महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1060 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 21 Next महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Mar 2018 · 1 min read शिक्षा के दोहे दीवाने-ग़ालिब पढो, महावीर यूँ आप उर्दू-अरबी-फारसी, हिन्दी करे मिलाप // १ .// शिक्षा-दीक्षा ताक पर, रखता रोज़ गरीब बचपन बेगारी करे, फूटे हाय नसीब // २. // पीढ़ी-दर -पीढ़ी गई,... Hindi · दोहा 1 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 3 min read १५ क्षणिकाएँ (१.) तार ———– आत्मा एक तार है जोड़ रखा है जिसने जीवन को मृत्यु से और मृत्यु को जोड़ा है … पुन: नवसृजन से …. (२.) क्रांति ————- परत-दर-परत खुल... Hindi · कविता 1 595 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 1 min read महंगाई के दोहे महंगाई डायन डसे, निर्धन को दिन-रात धनवानों की प्रियतमा, पल-पल करती घात //१// महंगाई के राग से, बिगड़ गए सुरताल सिर पर चढ़कर नाचती, बिल्कुल गले न दाल //२// महंगी... Hindi · दोहा 4 4 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 2 min read कविनामी दोहे सब कहें उत्तरांचली, ‘महावीर’ है नाम करूँ साहित्य साधना, है मेरा यह काम //१. // ‘महावीर’ बुझती नहीं, अंतरघट तक प्यास मृगतृष्णा मिटती नहीं, मनवा बड़ा हतास //२. // करवट... Hindi · दोहा 446 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 1 min read पर्यावरण के दोहे छह ऋतु, बारह मास हैं, ग्रीष्म-शरद-बरसात स्वच्छ रहे पर्यावरण, सुबह-शाम, दिन-रात // १ // कूके कोकिल बाग में, नाचे सम्मुख मोर मनोहरी पर्यावरण, आज बना चितचोर // २ // खूब... Hindi · दोहा 3 1 930 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 1 min read प्रदूषण के दोहे शुद्ध नहीं आबो-हवा, दूषित है आकाश सभ्य आदमी कर रहे, सृष्टि का सर्वनाश //१// ओजोन परत गल रही, प्रगति बनी अभिशाप वक़्त अभी है चेतिए, पछ्ताएंगे आप //२// अंत निकट... Hindi · दोहा 1 2k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 7 Mar 2018 · 1 min read कृष्ण नामी दोहे गीता मै श्री कृष्ण ने, कही बात गंभीर औरों से दुनिया लड़े, लड़े स्वयं से वीर //१. // लाल यशोदानंद का, गिरिधर माखन चोर दिखता है मुझको वहां, मै देखूं... Hindi · दोहा 1 1k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 4 Mar 2018 · 3 min read ‘छप्पय छन्द’ और ‘कुण्डलिया छन्द’ सृजन हेतु ‘छप्पय छन्द‘ हिंदी छन्द परिवार का पुराना छन्द है। ‘कुण्डलिया‘ की तरह यह भी छ: पंक्तियों का छन्द है। फ़र्क़ मात्र यही है कि ‘कुण्डलिया‘ छन्द की शुरूआत ‘दोहे‘ से... Hindi · लेख 1 2k Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 4 Mar 2018 · 1 min read श्री रामनामी दोहा देह जाय तक थाम ले, राम नाम की डोर फैले तीनों लोक तक, इस डोरी के छोर //१. // भक्तों में हैं कवि अमर, स्वामी तुलसीदास ‘रामचरित मानस’ रचा, राम... Hindi · दोहा 1 1 395 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Mar 2018 · 1 min read होली के त्यौहार पर तीन कुण्डलिया (1.) मस्ती का त्यौहार मस्ती का त्यौहार है, खिली बसंत बहार फूलों की मकरंद से, सब पर चढ़ा ख़ुमार सब पर चढ़ा ख़ुमार, आज है यारो होली सब गाएँ मधुमास,... Hindi · कुण्डलिया 2 561 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 28 Feb 2018 · 1 min read ख़्वाब ख़्वाब झूठे हैं दर्द देते हैं रंग रिश्तों के रोज़ उड़ते हैं कैसे-कैसे सच लोग सहते हैं प्यार सच्चा था ज़ख़्म गहरे हैं हाथ में सिग्रेट तन्हा बैठे हैं Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 259 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 28 Feb 2018 · 1 min read बीती बातें बीती बातें याद न कर जी में चुभता है नश्तर हासिल कब तक़रार यहाँ टूट गए कितने ही घर चाँद-सितारे साथी थे नींद न आई एक पहर तनहा हूँ मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 