी दूरियां इंसान-इंसान के बीच बांट दिया इंसान कितने टुकड़ों में स्त्री-पुरुष अगड़ा-पिझड़ा अमीर-गरीब नौकर-मालिक छूत-अछूत श्वेत-अश्वेत स्वर्ण-अवर्ण धर्म-मजहब में खंड-खंड हो गया इंसान नित बढ़ता... Hindi · कविता 3 1 237 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read सूरज होगा उदय सूरज होगा उदय चमगादड़ विश्व परिषद उल्लू सेना व सहयोगी हो गए हैं एकजुट जो हैं अंधकार के आदि चुंधिया जाती हैं इनकी आंखें नवीनता की रोशनी से चाहते हैं... Hindi · कविता 4 2 282 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read बांटता है आदमी बांटता है आदमी आदमी स्वभावतः बांटने वाला ही है बांटता है वह अपने स्वभावानुरूप अपनी प्रवृत्ति अनुरूप बांटता वही है जो है उसके पास जिसके पास नफरत है वह बांटता... Hindi · कविता 4 1 223 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read जाति-धर्म जाति-धर्म इंसान-इंसान के बीच कितनी हैं दूरियां इंसान-इंसान को नहीं मानता इंसान मानता है किसी न किसी जाति का धर्म का प्रतिनिधि इंसान की पहचान इंसानियत न होकर बन गई... Hindi · कविता 4 1 351 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read जादूगर जादूगर यहां हर व्यक्ति है जादूगर अक्सर दिखा देता है जादूगरी रह जाते हैं भौचक्के देखकर उसकी जादूगरी उनका अप्रत्याशित व्यवहार देखकर करता है मन दाद देने को किस ढंग... Hindi · कविता 3 1 245 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read ख्याल न आया ख्याल न आया पहली रोटी गाय को दी अंतिम रोटी कुत्ते को किड़नाल को सतनजा भी डाल आया मछलियों को आटा भी खिलाया श्राद्ध में कौवों को भी भौज कराया... Hindi · कविता 3 1 241 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read वह था मात्र इंसान वह था मात्र इंसान आदिकाल में मानव नहीं था क्लीन-शेवड नहीं करता था कंघी लगता होगा जटाओं में भयावह-असभ्य लेकिन वह था कहीं अधिक सभ्य आज के क्लीन-शेवड फ्रैंचकट या... Hindi · कविता 2 2 217 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read खोई हुई आजादी खोई हुई आजादी मैं ढूंढ़ रहा हूँ अपनी खोई आजादी मजहबी नारों के बीच न्यायधीशों के दिए निर्णयों में संविधान के संशोधनों में लाल किले की प्रचीर से प्रधानमंत्री के... Hindi · कविता 3 1 222 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नास्तिक नास्तिक नास्तिक ही पैदा हुआ था मैं बाकी भी होते हैं पैदा नास्तिक ही मानव मूल रूप में होता है नास्तिक नाना प्रकार के प्रपंच करके उसे बनाया जाता है... Hindi · कविता 3 1 554 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read अंतिम पायदान का व्यक्ति अंतिम पायदान का व्यक्ति वो है अंतिम पायदान पर धकेला गया व्यक्ति उसके द्वार पर होती है दस्तक धर्माचार्यों की इस आग्रह के साथ धर्म है असुरक्षित करो शामिल अपने... Hindi · कविता 3 2 582 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read इतने अवगुण एक साथ इतने अवगुण एक साथ पहचान जाता हूँ मैं अंधभक्तों को उनकी अतार्किक