उम्दा रचना…..
हार्दिक आभार 😊
बहुत सुंदर रचना
हार्दिक आभार
बेहतरीन रचना। बहुत सुंदर है सर। आपके कविता को पढ़कर चेहरे पर मुस्कान आ जाती है। आप ऐसे ही मस्ती भरा रचना साहित्यपीडिया के मंच पर सदा लाते रहे। मेरी हार्दिक शुभकामनएँ। 😊😊🙏🙏
बहुत बहुत आभार। आपसी संवाद से प्रेरणा मिलती रहती है😊😊
वाह! यूँ ही ख्वाब देख कविता रचते रहें…..हकीकत में तो…..
श्री मती के बालों को देख उठता न कोई भाव ,
दो-चार किलो प्यार कौन कहे, मिला न एक भी पाव.
चलिए उलाहने में ही सही, आप भी कविता लिखने की ओर उन्मुख हैं 💐😊
अच्छा सृजन
हार्दिक आभार