दीपक झा रुद्रा 179 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next दीपक झा रुद्रा 24 Sep 2021 · 1 min read दिल जो दिल से कभी लगाओ तो। दिल की चाहत जरा बताओ तो । पास अपने मुझे बुलाओ तो। भूल जाना कि क्या है ये दुनियां दिल जो दिल से कभी लगाओ तो। ना दिखेगा अंधेरा शहरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 791 Share दीपक झा रुद्रा 18 Sep 2021 · 1 min read दृश्य अंधे ने देखा है क्या पूछिए! एक मतला और चंद शे'र आप बेघर से घर का पता पूछिए। कैसे क्या क्या घटा हादसा पूछिए? कितने सिद्दत से चाहा है मैंने तुम्हें अपने दिल से मेरा क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 265 Share दीपक झा रुद्रा 11 Sep 2021 · 1 min read आप खुशबू बने फैलने आइए। आइए आइए अब चले आइए मेरे दिल में सनम बिन कहे आइए। आपको जो लिखूं गीत हो आरती आप गीतों की गुंजन बने आइए। मेरे ख्वाबों ख्यालों में आप हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 187 Share दीपक झा रुद्रा 10 Sep 2021 · 1 min read अगर प्रेम को पाना है तो , सत्य पथों पर आना होगा। अगर प्रेम को पाना है तो , सत्य पथों पर आना होगा। और हृदय में निष्छलता को, पुण्य मान अपनाना होगा। तुम सोचो क्या दृश्य प्रेम को यहां कलंकित करता... Hindi · गीत 1 273 Share दीपक झा रुद्रा 8 Sep 2021 · 1 min read एक तेरे दर से ही बस आस लगा बैठा हूं। एक ग़ज़ल देखिए। मैं हरेक दर्द अपने दिल में छुपा बैठा हूं। तेरे तस्वीर को सीने से लगा बैठा हूं। अब तो आ जाओ मोरनी दिल के उपवन में। अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 527 Share दीपक झा रुद्रा 8 Sep 2021 · 1 min read एक तेरे दर से ही बस आस लगा बैठा हूं। मैं हरेक दर्द अपने दिल में छुपा बैठा हूं । तेरे तस्वीर को सीने से लगा बैठा हूं। अब तो आ जाओ मोरनी बन के उपवन में अब तो आंखों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 235 Share दीपक झा रुद्रा 3 Sep 2021 · 1 min read स्वाभिमानी भरत पुत्र दो घनाक्षरी उस स्वाभिमानी भरत पुत्र के लिए,जिसने फुटबाल खिलाड़ी बनने का सपना इसीलिए छोड़ दिया कि उसे तुलसी माला को गले से निकालने के लिए कहा गया। खेल भाव... Hindi · घनाक्षरी 1 275 Share दीपक झा रुद्रा 31 Jul 2021 · 1 min read मलाल 221 1221 1221 212 हम उनसे वफ़ा ऐसे निभाते चले गए। सच होके भी सर अपना झुकाते चले गए। महफ़िल में कई प्रश्न थे मेरे वजूद पर। तो खुद को... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 281 Share दीपक झा रुद्रा 28 Jul 2021 · 1 min read जवान लीजिए एक कवित्त घनाक्षरी आपको निवेदित❤️ युद्ध मध्य जो निचोड़े शत्रुओं को निंबुओ सा प्रतिनिधि वीरता के आन कहे जाते हैं। मात भारती के प्रति होकर आसक्त पुत बलिदान दें... Hindi · घनाक्षरी 1 355 Share दीपक झा रुद्रा 22 Jul 2021 · 2 min read विरह वेदना मैं गलत हर वक्त हूं विध्वंस में और वास में। मैं सही न हो सका इस काल के अट्टहास में। जाइए अब आप तो मुझको अकेला छोड़कर। माफ करिएगा कि... Hindi · कविता 1 465 Share दीपक झा रुद्रा 5 Jul 2021 · 1 min read आहें जीवन का गीत रहा है। किसे बताऊं हाल है दिल का दिल पर क्या क्या बीत रहा है। भटका भटका फिरता हूं कि आहें जीवन का गीत रहा है। बचपन में पचपन के जैसे चिंता... Hindi · गीत 1 1 256 Share दीपक झा रुद्रा 10 Jun 2021 · 1 min read पहुंँचता हूंँ वहां पर भी जहांँ लश्कर नहीं आते। एक ग़ज़ल बहुत दिनों के बाद। मेरी वो जान ओ हमदम दिली दर पर नहीं आते। जो आते हैं तो गुस्से में कभी हँसकर नहीं आते। कि जिनके इश्क़ में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 260 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 