संजीव शुक्ल 'सचिन' Tag: कविता 319 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next संजीव शुक्ल 'सचिन' 1 May 2018 · 2 min read रेल की बोगी रेल की बोगी ************* भारतीय रेल की बोगी आपने भोगी की नहीं भोगी? क्या कमाल एहसास है मन कहता मुसीबत का फरमान है चढने से लेकर उतरने तक क्या चहल... Hindi · कविता 562 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 1 May 2018 · 1 min read नेटवर्किंग के दुनिया (हास्य कविता) नेटवर्किंग के दुनिया (भोजपुरी हास्य कविता) ***************************************** लैपटॉप मोबाइल जब से चलन में आईल बा। तब से हमार जीवन देखीं अउँजियाइल बा। गदहो के बाप बोले , दिनवों के रात... Hindi · कविता 212 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 26 Apr 2018 · 1 min read थक गया हूँ जिन्दगी थक गया हूँ जिन्दगी ***************** क्या मिला अब तक मुझे तेरे इस जहांन से थक गया हूँ जिन्दगी मैं तेरे इम्तहान से। कहने को अपने सभी है साथ में फिर... Hindi · कविता 265 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 24 Apr 2018 · 1 min read चिता की अग्नि चिता की अग्नि **************** नहीं थे कुछ वो लेकर आये खाली हाथ निकलते देखा, राजा हो या रंक सभी को यहीं चिता पर जलते देखा। इस परिवर्तनशील समय को पल... Hindi · कविता 265 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 24 Mar 2018 · 1 min read गांव की पगडण्डी गांव की पगडण्डी ******************* हमरा* गांव मे पूज रहे सब माई* दूर्गा चण्डी, जाने का बस राह एक ठो पूर्व पतरी* पगडण्डी। बड़ा सुघर* लागत* है मेला नाम लुअठहा* चण्डी,... Hindi · कविता 209 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 22 Mar 2018 · 1 min read गौ माता गो माता ******** ममता की परछाई तेरी महिमा न्यारी दया भाव की देवी कितनी लगली प्यारी पालन पोषण करती है तूं सबकी माता पौराणिक पुस्तक भी गायें तेरी गाथा कहते... Hindi · कविता 345 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Mar 2018 · 1 min read रिश्तों की दुकान रिश्तों की दुकान *******///****** रिश्तों की दुकान सज रही आओ चलें मोल के लायें, भरी महफिल लगा नुमाइश सबको अपना सगा बतायें। बाप का रिश्ता सबसे सस्ता माँ का बाप... Hindi · कविता 219 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 20 Mar 2018 · 1 min read नोंक ? झोंक नोक - झोक (हास्य) ******************* मैं सच्चा पत्नी व्रत पालक फिर भी हमें भगाती है, चाय पिलाना बात दूर की झाडू ले दौड़ाती हैं। बात जो झाडू तक ही रहती... Hindi · कविता 292 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Mar 2018 · 1 min read आधुनिक हो गये आधुनिक हो गये ******************* संस्कृति से दूर, सभ्यता से विमुख हम अंग्रेजीयत में खो गये नग्नता को अंगीकार कर संस्कारों से छेड़छाड़ कर मूलतः पाश्चात्य में खो गये अब प्रतीत... Hindi · कविता 357 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Mar 2018 · 1 min read लड़े नहीं तो क्या करें ? (हास्य) लड़े नहीं तो क्या करें? ======////====== हम रखते उनको पास, वो देती घाव पे घाव/ लड़े नहीं तो क्या करें? हम करते हैं नीत काम , मिलता नहीं आराम/ लड़े... Hindi · कविता 307 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 11 Mar 2018 · 1 min read मिटती मानवता मिटती मानवता ....................... देख रहा हूँ करवट लेते युग पर युग बदल रहे हैं , सभ्याचार का रक्त बहा सीने में छूरा चुभा रहे है। सुता हते सूत को बेचे... Hindi · कविता 294 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 9 Mar 2018 · 2 min read बेटे का जन्मदिन बेटे का जन्मदिन ????? जन्मदिन पर पूछ रहा हूँ बोलो बेटे कैसे हो, चाल ढाल सब मेरे जैसा विलकुल मेरे जैसे हो। पिता हूँ मैं तूं पुत्र है मेरा जो... Hindi · कविता 1 528 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 