Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
22 Sep 2018 · 1 min read

“उदासी की स्याह रात में”

उदासी की स्याह रात में,
मौन शब्द हैं चुभते,
कितनी रजनीगंधा रख लो,
एकाकी के शोले धधकते।

स्नेहिल शब्दों की लड़ियों में,
अश्रु ढुलक ही जाता है,
भावों के महासमर में,
अर्थ कहीं रह जाता है।

दूर कहीं जब क्षितिज सोता,
तारों का तब मंडल रोता,
कहीँ पुरवा जब हुयी बैरन,
दीप विरह के जल जल बुझता।

नीर नयन के छुपा न लेना,
बहती ये अविरल धारा,
कितने इसमें पाप बहे हैं,
छोड़ कर मन का कारा।
©निधि…

Language: Hindi
3 Likes · 2 Comments · 366 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
गीत(सोन्ग)
गीत(सोन्ग)
Dushyant Kumar
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
अच्छी थी पगडंडी अपनी।सड़कों पर तो जाम बहुत है।।
पूर्वार्थ
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
जिन पांवों में जन्नत थी उन पांवों को भूल गए
कवि दीपक बवेजा
अब तू किसे दोष देती है
अब तू किसे दोष देती है
gurudeenverma198
झूठ
झूठ
Dr. Pradeep Kumar Sharma
जुल्फें तुम्हारी फ़िर से सवारना चाहता हूँ
जुल्फें तुम्हारी फ़िर से सवारना चाहता हूँ
The_dk_poetry
"आए हैं ऋतुराज"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
"प्यार तुमसे करते हैं "
Pushpraj Anant
आनंद
आनंद
RAKESH RAKESH
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
मूँछ पर दोहे (मूँछ-मुच्छड़ पुराण दोहावली )
Subhash Singhai
न दिखावा खातिर
न दिखावा खातिर
Satish Srijan
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
कुछ यथार्थ कुछ कल्पना कुछ अरूप कुछ रूप।
Mahendra Narayan
फागुनी धूप, बसंती झोंके
फागुनी धूप, बसंती झोंके
Shweta Soni
Dont judge by
Dont judge by
Vandana maurya
23/179.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/179.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
क्या यही संसार होगा...
क्या यही संसार होगा...
डॉ.सीमा अग्रवाल
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
अब क्या बताएँ छूटे हैं कितने कहाँ पर हम ग़ायब हुए हैं खुद ही
Neelam Sharma
💐अज्ञात के प्रति-104💐
💐अज्ञात के प्रति-104💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*दादी चली गई*
*दादी चली गई*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
कवि के उर में जब भाव भरे
कवि के उर में जब भाव भरे
लक्ष्मी सिंह
* straight words *
* straight words *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
।।जन्मदिन की बधाइयाँ ।।
Shashi kala vyas
जनहित (लघुकथा)
जनहित (लघुकथा)
Ravi Prakash
मित्रता मे १० % प्रतिशत लेल नीलकंठ बनब आवश्यक ...सामंजस्यक
मित्रता मे १० % प्रतिशत लेल नीलकंठ बनब आवश्यक ...सामंजस्यक
DrLakshman Jha Parimal
तुम जो हमको छोड़ चले,
तुम जो हमको छोड़ चले,
कृष्णकांत गुर्जर
"कवि के हृदय में"
Dr. Kishan tandon kranti
प्यार की भाषा
प्यार की भाषा
Surinder blackpen
गाओ शुभ मंगल गीत
गाओ शुभ मंगल गीत
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
■ कथनी-करनी एक...
■ कथनी-करनी एक...
*Author प्रणय प्रभात*
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Phool gufran
Loading...