मनोज कर्ण Language: Hindi 271 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next मनोज कर्ण 12 Nov 2022 · 1 min read जल जल ~~°~~°~~° जल जीवन का आधार है, पर उसका मीठापन भी जरूरी है। क्या करूँ उस समंदर सा, विशाल दिल लेकर मैं, जो नदियों के मीठे जल को, खारा करते... Hindi · Daily Writing Challenge · Water · कविता · जल 6 2 365 Share मनोज कर्ण 11 Nov 2022 · 1 min read कला कला ~~°~~°~~° कला बिना जग सूना लागे , मानव,पूंछहीन पशु के है समान , ज्ञान यदि पहचान दिलाता , कला ही है जो देता सम्मान। कला से विकृति को ढक... Hindi · Art · Daily Writing Challenge · कला · कविता · गीत 6 8 594 Share मनोज कर्ण 10 Nov 2022 · 1 min read त्याग त्याग ~~°~~°~~° कर्म तो कभी तज सकते नहीं, कर्मफल का त्याग करो बंदे । अंतकाल राम मुख आवत नाहिं , पहले से राम जपो बंदे... इच्छाएँ अनंत,तेरे वश में नहीं... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · गीत · त्याग 6 2 462 Share मनोज कर्ण 9 Nov 2022 · 1 min read आरंभ आरंभ ~~°~~°~~° आरंभ यदि मन से करे तो , सभी कारज पूर्ण हो जाएंगे। संकल्प यदि दृढ़ साथ लगा ले , असफलता कभी न आयेंगे। विश्वास हो,मन में आस का... Hindi · Daily Writing Challenge · आरंभ · कविता 8 6 576 Share मनोज कर्ण 9 Nov 2022 · 1 min read प्रथम अभिव्यक्ति प्रथम अभिव्यक्ति ~~°~~°~~° मंद हवा का झोंका अनूठा , बदली जो दिशाएँ जीवन की । रहन-सहन की रीति बदल गई, प्रथम अभिव्यक्ति जीवन पथ की । मौन याचना, मौन सहमति... Hindi · Daily Writing Challenge · कविता · दिशा 7 297 Share मनोज कर्ण 7 Nov 2022 · 1 min read भूख भूख ~~°~~°~~° भूख से बिलबिलाता तन , धूल धूसरित उलझे बाल , झुर्रियों से भरा मुरझाया चेहरा , कपाल पर लिखा है जो , भूख से रहना प्रतिदिन बेहाल ।... Hindi · Daily Writing Challenge · Hunger · अतुकान्त कविता · कविता · भूख 9 5 331 Share मनोज कर्ण 6 Nov 2022 · 1 min read आईना_रब का आईना_रब का ~~°~~°~~° प्रकृति के आंगन में झाँको , आईना रब का भी लगा है। दिखाई बस उसको ही पड़ता , मैल जिसके मन का धुला है.. प्रकृति के आंगन... Hindi · Daily Writing Challenge · Mirror · आईना · कविता · गीत 7 6 535 Share मनोज कर्ण 5 Nov 2022 · 1 min read बारिश बारिश ~~°~~°~~° उम्मीद का बादल अधर में, पर बारिश कहाँ है, कहाँ चैन दिल में। मैल मन का धुलता यदि न , होता है फिर सुर्ख़ नैन तन में। नीर... Hindi · Daily Writing Challenge · Rain · कविता · बारिश 6 287 Share मनोज कर्ण 4 Nov 2022 · 1 min read गांधीजी के तीन बंदर गांधीजी के तीन बंदर (छ्द्ममुक्त काव्य) ~~°~~°~~° बधिरों की हंसी , गूंगों की अभिज्ञान, चेहरे पर रहे सदा निश्छल मुस्कान। देखो तो _ एक सुन नहीं पाता तो , दूसरा... Hindi · कविता 2 381 Share मनोज कर्ण 4 Nov 2022 · 1 min read दोस्ती और कर्ण दोस्ती और कर्ण ~~°~~°~~° दोस्ती की लाज बचाने को कर्ण , कौरवों