2 min read मैं हूं मोहब्बत के साजिशों से तुड़वाया मैं गया हूं। अपनो के अक्लियत से झुकवाया मैं गया हूं। मेरा खुमार है ये इल्म– ए–सुखन न कहना। मेरा है हिमाकत ये इसको कलम... Hindi · कव्वाली 4 6 399 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 1 min read उन्हीं के याद में मरकर भी जिंदा रह रहा हूं मैं। एक ग़ज़ल की कोशिश 1222 1222 1222 1222 बहर–मुफाईलुन क़ाफिया – अह रदीफ-रहा हूं मैं किसी के याद में रहकर, ग़ज़ल इक कह रहा हूं मैं। उन्हीं के याद में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 246 Share दीपक झा रुद्रा 8 Jun 2021 · 1 min read बारिश 1222 1222 मुझे अक्सर रुलाती है तुम्हें अक्सर हंसाती है कहीं बह जाए ना फसलें ये चिंता भी सताती है । पला है द्वंद मन में यह अगर बारिश ना... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 1 322 Share दीपक झा रुद्रा 28 May 2021 · 1 min read बरसात मनहरण घनाक्षरी नीर के जो बूंद संग गिर रहे प्रेम रंग, फूल फुलवारी को झुमाया बरसात है। बंजर धरा भी होती हरियाली दिख रही, पोखरों में कमल खिलाया बरसात है।... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · घनाक्षरी 3 4 287 Share दीपक झा रुद्रा 27 May 2021 · 2 min read बेबसी बेबसी के आग में जलता हुआ यूं छोड़कर। वो चल दिए हैं बेखबर, बेवजह मुंह मोड़कर। छोड़िए क्या आप भी, कहते हो कुछ कुछ सोचकर सच कहूं तो टीस पहुंची... Hindi · कविता 2 498 Share दीपक झा रुद्रा 22 May 2021 · 1 min read दिवस बरसात की आई , चलो झूमें चलो घूमें दिवस बरसात की आई , चलो घूमें चलो घूमें। गिरी जो इश्क़ की बूंदे लगी छूने चलो घूमें। कि बादल को मुहब्बत से भरी दामन कहूं पहले हरेक कतरा को... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 266 Share दीपक झा रुद्रा 22 May 2021 · 1 min read जिसने तोड़े हैं दिल मुहब्बत में 2122 1212 22 जिसने नफरत के बीच बोए हैं। वो ही अपनी ज़मीर खोए हैं। जिसने तोड़े हैं दिल मुहब्बत में याखुदा उम्रभर वो रोए हैं। जिसने पाया मुकाम दहशत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 4 248 Share दीपक झा रुद्रा 21 May 2021 · 1 min read अच्छी थी। एक गजल आपके नज़र 1222 1222 1222 1222 तेरी चाहत में पलते पल दो पल की बात अच्छी थी। मिले थे ख्वाब में हम तुम सनम मुलाकात अच्छी थी। जबीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 493 Share दीपक झा रुद्रा 25 Apr 2021 · 1 min read असहाय *असहाय* अपने पत्नी को खोकर बन गया दरिद्रता का निवाला इलाज़ जरूरी था तो बेच दी सारी दौलत बेटी के कहने पर। जो थी जीने की वजह लेकिन वो भी... Hindi · कविता 1 497 Share दीपक झा रुद्रा 24 Apr 2021 · 1 min read मुझको तुफां से खौफ नहीं मुझको तुफां से खौफ नहीं ,लेकिन डरता हूं साहिल से। बहुत कठिन था मगर बनाया, घर मैंने तो मुश्किल से। घर की चौखट पर ताक रहा, रातों की सघन अंधेरों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 199 Share दीपक झा रुद्रा 24 Apr 2021 · 2 min read निश्छल मन का है मोल नहीं निश्छल मन का है मोल नहीं,लेकिन वो मन बेमोल नहीं। कुदरत को प्यारा निश्छल मन,मानुष का सच तो बोल नहीं। ये कनक सोहती है उसको,जो पड़े गरलता के पीछे। उनका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 211 Share दीपक झा रुद्रा 24 Apr 2021 · 1 min read चराग बुझ जाए। आज फिर याद में जो तुम आए। मेरे आंखों में फिर लहू छाए। दर्द कितना है सोचिए इतना लाश जिंदा हो तो किधर जाए । मुझको अंधेरों से मुहब्बत है... Hindi · शेर 1 474 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read इश्क़ में कॉक कर दिया तूने। 