विनोद सिल्ला 581 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 8 Next विनोद सिल्ला 29 Oct 2019 · 1 min read धनतेरस - - ० ० धनतेरस ० ०- - निर्धन व्यक्ति तंगहाल है, धनतेरस का नहीं ख्याल है, मिठाई नहीं रोटी के लाले, चुल्हे पे लगे मकङी जाले, तवा उपेक्षित रो... Hindi · कविता 2 2 492 Share विनोद सिल्ला 29 Oct 2019 · 1 min read कैसी दीवाली कैसी दीवाली कैसी दीवाली किसकी दीवाली जेब भी खाली बैंक भी खाली हर तरफ हुआ है धूंआ-धूंआ पर्यावरण भी दूषित हुआ जीव-जन्तु और पशु-पखेर आतिशी दहशत में हुए ढेर कितनों... Hindi · कविता 3 1 550 Share विनोद सिल्ला 30 Sep 2019 · 1 min read वोटों की फसल वोटों की फसल पक गई वोटों की फसल दिया गया इसमें अराजकता का जल समय-समय पर डाली गई दंगों की खाद आवश्यकतानुसार छिड़का गया भाषावाद-क्षैत्रवाद व जातिवाद का कीटनाशक मठाधीशों... Hindi · कविता 2 527 Share विनोद सिल्ला 29 Sep 2019 · 1 min read कलरव कलरव पक्षियों का कलरव भा रहा हैं मन को हवा की सांय-सांय है बहुत कर्णप्रिय इनके राग नहीं हैं किसी वाद से प्रेरित नहीं हैं साम्प्रदायिक नहीं हैं जातिवादी हैं... Hindi · कविता 2 1 350 Share विनोद सिल्ला 26 Sep 2019 · 1 min read वीरांगना झलकारी बाई वीरांगना झलकारी बाई भूल गया हिन्द जिसे वीरांगना झलकारी बाई थी। रानी झांसी ने जो अपनी सेनापति बनाई थी।। झांसी से दो कोस दूर ग्वालियर रोङ पर एक ग्राम है,... Hindi · कविता 2 3 263 Share विनोद सिल्ला 26 Sep 2019 · 1 min read बचा लो मेरी जान पिता जी बचा लो मेरी जान पिताजी लो मेरे गुण पहचान पिता जी। बचा लो मेरी जान पिता जी।। मैं भी पढने जाना चाहती हूँ, अपना लोहा मनवाना चाहती हूँ, करूंगी ऊंचा... Hindi · कविता 1 2 178 Share विनोद सिल्ला 26 Sep 2019 · 1 min read जय जवान ******जय जवान****** उन दुर्गम घाटियों में , तत्पर खङा जवान रेतीली माटियों में , डटकर खङा जवान सुनसान पहाड़ों में , चौकस बङा जवान भयावह उजाड़ों में , दिवार ज्यों... Hindi · कविता 1 287 Share विनोद सिल्ला 17 Sep 2019 · 1 min read थकावट छू मंत्र थकावट छू मंत्र हर रोज थक जाता है दोलो-दिमाग शहर के वाहनों की पों-पों सुनकर सहकर्मियों की चिक-चिक सुनकर अधिकारियों की बक-बक सुनकर घर आने पर मुख्यद्वार पर बैठी चिड़ियों... Hindi · कविता 307 Share विनोद सिल्ला 13 Sep 2019 · 1 min read बाह्य मूल्यांकन बाह्य मूल्यांकन कोट-पैंट टाई ने बाह्य व्यक्तित्व बना दिया आकर्षक गिटपिट भाषा ने बना दिया इक्किसवीं शदी का लेकिन अंदर आदमी था वही पंद्रहवीं सत्रहवीं शदी पुराना वर्णाश्रम के सांचे... Hindi · कविता 240 Share विनोद सिल्ला 12 Sep 2019 · 1 min read मैं क्या करता मैं क्या करता उसकी दोस्ती से साजिशों की बू आ रही थी उससे पीछा न छुङाता तो क्या करता भले ही वह आज मुझे बेवफा कहे -विनोद सिल्ला Hindi · कविता 556 Share विनोद सिल्ला 7 Sep 2019 · 1 min read भ्रष्ट शिक्षा तंत्र भ्रष्ट शिक्षा तंत्र शिक्षा के नाम पे चल रहे, कारोबार बंद हों। विकासोन्मुखी लाभदायक, शिक्षा का प्रबंध हो।। सेल लगी है आज उपाधियों की बाजार में, कहीं नकद में सौदे... Hindi · कविता 602 Share विनोद सिल्ला 7 Sep 2019 · 1 min read इंसान क्यों परेशान है इंसां क्यों परेशान है मुझे आता नहीं समझ फूलों की जात क्या है खुशबू का धर्म क्या है हवा की जात क्या है पानी का धर्म क्या है फलों की... Hindi · कविता 196 Share विनोद सिल्ला 5 Sep 2019 · 1 min read बिकती शिक्षा *****बिकती शिक्षा***** बिकती