डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 131 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 17 Feb 2019 · 1 min read "माँ मुझे वरदान दो" माँ मुझे वरदान दो, ज्ञान से मुझको मान दो, माँ मुझे वरदान दो। शब्द- शब्द गुँजित हों , मेरे आँसुओं को सम्मान दो, माँ मुझे वरदान दो। छीन लो मेरा... Hindi · कविता 1 535 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Feb 2019 · 1 min read "चाँद" आजकल चाँद गुनगुनाता नहीं, मखमली सेज बिछाता नहीं, शोर का ज़ोर है वादियों में, रूठी चाँदनी को मनाता नहीं। @निधि... Hindi · मुक्तक 1 324 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Feb 2019 · 1 min read "बसंत" बासंती परिधान पहन, देख धरा इठलाती है। अपना नवरूप सजा, खुद पर ही इतराती है। धानी चुनरी ओढ़ सखी सी, अपनी ही मनवाती है। केसरिया मन लिये फिरे, गुनगुन भ्रमरों... Hindi · कविता 3 2 682 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Nov 2018 · 1 min read "माँ...मेरी आस्था मेरा विश्वास" मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 776 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Sep 2018 · 1 min read "उदासी की स्याह रात में" उदासी की स्याह रात में, मौन शब्द हैं चुभते, कितनी रजनीगंधा रख लो, एकाकी के शोले धधकते। स्नेहिल शब्दों की लड़ियों में, अश्रु ढुलक ही जाता है, भावों के महासमर... Hindi · कविता 3 2 429 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Aug 2018 · 1 min read "आज मैं झांकती हूँ " यादों के पर्दे उठा कर , आज मैं झांकती हूँ। कितने झिलमिलाते, रोशनी के कतरे हैं लहराते, कुछ गुनगुनाते से धुन, कानों में रस हैं घोलते, कभी नयन हो सजल... Hindi · कविता 1 326 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Aug 2018 · 1 min read "तीन रंग वाले कपड़े पहन कर" शहीदों पर ----' निकला हूँ आज मैं सज धज कर, देखो तीन रंग वाले कपड़े पहन कर, रोना नहीं मेरी प्यारी माँ, बाँहें फैलायें खड़ी मेरी भारत माँ। तेरा बरसों... Hindi · कविता 2 453 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Jun 2018 · 1 min read "नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा" नतमस्तक होने भर से काम नहीं चलेगा। देश बदलना है तो हम सब को मिल कर चलना होगा। आवाहन कर देश बुला रहा, सागर की लहरों में भी जोश उमड़... Hindi · कविता 1 355 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 May 2018 · 1 min read "मेरा सारा जीवन तेरे नाम" मैं क्या मेरा वजूद क्या, मेरी आस्था मेरा विश्वास तू। दर्द के रेत में भी, स्नेह की बहती नदी तू। घने कोहरे में, आस की मद्धम रोशनी तू। तेरे अंक... Hindi · कविता 2 314 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 May 2018 · 1 min read "सारा का सारा देकर" सारा का सारा देकर, थोड़ा सा पाया मैंनें। कितने सपने वारे तुम पर, फिर कुछ पाया मैंनें। साँसों के अनगिनते क्षण, जीये हैं बस तेरे खातिर। सारा का सारा देकर,... Hindi · कविता 2 237 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Apr 2018 · 1 min read "मेरी परछायीं मुझसे सवाल करती है" मेरी परछायीं मुझसे सवाल करती है, कितना चलती हो अथक ,पूछती है, किसके लिये चलती हो, कहती है, क्यों चलती हो, मुझे भी तो बताओ, कहती है ,क्यों मुझे भी... Hindi · कविता 1 551 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Mar 2018 · 1 min read "और मैं बिखर गयी" जाना था मुझको दूर कहीं निस्तब्ध निशा ने रोक लिया राह भटक कर चली गयी एक झोंका आँधी का आया और मैं बिखर गयी सपनों के मनके टूटे बिखर गये... Hindi · कविता 1 293 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 14 Mar 2018 · 1 min read "उर की पुकार" सामाजिक