विवेक दुबे "निश्चल" 178 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid विवेक दुबे "निश्चल" 15 Feb 2018 · 1 min read गृहस्थ जीवन वो नदिया के दो किनारों से । बीच सँग बहती धारों से । छूते लहरें धाराओं की , कुछ खट्टे मीठे वादों से । प्रणय मिलन की यादों सँग, घटती... Hindi · कविता 741 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने --पढ़ना लिखना छोड़ा मैंने--- ___________________________ हाँ पढ़ना लिखना छोड़ दिया मैंने पढ़ें लिखों को पीछे छोड़ दिया मैंने बहुत कुछ सीख लिया मैंने बहुत पढ़ा था मेरा भाई, बहना ने... Hindi · कव्वाली 691 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 May 2017 · 1 min read माँ गंगा पतित पावनी निर्मल गंगा । मोक्ष दायनी उज्वल गंगा । उतर स्वर्ग आई धरा पर , शिव शीश धारणी माँ गंगा । जैसी तब बहती थी गंगा । रही नही... Hindi · कविता 547 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Apr 2017 · 1 min read मैं ....... शब्द लुटाता शब्द सजाता मैं । लिखता बस लिखता जाता मैं । खुद से खुद खुश हो जाता मैं । खुद को खुद से झुठलाता मैं । सच में कभी... Hindi · कविता 519 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Feb 2018 · 1 min read कर्म आंत हीन इन अंतो से । लगते खुलते फन्दों से। फँसते पंक्षी उड़ते पंक्षी , अपने अपने कर्मो से । .... विवेक दुबे"निश्चल"©.. Hindi · मुक्तक 550 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Jul 2018 · 1 min read जीवन का माप ना हर्ष रहे ना संताप रहे । बस "मैं" नही "आप" रहे । मोह नही नियति बंधन से , जीवन का इतना माप रहे । .... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 520 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jun 2021 · 1 min read चलता रहा चलता रहा कल तक, आज की खातिर । बजता रहा साज भी ,आवाज की खातिर । उतरती रहीं कुछ नज़्में, ख़्वाब जमीं पर , देतीं रहीं हसरतें हवा , नाज... Hindi · मुक्तक 509 Share विवेक दुबे "निश्चल" 5 Jul 2018 · 1 min read मनहरण घनाक्षरी ये बदल सावन के , पिया मन भावन से । रिम झिम बरसत , रस प्रियतम से । ज्यों प्रणय निवेदन , साजत है साजन से , थिरकन होंठो पर... Hindi · घनाक्षरी 1 567 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कविता शब्द शब्द अर्थ सजी है कविता । अपरिचित सी परिचित है कविता । गूढ़ भाव मौन गढ़ती है कविता । है "निश्चल" सचल बनी है कविता । ... विवेक दुबे"निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 517 Share विवेक दुबे "निश्चल" 6 Jun 2021 · 1 min read मैं मैं कहीं एक , बस्ती ढूंढता सा । मैं कहीं अपनी, हस्ती ढूंढता सा । एक चमन-ओ-अमन की चाहत में , नज़्र निग़ाह की , मस्ती ढूंढता सा । ....विवेक... Hindi · मुक्तक 485 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Feb 2018 · 1 min read नानी की कहानी परियों की एक रानी थी । और बूढ़ी एक नानी थी । साँझ ढले दादी माँ , सुनातीं एक कहानी थीं । पीलू जंगल का राजा । धूर्त सियार वो... Hindi · कविता 458 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Jun 2018 · 1 min read अहसास वक़्त बदलते रहे अहसास के । ज़िस्म चलते रहे संग सांस के । थमती रहीं निगाहें बार बार , कोरों में अपनी अश्क़ लाद के । रूठे रहे किनारे भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 486 Share विवेक दुबे "निश्चल" 9 Apr 2017 · 1 min read कहती है कलम नया क्या कुछ कहती है कलम नया खुशियों