डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 92 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 31 Oct 2022 · 1 min read पहले प्यार में तब आई नव तरुणाई थी, दिल जवांँ ने ली अंगड़ाई थी, चांँदनी रात दिल को भाती थी, प्रियतमा की छवि दिखलाती थी। दसवें वर्ग में पढ़ता था तब, पहले प्यार... Hindi · कविता 6 10 389 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 29 Oct 2022 · 1 min read छठ महापर्व कार्तिक मास शुक्ल पक्ष में, उपरान्त दिवाली तिथि चतुर्थी, होती शुरुआत छठ व्रत की, लोक-आस्था के महापर्व की। प्रथम दिवस को नहाय-खाय, बनती लौकी औ चने की दाल, अरवा चावल... Hindi · कविता 6 10 357 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 24 Oct 2022 · 1 min read गं गणपत्ये! माँ कमले! गं गणपत्ये! विघ्न हर ले, डिगूँ न कर्म से, बुद्धि - वर दे, मांँ कमले! तम हर ले, अज्ञान दूर कर ज्ञान भर दे, ज्ञान मनुज का है आभूषण, बुद्धि;... Hindi · कविता 6 10 284 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 14 Oct 2022 · 1 min read विद्यालय जहाँ मांँ भारती की हो कृपा है सुंदर आलय यह विद्यालय, कोटि सूर्य का रश्मि-पुंज, धवल चंद्र की शीतल छाया, जहांँ बुद्धि-ज्ञान की बहे गंगा, है सुंदर आलय यह विद्यालय।... Hindi · कविता 7 8 368 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 10 Oct 2022 · 1 min read भूख 'भू' से धरती, 'ख' से आकाश, इसका विस्तार सम्पूर्ण संसार, जब भूख जगे जठराग्नि रूप, बुभुक्षा, पिपासा औ लिप्सा स्वरूप, तब श्रम-साधन का उपयोग बढ़े, कृषि यंत्र लगे, उत्पाद बढ़े,... Hindi · कविता 6 9 487 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 6 Oct 2022 · 1 min read मिली सफलता मिली सफलता जीवन में आखिर, मात-पिता की सेवा का प्रतिफल, उच्च माध्यमिक शिक्षक के पद पर मेधा सूची में आया अव्वल, बड़े ओहदों पर भाई सब मेरे, सुख-सुविधा की बहती... Hindi · कविता 7 10 494 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 12 Aug 2022 · 1 min read राखी-बंँधवाई इलाहबाद में एक घर के बाहर एक रिक्शा रुकता है। उससे उतरकर भाई आवाज लगाते हैं, जरा बारह रुपए देना। बाहर आते बहन बोलती हैं, काहे के बारह रुपए? भाई... Hindi 7 8 410 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 31 Jul 2022 · 1 min read श्रीमती का उलाहना मेरी कविताओं को देख, श्रीमती का उलाहना है, सारे भाव ख्वाबों में आते, मुझे देख न कुछ आता है; मैं कहता हूंँ दिल में भाव, तुम्हें देख उमड़ता है, "हेतु-हेतु... Hindi · हास्य कविता 10 13 481 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 30 Jul 2022 · 1 min read उसे देख खिल गयीं थीं कलियांँ तन्हाई में जीता हूंँ, जब से छोड़ गई वो साथ, जीवन में कितनी रौनक थी, जब वो थी मेरे पास; उसे देख बागों में खिल गयीं थीं कलियांँ, फूलों पर... Hindi · हास्य कविता 7 14 487 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 30 Jul 2022 · 1 min read दिल की ये आरजू है दिल की ये आरजू है कि कोई मिले, सुंदर, सुशील, भारतीय नारी, जो बोलती हो अंग्रेजी, पहनती हो साड़ी, दिखती हो मर्लिन मुनरो जैसी, पर हो ब्रह्मचारी; सबके साथ मोहब्बत... Hindi · हास्य-व्यंग्य 8 10 533 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 26 Jul 2022 · 1 min read रंग हरा सावन का रंग हरा सावन का, सर्वत्र हरीतिमा छाई