Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2018 · 1 min read

शे’र इतने ही ध्यान से निकले

शे’र इतने ही ध्यान से निकले
तीर जैसे कमान से निकले

भूल जाये शिकार भी ख़ुद को
यूँ शिकारी मचान से निकले

था बुलन्दी का वो नशा तौबा
जब गिरे आस्मान से निकले

हूँ मैं कतरा, मिरा वजूद कहाँ
क्यों समन्दर गुमान से निकले

देखकर फ़ख्र हो ज़माने को
यूँ ‘महावीर’ शान से निकले

173 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
कमियाॅं अपनों में नहीं
कमियाॅं अपनों में नहीं
Harminder Kaur
हे प्रभू तुमसे मुझे फिर क्यों गिला हो।
हे प्रभू तुमसे मुझे फिर क्यों गिला हो।
सत्य कुमार प्रेमी
भूख-प्यास कहती मुझे,
भूख-प्यास कहती मुझे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
"ഓണാശംസകളും ആശംസകളും"
DrLakshman Jha Parimal
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
दुखांत जीवन की कहानी में सुखांत तलाशना बेमानी है
Guru Mishra
चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA
चौकीदार की वंदना में / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
विश्व पर्यटन दिवस
विश्व पर्यटन दिवस
Neeraj Agarwal
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
डॉ०प्रदीप कुमार दीप
एक पौधा तो अपना भी उगाना चाहिए
एक पौधा तो अपना भी उगाना चाहिए
कवि दीपक बवेजा
सफर
सफर
Arti Bhadauria
Be with someone who motivates you to do better in life becau
Be with someone who motivates you to do better in life becau
पूर्वार्थ
ऐसी थी बेख़्याली
ऐसी थी बेख़्याली
Dr fauzia Naseem shad
आहिस्था चल जिंदगी
आहिस्था चल जिंदगी
Rituraj shivem verma
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
■ जितनी जल्दी समझ लो उतना बढ़िया।
*Author प्रणय प्रभात*
23/52.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/52.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
* मंजिल आ जाती है पास *
* मंजिल आ जाती है पास *
surenderpal vaidya
"सपने"
Dr. Kishan tandon kranti
तेरे मेरे बीच में
तेरे मेरे बीच में
नेताम आर सी
मुक्तक
मुक्तक
Mahender Singh
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
आप वही बोले जो आप बोलना चाहते है, क्योंकि लोग वही सुनेंगे जो
Ravikesh Jha
आदिम परंपराएं
आदिम परंपराएं
Shekhar Chandra Mitra
"दिमाग"से बनाये हुए "रिश्ते" बाजार तक चलते है!
शेखर सिंह
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
यदि कोई सास हो ललिता पवार जैसी,
ओनिका सेतिया 'अनु '
*नन्हीं सी गौरिया*
*नन्हीं सी गौरिया*
Shashi kala vyas
संत गाडगे संदेश 5
संत गाडगे संदेश 5
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सफर में जब चलो तो थोड़ा, कम सामान को रखना( मुक्तक )
सफर में जब चलो तो थोड़ा, कम सामान को रखना( मुक्तक )
Ravi Prakash
सत्य जब तक
सत्य जब तक
Shweta Soni
जोशीला
जोशीला
RAKESH RAKESH
अपनी वाणी से :
अपनी वाणी से :
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
Loading...