दीपक झा रुद्रा 177 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 दीपक झा रुद्रा 30 Jul 2020 · 1 min read जरूरी हुआ! 212 212 212 212 आंख से अश्क गिरना जरूरी हुआ। मेरे दिल का यूं जलना जरूरी हुआ। जिंदगी ने हमारा ये हालत किया। आज फिर सांस गिनना जरूरी हुआ। नींद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 364 Share दीपक झा रुद्रा 18 Jul 2020 · 2 min read कैसी विपदा अाई मुल्क में! *छंद मुक्त रचना* कैसी विपदा अाई मुल्क में कैसी विपदा अाई मुल्क में, क्या दीपक मैं गीत लिखूं। वहशीपन ने तोड़ी गुड़िया मैं तो पापी का जीत लिखूं। प्रथम पद... Hindi · कविता 2 2 451 Share दीपक झा रुद्रा 17 Jul 2020 · 1 min read किसको सुनाता 122 122 122 122 अगर तुम न होते मिरे जिंदगी में कहो यार किसको यूं दीपक सताता। तु है जान मेरी जरा पास आना यूं लिखता किसे और किसे ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 1 460 Share दीपक झा रुद्रा 17 Jul 2020 · 1 min read मिरे दिलबर *हिन्दुस्तानी गजल* 122 122 122 122 हक़ीक़त जहां की सुनो मिरे दिलबर। भला शौक़ से तुम चुनो मिरे दिलबर। अभी क्या सुनोगे मिरे हाल दिल की खुदी धड़कनों में सुनो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 554 Share दीपक झा रुद्रा 16 Jul 2020 · 1 min read गांव को इस शहर में ,हर कदम पर खोजता हूं, गांव को। खेत की हरियालियों को बड़गदो के छांव को। खेत के दलदल के हमने हां कभी मिट्टी में लेटा। ख़्वाब थी... Hindi · कविता 2 4 255 Share दीपक झा रुद्रा 16 Jul 2020 · 1 min read है यहां 2122 2122 2122 212 ये मदद के नाम पर करते तिजारत है यहां। प्यार है कुछ भी नहीं सबकुछ हि दौलत है यहां। आपने मुझको कहा सबकुछ मुझी में है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 224 Share दीपक झा रुद्रा 4 Jul 2020 · 1 min read हरिक बूंद में इश्क बरसा रहा है!! रिमझिम बरसता है सावन जनेजां बूंद बूंद में ख्याल तिरा है जानेजां तेरी नजर में नशा जैसे कि भांग का बरसा रहा है इश्क मुझपे ये आसमां। गीत नया सा... Hindi · गीत 3 2 407 Share दीपक झा रुद्रा 1 Jul 2020 · 1 min read जद हमारा गगन से कभी कम नहीं। हिन्दुस्तानी गजल 212 212 212 212 आंख उनकी कभी हो कहीं नम नहीं। जिंदगी आपको दे कभी ग़म नहीं। चांद बैठा बगल में अगर आपके। जद हमारा गगन से कभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 333 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read सुनो न... सुनो न... ! एक बात तुमसे कहना है मुझे। संग तेरे उम्रभर रहना है मुझे। सुनो न...!सुनो ...न मानता हूं रहा अब मोहब्बत भी वफ़ादार नहीं। और मेरा कोई यहां... Hindi · कविता 3 3 276 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read गजल गजल 122/122/122/122 तुम्हारे हवाले करूं जान को भी। मिरे ख़्वाब अरमां हुनर शान को भी। तुझी से मिरे चाहतें भी बची है! बचाया तुने यार ईमान को भी! मरा ख्वाब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 287 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read को भी हिन्दुस्तानी गजल 122/122/122/122 तुम्हारे हवाले करूं जान को भी। मिरे ख़्वाब अरमां हुनर शान को भी। तुझी से मिरे चाहतें भी बची है! बचाया तुने यार ईमान को भी! मरा... Hindi · कविता 2 447 Share दीपक झा रुद्रा 25 Jun 2020 · 1 min read हकीकत 122 122 122 122 तुम्हीं से मोहब्बत तुम्हीं से शिकायत । तुम्हीं से गिला है तुम्हीं से नज़ाकत। वफ़ा में जमाना यहां है सितमगर। उसे रश्क तुमसे तुम्हीं से किताबत।