सुखविंद्र सिंह मनसीरत Language: Hindi 2395 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 48 सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Aug 2019 · 1 min read समय के बोल स्त्री और मिस्त्री दोनों समझ में नहीं है आते बिगड़ जाएं एक बार जो काबू में नहीं है आते नाई और दाई दोनों के हैं गुण सभी एकसमान बीच अधर... Hindi · कविता 2 345 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Aug 2019 · 1 min read जन्माष्टमी के दोहे काली घटा घनघौर थी,बरसी थी घनी बरसात देवकी कोख पैदा हुए,मधुसुदन श्यामल गात काल कोठरी कैद थे,खुल गए थे कारागार द्वार टोकरी मे रख कृष्ण को,वसुदेव गए नन्द के द्वार... Hindi · कविता 2 319 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Aug 2019 · 1 min read जन्माष्टमी आया रे आया रे जन्माष्टमी पर्व आया रे मुरली मनोहर श्याम जन्म दिवस आया रे नन्द लाला ग्वाला का नन्द किशोर प्यारा है यशोदा मैया की अखियन का दुलारा तारा... Hindi · कविता 1 371 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Aug 2019 · 1 min read चुनावी मौसम राजनेताओं जुमलों का ठेला भर कर आ गया देश के बाजीगर आ गए चुनावी मौसम आ गया पाँच वर्ष जो बैठे थे देश की जन्नत पर आ गए बैठने को... Hindi · कविता 1 448 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Aug 2019 · 1 min read गणित हमारा मित्र गणित हमारा बच्चों है सच्चा मित्र याद हो जाए गणित सूत्र संग चित्र चार भुजाओं से बंद है जो आकृति चतुर्भुज कहलाए वो बनी आकृति जिसके बराबर हैं सदा चारों... Hindi · कविता 1 362 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Aug 2019 · 1 min read दुल्हन डोली में बैठी हुई दुल्हन सुन्दर और सलोनी दुल्हन ख्वाबों में खोई हुई दुल्हन सजरी और संवरी दुल्हन बैठी बैठी सोचे दुल्हन ठोस सोच में सोचे दुल्हन निजघर को छोड़े... Hindi · कविता 1 541 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Aug 2019 · 1 min read सिसकियाँ सुनाई देती हैं मुझे सिसकियाँ फिर से प्यार में आहत व चोट खाई हुई उस खूबसूरत कलत्र की जिसका पुनः विश्वास और आस्था विस्वासघाती शस्त्र से तार तार हुई चूर... Hindi · कविता 2 467 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम भाव ढाई अक्षर का शब्द है प्यार जीवन में खुशिया देता बेशुमार संयोग वियोग दो मूल है भाव जिस भाव में उसी भाव में बहाव भिन्न भावों में भिन्न रखता सार... Hindi · कविता 2 277 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read नारी शक्ति नारी सम्मान असहनीयऔर असीमित पीड़ा जिसको न जाने कितनी बार हँसते और समाज से लडती हुई बाधित और बाध्य होती हुई सीमित और असाध्य साधनों के साथ विपरीत हवाओं को चीरती हूई... Hindi · कविता 2 437 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read अवशेष पलकों की छांव तले नेत्र ढूँढ रहे हैं अपने बहे हुए अश्कों के अवशेष जो कुछ दिन पहले महबूब की बेवफाई में बह गये थे - सुखविन्द्र सिंह मनसीरत Hindi · कविता 3 285 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read दोहरी सोच दोहरी सोच एक मँच पर एक समाज सेविका महिला पश्चिम परिधान मे स्वयं को लपेटे हुए व आधुनिक विचारों से ओत प्रोत अपने संबोधन मे नीचे बैठी महिलाओं को भारतीय... Hindi · लघु कथा 3 455 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read विदाई आखों में आंसू संजोए हुऐ कर रहें हैं तुम्हे हम खुद से जुदा खुश रहो तुम सदा जहाँ भी रहो दे रहें है तुम्हे हम दिल से दुआ सुंदर बगिया... Hindi · कविता 3 587 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read नववर्ष मुबारक दिल में बहार हो, ख़ुशी की फुहार हो, पूरी हर मुराद हो, जिन्दगी आबाद हो, जीने की उमंग हो, प्यार की तरंग हो, कोई भी नंग हो, न ही कोई... Hindi · कविता 3 288 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मुसाफिर सुनो मुसाफिर सुनो मुसाफिर जाने वाले, बात जरा ये सुन जाना । घर में बैठीं आस लगाए, याद उसे भी कर लेना। 1.