है, नव-पत्र से छादित हैं तरुवर, तृण-हरित धरा की तरुणाई है; तरुणी हरे रंग में रमी हुई, नव वस्त्रों में सजी हुई, लगा... Hindi · कविता 8 12 529 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 24 Jul 2022 · 1 min read सच और झूठ सच होता है नीम-करेला, झूठ कहो मुर्गे की टांँग, नोंच-नोंच कर खाओ ऐसे, पाओ जीवन का आनंद, झूठ में होता स्वाद का तड़का, नमक-मिर्च औ चटनी-प्याज, सच होता बीमार का... Hindi · हास्य-व्यंग्य 8 6 546 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 21 Jul 2022 · 1 min read गुमनाम मुहब्बत का आशिक आया सुध-बुध खोकर दिल्ली, सफर ट्रेन का एक दिवस, बगल सीट पर बैठी कमसिन, उम्र थी उसकी बीस बरस, घुंघराली काली जुल्फें उसकी, नैन नशीली मतवाली, ओठ अमावट का टुकड़ा-सा,... Hindi 7 8 603 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 20 Jul 2022 · 1 min read पीकर जी भर मधु-प्याला रिमझिम-रिमझिम वर्षा रानी, बरसे बूंदों की फुहार, चारों तरफ़ हरियाली छाई, आई सावन की बहार, हरा दुपट्टा, हरी चुनरिया, गोरी करके चली शृंगार, मन करता है, पीछे चल दूंँ, साथ... Hindi 6 6 545 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 19 Jul 2022 · 1 min read सोलह शृंगार चहुँओर जलद छाया गगन, घटाटोप बरस सावन का घन, मेढक की टर्र, पंछी मगन, झूमे तरु शीतल पवन, सोंधी सुगंध मदमस्त मन; द्रुतगति बहे निर्झर की धार, प्लावित नदी नाले... Hindi · कविता 6 8 506 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 15 Jul 2022 · 1 min read प्रेम रस रिमझिम बरस हरा रंग, अंग-अंग, मैं चली, प्रीतम संग मिलन को; पिया गगन, श्याम वर्ण, मनमोहन, मचल रहा दिल, छुअन को; प्रेम रस, रिमझिम बरस, प्यासा दिल, कह दो सजन को; पिया... Hindi · कविता 7 10 568 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 10 Jul 2022 · 1 min read गाऊँ तेरी महिमा का गान (हरिशयन एकादशी विशेष) हे जगपालक! हे प्रतिपालक! हे हरि! चले शयन को आज, तेरी कृपा से हो जगपालन, हे विष्णु भगवान! गाऊँ तेरी महिमा का गान, गाऊँ...... जब-जब धरा पे संकट आया, लिए... Hindi · गीत 6 10 698 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 9 Jul 2022 · 1 min read कण-कण तेरे रूप झुरमुटों की छाँव में, सुन्दर सरोवर, गांँव में, हरियाली इसके चहुंँओर, पशु-पक्षी करते किलोल, फल-फूल से लदे उपवन, मधु-पराग को फिरते भ्रमर, मद-सुवास से मादक पवन, वश में नहीं पागल... Hindi · कविता 6 8 476 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 6 Jul 2022 · 1 min read एक कतरा मोहब्बत १ मुहब्बत बची नहीं नातों में, बिकती सरे बाजार में, इंसा भटक रहा दर-दर, एक कतरा, तलाश में, २ आग दिल में ऐसी लगी, जलीं मोहब्बत, इंसानियत, काश ! किसी... Hindi · शेर 7 10 529 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 27 Jun 2022 · 1 min read मांँ की लालटेन बड़ी पुरानी मांँ की लालटेन, उनकी याद दिलाती है, अब भी टंँगी यथास्थान, तब की बात बताती है, नित्य शाम की थी दिनचर्या, तेल डाल, बाती साफ कर, उसी स्थान... Hindi · व्यंग्य 9 12 1k Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 26 Jun 2022 · 1 min read छोटा-सा परिवार हुई हमारी शादी, पत्नी बोली डियर डार्लिंग, कब तक रहना है इस घर में, कब तक पिसना है शत् जन में, रोटी बेलूँ दिन औ रात, ताने सुनूंँ बातों-बात, अब... Hindi · हास्य-व्यंग्य 9 11 476 