के लम्हे या हो ग़म नया डुबा कर कलम दिल की जज्वातों की स्याही से बस कर दो सब बयां रंग चढ़ें बिरह... Hindi · कविता 450 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Jun 2018 · 1 min read सूखे पत्ते वो सूखे पत्ते *पलाश* के । टूटे सितारे आकाश से । खोजते रहे जमीं अपनी , कल तक जो थे साथ से । क्यों तरसती रहीं निगाहें , उजाले थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 449 Share विवेक दुबे "निश्चल" 26 Jun 2018 · 1 min read आज आज इंसान ग़ुम हो रहा है । इतना मज़लूम हो रहा है । खा रहे वो कसमें ईमान की , यूँ ईमान का खूं हो रहा है । ..... विवेक... Hindi · मुक्तक 439 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 May 2018 · 1 min read चाहत बसंत के मौसम में । झड़ते पतझड़ से । झरने वो निर्मल से । झरते जो निर्झर से । भाव जगे उर से । शून्य रहे नभ से । बहने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 474 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ खोकर अपने ख़्याल सारे । बस एक ख़्याल पाला था । हर वक़्त हाथ में उसके , औलाद के लिए निवाला था । रूठता जो कोई क़तरा , जिगर का... Hindi · कविता 455 Share विवेक दुबे "निश्चल" 11 Feb 2018 · 1 min read ज़िन्दगी अपनी जी ले तू जिंदगी अपनी यही बहुत है । वक़्त से तुझे रही क्यों शिकायत है । न बाँट जमाने को तन्हाईयाँ तू अपनी , पास दुनियाँ के अपना ही... Hindi · मुक्तक 469 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Mar 2018 · 1 min read ख़ामोशी खामोशी कहतीं अक्सर । लिखता मिटता सा अक्षर । सजकर रात सुहाने तारों से , चँदा आँख चुराता अक्सर । देख रहा वो आँख मिचौली , दूर छिपा बैठा नभ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 416 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 May 2018 · 1 min read माँ जिंदगी उन्हें कभी हराती कैसे । साथ दुआएँ जो माँ की लेते । कदमों में उनके आकाश झुके । जिनके सर माँ के आशीष रुके । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@.... Hindi · मुक्तक 450 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Nov 2018 · 1 min read कुलषित कुंठाएं चलता नही मन साथ कलम के । खाली रहे अब हाथ कलम के । सिकुड़ती रहीं कुलषित कुंठाएं , लिए बैठीं दाग माथ कलम के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 5 2 483 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो चिराग बिखेर कर राख किनारों से । बुझ गए वो चिराग़ रातों के । रोशन शमा एक रात की ख़ातिर , दिन हुए हवाले फिर उजालों के । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 442 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read वो वो नुक़्स निकालते रहे । यूँ हमे खंगालते रहे । बार बार सम्हल कर हम, खुद को सम्हालते रहे । .... "निश्चल"@.. Hindi · मुक्तक 435 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Nov 2018 · 1 min read धूमिल धरा ,रश्मि हीन दिनकर है । 