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मेरी व्याकुलता को नाम मिला, भूख का। मांगते भूखे फकीर को , दुत्कार मिला, ताना मिला , खाना नहीं। पदशाह को मिली , रिश्वत की भेंट, भर जेब, भर पेट, तो उसे भूख कहां? हम जो सोचते हैं, वो रूप वाला जहां कहां??
अति उत्तम।
धन्यवाद श्रीमान 💐 🙏
आदरणीय मनोज जी बहुत ही मार्मिक रचना है।
बहुत बहुत धन्यवाद राकेश जी
मेरी व्याकुलता को नाम मिला, भूख का।
मांगते भूखे फकीर को , दुत्कार मिला,
ताना मिला ,
खाना नहीं।
पदशाह को मिली , रिश्वत की भेंट,
भर जेब,
भर पेट,
तो उसे भूख कहां?
हम जो सोचते हैं, वो रूप वाला जहां कहां??