ताना बाना ऐसा बुना गया है जो मनुष्य की सुविधा, सुरक्षा, समरसता बनाये रखे साथ ही उच्च मानवीय एवं चारित्रिक मूल्य स्थापित हो सके, किंतु कई बार ये व्यवस्था... Hindi · कविता 1 546 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Feb 2018 · 1 min read "खेलो शब्दों की होली" कितने फागुन बीत गये कितनी बीती रसवंती होली कितने बादल आये गुलाबी कितनी बीती गीली होली कितने टेसू उड़े गगन में कितनी बीती मीठी होली बीते इतने बरस हुए कहाँ... Hindi · कविता 1 304 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Feb 2018 · 1 min read "खौलता है खून" वो सूनी आँख का श्वेत कतरा , देखूँ , तो खौलता है खून। वो बचपन का खिलौना टूटा, देखूँ तो खौलता है खून। वो सूनी कलाइयों का ठिठकना, देखूँ तो... Hindi · कविता 517 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Jan 2018 · 1 min read "वो कैनवस ही तो ढूँढ रही हूँ" वो कैनवस ही तो ढूँढ रही हूँ, जिस पर उकेर सकूँ तुम्हें। कुछ उनींदी आँखें, जो सपनों में डूबी हों, कुछ बेपरवाह सी बातें , जो मधु में सनी हों,... Hindi · कविता 1 234 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Dec 2017 · 1 min read "शोर है बारिशों का" ये रोर है घनघोर देखो, शोर है बारिशों का। अलमस्त बूंदो की है लड़ियाँ, या श्रृंगार है धरा का। नाचती हैं कोंपलें, स्नात -पुष्प हैं सिहरते। रोम- रोम हैं प्रफुल्लित,... Hindi · कविता 1 233 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Dec 2017 · 1 min read "मेरे उर के अंतस तक " मेरे उर के अंतस तक , पहुँचो तो कोई बात बने। नवरंग भरा नवगीत लिखूँ मैं, उमंग भरा संगीत बनूँ मैं। मेरे उर के अंतस तक , पहुँचो तो कोई... Hindi · कविता 1 718 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Dec 2017 · 1 min read "मैं दर्द हूँ..." मैं दर्द हूँ ... कभी आँख से टपक जाती हूँ, कभी साँस में दफ्न हो जाती हूँ, देखना कभी छूकर मुझे, मैं कोई तस्वीर नही, जिसे फ्रेम कर सको, मैं... Hindi · कविता 1 2 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Dec 2017 · 1 min read "पूनम की रात" आज चाँद पूरी कला में है, पूनम की रात जो है, चाँदनी से मिलन की रात है, देखो तो चाँदनी सोलह श्रृंगार में, कितना इठला रही है, ये सौंदर्य ये... Hindi · कविता 2 1 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Nov 2017 · 1 min read "थोड़ा -सा एक दिन में" कुछ अनन्त सी बातों का सिलसिला, जो शुरू हुआ कविताओं में, रख देती हूँ ,थोड़ा -सा एक दिन में | नरम -नरम से कुछ शब्दों में , भावों से उपजे... Hindi · कविता 1 240 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Nov 2017 · 1 min read "ये शब्दों का लिबास ओढ़कर, जब तुम आती हो" ये शब्दों का लिबास ओढ़कर, जब तुम आती हो|| गुनगुनी धूप सी चादर हो जैसे, मन को तुम सेंक जाती हो|| क्या कहूँ ,कभी ओस सी लगती हो, कभी दूब... Hindi · कविता 1 347 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Nov 2017 · 1 min read "यूँ ही कभी..." यूँ ही कभी विगत स्मृतियों के संग, बैठी चाय की चुस्की लेती, विहगों को विराट अनन्त की ओर, निरुद्देश्य बढ़ते देखती। यूँ ही कभी विगत स्मृतियों के संग, कुछ मधुर... Hindi · कविता 1 579 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Nov 2017 · 1 min read "उस पार जाना चाहती हूँ" शब्दों पर तैरना चाहती हूँ, खोलते हैं मन के कपाट, भींड़ में कातर दृष्टि से निहारते हैं, कुछ नहीं कहते हुए सब कुछ बयां करते हैं। तभी तो खेना चाहती... Hindi · कविता 1 396 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Aug 2017 · 1 min read "गुजरना कभी" मन की इन वीथियों से गुजरना कभी, इतनी तंग भी नहीं हैं जैसा तुम सोचते हो, कुछ कंगूरे बहुत आकर्षित