Comments (4)
26 Jul 2016 01:52 PM
जिल्द नहीं चढ़ा सकी ,जिन्दगी की व्यस्त यादों और इरादों के बीच की स्थिति का वर्णन अच्छा लगा ,प्रवाहमय संतुलित भाषा में बांधते हुए .
डा0 निधि श्रीवास्तव "सरोद"
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29 Jul 2016 05:11 PM
बहुत -बहुत धन्यवाद और आभार आपका आदरणीय हरिवन्श जी.
सराहनीय प्रस्तुति !
जी हार्दिक धन्यवाद .