Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Feb 2018 · 1 min read

पाँव

पाँव थककर भी
चलना नहीं छोड़ते
जब तक वे
गंतव्य तक न पहुँच जाएँ …

थक जाने पर कुछ देर
राह में विश्राम कर
पुन: चल पड़ते हैं
अपने लक्ष्य की ओर…

जबकि

घोड़े के रथ पर सवार लोग
या फिर ईंधन से चलायमान
अत्याधुनिकतम गाड़ियों में बैठे लोग
बिना पहियों के
अगले पडाव तक नहीं पहुंच पाते…

मगर

पाँव सदियों से
यात्रा करते आये हैं

कई सम्यताओं
और संस्कृतियों की दास्ताँ कहते!!!

Language: Hindi
2 Likes · 1 Comment · 341 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
View all
You may also like:
#ग़ज़ल
#ग़ज़ल
आर.एस. 'प्रीतम'
सब कुछ खत्म नहीं होता
सब कुछ खत्म नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
आखों में नमी की कमी नहीं
आखों में नमी की कमी नहीं
goutam shaw
गजल
गजल
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
भाव जिसमें मेरे वो ग़ज़ल आप हैं
भाव जिसमें मेरे वो ग़ज़ल आप हैं
Dr Archana Gupta
चुन लेना राह से काँटे
चुन लेना राह से काँटे
Kavita Chouhan
गाँव पर ग़ज़ल
गाँव पर ग़ज़ल
नाथ सोनांचली
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
सीखा दे ना सबक ऐ जिंदगी अब तो, लोग हमको सिर्फ मतलब के लिए या
Rekha khichi
सदा किया संघर्ष सरहद पर,विजयी इतिहास हमारा।
सदा किया संघर्ष सरहद पर,विजयी इतिहास हमारा।
Neelam Sharma
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/170.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
भारत की होगी दुनिया में, फिर से जय जय कार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
याद आते हैं वो
याद आते हैं वो
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
बुढ़ापे में हड्डियाँ सूखा पतला
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
कंठ तक जल में गड़ा, पर मुस्कुराता है कमल ।
कंठ तक जल में गड़ा, पर मुस्कुराता है कमल ।
Satyaveer vaishnav
विश्व पर्यटन दिवस
विश्व पर्यटन दिवस
Neeraj Agarwal
रिश्तों को नापेगा दुनिया का पैमाना
रिश्तों को नापेगा दुनिया का पैमाना
Anil chobisa
ये मेरा हिंदुस्तान
ये मेरा हिंदुस्तान
Mamta Rani
*दानवीर व्यापार-शिरोमणि, भामाशाह प्रणाम है (गीत)*
*दानवीर व्यापार-शिरोमणि, भामाशाह प्रणाम है (गीत)*
Ravi Prakash
इ इमली से
इ इमली से
Dr. Kishan tandon kranti
वक़्त की फ़ितरत को
वक़्त की फ़ितरत को
Dr fauzia Naseem shad
अकिंचित ,असहाय और निरीह को सहानभूति की आवश्यकता होती है पर अ
अकिंचित ,असहाय और निरीह को सहानभूति की आवश्यकता होती है पर अ
DrLakshman Jha Parimal
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
हम दुनिया के सभी मच्छरों को तो नहीं मार सकते है तो क्यों न ह
Rj Anand Prajapati
जो बेटी गर्भ में सोई...
जो बेटी गर्भ में सोई...
आकाश महेशपुरी
*पापी पेट के लिए *
*पापी पेट के लिए *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
चंद्रयान
चंद्रयान
Mukesh Kumar Sonkar
अक्सर आकर दस्तक देती
अक्सर आकर दस्तक देती
Satish Srijan
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
आज पुराने ख़त का, संदूक में द़ीद़ार होता है,
SPK Sachin Lodhi
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
रज चरण की ही बहुत है राजयोगी मत बनाओ।
*Author प्रणय प्रभात*
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
सुना है सकपने सच होते हैं-कविता
Shyam Pandey
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
वस्तु काल्पनिक छोड़कर,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
Loading...