का साथ निभाया था। सत्य क्या है जानता था कर्ण , पर असत्यपथ चलना स्वीकारा था। अधर्म को... Hindi · Daily Writing Challenge · Friendship · कविता · दोस्ती 4 364 Share मनोज कर्ण 3 Nov 2022 · 1 min read क़फ़स क़फ़स ~~°~~°~~° जब भी नफ़रतें पलती हैं, नाज़ुक से दिल में, कुछ भी हासिल नहीं होता, इस महफ़िल में। फिर भी क़फ़स में, मुहब्बत सिसकता क्यों है ? क़फ़स आज... Hindi · Daily Writing Challenge · Dream · कविता · सपना 4 326 Share मनोज कर्ण 27 Oct 2022 · 1 min read साजिशों की छाँव में... साजिशों की छाँव में... ~~°~~°~~° साजिशों की छाँव में , पलते रहे,बढते रहे । जड़ें कितनी गहरी बिछी , ये तो कभी जाना नहीं । वो आए हुए मेहमान थे... Hindi · कविता 8 2 584 Share मनोज कर्ण 26 Oct 2022 · 2 min read जिंदगी का एकाकीपन जिंदगी का एकाकीपन (एक पागल की मनोदशा) छन्दमुक्त काव्य ~~°~~°~~° जिंदगी का एकाकीपन, न अनाथालय न वृद्धाश्रम। सड़क किनारे बने फुटपाथ पर , फटे पुराने मटमैले वस्त्रों में लिपटा ,... Hindi · कविता 5 582 Share मनोज कर्ण 25 Oct 2022 · 1 min read शिव स्तुति शिव स्तुति ~~°~~°~~° है ठान लो मन में यदि तो, हलाहल भी अमृत बन जाए। यदि मान लो शिव को गुरु , मन का अंधेरा मिट ही जाए। महिमा अलौकिक... Hindi · गीत 9 8 548 Share मनोज कर्ण 23 Oct 2022 · 1 min read अंतर्द्वंद्व अंतर्द्वंद्व ~~°~~°~~° पीहर की यादों मे,जो खोई मैं आज, नादान हंसी और वो चहकता अंदाज । जी रही थी भला जो अपनी मर्जी, पीहर को क्यूँ ,कर दिया नजरअंदाज। विचारों... Hindi · कविता 6 6 526 Share मनोज कर्ण 10 Oct 2022 · 1 min read पथिक मैं तेरे पीछे आता... पथिक मैं तेरे पीछे आता... ~~°~~°~~° पथिक मैं तेरे पीछे आता... सूनी सी इन अंखियों में मेरे , तेरा मोहक छवि बस जाता । वंदन करता मन से तुझको मैं... Hindi · कविता 6 2 373 Share मनोज कर्ण 2 Oct 2022 · 2 min read पेपर वाला पेपर वाला (छंदमुक्त काव्य) ~~°~~°~~° देखा था मैंने गौर से उनकी नज़रों में , कुछ हसरतें शेष बची थी उसमें, सिरहाने रखकर गठरी समाचार पत्रों को, अपलक निहारता, असंख्य तारों... Hindi · कविता 6 2 636 Share मनोज कर्ण 25 Sep 2022 · 1 min read बचपन बचपन ~~°~~°~~° महलों में कहीं पल रहा बचपन, किलकारियों से गूंज रहा है। भूखा तन कहीं जूठे पत्तल पर, बाल सुलभ मन तड़प रहा हैं। सड़कों पर बीत रहा जो... Hindi · कविता 5 4 450 Share मनोज कर्ण 23 Sep 2022 · 1 min read काफिर कौन..? काफिर कौन..? ~~°~~°~~° कहता हूँ मैं ये खुदा से, यहाँ सब तेरे ही बंदे हैं , काफिर नही कोई जग में,सब तेरे ही बाशिंदे हैं । फ़राख़दिल कभी भी काफिर... Hindi · कविता 4 4 276 Share मनोज कर्ण 30 Aug 2022 · 1 min read वक़्त और हमारा वर्तमान वक़्त और हमारा वर्तमान (छन्दमुक्त काव्य) ~~°~~°~~° वक़्त के आगे , कितने बेबस हैं हम सब । कब पलट जाए , किसी को पता नहीं । कश्ती डुबाके कब निकल... Hindi · कविता 5 2 454 