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16 Nov 2016 05:13 AM

ये चॉद ! ना हँस मेरी तन्हाई पर
तू भी तन्हा है मेरी तरह।।
बहुत सुंदर रचना है यह , डा निधि श्रीवास्तव जी की ।
—- जितेंद्र कमल आनंद
१६-११-१६ रामपुर ( उ प्र )

बहुत आभार आदरणीय

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