डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 131 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Sep 2016 · 1 min read "ओस" छूना नहीं आकर मुझे , मैं भीगी रात की ओस हूँ , कतरा -कतरा बिखर जाऊँगी , हूँ नन्ही सी कोमल एहसास , सम्भाल कर रखना मुझे , टूट -टूट... Hindi · कविता 2 522 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2016 · 1 min read "साँझ" सुरमई सांझ, सुवासित सुमन, सुमधुर गीत, भ्रमरों का गुंजन, सिन्दूरी नभ के कंचन मंडप में, वल्लरियों का सतरंगी उपवन | …निधि… Hindi · कविता 1 636 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 6 Sep 2016 · 1 min read "स्वप्न" स्वप्न बेपरवाह होते हैं, अनियमित होते हैं. स्वप्न खंडित होते हैं, रंगीन होते हैं. स्वप्न कुछ तलाशते हैं, और हम भटक जाते हैं. मंजिल तक पहुँचने से पहले, यथार्थ के... Hindi · कविता 528 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 5 Sep 2016 · 1 min read "हाँ मैनें देखा है " सत्य को हारते देखाहै, दर्द को जीतते देखा है, वक्त को बदलते देखाहै, सम्मान का समर्पण देखाहै , रंग बदले गिरगिट देखा है, हाँ!मैने छल- कपट देखा है, देखा है... Hindi · कविता 293 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Sep 2016 · 1 min read "बीता पल" वो पल ,जो था कल , कितना प्यारा था, कितना न्यारा था| बीत गया जो पल, आये ना वो कल , सोयी थी जब मैं , बन के सपना अँखियों... Hindi · कविता 1 336 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 2 Sep 2016 · 1 min read "सभ्यता और संस्कार" यूँ सभ्यता को लुटने न दो, यूँ सत्यता को मिटने न दो, यूँ कल्पना को तोडो नहीं , यूँ मनुष्यता को रौंदो नही , समय की पुकार सुनो तुम सभी,... Hindi · कविता 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Sep 2016 · 1 min read " आज उमड़ जाने दो " पलकों पर रुका है सागर जो , उसे आज उमड़ जाने दो. कि इस ज्वार को रोको नही , उसे आज मचल जाने दो . ये जो लहरें बावरी सी... Hindi · कविता 1 1 329 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Aug 2016 · 1 min read "दर्द" जज़्बातों की नर्म चादर लपेटे, लफ्जो के तकिये पे लेटे, करवटें बदलते रहे ताउम्र, हौसलों को आगोश में समेटे, रूह पर पहरे लगे हैं, ज़ुबां भी खामोश है , धधकते... Hindi · कविता 1 674 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 27 Aug 2016 · 1 min read "कभी शाम को सिसकते सुना है " कभी शाम को सिसकते सुना है , उदासी में बैठी विरहनी की तरह, जब काजल आँसुओं में बह कर , क्षितिज में स्याह सी फैल जाती है , गीत विरह... Hindi · कविता 535 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 24 Aug 2016 · 1 min read "खो गये हैं शब्द मेरे" आजकल खो गये हैं शब्द मेरे , भींड से बचते ही रहते है , ज़्यादा खुले घूमने की , बुरी आदत जो नही . सम्भाल कर रखा था, मगर चुपके... Hindi · कविता 4 513 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 19 Aug 2016 · 1 min read "खेलो चाहे कितना भी" खेलो चाहे कितना भी मेरे जज़्बातों से, हार नहीं मानूँगी अपमान भरी बातों से, नोचो मेरे अरमानों की कोमल कलियाँ , तोडो मेरे अस्तित्व की सुंदर डालियां, हर बार खडी... Hindi · कविता 1 499 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 16 Aug 2016 · 1 min read "खूबसूरत जिन्दगी " ख्वाहिशों के पन्ने ना पलटिये , सिलवटें पड़ जाती हैं , और उम्र गुज़र जाती है , मगर पूरी नहीं होती हैं , यादों को भी समेट दीजिये, इन्हीं पन्नों... Hindi · कविता 4 487 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 11 Aug 2016 · 1 min read "हूँ एक कहानी" हूँ एक कहानी, थोडी जानी, थोडी पहचानी , पढ सको तो पढ लो , नहीं कोइ अनजानी, हूँ एक कहानी. शब्दों में सनी हूँ , भावों में सिमटी हूँ ,... Hindi · कविता 2 589 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 9 Aug 2016 · 1 min read "धरती का श्रृंगार " आज नवरूप धरा है मैनें, पंखुरी-पंखुरी सजाया मैनें, अलग रंग अलग रूप देखो , धानी-धानी सी चुनर हुई है , सोंधी-सोंधी सी खुशबू समेटे, सोलह श्रृंगार कर नव वधू सी,... Hindi · कविता 319 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 4 Aug 2016 · 1 min read "संवेदना" कितनी संवेदनायें उग आती हैं पल भर में , कुछ मुठ्ठी छींट देती हूँ गीले कागज़ों पर , और अंकुरित होकर जब ये फूट पड़ती हैं , अनावृत हो जाती... Hindi · कविता 399 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Aug 2016 · 1 min