सुखविंद्र सिंह मनसीरत Language: Hindi 2395 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 43 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Dec 2019 · 1 min read सीख ------सीख---------- ----------------- महकते फूलों से ये सीखो कंटक में कैसे महकते हैं शूल सी चुभन सहकर भी हर पल भीनी सुगंध देते हैं बहकना सीखना ना हो त़ो बोतल शराब... Hindi · कविता 2 374 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Dec 2019 · 1 min read जरूरत ---जरूरत------- ---------जरूरत------- ------------- सर्दी में अग्नि की साग में मखनी की जीवन में संगिनी की कर्म में करनी की बहुत ही जरूरत है प्यासे को नीर की पंडित को खीर... Hindi · कविता 499 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2019 · 2 min read बचपन ----------बचपन---------------- -------------------------- बचपन का वो हसीन जमाना बीत गया जिन्दगी का बेहतरीन जमाना बीत गया नही थी कमाने की चिंता,नहीं थी सोच उछलते कूदते पैर मे आ जाती थी मोच... Hindi · कविता 2 233 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2019 · 1 min read जिन्दगी -------जिन्दगी--------- ------------------ जिन्दगी गिरगिट सी छलिया हर रोज नये रंग बदलती है इंसान बदलते रंगों से है दंग ये पोशाक से रंग बदलती हैं नये कल का देकर वो झांसा... Hindi · कविता 2 221 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Dec 2019 · 1 min read कोहरा सा जिंदगी में जमता जा रहा है कोहरा सा जिन्दगी में जमता जा रहा हैं --------------------------- कोहरा सा जिन्दगी में जमता जा रहा है इन्सान ही इन्सान को ठगता जा रहा है गहरी धुंध सी छाई रहती... Hindi · कविता 2 213 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Dec 2019 · 2 min read भटकती प्रेम राह --भटकती प्रेम राह--- ---------------- मन था बहुत अशांत सा दिल था थोड़ा चिंतित सा भटक रहा था निज राह से आस में था किसी पनाह से ढूँढने निकला एकांत वास... Hindi · कविता 2 242 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2019 · 1 min read नशा उन्मूलन अभियान नशा -उन्मूलन अभियान ---------------------- आओ मिलकर करें खुद से वादा नशा-उन्मूलन का करते हैं ईरादा नशे में लिप्त हैं देश का युवा वर्ग दिशा से भटका,देश का युवा वर्ग घुट... Hindi · कविता 2 289 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Dec 2019 · 1 min read छिपी हो तुम किन राहों में छिपी हो तुम किन राहों में ----------------- छिपी हो तुम किन राहों में अब आ भी जाओ बाहों में कब से बैचेन हैं मेरी आँखे छिप जाओ मेरी निगाहों में... Hindi · कविता 600 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2019 · 1 min read पति पत्नी का रूहानियत रिश्ता पति-पत्नी का रूहानियत रिश्ता सहयोग,समर्थन बिना ना निभता एक ही सिक्के के दो होते पहलू एक दूसरे बिन साथ नहीं निभता एक गाड़ी के दो पहिए सदा होते अकेले अकेले... Hindi · कविता 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Dec 2019 · 2 min read नवोदय के थे दरबार गए -नवोदय अलमुनी डे- –-------------- कई वर्षों जब बाद गए नवोदय के दरबार गए देखा जब प्रवेश द्वार आँखो में झलका प्यार दिल में हुई थी हलचल याद आने लगा हर... Hindi · कविता 2 511 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2019 · 1 min read चलो नवोदय चलो नवोदय साथियों चलो नवोदय आज अलमुनी डे,देखें वहाँ सूर्योदय नहा धो कर तुम हो जाओ तैयार मिलने को बिछुड़े साथी हैं तैयार कर रहा हमारा नवोदय इंतजार सोचो मत,बस... Hindi · कविता 1 2 398 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Dec 2019 · 1 min read क्या -जाँचने की यही है कसौटी क्या- जाँचने की यही है कसौटी ---------------------- हमारी सोच क्यों हो गई है छोटी क्या जाँजने की यहीं है कसौटी व्यक्ति से व्यक्ति तक क्यों भिन्न प्रत्येक रहे ऐसी नीतियों... Hindi · कविता 2 268 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read मिले नहीं कहींं कहाँँ यहाँ-वहाँ, कहाँ-कहाँ ढूँढा मैंने सारा जहां मिले नहीं ,कहीं कहाँ गया था मैं जहाँ जहाँ समय बहुत कम था मन में चला द्वंद्व था कह ना सका मैं वहाँ गया... Hindi · कविता 2 452 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read उन्नति-मंत्र परिश्रम कर या फिर कर हजूरी जीवन में आगे बढ़ना है जरूरी तरक्की के बदल गए तौर तरीके चमचागिरी, जी हजूरी है जरूरी अधिकारी को रखोगे सदैव खुश कार्यालय कार्य... Hindi · कविता 2 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 21 Dec 2019 · 1 min read दिल है खुद से खफा खफा दिल है खुद से खफा खफा हर शख्स दिखा जुदा जुदा बेरहमी की हद देखो यहाँ हर कोई यहाँ सहमा सहमा जो भी आया वो चल दिया ना दिखा कोई... Hindi · कविता 2 346 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Dec 2019 · 1 min read शिक्षक का चरित्र बदल गया शिक्षक का चरित्र बदल गया शिक्षण था पवित्र बदल गया शिक्षण-कारज जो था जनूनी व्यवसायीकरण में बदल गया उसूलन-गिरफ़्त में था शिक्षक मुक्त हो बेउसूल में बदल गया शिक्षण शिक्षक... Hindi · कविता 2 382 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read हाल मेरे वतन का है बदहाल दोस्तों हाल मेरे वतन का है बदहाल दोस्तों डोर किस के हाथ में ना जाने दोस्तों एकता है वतन की विखंडित हो गई इंसानियत इन्सान की दंडित हो गई इंसान ही... Hindi · कविता 2 229 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read नागरिकता संशोधन बिल नागरिकता बिल पर यह कैसा बवाल लोग क्यों दाग रहें बिन समझे सवाल बिल की समझे ना मूलभूत परिभाषा फैलाते क्यों चारों ओर हिंसक भूचाल नागरिकता कानून को करके बदनाम... Hindi · कविता 247 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2019 · 1 min read देश को बचाना है देश को बचाना है, मासूम बेटियां बचाएं खुद जाग जाएं ओर ओरों को भी जगाएं देश जल रहा हैं इंतहा ,कौमी नफरतों में चिराग शांति का जला के नफरत बुझाएं... Hindi · कविता 2 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2019 · 1 min read प्रेम की है सौगात मिली चुपके-चुपके,धीरे- धीरे प्रेम की है सौगात मिली प्यासे थे हम पपीहों से प्यार की बरसात मिली नयन थक गए थे हमारे नयनों को निजात मिली जीवन था, यूँ बीत रहा... Hindi · कविता 2 248 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2019 · 1 min read शीत ऋतु की धुंध सा प्यार शीत ऋतु की प्रथम धुंध की भांति होता है प्यार पता ही नहीं चलता ,कब प्यार का यह घना कोहरा दिलोदिमाग पर इस कदर एकाधिकार छा जाता है कि कुछ... Hindi · कविता 1 293 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2019 · 1 min read मत मचाओ तुम प्यार.का कहीं शोर गर हो जाए प्यार तो बन जाओ चोर मत मचाओ तुम प्यार का कहीं शोर कहते हैं दीवारों के भी होते हैं कान प्रेम भावनाओं की ना बजाओ तान चक्रव्यूह... Hindi · कविता 2 2 487 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2019 · 1 min read मेरे सजन पराए हो गए मेरे लेखा विच वज गई मेख मेरे सजन पराए हो गए मैंनू छड,नैन होर पासे रैन वेख मेरे सजन पराए हो गए रही मुद्दता तो जिदे नाल रीझ सी दिल... Hindi · कविता 2 316 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2019 · 1 min read जब से जहां से खो गई चिट्ठियां जब से जहान से खो गई हैं चिट्ठियां तभी से प्रीत जहान से पराई हो गई खूब लिखते थे,प्यार भरे प्यारे खत पाते थे खूब प्रेमसंदेश भरे हुए खत खत-... Hindi · कविता 2 405 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2019 · 1 min read राहों में लग गए यारों के मेले घर से निकले थे हम अकेले राहों में लग गए यारों के मेले अकेले कैसे लंबी राह कटेगी काली छायी घटा कैसे घटेगी यूँ ही राह चलते बन गए चेले... Hindi · कविता 2 578 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 