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सोचती हूं ...
Mugdha shiddharth
वो छैला है पुर्दिल चांद गगन का
Mugdha shiddharth
वो शख्स
Mugdha shiddharth
गुल पत्थरों से मिल कर संगसारी करती है
Mugdha shiddharth
लब ए बाम
Mugdha shiddharth
चांद
Mugdha shiddharth
इश्क
Mugdha shiddharth
प्रेम की हत्या
Mugdha shiddharth
प्रेम सापित है ...
Mugdha shiddharth
तू दूर बहुत है और कदम मेरे छोटे हैं
Mugdha shiddharth
चाॅंद
Mugdha shiddharth
हमने पलट कर जाना तुमको देखना छोड़ दिया
Mugdha shiddharth
ऑंखों से मेरे अब ख़ूनाब रीस्ते हैं
Mugdha shiddharth
इक जाॅं है जो बेकरार है तेरी इंतजारी में
Mugdha shiddharth
सिसकता गम
Mugdha shiddharth
वक़्त लगता है मेरी जाॅं इस जहां से जाते जाते
Mugdha shiddharth
जागी पलकों पे भी हम उसके राधे थे
Mugdha shiddharth
अभी नहीं मरूंगी मैं
Mugdha shiddharth
जब आप सुबह उठ कर
Mugdha shiddharth
जो नारे लगा रहे थे
Mugdha shiddharth
सोचती हूं
Mugdha shiddharth
भूखे लोग
Mugdha shiddharth
भाषण
Mugdha shiddharth
मुक्तक
Mugdha shiddharth
लौट जाना नियति है ...
Mugdha shiddharth
पत्ते कभी हरे थे
Mugdha shiddharth
मुक्तक
Mugdha shiddharth
स्त्रियां सीख लेती हैं
Mugdha shiddharth
चलिए ये भी तो अच्छा ही किया आपने
Mugdha shiddharth
माॅं
Mugdha shiddharth
लोग यूॅं ही मर जाते हैैं
Mugdha shiddharth
कोई झंझोरो मुझे
Mugdha shiddharth
असमंजस
Mugdha shiddharth
मुक्तक
Mugdha shiddharth
मुक्तक
Mugdha shiddharth
किसी घोर चुप्पी के प्रहर में हम - तुम मर जाएंगे
Mugdha shiddharth
क्या रोइए ऐसे दुख पे जो आप से आप को लगा है
Mugdha shiddharth
कदमों से मुहब्बत को कभी नापा नहीं जाता
Mugdha shiddharth
क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी
Mugdha shiddharth
मैंने कभी हाॅंथ उठा कर दुआ नहीं मांगी
Mugdha shiddharth
मुक्तक
Mugdha shiddharth
मैंने तुमको ही तो बस याद किया था ...
Mugdha shiddharth
मैं हो रही हूं ख़राब ख़राब होने दो
Mugdha shiddharth
सुखन भला क्यूॅं कर सूख गया
Mugdha shiddharth
क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं
Mugdha shiddharth
क्या ही मांग लेती मैं तुमसे
Mugdha shiddharth
यार नहीं माना
Mugdha shiddharth
खिसिआए हुए हैं
Mugdha shiddharth
तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है
Mugdha shiddharth
इश्क में यार जां से अधिक अज़ीज़ है
Mugdha shiddharth