भाषा से अश्लील टिप्पणियों से सोच के सिमित दायरे से उनसे आ रही सांप्रदायिक बू से पितृसत्ता समर्थन... Hindi · कविता 4 441 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read यादें तो यादें हैं यादें तो यादें हैं आ जाती हैं यादें बे रोक-टोक नहीं है इन पर किसी का नियन्त्रण नहीं होने देती आने का आभास आ जाती हैं बिना किसी आहट के... Hindi · कविता 2 447 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read नहीं है साधारण नहीं है साधारण कवि होना नहीं है साधारण अपेक्षित हैं उसमें असाधारण विशेषताएं मात्र कवि होना ही बहुत बड़ी बात है लेकिन फिर भी आत्मश्लाघा के मारे लगते हैं नवाजने... Hindi · कविता 3 1 234 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read कलम कलम मेरी इस कलम ने दुख में दिया मेरा साथ कोशिश की बंटाने की खुशी में भी दिया मेरा साथ कोशिश की बांटने की की इसने सृजना पद्य की गद्य... Hindi · कविता 2 1 446 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read आज का द्रौण आज का द्रौण एकलव्य को कटवाना पड़ा अपना अंगूठा क्योंकि कुटिल द्रौण ने कर रखा था अनुबंध राजघराने से उनके राजकुमार को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर बनाने का आज द्रौण हो चुका... Hindi · कविता 3 393 Share विनोद सिल्ला 8 Sep 2020 · 1 min read कमाल का हुनर कमाल का हुनर रखतीं हैं पूरे परिवार का ख्याल सभी परिजनों की पसंद-नापसंद का ख्याल सबकी इच्छा-अनिच्छा का ख्याल इतना सुनियोजित प्रबंधन कमाल का हुनर रखतीं हैं गृहिणियाँ इनके हुनर... Hindi · कविता 2 2 420 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2020 · 1 min read खुशबु खुशबु फूलों में होती है खुशबु नहीं होती फूलों में ही होती है कुछ व्यक्तियों के व्यवहार में भी होती है कुछ व्यक्तियों के किरदार में भी होती है कुछ... Hindi · कविता 3 241 Share विनोद सिल्ला 30 Jun 2020 · 1 min read ये आग ये आग जून का है महीना चल रही है लू पारा है छियालीस पार धूप है झुलसाने वाली जैसे-तैसे गुजर जायेगा जून भी इससे भी अधिक झुलसाने वाली है सांप्रदायिक... Hindi · कविता 2 207 Share विनोद सिल्ला 29 Jun 2020 · 1 min read अपनी टी आर पी बढ़ाने में अपनी टी. आर. पी. बढ़ाने में जल रहा था देश जात-मजहब के दंगों में चीख रही थीं महिलाएं यौन अपराधों से पीड़ित ये सब नहीं दिया दिखाई इलैक्ट्रॉनिक मीडिया को... Hindi · कविता 1 174 Share विनोद सिल्ला 24 Jun 2020 · 1 min read सजा सजा भारत में पुलिस द्वारा कर्मठ, मेहनतकश श्रमिक को साधनहीन, वंचित होने की दी जाती है सजा भांझी जाती हैं लाठियां निकम्मे, भ्रष्ट नेता, मठाधीश व हाई-प्रोफ़ाइल घरानों के परजीवी... Hindi · कविता 4 2 251 Share विनोद सिल्ला 24 Jun 2020 · 1 min read बेटी तुझको पढ़ना होगा बेटी तुझको पढ़ना होगा बेटी तुझको पढ़ना होगा पढ़कर शिक्षित बनना होगा रूढ़िवाद-पाखंडवाद से फूले दंपति ज्यों लड़ना होगा भेदभाव जोर-जब्र के आगे बनके चट्टान अड़ना होगा कोमल नहीं तूं... Hindi · कविता 2 196 Share विनोद