Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
25 Apr 2023 · 1 min read

परमात्मा रहता खड़ा , निर्मल मन के द्वार (कुंडलिया)

परमात्मा रहता खड़ा , निर्मल मन के द्वार (कुंडलिया)
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
परमात्मा रहता खड़ा , निर्मल मन के द्वार
जहॉंं कपट बिल्कुल नहीं ,जहॉं न छल-व्यवहार
जहॉं न छल-व्यवहार , सरलता शोभा पाती
मौन शांत मुस्कान , हमेशा प्रभु को भाती
कहते रवि कविराय , वही है शुद्ध महात्मा
जिसे न कोई बैर , मिले उसको परमात्मा
■■■■■■■■■■■■■■■■■■
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451

546 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Ravi Prakash
View all
You may also like:
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
ऐ ख़ुदा इस साल कुछ नया कर दें
Keshav kishor Kumar
आंखों से अश्क बह चले
आंखों से अश्क बह चले
Shivkumar Bilagrami
दोहा पंचक. . .
दोहा पंचक. . .
sushil sarna
सज़ल
सज़ल
Mahendra Narayan
तबीयत मचल गई
तबीयत मचल गई
Surinder blackpen
शुभ प्रभात मित्रो !
शुभ प्रभात मित्रो !
Mahesh Jain 'Jyoti'
प्रेम जीवन धन गया।
प्रेम जीवन धन गया।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
सेना का एक सिपाही हूँ
सेना का एक सिपाही हूँ
Satish Srijan
मैं और मेरी तन्हाई
मैं और मेरी तन्हाई
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
प्यार नहीं दे पाऊँगा
प्यार नहीं दे पाऊँगा
Kaushal Kumar Pandey आस
तेरी परवाह करते हुए ,
तेरी परवाह करते हुए ,
Buddha Prakash
ले आओ बरसात
ले आओ बरसात
Santosh Barmaiya #jay
आचार संहिता
आचार संहिता
Seema gupta,Alwar
*अपना भारत*
*अपना भारत*
मनोज कर्ण
राजनीति
राजनीति
Dr. Pradeep Kumar Sharma
💐प्रेम कौतुक-310💐
💐प्रेम कौतुक-310💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरे प्रेम पत्र
मेरे प्रेम पत्र
विजय कुमार नामदेव
ढूंढ रहा है अध्यापक अपना वो अस्तित्व आजकल
ढूंढ रहा है अध्यापक अपना वो अस्तित्व आजकल
कृष्ण मलिक अम्बाला
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
सिर्फ यह कमी थी मुझमें
gurudeenverma198
*मेरी इच्छा*
*मेरी इच्छा*
Dushyant Kumar
शिकायत लबों पर
शिकायत लबों पर
Dr fauzia Naseem shad
जो हमने पूछा कि...
जो हमने पूछा कि...
Anis Shah
गीत
गीत
Shiva Awasthi
युग परिवर्तन
युग परिवर्तन
आनन्द मिश्र
विश्वास का धागा
विश्वास का धागा
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
फांसी के तख्ते से
फांसी के तख्ते से
Shekhar Chandra Mitra
फिर मिलेंगें
फिर मिलेंगें
साहित्य गौरव
शर्म शर्म आती है मुझे ,
शर्म शर्म आती है मुझे ,
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
अधिकार और पशुवत विचार
अधिकार और पशुवत विचार
ओंकार मिश्र
*वन की ओर चले रघुराई (कुछ चौपाइयॉं)*
*वन की ओर चले रघुराई (कुछ चौपाइयॉं)*
Ravi Prakash
Loading...