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 24 Jun 2022 · 1 min read दृश्य प्रकृति के निर्झर, पर्वत के पद से, झर-झर करते, गिरते; नभचर, झुंड में, कलरव करते, उड़ते; वनचर, इधर-उधर, चौकड़ी भरते, दौड़ते; तरुवर, हरे-भरे, मंद हवा में, लहराते; सुन्दर, कीट-पतंगे, फूलों पर, मंँडराते;... Hindi 5 7 548 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 17 Jun 2022 · 1 min read तरबूज का हाल तरबूज का यदि पूछो हाल, ऊपर हरा, अंदर से लाल, पूछो इसका एक जवाब-- हरा कहूंँ या फिर लाल? जीवन इसी द्वंद्व का नाम-- जीवन संघर्ष या आराम? इसका सीधा,... Hindi 4 4 589 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 17 Jun 2022 · 1 min read तब से भागा कोलेस्ट्रल बढ़ा शरीर में काॅलेस्ट्रल, कुछ न सूझा इसका हल, आसन करूंँ या प्राणायाम, दौड़ लगाऊंँ या व्यायाम, सब कुछ नीरस जैसा लगता, आलस मन के पीछे पड़ता। बढ़ा शरीर में... Hindi · हास्य-व्यंग्य 5 6 415 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 15 Jun 2022 · 1 min read जब से आया शीतल पेय शरबत की हो गई विदाई, जब से आया शीतल पेय, घर-घर की शोभा निराली, सबसे सस्ता शीतल पेय। चालीस रुपए की चीनी औ, पांँच रुपए का नींबू लाओ, फिर घोलने... Hindi · हास्य-व्यंग्य 6 6 509 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 15 Jun 2022 · 1 min read चाय की चुस्की चाय की चुस्की लेकर देखो, भर लो चुस्ती और स्फूर्ति, सुबह-सुबह श्रीमतीजी बोली, लेकर हाथ, चाय की प्याली, सुबह के अपने काम निबटाओ, किचन में फिर हाथ बँटाओ, बाद में... Hindi · हास्य-व्यंग्य 4 6 794 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 15 Jun 2022 · 1 min read आया आषाढ़ सकते में ग्रीष्म, आया आषाढ़, घनघोर श्याम छाया आकाश। रिमझिम फुहार, बुझती कुछ प्यास, सोंधी महक मिट्टी की आज। चल दिए किसान लिए खेती की चाह, न सूखे का डर,... Hindi 5 8 793 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 14 Jun 2022 · 1 min read ढाई आखर प्रेम का यह पद संत कबीर का, बूझ न पाया कोय, "ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होय।" प्रेम की भाषा सब जाने, क्या राजा, क्या रंक, प्रेम न कोई भेद... Hindi 7 4 713 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 14 Jun 2022 · 1 min read जब चलती पुरवइया बयार ग्रीष्म के तपते मौसम में अब के एकाकी जीवन में, जीवन के दोपहर में, जब अंग-अंग बदरंग, न पचता मीठा-तीखा, न खाता तेल-मशाला, जीवन हो जेल-सरीखा; जब चलती पुरबैया बयार,... Hindi 7 10 543 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 11 Jun 2022 · 1 min read दो पल मोहब्बत १ पूनम की चांँदनी, खिलती रात की रानी, करती यूंँ मदहोश, ठहर जा ऐ जवानी, चंद लम्हें कर लूंँ मोहब्बत, इस जनम, न जाने वक्त, बेवक्त गुजर जाए रवानी। २... Hindi · शेर 7 8 449 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 11 Jun 2022 · 1 min read आनंद अपरम्पार मिला पूरब में जब उदय हुआ, मांँ-बाबा का लाड़ मिला, दादी मांँ का दुलार मिला, भाई-बहन का प्यार मिला, बड़े-बूढ़ों का आशीर्वाद औ बन्धु-बांधव का साथ मिला। शिक्षकगण का सर पर... Hindi · कविता 7 12 423 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 9 Jun 2022 · 1 min read गंगा दशहरा गंगा दशहरा पुण्य काल में मांँ गंगा का अवतरण हुआ, राजा सगर के प्रपौत्र भगीरथ का तप सफल हुआ। भागीरथी