सिल्ला 24 Jun 2020 · 1 min read बाजार तंत्र बाजार तंत्र मैं कभी नहीं गया विदेश विदेशी सामान खरीदने न ही कभी कोई विदेशी कंपनी मेरे पास आई अपने उत्पाद बेचने विदेशी वस्तुओं का आयात किया आपके बाजार तंत्र... Hindi · कविता 3 2 344 Share विनोद सिल्ला 7 Jun 2020 · 1 min read कीमत चुकानी पड़ेगी कीमत चुकानी पड़ेगी बोलोगे तो कीमत चुकानी पड़ेगी चुप रहोगे तो कीमत आने वाली पीढ़ियों को भी चुकानी पड़ेगी बोलिए आवाज बुलंद कीजिए अभी चुका दीजिए कीमत उधार ठीक नहीं... Hindi · कविता 1 245 Share विनोद सिल्ला 25 May 2020 · 1 min read सोशल डिस्टेंसिंग सोशल डिस्टेंसिंग शायद कोरोना ने कराया है आपका परिचय सोशल डिस्टेंसिंग से मेरा तो शदियों से है वास्ता सोशल डिस्टेंसिंग से वास्ता ही नहीं झेल भी रहा हूँ इसे पल-पल... Hindi · कविता 2 2 237 Share विनोद सिल्ला 15 May 2020 · 1 min read संभलो-संभलौ संभलो-संभलो हिल रही है नींव देश की अर्थव्यवस्था की हिल ही नहीं रही हजारों किलोमीटर चल भी रही है पैदल खा रही है पुलिस के डंडे बेढंग हो गई इसकी... Hindi · कविता 3 207 Share विनोद सिल्ला 17 Apr 2020 · 1 min read असली आनंद असली आनंद मुझे है पूरा विश्वास नहीं है असली आनंद मठों-आश्रमों व अन्य धर्म-स्थलों में इन सब के प्रभारी लालायित हैं लोकसभा-राज्यसभा या फिर विधानसभा में जाने को मुझे है... Hindi · कविता 1 451 Share विनोद सिल्ला 17 Apr 2020 · 1 min read वह था मात्र इंसान वह था मात्र इंसान आदिकाल में मानव नहीं था क्लीन-शेवड नहीं करता था कंघी लगता होगा जटाओं में भयावह-असभ्य लेकिन वह था कहीं अधिक सभ्य आज के क्लीन-शेवड फ्रैंचकट या... Hindi · कविता 2 250 Share विनोद सिल्ला 17 Apr 2020 · 1 min read वह था मात्र इंसान वह था मात्र इंसान आदिकाल में मानव नहीं था क्लीन-शेवड नहीं करता था कंघी लगता होगा जटाओं में भयावह-असभ्य लेकिन वह था कहीं अधिक सभ्य आज के क्लीन-शेवड फ्रैंचकट या... Hindi · कविता 2 231 Share विनोद सिल्ला 10 Apr 2020 · 1 min read जाति कि जड़ें जाति की जड़ें जाति जाती ही नहीं बहुत हैं गहरी इसकी जड़ें जिसे नित सींचा जाता है उन लोगों द्वारा जिनकी कुर्सी को मिलता है स्थायित्व जाति से जिनका चलता... Hindi · कविता 2 405 Share विनोद सिल्ला 6 Apr 2020 · 1 min read मेहनतकश मेहनतकश वो मेहनतकश करता रहा कड़ा परिश्रम फिर भी रहा अभावग्रस्त उसके श्रमफल पर करते रहे अय्याशी पूंजीपति धर्म के नाम पर करते रहे शोषण धर्म के ठेकेदार समानता के... Hindi · कविता 1 261 Share विनोद सिल्ला 5 Apr 2020 · 1 min read नीम-हकीम खतरा-ए-जान नीम-हकीम खतरा-ए-जान आए बिल्ली जब बंद कर लेते हैं आँखें सभी कबूतर ताकि टल जाए संकट आँखें बंद नहीं लाइट बंद करने के आदेश हैं साहब के लेकिन साहब हम... Hindi · कविता 1 291 Share विनोद सिल्ला 3 Apr 2020 · 1 min read को-को को-को बचपन में को-को मेरी मनपसंद चीजों को एका-एक बिलकुल मेरे सामने से कर देती थी गायब कहते थे परिजन फलां चीज को ले गई को-को नामुराद को-को अब भी... Hindi · कविता 1 263 Share Previous Page 6 Next