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 246 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jun 2020 · 1 min read हमने कहा चांद से हमनें कहा है चांद से अब तो रास्ता बदल गगन पे हक हमारा है तुम्हें नहीं खबर !!! हमने मढ़ा है माथ पर आफताब को। लाया है कदम तल में... Hindi · गीत 3 2 255 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jun 2020 · 1 min read देता हूं दुआएं कि यार तुमको प्यार हो! मधुरिम खिला खिला दिल का बहार हो। देता हूं दुआएं कि यार तुमको प्यार हो!! क्या क्या नहीं दिखा था साथ ख्वाब में हां चांद उतर आई थी हमार नाव... Hindi · गीत 3 6 556 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jun 2020 · 1 min read प्रितक व्यथा (हास्य कविता) किये अभगला प्रीत केले तों आब भोग प्रितक तों दण्ड बड़े निक छलहू तोहर प्रेयसी बड़े रहौ ने प्रेम क घमंड !! ई प्रेम ककर भेेले अहि जग में जे... Hindi · कविता 2 5 514 Share दीपक झा रुद्रा 18 Jun 2020 · 1 min read न चाहिए हिन्दुस्तानी ग़जल 221/2121/1221/212 दिल ने कहा इनाम मोहब्बत न चाहिए। बेशक रहे तु दूर शिक़ायत न चाहिए। खैरात आप पास रखो मेरि जानिजां तू ख्वाब ही सही कि हकीकत न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 519 Share दीपक झा रुद्रा 12 Jun 2020 · 1 min read तुम्हारी झील सी आंखें 1222/1222/ 1222/1222 तुम्हारी झील सी आंखें लगे जैसे कि मयखाना। हमारा हाल तो देखो, बना हूं जान दीवाना। कभी तेरी अदा मुझको , सताती है मगर यारा। तिरा गुस्सा तिरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 471 Share दीपक झा रुद्रा 11 Jun 2020 · 1 min read हमदम 1222 1222 1222 1222 जरूरी है मोहब्बत में करीबी हम/सफ़र हमदम । तु मेरी जा/न है जानो/ यहां हर पल/मिरे हमदम। मोहब्बत है/ तुम्ही से तो /शिकायत भी /तुम्हीं से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 242 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jun 2020 · 1 min read ख़्वाब छंद मुक्त रचना #ख़्वाब जिस्म के लिए मकां रूह के लिए इंसा दिल के लिए धड़कने और जिंदगी के लिए सांसें पता है कितनी जरूरी है चांद के लिए आसमां... Hindi · कविता 3 364 Share दीपक झा रुद्रा 9 Jun 2020 · 1 min read सुना ही दिया है 122/ 122/ 122/122 तुम्हारी सफ़र में खिले यार गुलशन । मोहब्बत किया तो दुआएं दिया है। कसम है तुम्हारी सनम आज से ही सजा जो मिला है गुनाहें किया है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 3 220 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 1 min read ख़ुदग़र्ज़ हूं मैं मुझे मालूम है कि मैं बहुत ख़ुदग़र्ज़ हूं। किसी का बोझ हूं किसी का कर्ज हूं। इश्क में जलता चिराग़ मत समझो मोहब्बत ना भले मगर तेरा तो फर्ज हूं।... Hindi · कविता 2 1 245 Share दीपक झा रुद्रा 6 Jun 2020 · 2 min read तू ईश्क है तू ईश्क है हमराह भी तू चैन दिलका चाह भी कैसे कहूं तुम कौन हो क्या पता क्यों मौन हो। अरमान तुम अभिमान तुम बख्शीस-ओ- वरदान तुम तुझमें सिमटा मेरा... Hindi · कविता 2 453 Share दीपक झा रुद्रा 30 May 2020 · 1 min read तेरे नाम का 2122 2122 2122 212 गुनगुनाती है बहारें जिक्र तेरे नाम का। जान जाता हूं जहां भी जिक्र तेरे नाम का। दिल धड़कता है मिरा पर सांस गाती है तुझे दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 271 Share दीपक झा रुद्रा 28 May 2020 · 2 min read इश्क़ ए रकीब इश्क होता तो वो साथ होती । ख़्वाब थी तो कैसे साथ होती? शब भर रोता हूं मैं जैसे जैसे इश्क होता तो वो साथ रोती। डरते तो दुश्मन है... Hindi · कविता 3 2 266 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2020 · 1 min read प्रीत योगी मित आत्म बसाए क्यों नीर नयन तटबंध बनाकर कविताओं के माप में छंद लिखूं मुझसे ना मन बंध पाएगा हां बंध चंड हो उदंड लिखूं हां अछूत देह है नयन सरिता कहती है... Hindi · कविता 1 2 200 Share दीपक झा रुद्रा 25 May 2020 · 2 min read मोहब्बत सियासत वालों का सियासत के दिमागी जंग में खुद से उठा पटक और औरों से भी इस बीच छूट जाते हैं अपने वजह होता है वक़्त की कमी हम भिड़ के दुनियां के... Hindi · कविता 1 225 Share दीपक झा रुद्रा 18 Mar 2020 · 1 min read मैंने इक चांद को छोड़ा है आसमां के लिए। जां तक लेकर था हाज़िर अपने जां के लिए। मैंने इक चांद को छोड़ा है आसमां के लिए। वो गुरूर है खुशी और मेरा ज़ुस्तज़ु भी वही भले वो गुल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 304 Share Previous Page 4