2122 1212 22 दिल का दर नॉक कर दिया तूने। आज फिर सॉक कर दिया तूने। चैट में जानूं सोना करके बता मुझको क्यों ब्लॉक कर दिया तूने। प्यार था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 234 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read ऐसी अल्हड़ सी चाहत है। सबको सोने की फुरसत है मेरा ख्वाबों से निसबत है। जलकर सूरज सा चमकूं मैं ऐसी अल्हड़ सी चाहत है। तुमको कब मैंने इश्क़ कहा तुमसे तो मेरी अस्मत है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 399 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read कान्हा के दृष्टि में मधुरिम, मिरा सी अल्हड़ प्रियतम। प्रेम वृष्टि ये सृष्टि खोजे, यौवन से परे, बनो योगन। कान्हा के दृष्टि में मधुरिम, मिरा सी अल्हड़ प्रियतम। हो निर्मोही दैहिक द्रोही मादकता से परे नयन कानन गुंजित स्वर... Hindi · कविता 1 1 237 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read नयन से छू लिया मैंने तो मुझको बेशरम कहना। 1222 1222 1222 1222 नयन से छू लिया मैंने तो मुझको बेशरम कहना। जुबां ए तल्ख़ से यारा मुझे अब तो सनम कहना। किसे चाहा है कबसे हां तुम्हें मेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 365 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read दें कैसे उन्हें फुरसत ही नहीं रूठने से। मेरे तबियत का खबर लें कैसे? उसकी चाहत मुझे मालूम नहीं तो अपनी जां ओ जिगर दें कैसे? मुझे शक है कि तू नहीं... Hindi · मुक्तक 235 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read धुआं ले लो इश्क़ मुझे है चाहो तो इंतेहां लेलो। दिल जिगर चैन चाहत है मेरी जां लेलो। दहक रहा हूं तेरे वास्ते ही मैं "दीपक" रोशनी राख काजल या धुआं लेलो। दीपक... Hindi · मुक्तक 1 430 Share दीपक झा रुद्रा 23 Apr 2021 · 1 min read हृदय के यवनिका पर इस हृदय के यवनिका पर , जो छपी तस्वीर तेरी। है हृदय हर्षित उसी से, और हां तकदीर मेरी। देखिए कुस्मित हुई है, आज मन कि वो धरा भी जो... Hindi · कविता 219 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read बिकने लगा ज़मीर यहां पर कागज के टुकड़े के बदले, मिलता हवा और जल है। अब तो सोचो कैसा मानव आने को आतुर कल है। बिकने लगा जमीर यहां पर, और बिका नाहक पल है।... Hindi · कविता 250 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read लिख दूं कातिल है तेरी निगाहें, चेहरे की मुस्कान लिखूं। लिख दूं कातिल है तेरी निगाहें, चेहरे की मुस्कान लिखूं। तू मेरी दिल की धड़कन है, तुझको अपनी जान लिखूं। ख्वाबों में तुम बसने वाली दिल की चैन उड़ाती हो... Hindi · कविता 1 693 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read प्रेम क्या है? #प्रेम पर नई कविता लेकिन अभी अधूरी है आप पढ़िए और कहिए तो पूरा करने का प्रयास करूं।❤️ प्रेम में अमृत समाहित है सुखद मकरंद भी। प्रेम से ही भाष... Hindi · कविता 2 1 282 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read शे'र चैन खुशियां सुसुप्त स्वप्न जगा दो फिर से इक नज़र देख के मेरे ये सितारे कर दो। सामने जो भी है सबकुछ हुआ बेजान यहां जुल्फ पे हाथ रख के... Hindi · शेर 2 324 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read दिल में रहकर भी दिल से दूर थी वो। न जाने कौन सी मद में चूर थी वो। न जाने किसलिए मगरूर थी वो। खुदा कसम मैंने उसे संभाला था दिल में रहकर भी दिल से दूर थी वो।... Hindi · कविता 1 3 287 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read प्रेयसी इस हृदय के यवनिका पर , जो छपी तस्वीर तेरी। है हृदय हर्षित उसी से, और हां तकदीर मेरी। देखिए कुस्मित हुई है, आज मन कि वो धरा भी जो... Hindi · कविता 1 441 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read आशिक़ के लिए शाम जलाया नहीं जाए। 