620 धूमिल धरा ,रश्मि हीन दिनकर है । अरुणिमा नही,अरुण की नभ पर है । तापित जल,नीर हीन सा जलधर है । रीती तटनी ,माँझी नहीं तट पर है ।... Hindi · कविता 1 433 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Feb 2018 · 1 min read लक्ष्य नही कोई सेनापति भृमित है,प्यादे भी विस्मृत हैं । लक्ष्य नही कोई ,पर सैनिक घायल हैं । .... विवेक दुबे .... Hindi · शेर 449 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Jul 2018 · 1 min read नैना मन भावन से वो नैना मन भावन से । कारे कजरारे सावन से । बिजुरी चमके सावन की । झपकें पलकें साजन की । वो केश घनेरे काजल से । लहराते गहरे से... Hindi · गीत 436 Share विवेक दुबे "निश्चल" 12 Apr 2018 · 1 min read जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता । हाथों में मेरे भी मेरा कल होता । न हारता हालात से कभी , बदलता हर हालत होता । अँधेरे न समाते उजालों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jul 2018 · 1 min read कहूँ या न कहुँ आज एक ग़जल कहूँ या न कहुँ । तुझे खिलता कमल कहूँ या न कहुँ । चाहत-ए-जिंदगी की ख़ातिर , दिल-ए-दख़ल कहूँ या न कहुँ । बहता दरिया तोड़कर किनारों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 487 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Mar 2018 · 1 min read बेकार ही बेकार ही वक़्त क्यों जाया होते है । कोई आए कोई नही आए होते है । गुजरते नजदीक से मेरे आपने ही , जाने क्यों वो नजरें चुराए होते है... Hindi · मुक्तक 435 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Mar 2018 · 1 min read ज़ीवन के वार खड़ा बही अपराध भाव से । चलता जो निःस्वार्थ भाव से । सी कर चादर को अपनी , ओढ़ा पुरुस्कार भाव से । खड़ा बही अपराध भाव से । चलता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 395 Share विवेक दुबे "निश्चल" 13 Mar 2018 · 1 min read पूछते हैं चुरा कर अहसास मेरे , मुझसे अंदाज़ पूछते हैं । जज़्ब कर जज़्बात मेरे , मुझसे अल्फ़ाज़ पूछते हैं । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 440 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Jul 2018 · 1 min read अहंकार लज़्ज़ता छोड़ निर्लज़्ज़ता ओढ़ी । शर्म हया भी रही नही जरा थोड़ी । रहे नही शिष्ट आचरण अब कुछ , अहंकार की चुनर एक ऐसी ओढ़ी । ..... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 425 Share विवेक दुबे "निश्चल" 14 Apr 2019 · 1 min read अंदाज़ मुस्कुराने की भी एक बजा चाहिए । नज़्र-ओ-निग़ाह की अदा चाहिए । कैसे रहे कायम बात पर अपनी , हर अंदाज़ की एक फ़िज़ा चाहिए । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 398 Share विवेक दुबे "निश्चल" 8 Feb 2018 · 1 min read ख़ता एक यही तो ख़ता हुई हमसे । मोहब्बत कम न हुई हमसे । एक खूबसूरत ख़ता कर बैठे । दिल लेकर उन्हें दिल दे बैठे । समझते समझौता जिसे, एक... Hindi · शेर 385 Share विवेक दुबे "निश्चल" 21 Feb 2018 · 1 min read ठहर गई कलम ठहर गई वो क़लम , खूब कह कर । ख़ामोश हुआ शीशा , ज्यों टूटकर कर । लफ्ज़ आते नही पास, जुस्तजू बन कर । कहता है वक़्त गुजरा ,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share विवेक दुबे "निश्चल" 19 Mar 2018 · 1 min read मिलते नही मुक़ाम शिकायत शराफत बनी अब तो । अदावत इनायत बनी अब तो । मिलते नही मुकाम रास्तो के , रास्ते ही मंज़िल बनी अब तो । .... विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 412 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 Nov 2018 · 1 min read कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । हर हाल बे-हाल कचोटते रहे । कुछ ख़ुश ख़याल खोजते रहे । चलते रहे सफ़र जिंदगी के , ये दिल हाल मगर रोज से रहे । .. विवेक दुबे"निश्चल"@... Hindi · मुक्तक 1 444 Share विवेक दुबे "निश्चल" 16 May 2019 · 1 min read मेरा रहबर वो सच कहाँ था ,जो सच कहा था । मेरे ही रहबर ने,मुझको ही ठगा था । पढ़ता रहा जो