2 min read हिंदू धर्म सनातन धर्म विज्ञान आधारित धर्म जो वह सनातन धर्म है विश्व का प्राचीनतम धर्म यह सनातन धर्म है वैदिक धर्म यह धर्म, वेद आधारभूत स्तंभ है चारों वेदों पर है आधारित यह... Hindi · कविता 2 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 1 min read गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ बड़े शोक से पाली थी मैंने अपनी मूँछ गर्लफ्रैंड भेंट चढ़ी मेरी प्यारी न्यारी मूँछ बाल्यकाल बाद आई थी रंगीन जवानी भूरी भूरी उभरी थी मेरे होठों ऊपर मूँछ हाथों... Hindi · कविता 209 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2019 · 1 min read कुर्सी देख कितना है स्वार्थी, कुर्सी का गंदा खेल बंदा बंदे से कट मरे , नहीं किसी से मेल इंसानियत का पतन हो, मानवता का लोप कुर्सी की अफरातफरी,शान्ति संतोष लोप... Hindi · कविता 225 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2019 · 1 min read दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना दोस्त, दोस्ती और दोस्ताना रहते याद, चाहे बीते जमाना नहीं देखती वर्ण, धर्म, स्तर यह दोस्ती का नियम पुराना राजा हो, चाहे हो कोई रंक कृष्ण-सुदामा याराना पुराना अच्छाई हो... Hindi · कविता 392 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2019 · 1 min read किशोर-रंग जैसे ही बाल्यावस्था से किशोरावस्था में किया प्रवेश आए मन-तन-बदन में परिवर्तन अंग-प्रत्यंग हुए परिपक्व सोच-विचारों में भी बदलाव पैदा होने लग गया अचानक विपरीत लिंग प्रति आकर्षण अच्छा लगने... Hindi · कविता 2 250 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Dec 2019 · 1 min read तेरी याद अक्सर आती है आप तो आते कभी नहीं तेरी याद अक्सर आती है गम-ए -जुदाई उपहार दी तन्हा मैं,नींद नहीं आती है जब याद तेरी बैचेन बनाएं मेरी जान ही चली जाती है... Hindi · कविता 2 327 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 11 Dec 2019 · 1 min read सर्दी के दोहे सर्दी का मौसम आया, ठंड बहुत है छाई स्वेटर जर्सी अब पहनो ,ढूँढों गर्म रजाई मूँगफली संग रेवड़ी , खाओ खूब खजूर सर्दी नजर ना आएगी, मानो बात हुजूर सोहबत-ए-मयख्वारी... Hindi · कविता 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Dec 2019 · 1 min read प्याज पर दोहे प्याज पर दोहे प्याज ब्याज पर हैं मिलें,हुआ विकास महान प्याज रत्न अनमोल है, भाव छुए आसमान सेब हुए हैं प्याज समान,प्याज समान हैं सेब प्याज पहुँच बाहर हुए ,खाली... Hindi · कविता 1 726 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Dec 2019 · 2 min read गीता ज्ञान और आज श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया गीता-महाज्ञान का था उपदेश दिया जब अर्जुन ने हथियार थे डाल दिए सब अपने थे जो खड़े हथियार लिए भाई-बंधु,सगे-संबंधी थै, रिश्ते-नाती आपस में... Hindi · कविता 520 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2019 · 1 min read पुस्तकें सच्ची मित्र किताबें होती इंसान की सच्ची मित्र बनाती हैं ये इंसान का अच्छा चरित्र हो रहा हो इंसान जब कहीं पर बौर ना हो कोई साथी ,ना हो कोई होर जब... Hindi · कविता 457 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Dec 2019 · 1 min read रिश्ते-नाते लगते यूँ ऐसे रिश्ते- नाते लगते यूँ ऐसे पुराने हों बही -खाते जैसे हिसाब कभी मिलता नहीं जवाब कभी मिलता नहीं किश्तों में ये निभते रिश्ते पहले जैसे रहे नहीं रिश्ते पेड़ खजूर... Hindi · कविता 315 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2019 · 1 min read नारी सशक्तिकरण मान सम्मान् मिली मन को शांति दिल को मिला सुकून अंगारों सी जो भभका थी अनियंत्रित अपार क्रोध ज्वाला हो गई थी आँखें लहू सी लाल सुन कर के खबर फूल सी... Hindi · कविता 275 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Dec 2019 · 1 min read आरक्षी योद्वाओं को नमन पुलकित हर्षित मन से गुणगान करते