Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Apr 2022 · 2 min read

दिल,एक छोटी माँ..!

दिल,एक छोटी माँ..! ❤️
( छंद मुक्त काव्य )
~~°~~°~~°
ये दिल क्या है..?
एक मुठ्ठी भर मांसपेशियों का उछल कूद,
या कोई जीवंत रिश्ता ।
गौर से सोचो यदि,
तो ये इस तन की एक छोटी मांँ सी है।
जरा सी गड़बड़ हो जाए इसके ताल और लय ,
तो झटके देने लगते इसकी दोनों भुजाएं ,
अलिंद और निलय ।
फिर तो बिलख-बिलख तन करता है अदावत ,
ये सब जानते हुए भी,तो हम नहीं करते ,
अपने दिलरुपी माँ की हिफाजत ।
देखो तुम्हारे इस मुट्ठी भर छोटी सी माँ ,
तुम्हारा कितना ख्याल रखती ।
चौबीसों घंटे रक्त से गंदगी हटाती है वो ,
पवनदेव से वायु मांग
शोणित प्रवाह से उसे ,
तेरे शरीर के रग रग में पहुँचाती है ।
सफाईकर्मी की तरह वो ,
अतिरिक्त जल और गंदगी को सही जगह पहुँचाकर ,
उसके सही निस्सरण की व्यवस्था करती है ।
बेचैन रहती है ,
असंख्य कोशिकाओं के पोषण हेतु हर समय ।
लेकिन कुछ बातें पसंद नहीं है उसे ,
नफरत,ईर्ष्या और क्रोध ।
इसके आवेश में आते ही ,
अनियंत्रित होकर धड़कने लगती है यह।
सौम्य शांत स्वभाव हो बालरुप तन का ,
सिर्फ इतनी सी आरजू लिए ,
जीवन भर बिना रुके काम करती ।
लेकिन इस छोटी मांँ में एक बड़ी कमी भी है ,
ये जान ले तो जरा ।
ये कभी ब्रेक लेकर,दोबारा काम पर नहीं लौटती।
रुठ जाती है,तो कोई इसे मना नहीं सकता।
और फिर वह अपनी गोद से,तुम्हें हटाती भी नहीं।
अपनी गोद में सुलाये ही चली जाती ,
अनंत यात्रा के लिए ।
बहुत प्यार जो करती तुमसे ,
जुदाई कैसे सहन हो भला ।
इसलिए इहलोक परलोक ,
दोनों में तेरा साथ नहीं छोड़ती ।
तो चलो आज से कसम खा ले ,
इस छोटी माँ को असमय रुठने न दे।
ख्याल रखें हर समय ,
स्वस्थ आहार,स्वस्थ विचार ,
और स्वस्थ अपनी छोटी माँ ।

मौलिक एवं स्वरचित
सर्वाधिकार सुरक्षित
© ® मनोज कुमार कर्ण
कटिहार ( बिहार )
तिथि – ११ /०४ /२०२२
चैत,शुक्ल पक्ष,दशमी ,सोमवार
विक्रम संवत २०७९
मोबाइल न. – 8757227201

Language: Hindi
4 Likes · 515 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from मनोज कर्ण
View all
You may also like:
काजल
काजल
SHAMA PARVEEN
का कहीं रहन अपना सास के
का कहीं रहन अपना सास के
नूरफातिमा खातून नूरी
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
व्यक्तिगत अभिव्यक्ति
Shyam Sundar Subramanian
#दोहा
#दोहा
*Author प्रणय प्रभात*
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
तेरे आँखों मे पढ़े है बहुत से पन्ने मैंने
Rohit yadav
2761. *पूर्णिका*
2761. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
न किसी से कुछ कहूँ
न किसी से कुछ कहूँ
ruby kumari
"सुप्रभात"
Yogendra Chaturwedi
*कौशल्या (कुंडलिया)*
*कौशल्या (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"मछली और भालू"
Dr. Kishan tandon kranti
💐प्रेम कौतुक-408💐
💐प्रेम कौतुक-408💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
* जिसने किए प्रयास *
* जिसने किए प्रयास *
surenderpal vaidya
होगा कौन वहाँ कल को
होगा कौन वहाँ कल को
gurudeenverma198
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
फिर क्यों मुझे🙇🤷 लालसा स्वर्ग की रहे?🙅🧘
डॉ० रोहित कौशिक
बस नेक इंसान का नाम
बस नेक इंसान का नाम
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
संस्कृत के आँचल की बेटी
संस्कृत के आँचल की बेटी
Er.Navaneet R Shandily
सूखा शजर
सूखा शजर
Surinder blackpen
परिवार
परिवार
अभिषेक पाण्डेय 'अभि ’
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
फूलों से भी कोमल जिंदगी को
Harminder Kaur
ठोकर भी बहुत जरूरी है
ठोकर भी बहुत जरूरी है
Anil Mishra Prahari
माफी
माफी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
रात भर नींद भी नहीं आई
रात भर नींद भी नहीं आई
Shweta Soni
दोहा
दोहा
प्रीतम श्रावस्तवी
Dil toot jaayein chalega
Dil toot jaayein chalega
Prathmesh Yelne
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
गुरु तेगबहादुर की शहादत का साक्षी है शीशगंज गुरुद्वारा
कवि रमेशराज
दिल के हर
दिल के हर
Dr fauzia Naseem shad
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह  जाती हूँ
मैं हमेशा अकेली इसलिए रह जाती हूँ
Amrita Srivastava
ग़ज़ल
ग़ज़ल
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
सुभाष चन्द्र बोस
सुभाष चन्द्र बोस
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
चरित्र अगर कपड़ों से तय होता,
Sandeep Kumar
Loading...