क़सीदे शान में मेरी , लफ्ज़ लफ्ज़ जिनमे भरा दगा... Hindi · मुक्तक 385 Share विवेक दुबे "निश्चल" 30 Jul 2017 · 1 min read साश्वत सत्य हाँ मुझे बहुत आँगे जाना है । बहुत दूर निकल अपनों से , अपनों का दिल दुखाना है । लौटूँगा फिर उस दिन में , जब एकाकी हो जाना है... Hindi · कविता 437 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Feb 2018 · 1 min read ख़्वाबों की ख़ातिर सोया हूँ ख्वाबों की ख़ातिर , मुझे नींद से न जगाना तुम। आना हो जो मिलने मुझसे, मेरे ख़्वाबों में आ जाना तुम। यह दुनियाँ ,नही ककीक़त । यह दुनियाँ... Hindi · कविता 378 Share विवेक दुबे "निश्चल" 15 Jun 2021 · 1 min read आशा कल की स्वर्णिम आभा नभ की , साहस साँसों में भरती । आते कल की आशा में, निशि नित सबेरा गढ़ती । ...विवेक दुबे"निश्चल"... Hindi · मुक्तक 1 384 Share विवेक दुबे "निश्चल" 7 Mar 2018 · 1 min read एक स्याह रात है नींद हमे न आए तो, नही कोई बात है । कल की फिक्र का हमे, करना इलाज़ है । फ़िक्र आज की बूंदों से तर जज़्बात है । अपनी तो... Hindi · घनाक्षरी 418 Share विवेक दुबे "निश्चल" 23 Mar 2018 · 1 min read आदमीं जल स्वार्थ भरा आदमी । निग़ाह टारता आदमी । स्वार्थ पर ही सवार आदमी । चाहे खुदकी जयकार आदमी । निग़ाह से उतारता आदमी । करता नजर अंदाज आदमी ।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 383 Share विवेक दुबे "निश्चल" 3 Jun 2018 · 1 min read छोड़ चले वो छोड़ चले वो रहो में । अलसाए उजियारो में । एक चँदा की ख़ातिर , सोए न हम रातों में । गिन गिन गुजरी रातें , याद सुहानी यादों में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 386 Share विवेक दुबे "निश्चल" 22 May 2018 · 1 min read जिंदगी तुझे ज़ज्बात लिखूँ अपने हालात लिखूँ । जिंदगी किस तरह तुझे साथ लिखूँ । डूबकर तन्हाइयों में अक्सर , खुशियों की मुलाक़त लिखूँ । जी रही जिंदगी ख़ातिर जिनके, सपनों के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 405 Share विवेक दुबे "निश्चल" 10 Apr 2018 · 1 min read वक़्त बड़ा परवान चढ़ा वक़्त बड़ा परवान चढ़ा । बिकने को ईमान चला । देश भक्ति की कसमें खाता, चाल कुटिल शैतान चला । लांघ मर्यादाएँ अपनी सारी , हवस दरिंदा शैतान चला ।... Hindi · कविता 364 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Jun 2018 · 1 min read झड़ता रहा झड़ता रहा पत्तो सा । चलता रहा रस्तों सा । मिला नही कोई ठिकाना , अंजाम रहा किस्तों सा । वो टपका बून्द की मांनिद , अंजाम हुआ अश्कों सा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 414 Share विवेक दुबे "निश्चल" 18 Nov 2018 · 1 min read माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है । ज़िंदगी जब भी, मुँह चिढ़ाती है । माँ तु , मुझे, बहुत याद आती है । वक़्त के, तूफान में, कश्ती डगमगाती है । यादों में तु , पतवार मेरी,... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 8 71 380 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read नई शुरुवात फिर एक नई शुरुवात करते है । जिंदा हसरतें हालात करते है । थम गई जिंदगी जहां की तहां , फ़िर चलने की बात करते है । सजा कर दिलो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 360 Share विवेक दुबे "निश्चल" 27 May 2021 · 1 min read मेहमान वक़्त के यहाँ सभी मेहमान है । इस बात से क्यों अंजान है । है ख़बर नही अगले पल की , फिर किस बात का गुमान है । हैं एक... Hindi · कविता 1 4 374 Share Page 1 Next