शिक्षा खरीद ले आजा। चाहे जो डिग्री ले मुन्ने राजा।। मना रहे हैं हम शिक्षक दिवस, निकाल के इस शिक्षा का जनाजा।। आठवीं तक होए फेल नहीं... Hindi · कविता 466 Share विनोद सिल्ला 4 Sep 2019 · 1 min read झाड़-झाड़ बैरी झाड़-झाड़ बैरी झाड़-झाड़ बैरी हुआ, क्या कर सके इंसान| ऐसे - ऐसे चल रहा, जैसा उसको ज्ञान|| जैसा उसको ज्ञान, हैं नेता मूर्ख बनाएं| जात - पात के रफड़, उसे... Hindi · कुण्डलिया 560 Share विनोद सिल्ला 31 Aug 2019 · 1 min read महंगाई ******महंगाई****** महंगी दालें क्यों रोज रुलाती। सब्जी दूर खङी मुंह चढाती।। अब सलाद अय्याशी कहलाता है, महंगाई में टमाटर नहीं भाता है, मिर्ची बिन खाए मुंह जलाती।। मिट्ठे फल ख्वाबों... Hindi · कविता 387 Share विनोद सिल्ला 26 Aug 2019 · 1 min read बदले नहीं हालात बदले नहीं हालात जब-जब बदलती है सरकार बदल जाती हैं लोगों की पगङियां लोगों की टोपियाँ पगङियों के रंग पगड़ियों के ढंग यहाँ तक की लोगों के रंग-ढंग भी बदल... Hindi · कविता 397 Share विनोद सिल्ला 24 Aug 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन मन के द्वार देती हैं दस्तक बार-बार गमी व खुशी चिन्ता व बेफिक्री कभी हो जाता है मन भारी मानो पड़ा है इस पर कई मण भार कभी हो... Hindi · कविता 1 226 Share विनोद सिल्ला 23 Aug 2019 · 1 min read बहुत माहिर हैं बहुत माहिर हैं वो साध लेते हैं समीकरण वक्त के मुताबिक साध लेते हैं शब्दों को हालात के मुताबिक देते हैं वक्तव्य सार्वभौमिक कल्याणार्थ चढ़ा रखे हैं चेहरे पर चेहरे... Hindi · कविता 1 197 Share विनोद सिल्ला 22 Aug 2019 · 1 min read झूठ की चकाचौंध झूठ की चकाचौंध चीखते हैं टी. वी. चैनल एक सुर में मिला रहे हैं ताल सभी समाचार-पत्र इनके मालिक हैं सरकार में सांझेदार या हैं नतमस्तक विज्ञापन के नाम पर... Hindi · कविता 1 473 Share विनोद सिल्ला 21 Aug 2019 · 1 min read कौन है उत्तरदायी कौन है उत्तरदायी जब शुद्रों को नहीं था अधिकार सेना में भर्ती होने का युद्ध करने का तब होता रहा भारत बार-बार विदेशियों का गुलाम उस सब के लिए कौन... Hindi · कविता 1 418 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2019 · 1 min read खोई हुई आजादी खोई हुई आजादी मैं ढूंढ रहा हूँ अपनी खोई आजादी मजहबी नारों के बीच न्यायधीश के दिए निर्णयों में संविधान के संशोधनों में लालकिले की प्रचीर से दिए प्रधानमंत्री के... Hindi · कविता 1 300 Share विनोद सिल्ला 20 Aug 2019 · 1 min read प्रमाण प्रमाण वो समझता है खुद को सर्वश्रेष्ठ कर रखे हैं उसने गवाह तैयार जो दे रहे हैं उसके पक्ष में सर्वश्रेष्ठ होने की गवाही तमाम प्रमाण हैं उसके पास जिनसे... Hindi · कविता 2 251 Share विनोद सिल्ला 17 Aug 2019 · 1 min read हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में हुआ हिमालय क्रोध में, आंखें उसकी लाल| हुआ वनों का दूहना, मानव को न ख्याल|| मानव को न ख्याल, जंगलों को रहा काट| आपदाओं को नियंत्रण,... Hindi · कुण्डलिया 2 526 Share विनोद सिल्ला 16 Aug 2019 · 1 min read दहेज दानव दहेज दानव ये दहेज दानव हजारों कन्याएं खा गया। ये बदलता माहौल भी रंग दिखा गया।। हर रोज अखबारों में ये समाचार है, ससुराल जाने से कन्या का इंकार है,... Hindi · कविता 2 343 Share विनोद सिल्ला 12 Aug 2019 · 1 min read अनुच्छेद दूसरा जान अनुच्छेद दूसरा जान अनुच्छेद दूसरा जान, जो है बड़ा विशेष| इसी के तहत सिक्किम का, संघ में हुआ प्रवेश|| संघ में हुआ प्रवेश, भारत का अंग