करने वाले हैं, कुछ रंग तुम्हारे भी जीवन में बहार... Hindi · कविता 1 427 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Jul 2017 · 1 min read "कब आओगे " मन के सूने कोठर में कब आओगे , गहरी स्याही रात सजी है, जुगनू से चमके है मन के दर्पन , गीले मृद में सने सूखे पतझर, द्वार देहरी पर... Hindi · कविता 1 329 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Mar 2017 · 1 min read "हम चलते रहे" कितने ठहराव रहे जिन्दगी के मगर हम चलते रहे। देख साहिल दूर से हम भँवर में मचलते रहे। कितने खामोश किस्से रेत बन आँखों में किरकिरी सी उड़ते रहे। वक्त... Hindi · कविता 1 315 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 18 Feb 2017 · 1 min read "चलो ना" चलो ना कुछ सपनों में रंग भरें, सोंधी -सोंधी सी खुशबू लिये, रेत की चादर पर सीपीयों के संग। चलो ना भिगो दें कुछ पल, निचोड़ लायें विगत स्मृतियाँ, स्याह... Hindi · कविता 2 481 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Feb 2017 · 1 min read "बाहर क्यों सन्नाटा है" मन में इतना शोर मचा है, बाहर क्यों सन्नाटा है। गहरे दरिया में तूफान घना है, साहिल क्यों घबराता है। मन में इतना शोर मचा है, बाहर क्यों सन्नाटा है।... Hindi · कविता 1 578 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Jan 2017 · 1 min read "शब्दऔर समर्पण" है मेरे पास इक दरिया खामोशी का , और कुछ शब्द न्योछावर हैं तुम पर, मखमल से उडते ख्वाबों पर, मन तैरा करता है जज्बातों संग, नयी सुबह की उम्मीदों... Hindi · कविता 1 265 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Dec 2016 · 1 min read "चलो मोड़ दो एक बार फ़िर" चलो मोड़ दो एक बार फ़िर मेरी ज़िंदगी के गीले पन्नों को बहुत कुछ सोख रखा है इसने कुछ ख्वाहिशें, कुछ हकीकत निचोड़ना मुमकिन नहीं है मगर एक नया पन्ना... Hindi · कविता 1 362 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 19 Dec 2016 · 1 min read "मन की वीना सुनोगे कभी तुम" मन की वीना सुनोगे कभी तुम , तार -तार झंकृत हुआ ये मन | सरगम सी उठती हैं साँसें मेरी जैसे लहरों का हो संगीत कोई | मन की वीना... Hindi · कविता 1 438 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Dec 2016 · 1 min read "कोमल सेजों पर सोए सपने " कोमल सेजों पर सोए सपने , जब अंगार बन जाते हैं . एक चिंगारी अश्रु की, गले के उद्द्गार बन जाते हैं . डोलती कश्ती भवर में , जब जिंदगी... Hindi · कविता 1 296 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Nov 2016 · 1 min read "ऐ चाँद !ना हँस मेरी तन्हाई पर " ऐ चाँद ! ना हँस मेरी तन्हाई पर , तू भी अकेला है मेरी तरह | तेरी रोशनी भी उधार की है , मेरी गुमसुम हँसी की तरह || ऐ... Hindi · कविता 1 2 512 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 8 Nov 2016 · 1 min read "सपनों के खंडहर में " सपनों के खंडहर में , एक लता बेल की, आज लहरा रही है , अंतहीन उमंग में देखो| साँझ की फैली है उदासी, मगर,विहगों के कलरव हैं पुकारते , नीड़... Hindi · कविता 1 2 585 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 31 Oct 2016 · 1 min read ऐ ! तिमिर दूर हो जा ऐ ! तिमिर, देख मैने दीप सजाये, झिलमिल रोशनी ने, तेरे अरमान हैं मिटाये | बातियों सी हूँ जली मैं , नीर को बना तेल मैं ,... Hindi · कविता 1 1 533 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Oct 2016 · 1 min read "अलसाती सुबह" देखो मुख मंजीर में ढाकें, मतवाली, मदिरगामिनी, धूप की चादर को तानें , है खड़ी अलसाती सुबह| आंखों में कुछ रंग निशा के, स्वप्न लिये उमंग जीवन के, मधु मकरंद... Hindi · कविता 1 508 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Oct 2016 · 1 min read "खो गये उन्मुक्त