221 1221 1221 22 हर बात मेरे दिल को बताया नहीं जाए । जो सच है मगर वो भी छुपाया नहीं जाए । ये बात सही है कि मेरा दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 391 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 2 min read राष्ट्र जागरण गीत देखिए उत्कर्ष और उत्थान का पथ गढ़ रहा हूं। स्वर्ण पृष्ठों पर रचित है आज गाथा पढ़ रहा हूं। देखिए मुगलों पे टूटे ये मराठी वीर हैं देखिए निज पंथ... Hindi · गीत 1 2 321 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read मुझको तूफान से खौफ नहीं मुझको तुफां से खौफ नहीं ,लेकिन डरता हूं साहिल से। बहुत कठिन था मगर बनाया, घर मैंने तो मुश्किल से। घर की चौखट पर ताक रहा, रातों की सघन अंधेरों... Hindi · कविता 2 2 200 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read वेदना वेदना देखिए कितनी भयानक आ गई है त्रासदी। भूल कर न भूल सकता है जिसे हां ये सदी। क्या लिखें कोई कथानक दृश्य है उन्माद का काल का रथ आ... Hindi · कविता 3 3 470 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read कैसे करूं बयां मैं!! 2212 122 2212 122 देखो शिकन नहीं है , मेरे जबीं पे यारों। क्या दौड़ था जिया मैं, कैसे करूं बयां मैं। ख़्वाब में चांदनी थी, आंखों में रोशनी थी।... Hindi · कविता 1 244 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read काल का नव रूप काल के नव रूप में आ गया फिर से कोरोना। देखिए कि दृश्य कृंदित दिख रहा जन जन का रोना। देखिए ये जाल कैसा बिछ रहा संसार में। छेद होता... Hindi · कविता 2 270 Share दीपक झा रुद्रा 22 Apr 2021 · 1 min read हे महादेव! हे महादेव, शंकर , प्रलयंकर,जुनि देखूँ जग केँ संहारक। अछि व्यथा सृष्टि के पालक,दृश्य समूचा हृदय विदारक । देखूंँ पसरल अछि हाथ काल केँ,जे रूप कोरोना केँ धेलक। छल हर्षित... Maithili · कविता · मैथिली · मैथिली छंद · मैथिली प्रवाहमय कविता 2 359 Share दीपक झा रुद्रा 21 Apr 2021 · 2 min read आप में यूं झांकिए छोड़िए अब क्या लिखें हम स्वयं के दर्द पर सूर्य से भी प्राप्त होती है मुझे उस सर्द पर। अब तो दूरी में भलाई है कलम से राखिए। छोड़िए भी... Hindi · गीत 288 Share दीपक झा रुद्रा 21 Apr 2021 · 1 min read मनु के वंश को बचाइए लीजिए एक रचना सबसे मुश्किल और सबसे कम लिखे जाने वाले *छंद पंच चामर में* बसात में जहर घुला मिला जहान में यहां अभी पसारता दिखा कराल काल भाल को।... Hindi · कविता 1 2 601 Share दीपक झा रुद्रा 29 Sep 2020 · 1 min read है आरंभ की आकांक्षा। अंत ही आरंभ है आरंभ की आकांक्षा। तुम चलो विध्वंस मध्य आग को लपेटने। लपट लपट अग्नि हो झपट झपट हो कृपाण। और नवीन गान युद्ध राग को समेटने। प्रेम... Hindi · कविता 2 6 567 Share दीपक झा रुद्रा 4 Sep 2020 · 1 min read यार मंजिल मिरा है नहीं बेवफ़ा। 212 212 212 212 रास्ते हर दफा हो रही है खफा। यार मंजिल मिरा है नहीं बेवफ़ा। मैं थका कब कहो राह चलते मगर। ना वफ़ा हो सकी यार मेरी... Hindi · गीत 228 Share दीपक झा रुद्रा 16 Aug 2020 · 1 min read छंद मुक्त रचना बेवजह यूं ही इल्ज़ाम लगाने वाले। मेरे दामन में दाग दिखाने वाले। कुछ तो अपना भी ख्याल कर लो मेरे दर पर खुशियां पहुंचाने वाले। इश्क़ है तो दिल जां... Hindi · कविता 2 1 303 Share दीपक झा रुद्रा 16 Aug 2020 · 1 min read चाहिए हमको। एक गजल की कोशिश आपके नजर करता हूं । 1222 1222 1222 1222 कहां आजाद है भारत निशानी चाहिए हमको। दिलों में आग जिस्मो में जबानी चाहिए हमको। यहां सहमी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 692 Share Previous Page 3 Next