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13 Feb 2018 · 2 min read

फरियादी कुत्ता (हास्य)

फरियादी कुत्ता
——————-
आज अदालत मे यारों
एक केश गजब का आया
फरियादी एक कुत्ते ने
इल्ज़ाम मनुज पे लगाया।
बोला साहब मानव ने
दारुण दुख हमें दिया है,
उल्टे सिधे काम करे खुद
खुन हमारा पीया है।
करता है लफड़ा आपस में
हमको कहे कमीना,
सुनते सुनते कान पके
बीते कई वर्ष महीना।
अब इंसाफ दिलाओ न्यायनिधी
शरण तिहारे खड़े है,
आज मान खतरे में हमारा
जिससे बहुत डरे हैं।
बात हमारा सत्य है साहब
हमपे करो भरोसा,
अगर भरोसा ना जम पाये
मंगवालो फिर गीता।
धर्म जात का नाम बेचकर
हर दिन लड़ता मरता,
कुत्ते की तूं मौत मरे
बदनाम हमें है करता।
वफादार हमको मानें
फिर भी समझे हमें गाली,
ऐसा लगता भेजे में
इसके बहती है नाली।
सुनसुन कर कुत्ते की बातें
जज साहब झल्लाये,
पटक हथौड़ा मेज पे अपने
अधिवक्ता को बुलाये।
बोले पक्ष रखा कुत्ते ने
अपना हमें बताओ,
जो कुछ पक्ष तुम्हारा हो
शिघ्र अतिशीघ्र सुनाओ।
अधिवक्ता ने मीलाड बोल
बहस की मुद्रा बनाई,
गवाह बुलाने की अर्जी
जज को तुरंत सुनाई।
पा अनुमति न्यायाधीश का
गवाह कटघरे आया,
कुत्ते की हर एक बात
सीरे से झूठ बताया।
माई बाप यह कुता है
कुत्ता हीं सदा रहेगा,
मानव की मानवता को
कैसे यह समझ सकेगा।
आज का मानव कुत्ते को
अपना सबकुछ ही माने,
उसके संग ही खाना खाता
उसको चूमें चाटे।
माँ बापू को बृद्धाश्रम
भले ही वह पहुचाता,
ए सी गाड़ी में कुत्ते को
संग अपने बैठाता।
वफादार है कौन यहाँ
किसको बेवफा कहेंगे
न्याय का पन्ना कलम से
अब किसके पक्ष गहेंगे।
पक्ष सुना दोनों का जज ने
कुछ भी बोल न पाये,
मनुज होने पर उस दिन अपने
न्यायाधीश पछताये।
“सचिन” समझ न पाये
है न्याय की क्या परिभाषा,
दोनो में किसपे करे
वफादारी की आशा।।
…….
©®पं.संजीव शुक्ल “सचिन”

Language: Hindi
285 Views
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