Language: Hindi
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भाव उपजे हैं मन में नवल, गीत लिखने दे।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्रेम पिपासा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#यदा_कदा_संवाद_मधुर, #छल_का_परिचायक।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#बह_रहा_पछुआ_प्रबल, #अब_मंद_पुरवाई!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मैं ही केवल और न कोई......!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#देकर_दगा_सभी_को_नित_खा_रहे_मलाई......!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#चाह_वैभव_लिए_नित्य_चलता_रहा_रोष_बढ़ता_गया_और_मैं_ना_रहा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सुरनदी_को_त्याग_पोखर_में_नहाने_जा_रहे_हैं......!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बाबुल (भाग-२)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जोगीरा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
बाबुल
संजीव शुक्ल 'सचिन'
नारी_व्यथा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हद हुईं कबतक भला तुम आप ही छलते रहोगे।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#है_तिरोहित_भोर_आखिर_और_कितनी_दूर_जाना??
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मन पीर बह उठेगा, फिर हर्ष तुम करोगे।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्रेम का फिर कष्ट क्यों यह, पर्वतों सा लग रहा है||
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#चुनाव_संहिता
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#अतिथि_कब_जाओगे??
संजीव शुक्ल 'सचिन'
तम भरे मन में उजाला आज करके देख लेना!!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सत्य सनातन पंथ चलें सब, आशाओं के दीप जलें।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
पधारो नाथ मम आलय, सु-स्वागत सङ्ग अभिनन्दन।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
जयकार हो जयकार हो सुखधाम राघव राम की।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
सरस्वती आरती
संजीव शुक्ल 'सचिन'
क्षोभ
संजीव शुक्ल 'सचिन'
पितृपक्ष_विशेष
संजीव शुक्ल 'सचिन'
उलझनों से तप्त राहें, हैं पहेली सी बनी अब।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
तुझको देखा तो मन बावला हो गया।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
छंद:-अनंगशेखर(वर्णिक)
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मत्तगयंद सवैया छंद
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#मरी_शिष्टता_बिन_बीमारी !!
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हरतालिका तीज
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हास्य - व्यंग्य
संजीव शुक्ल 'सचिन'
#मैं_पथिक_हूँ_गीत_का_अरु, #गीत_ही_अंतिम_सहारा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
रविवार का दिन, आज फैक्टरी में अवकाश होने के कारण दिल से एक आवाज आई चलो कही भ्रमण
संजीव शुक्ल 'सचिन'
तुम निष्ठुर भूल गये हम को, अब कौन विधा यह घात सहें।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
द्वेष_लोलुपता_त्याग_हृदय_में, #दीप_जलाओ_मेरे_साथी||
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दोहें
संजीव शुक्ल 'सचिन'
दोहा
संजीव शुक्ल 'सचिन'
माँ
संजीव शुक्ल 'सचिन'
रे पथिक! जग में सभी कुछ, छोड़ कर जाना पड़ेगा।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
स्वेद का, हर कण बताता, है जगत ,आधार तुम से।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
मजदूर_दिवस_पर_विशेष
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अब सुप्त पड़ी मन की मुरली, यह जीवन मध्य फँसा मझधार।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
पितृ वंदना
संजीव शुक्ल 'सचिन'
हैं पिता, जिनकी धरा पर, पुत्र वह, धनवान जग में।।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अरविंद सवैया छन्द।
संजीव शुक्ल 'सचिन'
अरविंद सवैया
संजीव शुक्ल 'सचिन'
प्रीति की, संभावना में, जल रही, वह आग हूँ मैं||
संजीव शुक्ल 'सचिन'
शब्द बिन, नि:शब्द होते,दिख रहे, संबंध जग में।
संजीव शुक्ल 'सचिन'