9 Mar 2018 · 1 min read नारी ?? नारी ?? ******************** बहुत हुआ नारी पे भाषण बन्द करो भाषणबाजी तुम लगते हो कड़वे करैला वह उत्साह नयी ताजी। नहीं उसे सम्मान अपेक्षित नही करे अपमान उपेक्षित नहीं... Hindi · कविता 199 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Mar 2018 · 1 min read नारी ?? नारी ?? ***************** नारी केवल नारी नहीं नारी तो एक आलय है अभ्यर्थी का विद्यालय वह देवों की देवालय है। नारी केवल नारी नहीं सृष्टी की वह जननी है... Hindi · कविता 249 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Mar 2018 · 1 min read सोचता हूँ क्या लिखूँ ? सोचता हूँ अब क्या लिखूँ, आरक्षण या भ्रष्टाचार लिखूँ, घूसखोरी के बढ़ते आयाम लिखूँ, या फिर बिगड़ते देश के हालात लिखूँ। यहाँ हर दिन हो रहा महाभारत, क्या कौरव सेना... Hindi · कविता 286 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 7 Mar 2018 · 1 min read दुकान रिश्तों की (मुशायरा) तमन्ना थी उसे बेसुमार दौलत कमाने की, सहज ही पथ चुन लिया दुकान रिश्तों की लगाने की!! ===♀===♀===♀===♀===♀===♀===♀=== हर रिश्ते का मोलदार कोई और है, बेशक विक्रेता हैं हम र... Hindi · कविता 227 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 6 Mar 2018 · 1 min read रिश्तों की दुकान (मुशायरा) उन्हीं राहों में वो दुकान सजाये बैठे है, रिश्ते खरीद सकें आप बश उतना ही मूल्य लगाये बैठे हैं।। ****************************** भाड़े पर रहे आप या अपनी मकान में, उन्हें तो... Hindi · कविता 233 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 4 Mar 2018 · 1 min read रंगरेज विषय..... रंगरेज ====//====//==== मैली चादर है मन मेरा जीवन भी है कोरी, रंगरेज तूं रंग चढा दे श्यामल हो या गोरी। प्रीत रंग में रंग दे हमका रहे ना जीवन... Hindi · कविता 299 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 4 Mar 2018 · 1 min read अमन परस्त अमन परस्त *********** जो भी करता इस जहांन में अमन चैन की बात, हर हृदय भाईचारा पले सोचता है दिन - रात, हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई रहें सभी एक साथ,... Hindi · कविता 531 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 3 Mar 2018 · 1 min read प्रीत ******* प्रीत जग की रीत प्रीत ही संसार है, प्रीत बीना स्वर्ग भी लगता शमशान है। प्रीत जीवन राग प्रीत भक्त की प्यास, प्रीत बसे अनुराग प्रीत मोक्ष का धाम,... Hindi · कविता 409 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 3 Mar 2018 · 1 min read हिम्मते मर्दा मददे खुदा कितनो की तकदीर बदलनी है तुम्हें, कितनो को रास्ते पे लाना है तुम्हें... अपने हाथों की लकीरों को मत देख,,, इन लकीरों से बहुत आगे जाना है तुम्हें... मेधावि हो... Hindi · कविता 1 1k Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 1 Mar 2018 · 1 min read उद्गार दो अनजाने अजनबी स्वप्न बडे मन के धनी आये मुझे वो बोलकर मिले मुझसे दिल खोलकर। इनसे कौन सा रिश्ता था जो इनसे मन मिलता था आज मुझे आभास हुआ... Hindi · कविता 223 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 27 Feb 2018 · 1 min read चुनावी वादें..। नेता जी चूनाव में मेरे घर आये डफली बजाई मीठी राग भी सुनाये। बोले हम इस बार नहर खोदवायेंगे विकास रुपी गंगा चहूओर हम बहायेंगे। बस एक बार हम पे... Hindi · कविता 284 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 26 Feb 2018 · 1 min read अजीब दुनिया रिश्तों की...? कैसी अजीब दुनिया है यै रिश्तों की खाकर धोखे हृदय उन्हे ही ढूँढता हैं देते हैं जहर प्यार से फिर भी कदम उन्हीं का चूमता है। कैसी अजीब दुनिया है... Hindi · कविता 224 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 23 Feb 2018 · 1 min read आम आदमी अपने लिए ही जीना उसका खुद के लिए मरजाना, आम आदमी के जीवन का इतना है बस फसाना। रोटी कपड़े को लडता वह करता जतन है नाना, फिर भी सुख... Hindi · कविता 277 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 19 Feb 2018 · 1 min read ?