विनोद सिल्ला 581 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 7 Next विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read मघुर संदेश मघुर संदेश पेड़ों के पत्तों से छनकर हरियाली के सागर में नहाकर आई हवा ले कर प्रकृति का मधुर संदेश -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 565 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read मस्त हवा मस्त हवा मैं हवा हूँ एक दम मस्त हवा ये देखो घास-फूस पेड़-पौधे सब मस्त हो गए झूम कर हिला रहे हैं सिर -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 281 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read आई हूँ तार छेड़ने आई हूँ तार छेड़ने मैं हवा हूँ फिर आ गई आपके मन के तार छेड़ने झंकृत करने आपके तन-मन को -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 202 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read लाई हूँ महक लाई हूँ महक मैं हूँ हवा लाई हूँ महक फूलों को छेड़कर चाहती हूँ महकाना आपको आप लोगे तो महक जाओगे दूर हो ताजगी संकीर्णता की दुर्गंध -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 515 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read रंग में भंग रंग में भंग ठंडी-ठंडी हवा सावन की दे रही शीतलता छा रही है तन-मन पर खुशी बनकर रंग में भंग तो हवा के साथ आई धूल डाल रही है -विनोद... Hindi · कविता 1 283 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read दल-बदलू दल-बदलू ऐ! हवा तू भी है दल-बदलू नेताओं की तरह कल गर्म थी आज ठंडी है न जाने किस समय ले आए धूलकण अपने संग हर रोज नया रूप -विनोद... Hindi · कविता 1 223 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read समय है मेरे लिए समय है मेरे लिए मैं हवा हूँ लाई हूँ अल्हड़पन चुलबुलापन ताजगी मस्ती क्या आपके पास समय है मेरे लिए -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 236 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read हवा हवा कार्तिक मास गुजरते ही दल-बदलू नेता सी हवा बदली-बदली आई नज़र हाव-भाव रंग-ढंग सब कुछ था बदला बड़ी सियासती है यह हवा -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 217 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read क्योंकि तुम हवा हो क्योंकि तुम हवा हो तुम आजाद हो नहीं है तुम पर राजनीतिक-धार्मिक या अन्य बंदिशें तुम जा सकती हो जहाँ मन करे क्योंकि तुम हवा हो इंसान नहीं तुम्हारा है... Hindi · कविता 1 477 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read ये संयोग है ये संयोग है हवा का रुख और तेरा रुख एक जैसा है ये संयोग है लेकिन तू सोचता है मोड़ दिया रुख हवा का मैंने ये तेरा पूर्वाग्रह है हवाएं... Hindi · कविता 1 368 Share विनोद सिल्ला 2 Apr 2020 · 1 min read जो हैं तेरे अपराधी जो हैं तेरे अपराधी ऐ! नारी तू करती है अराधना उन अराध्यों की जो हैं तेरे दोषी किया शोषण सदैव जिन्होंने तेरा समझा तुझे श्रंगार-रस की विषय-वस्तु नहीं दिया हक... Hindi · कविता 1 230 Share विनोद सिल्ला 30 Mar 2020 · 1 min read लघुकथा लॉकडाउन [ लघुकथा ] लॉकडाउन में सब बंद है| रामलाल तुम गाड़ी में कहाँ घूम के आए हो? घुमना तो क्या भाई श्यामलाल एक रिश्तेदारी में जा कर आए हैं|... Hindi · लघु कथा 1 398 Share विनोद सिल्ला 29 Mar 2020 · 1 min read पढ़ा-लिखा मूर्ख पढ़ा-लिखा मूर्ख मोहम्मद तुगलक तू हर बार रात