बिन माली के कोई पौधा, कैसे भला फल... Hindi · कविता 3 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आँखें झील सी गहरी आखों में कोई राज छुपाए रहती हो राज के गहरे आँचल में कोई ख्वाब सजाए रहती हो ख्वाब के धुंधलेआइने में इक तस्वीर बसाए रहती हो वो... Hindi · कविता 3 390 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read ठहराव गलत तो कभी नहीं था शायद पर गलत ठहराया जाता हूँ मैं हमेशा दुसरो को समझता रहा पर नासमझ ठहराया जाता हूँ मैं शिद्दत से की मोहब्बत महबूब से पर... Hindi · कविता 3 305 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज के रिश्ते आज के युग के रिश्तों के माइने कुछ इस कदर बदल गए हैं कि चोली दामन का साथ सा रिश्ते भी कुर्ते-पजामे से ढीले हो गए हैं जो कभी गत... Hindi · कविता 3 227 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मित्रता के भाव मित्र दिवस अवसर पर प्रस्तुत हैं ये भाव जीवन में इनके आने पर होते पूरे सब चाव जब कभी तनाव में होता है कोई इन्सान मित्र राम बाण बन ओषधि... Hindi · कविता 3 603 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read पंजाबी लोक बोलियां 1.बदला विच चन्न चमके अज मेरे माही ओणा मेरा धक धक दिल धड़के 2.सड़कां ते धूड़ पई अज माही विछड़ गया मेरे दिल विच्च टीस पई 3.कोठे ते बनेरा ए... Hindi · कविता 3 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read धारा 370 न्यारा था जो हिन्द से अब तक आज हमारा हो गया स्वर्ग से सुन्दर जान से प्यारा कश्मीर हमारा हो गया एक देश में एक ही कानून का फतवा जारी... Hindi · कविता 4 528 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम भरी चिट्ठियाँ अतीत के गर्भ में खो गई मेरी प्रेम भरी चिट्ठियाँ बेहतरीन थी प्रेम की चासनी में डूबी हुई चिट्ठियाँ प्रेयसी से अतरंग प्यार की भावनाओं का एहसास थी इन्कार करार... Hindi · कविता 2 791 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read सोच सोचता हूँ जब कभी शून्यता के अक्ष पर एकांत में शान्त से गंभीरता के भाव से दिनकर क्यों दिन भर अथक असहनीय असीमित अधिकतम तापमान में क्यों तपता है, जलता... Hindi · कविता 2 400 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read यादें तनहाई में तन्हा होता हूँ तो अंगड़ाई और फिर लम्बी जम्भाई के साथ अक्सर वो याद आ जाती है दिलो दिमाग पर.छा जाती है जकड़ लेती है अपने आगोश मे... Hindi · कविता 2 553 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मेरी माँ ओ मेरी माँ, तूँ हैं कहाँ, ढूँढता फिरूँ तुम्हे,यहां वहाँ वहां यहां सारा जहाँ ,मिली नहीं कहीं, गया जहाँ जहाँ वो दिन कितने अच्छे थे,सभी थे साथ-साथ आस-पास तेरे आँचल... Hindi · कविता 2 275 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read कलयुगी दोहें बनता कारज देख के लियो मुँह फुलाए । कारज बिगड़ जाए तो लियो मुख छिपाए ।। प्रेम कभी न कीजिए रहिए कपट कमाए । जब तक झगड़ा न हो कपटी... Hindi · कविता 2 360 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मुलाकात तारों भरी रात थी रात हसीं खास थी प्रेमिका से ख्वाब में हो रही मुलाकात थी घनी नींद में लीन था वक्त बहुत हसीन था आगमन के चाव में सर... Hindi · कविता 2 461 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read बेटियाँ बाबुल के आंगन की बेटियां होती हैं मोमबत्तियाँ कभी जलती हैं बुझती हैं जैसे होंती हैं फुलझड़ियाँ बड़े लाडो में पलती हैं फूलों सी होती हैं नाजुक प्यार दुलारों में... Hindi · कविता 2 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read जीवन का पतझड़ रेगिस्तान सी विरान हो गई जिन्दगी ना हा भाव ना ही हाव है ना कोई शोक है बस ऱोक है बोझ तले दब गई है जिन्दगी रूक गई है थम... Hindi · कविता 2 442 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read रिश्तों मे गाँठ भूल कर सारे वाद-विवाद मनमुटाव और अपवाद मिलजुल कर आगे बढते हैं परस्पर कर मीठा संवाद बीत गई सो बात गई रुठी हुई काली लम्बी रात गई उलाहनों की बरसात... Hindi · कविता 2 189 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read शहीदों को नमन करबद्ध नमन सरहद पर तैनात जवान को रक्षा करते देश की सलाम हर जवान को दुश्मनों की गोलियां सहर्ष सीने पर खाते हैं ना कभी घबराते हैं ना कभी बौखलाते... Hindi · कविता 2 254 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read