529 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 28 Feb 2018 · 1 min read फ़न क्या है फनकारी क्या फ़न क्या है फनकारी क्या दिल क्या है दिलदारी क्या पूछ ज़रा इन अश्क़ों से ग़म क्या है, ग़म ख़्वारी क्या जान रही है जनता सब सर क्या है, सरकारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 340 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 28 Feb 2018 · 1 min read ज़िंदगी से मौत बोली ज़िंदगी से मौत बोली ख़ाक़ हस्ती एक दिन जिस्म को रह जाएगी, रूह तरसती एक दिन मौत ही इक चीज़ है कॉमन सभी इक दोस्तो देखिये क्या सर बलन्दी और... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 323 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read टूटा हुआ दर्पण एक टीस-सी उभर आती है जब अतीत की पगडंडियों से गुजरते हुए यादों की राख़ कुरेदता हूँ । तब अहसास होने लगता है कितना स्वार्थी था मेरा अहम? जो साहित्यिक... Hindi · कविता 1 360 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read महानगर में कौन से उज्जवल भविष्य की खातिर हम पड़े हैं— महानगर के इस बदबूदार घुटनयुक्त वातावरण में । जहाँ साँस लेने पर टी०बी० होने का खतरा है जहाँ अस्थमा भी बुजुर्गों... Hindi · कविता 252 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read विरासत जानते हो यार मैंने विरासत में क्या पाया है? जहालत मुफ़लिसी बेरुख़ी तृषकार, ईष्या, कुंठा आदि- आदि शब्दों की निरंतर लम्बी होती सूची जो भविष्य में... एक विस्तृत / विशाल... Hindi · कविता 264 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read जीवन आधार फूल नर्म, नाजुक और सुगन्धित होते हैं उनमें काँटों-सी बेरुखी कुरूपता और अकड़न नहीं होती जिस तरह छायादार और फलदार वृक्ष झुक जाते हैं औरों के लिए उनमें सूखे चीड़-चिनारों... Hindi · कविता 1 391 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मन्त्रमुग्ध गढ़वाल 'गढ़वाल' जैसे किसी चित्रकार की कोई सुन्दर कलाकृति बावजूद आधुनिक संसाधनों के अभाव में यहाँ निरंतर प्राकृतिक सौन्दर्य के भाव में छिपी है अध्यात्मिक भूख और आत्मतृप्ति भौतिकवाद दिखावे के... Hindi · कविता 1 307 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read आसरा कौन रोक सका है ? या रोक सकता है तूफ़ान या भूचाल को! ये तो सदियों से आये आते रहेंगे मनुजों .... ऐसे में --- जो कमज़ोर हैं उनका उखड़... Hindi · कविता 1 209 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read दस्तक काल के कपाल पर अगर मेरी रचनाएँ दस्तक नहीं दे सकती बुझे हुए चेहरों पर रौनक नहीं ला सकती मजदूरों के पसीने का मूल्यांकन नहीं कर सकती शोषण करने वालों... Hindi · कविता 554 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मौत मौत तुम भी क्या खूब खेल खेलती हो? जब हमारे दिल में जीने की चाह होती है तुम आ टपकती हो; तमाशा करती मजा लेती हो । जब हम मरना... Hindi · कविता 206 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read रामराज गाँधी जी कहते थे जब भारत स्वतंत्र होगा तो रामराज आ जायेगा अछूतोद्धार होगा जातपात; छुआछूत; अस्पृश्यता का अंत होगा सर्वधर्म एक नियम होगा गौपूजा होगी हर कोई एक-दूजे के... Hindi · कविता 241 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read दृढ़ता कभी आश्रित नहीं जीवन कभी मोहताज नहीं होता मोहताज तो होता है हीन विचार, निजी स्वार्थ और क्षीण आत्मविश्वास । क्योंकि यह मृगमरीचिका व्यक्ति को उस वक्त तक सेहरा में भटकती है जब... Hindi · कविता 212 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read हकीकत जब भी मैं समझता हूँ बड़ा हो गया हूँ अदना आदमी से खुदा हो गया हूँ तो इतिहास उठा लेता हूँ ये भ्रम खुद-ब-खुद टूट जाता है मौत रूपी दर्पण... Hindi · कविता 223 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read मवाद धर्म