के अंधेरे में करता है जारी तुगलकी फरमान जो लागू होते हैं रात के अंधेरे में ही तू उजालों से डरता तो... Hindi · कविता 2 2 262 Share विनोद सिल्ला 29 Mar 2020 · 1 min read विनोद सिल्ला के दोहे रोटी रोटी तू भी गजब है, कर दे काला चाम। देश छोड़ के हैं गए, छूटे आँगन धाम।। रोटी तूने कर दिए, घर से बेघर लोग। रोटी मात्र इलाज है,... Hindi · दोहा 2 269 Share विनोद सिल्ला 24 Mar 2020 · 1 min read जिंदाबाद जिंदाबाद लाईलाज घातक वायरस के आगमन पर देवालय, खुदालय व गोडालय या अन्य धर्मस्थल सब बंद हैं आरती, अजान व प्रार्थना अनिश्चित काल के लिए टाल दीं गईं हैं अनुष्ठान... Hindi · कविता 1 486 Share विनोद सिल्ला 22 Mar 2020 · 1 min read कहाँ रहेंगे कहाँ रहेंगे सरकार का आदेश है आज मुझे और बाकी सब को भी घर पर रहना है मैं और बाकी सब हर संभव प्रयास करके घर पर ही रहेंगे लेकिन... Hindi · कविता 1 363 Share विनोद सिल्ला 19 Mar 2020 · 1 min read वायरस खादीधारी वायरस समय-समय पर पनप जाते हैं नए-नए नाम से नए-नए वायरस जो करते हैं संक्रमित इंसानों को बिना जाति-धर्म का भेदभाव किए ढूंढ़ा जाता है उपचार इन वायरस का... Hindi · कविता 1 194 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read ये संयोग है ये संयोग है हवा का रुख और तेरा रुख एक जैसा है ये संयोग है लेकिन तू सोचता है मोड़ दिया रुख हवा का मैंने ये तेरा पूर्वाग्रह है हवाएं... Hindi · कविता 1 172 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read क्योंकि तुम आजाद हो क्योंकि तुम आजाद हो तुम आजाद हो नहीं है तुम पर राजनीतिक-धार्मिक या अन्य बंदिशें तुम जा सकती हो जहाँ मन करे क्योंकि तुम हवा हो इंसान नहीं तुम्हारा है... Hindi · कविता 1 396 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read हवा हवा कार्तिक मास गुजरते ही दल-बदलू नेता सी हवा बदली-बदली आई नज़र हाव-भाव रंग-ढंग सब कुछ था बदला बड़ी सियासती है यह हवा -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 462 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read समय है मेरे लिए समय है मेरे लिए मैं हवा हूँ लाई हूँ अल्हड़पन चुलबुलापन ताजगी मस्ती क्या आपके पास समय है मेरे लिए -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 174 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read दल-बदलू दल-बदलू ऐ! हवा तू भी है दल-बदलू नेताओं की तरह कल गर्म थी आज ठंडी है न जाने किस समय ले आए धूलकण अपने संग हर रोज नया रूप -विनोद... Hindi · कविता 1 453 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read रंग में भंग रंग में भंग ठंडी-ठंडी हवा सावन की दे रही शीतलता छा रही है तन-मन पर खुशी बनकर रंग में भंग तो हवा के साथ आई धूल डाल रही है -विनोद... Hindi · कविता 1 376 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read लाई हूँ महक लाई हूँ महक मैं हूँ हवा लाई हूँ महक फूलों को छेड़कर चाहती हूँ महकाना आपको आप लोगे तो महक जाओगे दूर हो ताजगी संकीर्णता की दुर्गंध -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 241 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read आई हूँ तार छेड़ने आई हूँ तार छेड़ने मैं हवा हूँ फिर आ गई आपके मन के तार छेड़ने झंकृत करने आपके तन-मन को -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 177 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read मस्त हवा मस्त हवा