Share मनोज कर्ण 15 Aug 2022 · 1 min read जागो राजू, जागो... जागो राजू, जागो... ~~°~~°~~° जागो राजू, जागो... अब बहुत हो गया जागो... क्यूँ कालखंड को नीरव करके , पूर्णविराम को आतुर हो। एक तुम्हीं हो जो हँसा-हँसाकर , सारे ग़म... Hindi · कविता 9 4 640 Share मनोज कर्ण 14 Aug 2022 · 2 min read वासना और करुणा वासना और करुणा ~~°~~°~~° साथ-साथ रहती दो बहना, एक वासना दूजा करुणा। वासना तन को दग्ध करती , विक्षिप्त मन कर कामाग्नि सुलगाती। मधुप मृदुल आघात करके, विकल मन में... Hindi · कविता 7 6 578 Share मनोज कर्ण 9 Aug 2022 · 1 min read शून्य की महिमा शून्य की महिमा ~~°~~°~~° शून्य से अनन्त कामना, माया का विस्तार है। अनन्त से फिर शून्य होना , भक्तिपद निराकार है। शून्य का ये चक्र ही तो , शून्य का... Hindi · कविता 5 2 621 Share मनोज कर्ण 10 Jul 2022 · 1 min read नास्तिक सदा ही रहना... नास्तिक सदा ही रहना... ~~°~~°~~° मन से अहं निकाल लो, फिर नास्तिक सदा ही रहना... खुद को यदि तुम जान लो, फिर धर्मविमुख ही रहना। माता-पिता गुरु हरि रूप है,... Hindi · कविता 8 4 656 Share मनोज कर्ण 20 Jun 2022 · 2 min read जिन्दगी की रफ़्तार जिन्दगी की रफ़्तार (ट्रक ड्राइवर) (छन्दमुक्त काव्य) ~~°~~°~~° फोर लेन के किनारे , बने ढाबे में बिछे खाट पर , बैठा सोच रहा वो ट्रक चालक , निकला था घर... Hindi · कविता 6 4 824 Share मनोज कर्ण 18 Jun 2022 · 1 min read उलझनें_जिन्दगी की उलझनें_जिन्दगी की (सुशांत सिंह राजपूत) ~~°~~°~~° जहां की खुशियाँ चुराने चले थे , मगर आँखों ने छल किया । सुधा की खोज में निकले थे चाँद तक, मगर हलाहल ही... Hindi · कविता 6 6 622 Share मनोज कर्ण 13 Jun 2022 · 1 min read फ़ासला फ़ासला ~~°~~°~~° संभल-संभल के कदम रखना, अंजान मुसाफिरों इस जग में, जिन्दगी और मौत का फ़ासला, बस क्षणभर का है। पर गलतफहमियां मत पालना कभी, अपने जीवंत रिश्तों में, रिश्ते... Hindi · कविता 3 4 319 Share मनोज कर्ण 11 Jun 2022 · 1 min read चलो एक पत्थर हम भी उछालें..! चलो एक पत्थर हम भी उछालें ..! ~~°~~°~~° चलो एक पत्थर हम भी उछाले , हैवानियत की हद को दिल से लगा लें। अगर बात कहनी है दिल की हमें... Hindi · कविता 7 8 1k Share मनोज कर्ण 1 Jun 2022 · 1 min read परिणय परिणय ~~°~~°~~° सृष्टि के सृजनहारों का प्रेम सम्मिलन परिणय है । सात फेरों का गठबंधन नहीं,ये तो जन्मों का बंधन है। साथ-साथ तय करने जो,जिंदगी का ये तनहां सफर ,... Hindi · कविता 4 6 718 Share मनोज कर्ण 5 May 2022 · 1 min read पिता की अभिलाषा पिता की अभिलाषा ~~°~~°~~° शिकायत नहीं जग से मुझको , बस तेरे खुशी को ही तो जीता हूँ । तुझे स्नेह भरा अमिय सागर देकर मैं , युगों-युगों से हलाहल... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 15 27 1k Share मनोज कर्ण 4 May 2022 · 1 min read जीवन-रथ के सारथि_पिता जीवन-रथ के सारथि_पिता ~~°~~°~~° सारथि जीवन-रथ के , देवता तुल्य पिता हैं जग में। अन्नदाता भयत्राता पिता ही हैं , सृजनकर्ता भी वही जग में। माता को यदि तुम,सारे तीर्थ... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 8 23 1k Share मनोज कर्ण 3 May 2022 · 1 min read नन्हा बीज नन्हा बीज ~~°~~°~~° मैं हूँ बीज , नन्हा सा , चेतना के बीज जड़वत रुप में , पर मुझमें भावनाओं के सुकोमल रंग-बिरंगे पुष्प, खिलेंगे या नहीं ये मुझे पता... Hindi · कविता 5 4 1k Share मनोज कर्ण 1 May 2022 · 1 min read श्रमिक जो हूँ मैं तो... श्रमिक जो हूँ मैं तो... ~~°~~°~~° दरकता है मेरा विश्वास भी,आईने की तरह , पड़ती है मार जब तन पर, क्षुधा की तो , उफनता है तन बदन झुलसती गर्मी... Hindi · कविता 7 6 826 Share मनोज कर्ण 30 Apr 2022 · 1 min read पितृ स्वरूपा,हे विधाता..! पितृ स्वरूपा,हे विधाता..! ~~°~~°~~°~~°~~°~~° व्योम उर सा अनंत विस्तृत, स्नेह का साम्राज्य तेरा , आये थे हम,तेरी कृपा से, पर ये तो है सौभाग्य मेरा। स्वप्न चुन-चुन,द्रव्य गिन-गिन, हसरतें बनाते... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 17 26 1k Share मनोज कर्ण 25 Apr 2022 · 1 min read सत्यमंथन सत्यमंथन ~~°~~°~~° झूठ की तारीफ और सत्य का उपहास, प्रचलन बना,.. क्यूँ दोस्तों..? झूठ का सामना यदि,सत्य से होता यहाँ पर , सत्य का दामन फिर कोई,थामता नहीं,.. क्यूँ दोस्तों..?... Hindi · कविता 8 16 934 Share मनोज कर्ण 24 Apr 2022 · 1 min read पिता की व्यथा पिता की व्यथा ~~°~~°~~° जब पड़ी हो मार जग में,अपने ही हित को साधने , क्या कोई नचिकेता खड़ा होगा,फिर से यम के सामने। जब पिता पुत्र की राहें अलग,तन्हा... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 12 20 1k Share मनोज कर्ण 23 Apr 2022 · 1 min read पितृ महिमा पितृ महिमा ~~°~~°~~° पितृवचन सदा पालन करे जो,दीन हीन वो कभी नहीं होते.. पिता ही प्रतिपालक है जग में,पथ प्रदर्शक भी वही होते। पुत्र श्रीराम ने किया वनगमन,पितृ वचन प्रण... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 8 882 Share मनोज कर्ण 23 Apr 2022 · 1 min read पितु संग बचपन पितु संग बचपन ~~°~~°~~° अमीरी अभिशाप बने ना, वात्सल्य प्रेम और बचपन का, धन-दौलत दुश्मन न बन जाए,बालपन और पितृधन का। पितु संग बीते जो बचपन,तो होता परिवर्धन संस्कारों का... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 12 14 998 Share मनोज कर्ण 20 Apr 2022 · 2 min read हे तात ! कहा तुम चले गए... हे तात ! कहा तुम चले गए... ~~°~~°~~° हे तात ! कहा तुम चले गए... दर्शन न कोई मुलाकात, जहांँ तुम चले गए..। संग तेरे जो बीता था बचपन ,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 7 10 1k Share मनोज कर्ण 19 Apr 2022 · 1 min read पितृ वंदना पितृ वंदना ~~°~~°~~° नमन करें सभी पितृचरणों का,जो जग का आधार है, पूर्ण हो जाए संतति आकांक्षा,मिलती खुशियांँ अपार है, शीश झुकाएं चरणों में उनके,मंजिल फिर होती कदमों में, अपनाएं... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 24 37 1k Share मनोज कर्ण 17 Apr 2022 · 1 min read डरिये, मगर किनसे....? डरिये, मगर किनसे? ~~°~~°~~° डरिये हर वो बुरे कर्मों से , जो सदा गर्त में ले जाते हैं। डरना भी अनुशासन का ही प्रतीक है। हर निकृष्ट कामों से डरिये... Hindi · कविता 2 613 Share मनोज कर्ण 17 Apr 2022 · 1 min read नयी सुबह फिर आएगी... नयी सुबह फिर आएगी ~~°~~°~~° जब विद्यालय की दीवारों पर टंगी घड़ियाँ, टिकटिक करती तस्वीरें पढ़कर, समय की पीड़ा जतायेगी। जब ज्ञान वृक्ष की छाँव तले, शिष्यों का मन फिर... Hindi · कविता 5 2 445 Share मनोज कर्ण 13 Apr 2022 · 2 min read एक पल,विविध आयाम..! एक पल,विविध आयाम..! ~~°~~°~~° सुनो तो, पल की व्यथा, क्या है, इस पल के विविध आयाम ! सुनो तो,धीरे से जरा.. क्या कह रही है, तेरे कानों मे हौले से।... Hindi · कविता 2 630 Share मनोज कर्ण 11 Apr 2022 · 2 min read दिल,एक छोटी माँ..! दिल,एक छोटी माँ..! ❤️ ( छंद मुक्त काव्य ) ~~°~~°~~° ये दिल क्या है..? एक मुठ्ठी भर मांसपेशियों का उछल कूद, या कोई जीवंत रिश्ता । गौर से सोचो यदि,... Hindi · कविता 4 561 Share मनोज कर्ण 11 Apr 2022 · 1 min read मन की मुराद मन की मुराद ~~°~~°~~° पूरी कर लो हर मुराद मन की , पर ये तो नामुराद, सदा रहती । मलयज से लेपित,कर लो तन की, मल-मुत्र सदा तन में रहती।... Hindi · कविता 3 630 Share मनोज कर्ण 10 Apr 2022 · 2 min read पप्पू और पॉलिथीन पप्पू और पॉलिथीन (हास्य /व्यंग्य) ~~°~~°~~° एक बार पप्पू बाजार गया सब्जी खरीदने, देखा कि सब्जीवाली सब्जी बेच रही है, परन्तु उसे पॉलिथीन में भरभर कर। पप्पू को ध्यान आया... Hindi · हास्य/हास्य-व्यंग्य 3 4 764 Share मनोज कर्ण 9 Apr 2022 · 2 min read हिन्दी साहित्य का फेसबुकिया काल हिन्दी साहित्य का फेसबुकिया काल (हास्य कविता) ~~°~~°~~° आया है अब तो,हिंदी साहित्य का फेसबुकिया काल, सोशल मीडिया पर हो रहा,रोज नया धमाल। कोरोना काल से अभिशप्त,जो मानव था, हो... Hindi · कविता 9 10 1k Share मनोज कर्ण 7 Apr 2022 · 1 min read इबादत इबादत ~~°~~°~~° वो दिन थे जब संवरने की , नही थी कोई जरूरत , सादगी व मासूमियत ही , ढा जाती थी दिलों पे क़यामत । अब तो नुमाइशों की... Hindi · कविता 1 233 Share मनोज कर्ण 28 Mar 2022 · 2 min read सनातन संस्कृति सनातन संस्कृति ~~°~~°~~° गांठ बांध सुन लो इंसानो, सत्य समृद्ध स्वरूप को जानो। सनातन संस्कृति सर्वश्रेष्ठ धरा पर, दिल से तुम मानो न मानो। दया प्रेम का भाव जो रहता,... Hindi · कविता 4 2 4k Share मनोज कर्ण 27 Mar 2022 · 1 min read निर्गुण सगुण भेद..? निर्गुण सगुण भेद..? ~°~°~°~°~ जब चक्षु विकल हो सकल प्रेम को... तब निर्गुण सगुण भेद मिट जाता है। निराकार जब साकार ब्रह्म, बनकर प्रियतम छा जाता है। ऊर्जा का संचार... Hindi · गीत 5 2 711 Share Previous Page 3 Next