बन गया| हर सिक्किम... Hindi · कुण्डलिया 1 258 Share विनोद सिल्ला 11 Aug 2019 · 1 min read पढ़ो प्रथम अनुच्छेद पढ़ो प्रथम अनुच्छेद भारत के संविधान में, पढ़ो प्रथम अनुच्छेद| वतन राज्यों का संघ है, रहे न कोई भेद|| रहे न कोई भेद, वतन का नाम बताया| भारत यानि इंडिया,... Hindi · कुण्डलिया 1 231 Share विनोद सिल्ला 10 Aug 2019 · 1 min read अनुच्छेद 47 अनुच्छेद 47 अनुच्छेद संतालिस पढ़, भारतीय संविधान| नशा नियंत्रण सत्ता करे, कर रहा है बखान|| कर रहा है बखान, इसे लागू करवाओ| नशों से कर के मुक्त, धरती को स्वर्ग... Hindi · कुण्डलिया 1 1 497 Share विनोद सिल्ला 10 Aug 2019 · 1 min read निजीकरण निजीकरण नौकरियां तो चढ़ गई, निजीकरण की भेंट| पेट पर पट्टी बांध कर, भूख-प्यास को मेट|| भूख-प्यास को मेट, ना कोए और चारा| यक्ष सवाल बन गया, कैसे होगा गुजारा||... Hindi · कुण्डलिया 1 252 Share विनोद सिल्ला 29 Jul 2019 · 1 min read सरकार के बाप सरकारों के बाप जब भी बदलती है सरकार बदल जाती हैं नीतियाँ नई नीतियाँ बनाती है सरकार अपने बाप के नाम पर बदल जाती हैं पुरानी नीतियाँ जो थीं पुरानी... Hindi · कविता 1 204 Share विनोद सिल्ला 28 Jul 2019 · 1 min read दायरे दायरे कर लिए कायम दायरे सबने अपने-अपने हो गए आदि तंग दायरों के कितना सीमित कर लिया खुद को सबने नहीं देखा कभी दायरों को तोड़ कर अगर देख लेता... Hindi · कविता 1 387 Share विनोद सिल्ला 27 Jul 2019 · 1 min read सवेरा सवेरा मेरे शहर के बाहर, झुग्गियों के पास, वहीं खेल रहे थे कुछ, युवक तास , उनसे छोटे भी वहीं, कंचे खेल रहे थे, एक-दूसरे की गंदीगाली झेल रहे थे,... Hindi · कविता 1 409 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read आज की तरह आज की तरह एक था वो समय जब मानव था अभावग्रस्त फिर भी नहीं होती थी मारा-मारी आज की तरह तब इंसान नहीं थे सभ्य परन्तु नहीं थे जन्मपूर्व क्न्या... Hindi · कविता 1 210 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बातूनी बातूनी मैं बैठा था एकान्त में होना चाहा निशब्द परन्तु हो न सका नहीं हिले होठ नहीं हिली जुबान लेकिन बोलता रहा अपने-आप से चलता रहा विचारों का चक्रव्यूह एकान्त... Hindi · कविता 1 212 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read प्रेम विवाह प्रेम विवाह उन्होंने नहीं की परवाह जमाने की नकार दिया परम्पराओं को हो गई मिसाल कायम हो गया आगाज परिवर्तन का खुल गए नए द्वार अगली पीढ़ी के लिए वे... Hindi · कविता 1 506 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read परिवर्तन परिवर्तन होता है विरोध हर परिवर्तन का नहीं आता रास परिवर्तन यथास्थितिवादियों को वे लगा देते हैं एड़ी-चोटी का जोर परिवर्तन रोकने के लिए लेकिन आज तक नहीं रोक पाया... Hindi · कविता 1 382 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read उपनाम उपनाम मुख्यद्वार पर लगी नेमप्लेट चिड़ा रही थी उन बूढ़े माता-पिता को जिन्होंने रखा था नाम अपने पुत्र का बड़े अरमान से बड़े लाड से बड़े चाव से उस नाम... Hindi · कविता 1 387 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read फरमान फरमान शीतकाल में धूप है कुदरत की अनमोल नियामत हर व्यक्ति अपना कार्य चाहता है निपटाना धूप में लेकिन मैं हूँ बाध्य कक्षाकक्ष में ही अध्यापन करने को फरमान है... Hindi · कविता 1 459 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read दिल में बसता है गांव दिल में बसता है गांव गांव छोड़े