की अविरल धारा गंगोत्री में प्रकट हुई, हरिद्वार आकर माता... Hindi 6 8 631 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 7 Jun 2022 · 1 min read धरती की अंगड़ाई "हरा रंग है हरी हमारी धरती की अंगड़ाई" इस प्रण से, इस रंग को हमने अपने झंडे में डाला, पर कितना सच में इस प्रण को अपने जीवन में पाला।... Hindi 7 10 768 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 3 Jun 2022 · 1 min read दो जून की रोटी उसे मयस्सर दो जून की रोटी उसे मयस्सर, जिसने खुद तकदीर लिख डाला है, मेहनतकश, वक्तपाबंद, पक्का इरादे वाला है। मितव्ययी, व्यसनरहित और हिम्मतवाला है, स्वेद से सींचा जिसने वक्त को, पत्थर... Hindi · कविता 10 14 517 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 24 May 2022 · 1 min read पिता का सपना अपने बच्चों में मैं अपना भविष्य सजाता हूंँ, अपने अधूरे सपने पूरे करने की आस संजोता हूंँ, एक चमकदार पत्थर को कोहिनूर की तरह तराशता हूंँ, उनका बढ़ना, पढ़ना, खेलना,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 14 18 519 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 12 May 2022 · 1 min read बाबूजी! आती याद बाबूजी! आपके जाने के बाद आती याद, वो बचपन की बातें सुबह जब जगाते, पहले देह दबाते, बालों में उँगलियाँ फिराते फिर धीरे से जगाते। आती याद, होता साथ-साथ; खाना-पीना-सोना,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 20 888 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 8 May 2022 · 1 min read मातृ रूप तुम ममता की मूरत मैया तू जननी, जाया है, तेरे आँचल की छांँव में हमने जन्नत पाया है। विविध रूप में माता तुम इस जग की स्रष्टा हो, तुम गुरु,... Hindi · कविता 6 10 714 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 5 May 2022 · 1 min read साधु न भूखा जाय रोज सवेरे एक चिरैया, दाना चुगने आती है, दाना चुगती पानी पीती फिर फुर्र से उड़ जाती है। उसे नहीं है कल की चिंता, क्या है खाना, क्या है पीना,... Hindi · कविता 13 18 1k Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 3 May 2022 · 1 min read गोरे मुखड़े पर काला चश्मा गोरे मुखड़े पर काला चश्मा क्या खूब फबता है, जैसे तीन चांँद जैसा सुंदर मुखड़ा, पहले से हो, ऊपर से काला चश्मा, चार चांँद लगाता है। हम भोले-भाले-काले, कभी खुद... Hindi · हास्य-व्यंग्य 6 3 1k Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 1 May 2022 · 1 min read नित नए संघर्ष करो (मजदूर दिवस) संघर्ष करो, नित नए संघर्ष करो, मत भूलो लक्ष्य कठिन है, मत चूको दुर्भेद्य नहीं है, यह कैसी सरकार है? पूंजीपति मालामाल है, किसान मजदूर तंगहाल है, सुधि लेता कौन?... Hindi · कविता 6 4 536 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 30 Apr 2022 · 1 min read तुम जख्म देती हो; हम मरहम लगाते हैं तुम अपने अंदाज में हम अपने अंदाज में रिश्ते निभाते हैं, तुम ज़ख्म देती हो हम मरहम लगाते हैं। तुम अपने अंदाज में हम अपने अंदाज में राहें बनाते हैं,... Hindi · शेर 4 4 425 Share डॉ. श्री रमण 'श्रीपद्' 29 Apr 2022 · 1 min read पिता का पता पिता का पता कौन बताए, कब सोते कब जग जाते हैं, अथक; काम में लग जाते हैं, कब पीते कब खाते खाना कौन बताए, बच्चों का बढ़ना, पढ़ना-लिखना, लिए आंखों... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 16 24 1k Share Previous Page 2