read "स्मृति" वासन्ती पुष्पों ने फिर से, लायी भीनी -भीनी सी सुगंध, अमवा की डाली से होकर , पुरवा का झोंका मंद-मंद, सखी लो फिर से आया, ऋतु मृदु मधु वसंत, दूर... Hindi · कविता 512 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 3 Aug 2016 · 1 min read "जीवन की परिभाषा" जीवन की परिभाषा , धुमिल होती जाती है | अधियारा उजाले पर , हर पल छाता जाता है| कोई करे उद्धार हमारा, मानव निश दिन खोता जाता है | स्वार्थ... Hindi · कविता 559 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Aug 2016 · 1 min read " भोर " लावण्यमय है भोर धवल , सुरम्य श्वेत कली कमल , सुरभित सरोवर में तुहिन बिंदु, अरुण आभा में खिल कमल| …निधि… Hindi · कविता 582 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Aug 2016 · 1 min read "लिखूँ मैं" शब्द लिखूँ ,गीत लिखूँ, छन्द लिखूँ मैं , आज नव - रूप सजा उमंग लिखूँ मैं। भोर के उजास सी नव - कामनायें, प्रीत के श्रृंगार में नव -रंग लिखूँ... Hindi · कविता 426 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Aug 2016 · 1 min read "बस रोक रखी थी" टूट तो मैं कब की चुकी थी, बस रोक रखी थी,खुद को बिखरने से| एक कतरा समेटती,तो दूसरा छूट जाता, फिर भी कोशिशें करती रहती,समेटने की, साँसें थामी थीं ,कि... Hindi · कविता 448 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 1 Aug 2016 · 1 min read "स्मृति स्पन्दन" आज मौन में कुछ हलचल सी है , नयनों में कुछ कल - कल सी है | उर -आँगन में मचली गूंज सी है , स्मृति-स्पन्दन ये अनबूझ सी है... Hindi · कविता 2 602 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 30 Jul 2016 · 1 min read "बारिश की बूँद " मैं बारिश की बूँद हूँ , मेघों से बिछड़ कर, बिखर जाती हूँ , गगन से दूर धरती पर छा जाती हूँ किसी की तपन मिटाती हूँ , किसी की... Hindi · कविता 1 2 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 30 Jul 2016 · 1 min read "बरसो नयन से" ओ गगन के बादलों , नीर बन बरसो नयन से, तन तो भीगे मन भी भीगे , भीगे अन्तरघट सारा, ऐसे बरसो धार बनकर , अंक मेरी सरिता बने, बहती-... Hindi · कविता 2 518 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Jul 2016 · 1 min read "कल्पित जीवन " वह कल्पित जीवन कितना सुंदर , नहीं जहाँ पर तम अन्तर्मन में , पीडा भी रह -रह कर जहाँ, आती जाती रहती हो , जीवन में सुख-दु:ख दोनों का, सखियों... Hindi · कविता 449 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 29 Jul 2016 · 1 min read "इंतज़ार" कतरा-कतरा टूट कर गिरा, अब मैं सूनी हो गयी , नि:शब्द -शब्द गूंज कर गिरा, मैं खुश्क और श्वेत हो गयी, राह तकी बरसों मैने, गोद गीली हो गयी, जाने... Hindi · कविता 1 519 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Jul 2016 · 1 min read "ज़िल्द नहीं चढा सकी" ज़िंदगी की किताब के पन्ने, बिखरे पडे हैं कुछ इस तरह, कि ज़िल्द भी न चढा सकी , हवा के रुख के साथ-साथ, फड़फड़ाते जा रहे हैं बेतरतीब, आंखों की... Hindi · कविता 231 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 26 Jul 2016 · 1 min read "तुम और मैं " तुम शब्द बनकर झरा करो , मैं लेखनी बन मिटा करूँ, नव सृजन के अंकुरों में , झांककर तुम तका करो , मृण्मयी हो कर मैं तुम्हे , अपने श्वांस... Hindi · कविता 4 578 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Jul 2016 · 1 min read "ये कैसा सावन" ये कैसा सावन आया, कैसी ये वर्षा ऋतु | तन भीगा, मन कोरा, नाचा नहीं ये मन मयूर| ना झूला ना कजरी, केवल मेघों का है शोर| नौनिहलों की नाव... Hindi · कविता 4 651 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 25 Jul 2016 · 1 min read "सीख गई हूँ " हाँ ,मैं पिघलना सीख गई हूँ , और तुम … … … … … जलना| मैं,… … … बहना सीख गई हूँ, और तुम … … … … … ठहरना|... Hindi · कविता 2 2 333 Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 23 Jul 2016 · 1 min read "तुच्छ प्राणी" एक बार देखो तुम भी, टटोलकर अपना हृदय, स्पन्दन से प्रस्फुटित होगी, दिव्य विचारों की श्रृंखला, मानवता बिलखती सिसकती, तुम्हारा उपहास करेगी, तुम पाओगे स्वयं को , बन्धनों में छटपटाते,... Hindi · कविता 1k Share डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद" 22 Jul 2016 · 1 min read "जोडूँ कैसे" खुले घूमते दर्द ये मेरे , फ़िर भी दिखते नहीं किसी को , छू-छूकर के और टटोलें , निर्मम हँसी, ये घायल मन को, चीथडे-चीथडे हुए सभी , कागज़ से... Hindi · कविता 430 Share Previous Page 3