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12 Apr 2018 · 1 min read

जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता

जिंदगी तुझमे भी मेरा दख़ल होता ।
हाथों में मेरे भी मेरा कल होता ।

न हारता हालात से कभी ,
बदलता हर हालत होता ।

अँधेरे न समाते उजालों में कभी ,
अँधेरों से भरा न कोई कल होता ।

महकता गुलशन हर घड़ी ,
उजड़ा न कोई चमन होता ।

रूठता न अपने भी कभी ,
अपना न कोई गैर होता ।

ज़िंदगी तुझमे भी…

… विवेक दुबे”निश्चल”@…

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