प्यार केअफसाने
जब वो आए जिन्दगी में अफसाना हो गया
तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया
कहते हैं प्रेम की कोई परिभाषा नहीं होती
आशिकों के बतियाने की भाषा नहीं होती
निगाहों से निगाहों का निशाना हो गया
तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया
खालीपन था जिन्दगी का रंगीन हो गया
मोहब्बत ए जुर्म हम से संगीन हो गया
उल्झी हुई घनी जुल्फों में घराना हो गया
तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया
उनके हुस्न की गिरफ्त में गिरफ्तार हो गए
लुट गए इस कदर कि हय फकीर बन गए
अपनो का संग साथ है पर बेगाना हो गया
तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया
जिन्दगी की आरजू थी हसीन दिलरुबा मिले
हुस्न की हो मल्लिका दिल खुशनुमा मिले
ख्वाब जो कभी देखा था सच में गवारा हो गया
तब से दिल उस हुस्न का दीवाना हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरतप्यार का.अफसाना