Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Feb 2023 · 2 min read

बाबुल

भाग – १ का लिंक
बाबुल – Read on Sahityapedia

The perfect app for writers.
https://sahityapedia.com/?p=189607
#बाबुल (कहानी ) #मार्गदर्शन_अपेक्षित
______________________________________________
अविनाश को आज फिर से बिटिया का फोन आया, किन्तु चाहकर भी उससे बात करने की हिम्मत जुटा न सका। कैसे सुनता,”— पापा मैं बहुत परेशान हूँ, आपकी तमाम समझाइशों के बाद भी मैं प्रतिदिन निराशा की खाई में धंँसती जा रही हूँ, दुखों का पहाड़ लिए बस जी रही हूँ।”
एक पिता के लिए ये शब्द किसी शरशय्या से कम नहीं। अगर कहने मात्र से या आदान – प्रदान से सम्भव होता तो बेटी सुखी रहे इसके लिए शायद दुनियाँ का हर एक पिता उसे अपने हिस्से का प्रत्येक सुख देकर बेटी के हिस्से का हर दुःख अपने हृदय में ले ले!

उसका मन हुआ ईश्वर से पुछे, आखिर आपने इंसान को इतना बेबस, इतना लाचार क्यों बनाया, जब हृदय और ममत्व देने का फैसला आपने किया तो हृदय को भेद देने जैसे दर्द बनाने जरूरी थे क्या? प्रेम तक तो ठीक था, पर पीर की भी आवश्यकता थी क्या? जन्मदाता हम और भाग्यविधाता आप !!यह कैसा न्याय है? पर हृदय की बात हृदय में रह गई, पत्थरों से प्रश्न भी कभी पूछे जा सकते हैं?

अविनाश पहली बार तब रोया था जब बिटिया डोली में बैठकर बाबुल की देहरी से विदा होकर अपने घर जा रही थी, किन्तु वे आँसू खुशी के थे, और आज फिर से एकबार रो पड़ा, जब चाहकर भी उससे वह फोन पर बात करने की हिम्मत जुटा न सका।
हो सकता था वह आज खुश हो किसी तकलीफ में न हो परन्तु पिता का मन है पता नहीं क्यों अनायास ही कलेजे को ठंडक पहुंचाने जैसे भावों से पूर्व ही किसी अनिष्ट से ग्रसित भाव हृदय को विदीर्ण कर जाते हैं।

फिर मन नहीं मानता ।पता नहीं बिटिया ने किस कारण फोन किया होगा?, हो सकता है कुछ जरूरी बात हो। यह सब सोचकर उसने स्वत: ही फोन कर लिया।

“कैसी हो बेटा? ”

जब बेटी प्रफुल्लित स्वर में चहककर बोलती है; तो ऐसा प्रतीत होता है, जैसे दुनिया की तमाम खुशी आज पिता के दामन में एक साथ समा गई हों, किन्तु जब वही स्वर उदासीनता में लिपटे हुए कानों में प्रविष्ट होते है तो मन करता है दुनिया को आग लगा दूं एवं स्वयं उसमें कूद पड़ूं।

क्रमशः
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’

1 Like · 173 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from संजीव शुक्ल 'सचिन'
View all
You may also like:
** मुक्तक **
** मुक्तक **
surenderpal vaidya
यूनिवर्सल सिविल कोड
यूनिवर्सल सिविल कोड
Dr. Harvinder Singh Bakshi
जीवन सभी का मस्त है
जीवन सभी का मस्त है
Neeraj Agarwal
ऐ जिंदगी....
ऐ जिंदगी....
Jeewan Singh 'जीवनसवारो'
3248.*पूर्णिका*
3248.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
चक्षु सजल दृगंब से अंतः स्थल के घाव से
Er.Navaneet R Shandily
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Tarun Singh Pawar
🚩अमर कोंच-इतिहास
🚩अमर कोंच-इतिहास
Pt. Brajesh Kumar Nayak
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
‌एक सच्ची बात जो हर कोई जनता है लेकिन........
Rituraj shivem verma
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
बन्द‌ है दरवाजा सपने बाहर खड़े हैं
Upasana Upadhyay
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
बेचारा प्रताड़ित पुरुष
Manju Singh
दिल की पुकार है _
दिल की पुकार है _
Rajesh vyas
मां
मां
Irshad Aatif
"बदलते भारत की तस्वीर"
पंकज कुमार कर्ण
अंग अंग में मारे रमाय गयो
अंग अंग में मारे रमाय गयो
Sonu sugandh
*जिनसे दूर नहान, सभी का है अभिनंदन (हास्य कुंडलिया)*
*जिनसे दूर नहान, सभी का है अभिनंदन (हास्य कुंडलिया)*
Ravi Prakash
इतनी ज़ुबाॅ को
इतनी ज़ुबाॅ को
Dr fauzia Naseem shad
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
गरजता है, बरसता है, तड़पता है, फिर रोता है
Suryakant Dwivedi
आओ मिलकर नया साल मनाये*
आओ मिलकर नया साल मनाये*
Naushaba Suriya
शेखर सिंह
शेखर सिंह
शेखर सिंह
पढ़ाई
पढ़ाई
Kanchan Alok Malu
हरदा अग्नि कांड
हरदा अग्नि कांड
GOVIND UIKEY
कर्मगति
कर्मगति
Shyam Sundar Subramanian
डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे / पुस्तक परिचय
डा. अम्बेडकर बुद्ध से बड़े थे / पुस्तक परिचय
Dr MusafiR BaithA
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelam Sharma
ममत्व की माँ
ममत्व की माँ
Raju Gajbhiye
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
अभी नहीं पूछो मुझसे यह बात तुम
gurudeenverma198
दरिया का किनारा हूं,
दरिया का किनारा हूं,
Sanjay ' शून्य'
मां (संस्मरण)
मां (संस्मरण)
Dr. Pradeep Kumar Sharma
Loading...