मैं हवा हूँ एक दम मस्त हवा ये देखो घास-फूस पेड़-पौधे सब मस्त हो गए झूम कर हिला रहे हैं सिर -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 415 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read मघुर संदेश मघुर संदेश पेड़ों के पत्तों से छनकर हरियाली के सागर में नहाकर आई हवा ले कर प्रकृति का मधुर संदेश -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 1 221 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read हवेली को दुख है हवेली को दुख है मेरे पड़ौस की हवेली खाली पङी है अब तो शायद चूहों ने भी ठिकाना बदल लिया कभी यहाँ चहल-पहल रहती थी उत्सव सा रहता था लेकिन... Hindi · कविता 2 201 Share विनोद सिल्ला 18 Mar 2020 · 1 min read कर्ज था कर्ज था कर्ज था कर्ज ही उस किसान का मर्ज था कह गया अलविदा जहान को कर्ज था कर्ज ही उस पूंजीपति का मर्ज था कह गया अलविदा भारत को... Hindi · कविता 2 235 Share विनोद सिल्ला 6 Mar 2020 · 1 min read वैज्ञानिक युग वैज्ञानिक युग आज है वैज्ञानिक युग युगानुरूप क्या हमारी सोच है वैज्ञानिक वैज्ञानिक सोच के अभाव में क्या हम मिला पाएंगे कदम-ताल जमाने से क्या हम पिछड़ नहीं जाएंगे उलझ... Hindi · कविता 1 239 Share विनोद सिल्ला 23 Feb 2020 · 1 min read राज दरबारी राज-दरबारी वो हैं बड़े लेखक नवाजा जाता है उन्हें खिताबों से दी जाती है सरकार द्वारा सुविधाएं नाना प्रकार की बदले में मिलाते हैं वे कदम-ताल सरकार से कर रहे... Hindi · कविता 3 2 242 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read मिट्टी में मिट्टी मिट्टी में मिट्टी कल तक नहीं लगने दी कपड़ों पर धूल रहा संवारता कंचन-काया रोज-रोज रहा निहारता आइने में आज सोया पड़ा है चिरनिंद्रा में लोग लिटा रहे हैं चिता... Hindi · कविता 2 324 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read सरहद सरहद -विनोद सिल्ला सरहदों पर व्याप्त है भयावह चुप्पी की जा रही है चुपचाप निगहबानी की जाती हैं बाड़बंधी नियन्त्रित करने को इंसानों को इंसानों की आवा-जाही को कहा जाता... Hindi · कविता 2 207 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read पर वो बात नहीं वो बात नहीं -विनोद सिल्ला तेरा होना देता था ऊर्जा देता था खुशी तेरा न होना छोड़ गया खालीपन नहीं रुका तेरे जाने से कोई काम सब कुछ है पूर्ववत... Hindi · कविता 2 275 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read सब शिकायतें दूर सब शिकायतें दूर -विनोद सिल्ला एक रोज मेरे विद्यालय में चल रहा था सफाई अभियान उठा रहे थे बिखरे कूड़ा-कर्कट को मैं और मेरे छात्र एक छात्र सचिन कूड़े के... Hindi · कविता 1 239 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read दुम दुम अवसर था अपने शहर में उपमंडल स्तर के आयोजन का जाने कितने छुटभैये दुम हिलाते लगा रहे थे चक्कर प्रशासनिक अमले के करने के लिए स्वार्थ-सिद्ध उन्हें पता है... Hindi · कविता 2 464 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read वो हैं बड़े वो हैं बड़े वो हैं बड़े नहीं-नहीं शायद बहुत बड़े मैं नहीं कहता वे स्वयं कहते हैं बात-बात पर लेकिन मुझे उनमें नहीं आया नजर कोई बड़प्पन वे बड़े हैं... Hindi · कविता 2 205 Share विनोद सिल्ला 22 Feb 2020 · 1 min read अपेक्षा अपेक्षा कर लेते हैं हम अत्यधिक अपेक्षा दूसरों से नहीं सोचते कितने खरे उतरते हैं हम दूसरों की अपेक्षा पर जब नहीं होती अपेक्षा पूरी तो होते