दिन " क्यों खो गये वो उन्मुक्त दिन , बरबस आँखों में उमड़ गये , निज सूने मन में ले अंगड़ाई , झरने से निर्झर बरस पड़े , कहाँ गये वह खेल... Hindi · कविता 1 244 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 28 Sep 2016 · 1 min read "शब्दों से हारी लो आज मैं " शब्दों से हारी लो आज मैं , अवतरित हो मेरी कलम से, बह चली जो धारा अविरल , छोड़ मुझ अकिंचन को , जाने किस सागर की ओर चली, नित्य,... Hindi · कविता 1 4 479 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Sep 2016 · 1 min read "सब व्यर्थ, यहीं रह जाना है " कुछ अनकही, कुछ अनसुनी है ये जिन्दगी बडी अनबुझी कुछ अनछुयी , कुछ अनसिली है ये ज़िंदगी बडी अनसुलझी कोई कह न पाया ,सुन न पाया कोई छू न पाया,सिल... Hindi · कविता 1 1 343 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Sep 2016 · 1 min read " आशा दीप " संध्या ऊषा का सम्बल खोकर , नीरवता में डूब जाती , फ़िर भी जग हेतु नक्षत्र के , आशा दीप जलाकर जाती , हमें बताती ,निशा यदि है , दिवस... Hindi · कविता 1 510 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 20 Sep 2016 · 1 min read "जय हिंद से करूँ वन्दना" "जय हिंद " मेरे वीर सिपाही बोलो , किन शब्दों में करूँ वन्दना | छलनी हो जाता है मन, जब -जब तेरा लहू टपकता | मेरे वीर सिपाही बोलो ,... Hindi · कविता 331 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Sep 2016 · 1 min read "कोमल से एहसास" शब्दों की भींड में अकेली खडी, मैं हूँ नर्म - कोमल से एहसास , पंक्तियों से बाहर निकल कर, मोतियों सी टूट कर बिखर रही, कहाँ हैं वो तार कि... Hindi · कविता 2 377 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 15 Sep 2016 · 1 min read "मेरे जीवन की स्वर्णप्रभा" अभी अभी तो आयी है , मेरे जीवन की स्वर्णप्रभा, अलसायी कली हो उठी मुखरित, जैसे रश्मियों से हो अनुरंजित, अधखिली खिली सी कली, लाज से रक्ताभ हो चली, सकुचाती... Hindi · कविता 1 314 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 13 Sep 2016 · 1 min read "तुम शब्द बन कर आ गये" तुम्हे ही तो लिख रही थी कि तुम शब्द बन कर आ गये, शान्त स्निग्ध नयनों से, अविराम दृष्टि गड़ाये हुए , अक्षरों की ओट से निहारते, मन के पुलिन... Hindi · कविता 3 2 676 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Sep 2016 · 1 min read "राग द्वेष से सुदूर चले" चलो निदारुण शब्दों की भींड से निकल कर , निनादित मौन के संग चले, छोडकर गुंफित सृजन को स्वच्छ निहंग व्योम के तले , विहग संग धरा से उठ कर... Hindi · कविता 1 433 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 12 Sep 2016 · 1 min read "गीत सुनाओ जीवन के" आओ बैठो क्षण दो क्षण , सुनो सुनाओ पल दो पल, जीते क्यों हो रीतेपन में , रहते क्यों हो खाली मन से, कुछ मेरी सुनो कुछ अपनी कहो ,... Hindi · कविता 1 1 349 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Sep 2016 · 1 min read "बच्चे " जो कोरे कागज सी खुशबू लिये सुबह सुबह बस्तों का बोझ लिये नये रंग , नये ढंग ,नये तेवर लिये चलते हैं ज़िंदगी को मनाने के लिये उन नौनिहालों से... Hindi · कविता 364 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Sep 2016 · 1 min read "पुष्प" कुछ पुष्प होते हैं ऐसे , निशा काल में हैं खिलते | एकाकी तो होते हैं लेकिन , सुरभि बयारों में फैलाते | भीनी -भीनी सुगंध के संग , मंद-मंद... Hindi · कविता 356 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 10 Sep 2016 · 1 min read "मन की सिलवटें " ये जो मन की सिलवटें हैं , कई स्वप्न वहीं पड़े हैं , ये सीपी-सीपी से मन है , और मोती-मोती से स्वप्न | ये जो ज़िंदगी की उलझनें हैं... Hindi · कविता 1 297 Share Previous Page 2 Next