वैवाहिक वर्षगांठ? वैवाहिक वर्षगांठ –----------------------- मैं परिणयसुत्र में बधा वह दिन आज का था, मेरे सुमधुर सपनों का संसार बसा वो दिन आज का था। एक मीत मिला मनमीत मिला वह दिन... Hindi · कविता 1 910 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Feb 2018 · 1 min read विडम्बना विडम्बना .............. प्रेमपत्र की बात करें तो पत्र तो है बस प्रेम नहीं है, प्रेम आज बन गई वासना प्रेमी कहते टेम नहीं है। करें बात सभ्य समाज की सभ्य... Hindi · कविता 1 284 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 18 Feb 2018 · 1 min read ? अभिशप्त ? ................. चिंगारी जो फुट रही उसे शोला अब बन जाने दो, अवरुद्ध नहो पथ मेधा का, हमें पर्वत से टकराने दो। अपमान सहा है क्रोध जो पाला प्रकट उसे हो... Hindi · कविता 1 263 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 15 Feb 2018 · 1 min read शादी के पहले और अब..! (हास्य - कविता) ---------------------------------- पहले थी तुम लाल गुलाब एक अब तुम कांटे की डाली, आज मुझे कालीख सी लगती पहले थी तुम सुर्ख लाली।।१।। जब देखा था पहले तुमको... Hindi · कविता 1 292 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Feb 2018 · 2 min read फरियादी कुत्ता (हास्य) फरियादी कुत्ता ------------------- आज अदालत मे यारों एक केश गजब का आया फरियादी एक कुत्ते ने इल्ज़ाम मनुज पे लगाया। बोला साहब मानव ने दारुण दुख हमें दिया है, उल्टे... Hindi · कविता 294 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Feb 2018 · 1 min read बेटी ???बेटी??? --------- बेटी; बेटी दीये की बाती है, बेटी प्रेम प्रित की पांती है। बेटी; बेटी घर का आंगन है, बेटी माता का आंचल है। बेटी; बेटी कुल की थाती... Hindi · कविता 520 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Feb 2018 · 2 min read माँ भारती का गहना माँ भारती का गहना -------------------------- क्यों ऐसे लड़ते हो यार तुम्हें नहीं जीवन से प्यार। हर दिन होती गोली-बारी बेध रही है बज्र की छाती, सीने पर गोली की वार... Hindi · कविता 300 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 12 Feb 2018 · 1 min read बेटी ........................... बेटी से संसार है अपना बेटी है बाबुल की गहना, बीन बेटी घर आंगन सुना कीलस रहा घर का हर कोना। बेटी है हर सुख की डाली बेटी कुल... Hindi · कविता 284 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 10 Feb 2018 · 2 min read एक साली दो (हास्य) भगवन मुझको एक साली दो ...................................... मुझे शील कहो जलील कहो या फिर मन का मलीन कहो, भगवन तू दो चाहे जाली दो किन्तु मुझको एक साली दो। मुझे जात... Hindi · कविता 307 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 9 Feb 2018 · 1 min read यह कैसा है न्याय..? पढा लिखा चपरासी, किन्तु अनपढ है सरदार; पढे लिखे का मोल क्या जब अंगुठा टेक परधान, यह कैसा है न्याय भाई यह कैसा है न्याय? धृतराष्ट्र गद्दी पे बैठा, दूर्योधन... Hindi · कविता 289 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 9 Feb 2018 · 1 min read पकौड़ा उद्योग पढा लिखा या अनपढ सबको, एक साथ बिठाते है, प्रधानमंत्री स्वरोजगार योजना सबको आज बताते हैं चलो चल चलें पकौड़े हम भी बनाते है। बहुत हुई पढाई , करनी अब... Hindi · कविता 532 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Feb 2018 · 1 min read राम नाम की लूट राम नाम की गू्ंज मची है देखो ऐसे यू. पी. का चूनाव पास बहुत हो जैसे, कुछ वादे फिर राम नाम का कर जायेंगे ठंढे बस्ते में फिर से वो... Hindi · कविता 398 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Feb 2018 · 1 min read रोजगार/बेरोजगार ऐ यार चल