शिक्षा अभियान सरकारी स्कूल सफल बनाएँगे झण्डा साक्षरता का फहराएँगे जन जन तक शिक्षा पहुंचा्के शिक्षा का अलख जगाएँगे देखो कोई छूट न पाए शिक्षा-चक्र टूट न जाए असाक्षरता का जग से... Hindi · कविता 2 485 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read हिन्दूस्तान हमारा है हिन्दुस्तान हमारा है,जन गण के नयनों का तारा है। विश्व पटल पर नाम हमारा सारे जहाँ से न्यारा है।। तीन रंगों में जड़ा तिरंगा जिसकी जग में उँची शान हैं... Hindi · कविता 2 217 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्यार केअफसाने जब वो आए जिन्दगी में अफसाना हो गया तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया कहते हैं प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती आशिकों के बतियाने की भाषा... Hindi · कविता 2 259 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम शिकारी प्रेम-शिकारी आ गए चाहत का मौसम आ गया प्रेम के लुटेरे आ गए चाहत का मौसम आ गया संभल जाओ, दिलवालों, आई रुत प्यार करने की चित्चोर परिन्दे आ गए... Hindi · गीत 2 598 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read रक्षाबंधन कच्चे धागे की डोर नहीं यह रिश्ता है अनमोल बहना की भाई रक्षा करे यही रक्षाबंधन की खोल यह रिश्ता नहीं अब से हैं जब सृष्टि बनी तब से है... Hindi · कविता 2 329 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रियतमा प्रियतमा प्रियतमा कहाँ तुम चले गए लगा के दिल में आग कहाँ सरक गए मालूम नहीं हमें क्या खता हमारी थी हमको यूँ छोड़ने की क्यों जिद तुम्हारी थी कशमकश... Hindi · कविता 2 242 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read दोस्ती दोस्तों को दोस्ती का क्या सिला दूँ उनसे मिले प्यार का मैं क्या सिला दूँ बचपन के दोस्तों के तो क्या कहने पचपन की उम्र में भी हैं साथ रहने... Hindi · कविता 2 359 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read रौद्र प्रकृति शान्त और शालीन थी प्रकृति बनती जा रही है निष्ठुर,उदण्ड, अदयामय और प्रतिक्रोधित नित मानवीय हस्तक्षेप से भौतिकवादी प्रहारों से विकसित बनने की होड़ में प्रकृति को ही कर दिया... Hindi · कविता 2 245 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read प्रेम रंग प्रेम रंग बड़ा निराला है,जीवन जीने का सहारा है प्रेम रंग मे रंग जाए,वो रंगीला सबसे प्यारा है मानव जीवन बड़ा अनमोल बारम्बार नहीं मिलता ईर्ष्या और क्रोध में लीन... Hindi · कविता 2 279 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज के दोहे क्रोध कभी न कीजिए,रखें शान्त स्वभाव प्रतिक्रोधी घातक अति,सुशांत में है बचाव लोभ मोह में कुछ न धरा,जनसेवा रहत कमात संसेवा का मेवा मिलेगा,रहत सेवादार जमात मीठे बोल सदा बोलिए,... Hindi · कविता 2 471 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read तराने जिन्दगी के दिल के तराने अचानक याद आ गए बीते दिन वो अफसाने याद आ गए मकान हमारे कच्चे पर दिल पक्के थे उस कच्चे घर में सब रहते इकट्ठे थे मकान... Hindi · कविता 2 450 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read सैनिक की नार क्या व्यथा सुनाऊँ मैं सैनिक की नार की काँटों भरी है जिन्दगी कुमलाहीं नार की राह ताकती रहती अखियाँ पहरेदार की घर आगमन पर बातें खूब होगीं प्यार की तरसे... Hindi · कविता 2 427 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read स्वपन सपना जो देखा आँखों में साकार हो गया दिलदार मेरा प्यार रहमत नसीब हो गया खुशनसीब हूँ जो उनका साथ मिला साथ क्या मिला बेइंतहा प्यार मिला यार मेरा प्यार... Hindi · कविता 2 407 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज का डॉक्टर कलयुगी डॉक्टर आज शैतान बन गया डॉक्टर जो भगवान था हैवान बन गया घटित हुई घटना इक बतलाता हूँ डॉक्टर की काली करतूत सुनाता हूँ मित्रवर का पुत्र अचानक बीमार... Hindi · कविता 2 256 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read अन्ततर्भाव जाना चाहता हूं. बहुत दूर इतना दूर कि कोई अपना न छू सके न देख सके न सुन सके और न ही कुछ सुना सके ,कह सके निभा के देख... Hindi · कविता 2 340 Share Previous Page 48