जब तक मंदिर की घंटियों में मस्जिद की अजानों में गुरूद्वारे के शब्द-कीर्तनों में गूंजता रहे तो अच्छा है मगर जब वो उन्माद-जुनून बनकर सड़कों पर उतर आता है... Hindi · कविता 264 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read पतन मानव को अनेक चिन्तायें चिन्ताओं के अनेक कारण कारणों के नाना प्रकार प्रकारों के विविध स्वरुप स्वरूपों की असंख्य परिभाषायें परिभाषाओं के महाशब्दजाल शब्दजालों के घुमावदार अर्थ प्रतिदिन अर्थों के... Hindi · कविता 227 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read पाँव पाँव थककर भी चलना नहीं छोड़ते जब तक वे गंतव्य तक न पहुँच जाएँ ... थक जाने पर कुछ देर राह में विश्राम कर पुन: चल पड़ते हैं अपने लक्ष्य... Hindi · कविता 2 1 394 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 27 Feb 2018 · 1 min read शे'र इतने ही ध्यान से निकले शे'र इतने ही ध्यान से निकले तीर जैसे कमान से निकले भूल जाये शिकार भी ख़ुद को यूँ शिकारी मचान से निकले था बुलन्दी का वो नशा तौबा जब गिरे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 205 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 23 Feb 2018 · 8 min read ४० कुंडलियाँ (1.) ऐसी चली बयार मानव दानव बन गया, ऐसी चली बयार। चहूँ ओर आतंक की, मचती हाहाकार। मचती हाहाकार, धर्म, मजहब को भूले। बम, गोला, बारूद, इसी के दम पर... Hindi · कुण्डलिया 1 806 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 21 Feb 2018 · 2 min read शिक्षक "आप हर परिस्थिति में इतने शांत, धीर-गंभीर कैसे रहते हैं?" उसने आश्चर्य से कहा. "मैं जीवन के रहस्य को समझ गया हूँ बेटा," वृद्ध व्यक्ति ने अपनी उम्र से आधे... Hindi · लघु कथा 1 463 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 21 Feb 2018 · 2 min read तलाश "मैं तो खलील जिब्रान बनूंगा, ताकि कुछ कालजयी रचनाएं मेरे नाम पर दर्ज हों." एक अति उतावला होकर बोला. हम सब उसे देखने लगे. हम सबकी आंखों के आगे हवा... Hindi · लघु कथा 1 588 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 21 Feb 2018 · 1 min read काँच जड़ा है अपना घर काँच जड़ा है अपना घर सारे लोग बने पत्थर कतरा-कतरा देख ज़रा मेरी आँखों में सागर ग़म की यूँ बरसात हुई भीग उठा हर इक मंज़र इश्क़ ने इतने ज़ख़्म... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 352 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 11 Mar 2017 · 3 min read बुलन्द अशआर ज़िन्दगी हमको मिली है चन्द रोज़ मौज-मस्ती लाज़मी है चन्द रोज़ प्यार का मौसम जवाँ है दोस्तो प्यार की महफ़िल सजी है चन्द रोज़ //१.// काश ! की दर्द दवा... Hindi · शेर 2 3 880 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 1 Mar 2017 · 15 min read टुकड़ा टुकड़ा यादें (प्रतिनिधि कहानी) वह अब भरी दुनिया में अकेली थी। ऐसा नहीं कि उसका कोई सगे वाला जीवित न था। उसके दो बेटे थे और एक बेटी। बड़ा बेटा बहू द्वारा कानाफूसी करने पर... Hindi · कहानी 764 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 10 Feb 2017 · 1 min read बेटी माँ-बाप के दुःख में रोती है। बेटी तो बेटी होती है।। सेवा में दिन-रात जनक के, सीता ही तत्पर होती है।। मात-पिता को कष्ट न पहुंचे, वो तन्हाई में रोती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 594 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read दिल से उसके जाने कैसा बैर निकला दिल से उसके जाने कैसा बैर निकला जिससे अपनापन मिला वो ग़ैर निकला था करम उस पर ख़ुदा का इसलिए ही डूबता वो शख़्स कैसा तैर निकला मौज-मस्ती में आख़िर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 222 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read सोच का इक दायरा है, उससे मैं कैसे उठूँ सोच का इक दायरा है, उससे मैं कैसे उठूँ सालती तो हैं बहुत यादें, मगर मैं क्या