करें स्व रोजगार तलें पकौड़े आज तैल बेसन और प्याज पढ कर पायेगा क्या खाक। ऐं दोस्त आओ चलें कुछ खोज करें राष्ट्र के निर्माण की संपूर्ण... Hindi · कविता 431 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 8 Feb 2018 · 1 min read वीर ये वीर बलवीर रहते गम्भीर प्राचीर को चीर राष्ट्र रखते अक्षुण्ण कभी भी ना होते अधिर। हैं वीर रणधीर वे सभी धरापूत्र रखते धरा बाधामुक्त हरपल रहते शस्त्र से युक्त... Hindi · कविता 464 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 7 Feb 2018 · 1 min read जन्मदिन की शुभकामनाएं मेरे प्रिय मित्र धर्मेन्दर जन्म दिवस है आपका आज शुभकामनाऐं यह मेरी आपको सर पे रहे सुखों का ताज। रहे सफलता कदम चूमती खुशीयां रहे हमेशा पास कभी कोई बाधा... Hindi · कविता 498 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 4 Feb 2018 · 1 min read हस्रे भोजपुरी संगीत भोजपुरी संगीत कभी लगती थी मीत हृदय को भाते सुन्दर सुमधुर संस्कार भरे वो गीत पर आज ये खीजाने लगा सरीफों को सताने लगा। आज तो बस फुहड़ता का बोलबाला... Hindi · कविता 412 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 2 Feb 2018 · 1 min read प्रण साधना प्रण साधना —————– सहन करो आघात प्राण को अर्पण कर दो, बहे नहीं एक बार अश्रु को तर्पण कर दो, चलो भरो हुंकार भाव को जागृत कर लो, मरो नहीं... Hindi · कविता 1 215 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 31 Jan 2018 · 1 min read कमासुत भौजी (भोजपुरी) भईया सुतें घर में काम करेली भाभी चाल चलेली एईसन जईसे गवई काकी, उबड खाबड राह ना देखस चलस चाल मतवाली मर्द होवे चाहे होवे जनाना देली छूट के गाली।... Hindi · कविता 188 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 30 Jan 2018 · 1 min read मेधा को सम्मान..! मेधा को सम्मान..! -------------------------- जात धर्म की ये परिभाषा राजनीति की कुटिल अभिलाषा बलि का बकरा देश बना है दुस्परिणाम मेधा भुगत रहा है कब तक यह अभिशाप रहेगा कब... Hindi · कविता 387 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 29 Jan 2018 · 1 min read प्रकृति कुछ बोल रही है! ------------------------- प्रकृति हर दिन हमसे कुछ बोल रही है। ये हवाँओं की सरसराहट, ये बादलों की गड़गड़ाहट, नदियों की उफनती जलधाराएं, विषाक्त होरही जीवनदायी हवायें, कुछ बोल रही हैं। बागों... Hindi · कविता 702 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 28 Jan 2018 · 1 min read इंसान यूंही कबतक इंसान को छलेगा। इंसान यूं ही कब तक इंसान को छलेगा। कहीं धर्म का आडंबर कही जात की लड़ाई, अपनो के खातीर अपने ही खोद रहे खाई। ईश्वर का नाम लेकर कबतक ये... Hindi · कविता 168 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 28 Jan 2018 · 1 min read गरीब मुझको लगता शाप गरीबी बहुत बड़ा संताप गरीबी, ताउम्र यह डसता पग- पग जैसे गेहुअन सांप गरीबी। हीत मित्र ना कोई इसका जन्मजात संताप गरीबी, जनम मरण सब उलझा इसमें... Hindi · कविता 232 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 15 Jan 2018 · 1 min read ?सरस्वती वंदना? -------------------------------– हो नीज मन मे भक्ति श्रद्धा ना हम से कोई अपकार हो, चलूं सत्य के पथ सदा ही मैं ऐसा ही सरल स्वभाव हो, हैं द्वारे खड़े तेरे हे... Hindi · कविता 457 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 13 Jan 2018 · 1 min read मन का रावण...!! युग पर युग हैं बीत रहे पर पापाचार मिटा ही नहीं, असंख्य पुतले जले रावण के रावण मन का मरा नहीं। उत्सव कैसा यह विजय का है औचित्य ना जिसका... Hindi · कविता 708 Share संजीव शुक्ल 'सचिन' 6 Jan 2018 · 1 min read कवि मन की पीर काश तुम मेरे करीब होती.....? काश तुम होती... श्रीमन् हृदय को व्यथित करने वाले इन मार्मिक भावों ने निःशब्द कर दिया । तारीफ भी नहीं कर सकता कारण भावनायें आहत... Hindi · कविता 458 Share Previous Page 4 Next