Comments (3)
8 Sep 2020 08:35 PM
भावुकता एवं अपराध बोध ग्रस्त आत्मचिंतन के अंतर्द्वंद की सुंदर प्रस्तुति।
धन्यवाद !
8 Sep 2020 06:14 PM
सामाजिक परिवेश में यह सब चुप चाप सह लिया जाता है, इस पर विचार करने को कोई आगे बढ़ने को तैयार नहीं है, शायद इस लिए कि कहीं वह किसी मुसीबत में घिर गया तो,बस यही उसके भावहीन होने की शुरुआत है और बंचित के लिए हाथ आगे बढ़ाने से बचने का आधार। सादर
अति सुन्दर हृदयस्पर्शी प्रस्तुति ।
धन्यवाद !