करूँ ज़िंदगी है तेज़ रौ, बह जायेगा सब कुछ यहाँ कब तलक मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read हार किसी को भी स्वीकार नहीं होती हार किसी को भी स्वीकार नहीं होती जीत मगर प्यारे हर बार नहीं होती एक बिना दूजे का, अर्थ नहीं रहता जीत कहाँ पाते यदि हार नहीं होती बैठा रहता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 200 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read बड़ी तकलीफ़ देते हैं ये रिश्ते बड़ी तकलीफ़ देते हैं ये रिश्ते यही उपहार देते रोज़ अपने ज़मीं से आस्मां तक फ़ैल जाएँ धनक में ख़्वाहिशों के रंग बिखरे नहीं टूटे कभी जो मुश्किलों से बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 239 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read जां से बढ़कर है आन भारत की जां से बढ़कर है आन भारत की कुल जमा दास्तान भारत की सोच ज़िंदा है और ताज़ादम नौ'जवां है कमान भारत की देश का ही नमक मिरे भीतर बोलता हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 318 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read साधना कर यों सुरों की, सब कहें क्या सुर मिला साधना कर यों सुरों की, सब कहें क्या सुर मिला बज उठें सब साज दिल के, आज तू यूँ गुनगुना हाय! दिलबर चुप न बैठो, राजे-दिल अब खोल दो बज़्मे-उल्फ़त... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 423 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फौरन बदलनी चाहिए जो व्यवस्था भ्रष्ट हो, फौरन बदलनी चाहिए लोकशाही की नई, सूरत निकलनी चाहिए मुफलिसों के हाल पर, आँसू बहाना व्यर्थ है क्रोध की ज्वाला से अब, सत्ता बदलनी चाहिए इंकलाबी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 230 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read नज़र में रौशनी है नज़र में रौशनी है वफ़ा की ताज़गी है जियूँ चाहे मैं जैसे ये मेरी ज़िंदगी है ग़ज़ल की प्यास हरदम लहू क्यों माँगती है मेरी आवारगी में फ़कत तेरी कमी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 188 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read राह उनकी देखता है राह उनकी देखता है दिल दीवाना हो गया है दूर तक बिखरा पड़ा है चूर शीशा हो गया है छाने को है बदहवासी दर्द मुझको पी रहा है कुछ रहम... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 349 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 1 min read तेरी तस्वीर को याद करते हुए तेरी तस्वीर को याद करते हुए एक अरसा हुआ तुझको देखे हुए एक दिन ख़्वाब में ज़िन्दगी मिल गई मौत की शक्ल में खुद को जीते हुए आह भरते रहे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 8 Feb 2017 · 7 min read मुश्किल वक़्त (प्रतिनिधि कहानी) चिलचिलाती धूप ने नौ बजे के समय को ऐसा बना दिया है कि मानो जेठ की दोपहरी का वक़्त हो। ऊपर से वातावरण में उमस। हवा का कहीं नामोनिशान नहीं।... Hindi · कहानी 340 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 30 Jan 2017 · 9 min read 150 जनक छन्द १. जनक छंद की रौशनी चीर रही है तिमिर को खिली-खिली ज्यों चाँदनी ••• २. भारत का हो ताज तुम जनक छंद तुमने दिया हो कविराज अराज तुम ••• ३.... Hindi · कविता 2 2 811 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Jan 2017 · 2 min read एक मई का दिन कुछ भी तो ठीक नहीं इस दौर में! वक्त सहमा हुआ एक जगह ठहर गया है!! जैसे घडी की सुइयों को किसी अनजान भय ने अपने बाहुपाश में बुरी तरह... Hindi · कविता 293 Share महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali 26 Jan 2017 · 1 min read जिसमें सुर-लय-ताल है जिसमें सुर-लय-ताल है, कुण्डलिया वह छंद सबसे सहज-सरल यही, छह चरणों का बंद छह चरणों का बंद, शुरू दोहे से होता रोला का फिर रूप, चार चरणों को धोता महावीर... Hindi · कुण्डलिया 1 389 Share Previous Page 21 Next