हो गए बीस वर्ष से अधिक वैसे तो गांव से आने के बाद भरपूर स्नेह दिया टोहाना शहर ने नहीं होने दिया प्रवास... Hindi · कविता 1 184 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read आंगन आंगन यह आंगन जिसमें बिता हमारा बचपन बहनें तो नदियों माफिक छोड़कर पहाड़ को जा मिलीं अपने-अपने सागर में हम दोनों भाई निकले थे दाना-चुगा लेने चिड़िया की तरह दोनों... Hindi · कविता 1 301 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read हंसना है महत्वपूर्ण हंसना है महत्वपूर्ण हंसता हुआ व्यक्ति लगता है बहुत सुंदर चित्र भी अक्सर लगते हैं सजिंदा हंसते हुए व्यक्ति के हंसी है कुदरत की नियामत जो छोड़ जाती है छाप... Hindi · कविता 2 351 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read मूल्यांकन मूल्यांकन आप हैं इंसान मैं भी हूँ इंसान बाकी भी हैं इंसान तो आप बाकियों से बड़े कैसे हैं यह है समझ से परे मुझे आता नहीं समझ कि मैं... Hindi · कविता 1 438 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read असल पीड़ा असल पीड़ा भरा है खेत पानी से झुके हुए हैं पानी में खेतीहर मजदूर कर रहे हैं रोपाई धान के पौधों की रह-रह कर पीड़ा होती होगी इनको दुखती होगी... Hindi · कविता 1 480 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read भविष्य भविष्य आज का युवा कल का है भारत कल का है भविष्य देखता हूँ अक्सर करते हुए गाली-गलौच उसे लांघते हुए सीमा सभ्यता की करते हुए आत्मसात नैतिक पतन को... Hindi · कविता 1 235 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सीखता रहा सीखता रहा ताउम्र सीखता रहा इंसान बहुत कुछ सिखाया इसे विकट परिस्थितियों ने अपनों के दिए जख्मों ने जीवन में खाईं ठोकरों ने पीठ पर हुए वारों ने बेवफाओं की... Hindi · कविता 1 238 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read स्वतंत्रता स्वतंत्रता हर वर्ष बुलेट-प्रूफ शीशों में से दिया जाता है भाषण कि आज हम मना रहे हैं स्वतन्त्रता की सत्तरवीं या इकहत्तरवी या कोई और वर्षगांठ इसके बाद नेता जी... Hindi · कविता 1 313 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बरसात बरसात आ गई बरसात देख रहे थे कब से राह इसकी लहलहा उठे पेड़-पौधे टर्रा उठे मेंढक हुई धींगा-मस्ती बच्चों की चल पड़ीं कागज की नाव मिल गई गर्मी से... Hindi · कविता 2 545 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read बीता समय बीता समय ये सच है आदि काल में धर्म नहीं थे अंधविश्वास-आडंबर और भ्रम नहीं थे तब मानव के आत्मघाती कर्म नहीं थे जाति-मजहब नस्ल व वर्ण नहीं थे रहा... Hindi · कविता 1 440 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read चुनाव चुनाव देखा चुनाव का दौर प्रचार का शोर लगा हुआ एड़ी-चोटी का जोर किसी को बेचा किसी को खरीदा शह-मात का खेल शेर-बकरी का मेल किसी को रिझाया किसी को... Hindi · कविता 1 536 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सिरदर्द सिरदर्द कुछ एक लेकर आते हैं धरती पर अपने साथ सिरदर्द जो भी उनके आता है संपर्क में दे जाते हैं उसे सिरदर्द उनके लिए सब उत्सव-पर्व हैं बेकार उत्सव-पर्व... Hindi · कविता 1 389 Share विनोद सिल्ला 26 Jul 2019 · 1 min read सवाल-जवाब सवाल-जवाब रेलवे स्टेशन पर बौद्धी वृक्ष के नीचे चबूतरे पर लेटी है एक वृद्धा सिरहाना बनाए अपनी पोटली का यह पोटली ही है उसका समूचा संसार जाने क्यों छोड़ दिया... Hindi · कविता 1 359 Share Previous Page 8 Next