हैं दुखी खो... Hindi · कविता 2 232 Share विनोद सिल्ला 25 Jan 2020 · 1 min read इधर-उधर की मिट्टी इधर-उधर की मिट्टी -विनोद सिल्ला ऐ! हवा ये मिट्टी जो तुम साथ लाई हो ये यहाँ की प्रतीत नहीं होती तुम चाहती हो मिलाना उधर की मिट्टी इधर की मिट्टी... Hindi · कविता 1 1 211 Share विनोद सिल्ला 17 Jan 2020 · 1 min read नन्हें बच्चे नन्हें बच्चे -विनोद सिल्ला अक्सर मुख्यद्वार के नजदीक बैठा रहता है चिड़ियों का जोड़ा जिन्होंने अंदर लॉबी में बना रखा है घोंसला इनकी चीं-चीं इनकी फर्र-फर्र है कर्णप्रिय लगाए रहते... Hindi · कविता 1 466 Share विनोद सिल्ला 9 Jan 2020 · 1 min read कद का अंदाजा कद का अंदाज़ा मेरे कद का अंदाज़ा मेरे दोस्तों से न लगाइए दोस्त तो पता नहीं कब दुश्मन सा व्यवहार करने लगें मेरे कद का अंदाज़ा मेरे विरोधियों से आसानी... Hindi · कविता 2 473 Share विनोद सिल्ला 5 Jan 2020 · 1 min read तितलियां तितलियाँ कुदरत की हसीन सौगात तितलियाँ। फूलों से करती हैं बात तितलियाँ।। इनमें नेताओं-सा छल-बल नहीं है, नहीं पहुंचाती किसे आघात तितलियाँ।। दफ्तरी बाबू-सी इनमें ऐंठ नहीं है, देती हैं... Hindi · कविता 4 7 428 Share विनोद सिल्ला 1 Jan 2020 · 1 min read नववर्ष की बधाई नववर्ष की बधाई जब नववर्ष की दी बधाई, मुंह बिचकाया एक मित्र ने। पाश्चात्य पर्व है इसे छोड़ो, यूँ बतलाया उस मित्र ने| मैंने कहा सुबह-सुबह जो, चाय की चुस्की... Hindi · कविता 2 228 Share विनोद सिल्ला 1 Jan 2020 · 1 min read नए साल में नए साल में नए-नए साल में, नई-नई कविताएँ होंगी नए-नए पुष्प होंगे, नई-नई लताएं होंगी नई-नई रुत होगी, नई-नई फिजांए होंगी नए-नए मंच होंगे, नई-नई कलाएं होंगी नई-नई कहानियाँ, नई-नई... Hindi · कविता 1 210 Share विनोद सिल्ला 3 Dec 2019 · 3 min read पुस्तक समीक्षा पुस्तक समीक्षा -कृष्णलता यादव विनोद सिल्ला द्वारा संपादित समीक्ष्य कृति ‘प्रकृति के शब्द शिल्पी : रूप देवगुणʼ’ में देवगुण की साहित्य को देन के तथ्यपरक विवरण सहित 13 खंड समुद्र,... Hindi · लेख 1 1 707 Share विनोद सिल्ला 27 Nov 2019 · 1 min read कुंडलियां कुंडलियां सूटकेश नोटों भरे सूटकेश नोटों भरे, ले ले मेरे वीर| देके अपना समरथन, हर ले मेरी पीर|| हर ले मेरी पीर, मैं पा जाऊंगा सत्ता| पल भर में देखना,... Hindi · कुण्डलिया 1 223 Share विनोद सिल्ला 13 Nov 2019 · 1 min read रक्षा जरूरी है *रक्षा जरूरी है* मौलिक अधिकारों की सार्वभोमिक विचारों की रक्षा जरूरी है आपसी भाई-चारे की अमन पसंद अदारे की रक्षा जरूरी है आंखों के खारे पानी की दिलमें नदियो सी... Hindi · कविता 1 198 Share विनोद सिल्ला 7 Nov 2019 · 1 min read रक्षा जरूरी है *रक्षा जरूरी है* मौलिक अधिकारों की सार्वभोमिक विचारों की रक्षा जरूरी है आपसी भाई-चारे की अमन पसंद अदारे की रक्षा जरूरी है आंखों के खारे पानी की दिलमें नदियो सी... Hindi · कविता 2 2 265 Share विनोद सिल्ला 7 Nov 2019 · 1 min read दीये की अभिलाषा दीये की अभिलाषा मैं दीया हूँ अंधकार मिटाना चाहता हूँ प्रकाश फैलाना चाहता हूँ तूफानों से जूझ रहा हूँ कभी जल कभी बुझ रहा हूँ तेल है काफी बात्ती भी... Hindi · कविता 2 408 Share विनोद सिल्ला 7 Nov 2019 · 1 min read द्रौणों की फौज द्रौणों की फौज यहां द्रौणों की फौज हो गई। अर्जुनों की भी मौज हो गई।। एकलव्य को न मिला प्रवेश, डोनेशन वाले ही बने विशेष, शिक्षा निलाम रोज हो गई।।... Hindi · कविता 2 248 Share Previous Page 7 Next