है आरक्षी योद्धाओं का ससम्मान करते हैं अस्मत लूटेरों पर जनता आक्रोशित थी देश की जनता तो घटना पर क्रोधित थी शमशीरों की शूरता... Hindi · कविता 455 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Dec 2019 · 1 min read नदियों में बहता पानीू नदियों में बहता पानी देता यह सीख पुरानी निज वेग में रहो बहते बनेंगे बाधारहित रास्ते जो भी बाधा है आती नदी नहीं हैं घबराती पत्थर,पहाड़ी है आती रास्ता अपना... Hindi · कविता 486 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Dec 2019 · 1 min read प्याज के बढते दाम टूट गई यारी सलाद की प्याज से प्याज हुआ मंहगा मूल ब्याज से सलाद में प्याज, होता है सरदार प्याज बिन दाल रोटी बेअसरदार मंहगाई में आया एकदम भूचाल प्याज... Hindi · कविता 410 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Dec 2019 · 1 min read बेटी माँ जननी के जिगर का टुकड़ा है बेटी पिता का स्वाभिमान अभिमान है बेटी सांसों की कीमत पर सदा पलती बेटी दहेज की बलि पर चढती जलती बेटी असुरक्षित वातावरण... Hindi · कविता 839 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Dec 2019 · 1 min read मैं तुम हम अभी जवां जवां मैं-तुम-हम अभी जवां जवां जिन्दगी भी है आब-ए-रवाँ उम्र की छाप नहीं दिख रही ताजगी जीवन में अभी यहाँ बेशक आजीवन रहे जटिल मुस्कराते रहे हम यहाँ-वहाँ दुखों में जहाँ... Hindi · कविता 2 526 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2019 · 1 min read तुम आ भी जाओ एक बार तुम आ भी जाओ एक बार दुखी दिल करता यह पुकार उर भावों के बोझ तले दबा तुम से करनी बातें हजार अब तक नहीं मुलाकात हुई दिल बैचेन को... Hindi · कविता 319 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Dec 2019 · 1 min read गम के छाये बादल खुशी की धूप खिली गम के छाये बादल खुशी की धूप खिली हुई मेहरबान जिंदगी खिली कली कली वीरान ए जिंदगी , गमों की बरसात थी मिले जो तुम खुशियों की सौगात मिली जो... Hindi · कविता 543 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Dec 2019 · 1 min read गृहस्थ जीवन सरलार्थ हाथ में लिए हुए तलवार हो करके घोड़ी पर सवार बारातियों की सैना साथ ढोल, नगाड़ों,बाजों साथ रीति रिवाज क्रियान्वयन दुल्हा जाए दुल्हन आंगन संग बैंड,बाजा और बारात लेने फेरे... Hindi · कविता 2 490 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Dec 2019 · 1 min read आ जाओ यारों लगाते हैं जाम हो गई शाम दे रही है ये पैगाम आ जाओ यारो लगाते हैं जाम दिन भर का काम करे परेशान होती थकान जब पड़ती शाम अफरा तफरी में रहते हो... Hindi · कविता 2 244 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Dec 2019 · 2 min read नवोदयी जिगरी यार याद बहुत आते हैं पल जो नवोदय में बिताए नवोदयी जिगरी यार सदा दिलोदिमाग में छाएं पुरानी बात,सुहाने दिन रात अभी तरोताज़ा हैं वही जज्बात ,स्कूली हालात दिल में ताजा... Hindi · कविता 355 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Dec 2019 · 1 min read औरत आबरु अपमान कब थमेगा यह तूफान औरत आबरू अपमान निशदिन होता घमासान कब होगा नारी उत्थान हिंदू हो या मुसलमान प्रियंका हो या मुस्कान बदलते हैं बस यह नाम तेरे वही बूरे... Hindi · कविता 2 275 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Nov 2019 · 1 min read मानव जाति पर.धब्बा क्यों लगा रहा है पुरूष मानव जाति पर धब्बा क्यों लगा रहा है पुरुष पुरुषत्व का नाजायज लाभ क्यों उठाता पुरूष तुम्हारा पौरुष क्यों दिन प्रतिदिन है हीन हो रहा पुरुषाद तेरे अन्दर क्यों फल... Hindi · कविता 2 233 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Nov 2019 · 1 min read सपनों में आ कर यूँ नींदें चुरा जाना सपनों में आ कर यूँ नींदें चुरा जाना कब तक रहेगा तेरा यूँ आना जाना छोड़ दी हैं हमने सारी जग की रश्मे लक्ष्य यही बस तुम्हें जीवन मे पाना... Hindi · कविता 1 248 Share Previous Page 43 Next