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11 Feb 2018 · 1 min read

ज़िन्दगी अपनी

जी ले तू जिंदगी अपनी यही बहुत है ।
वक़्त से तुझे रही क्यों शिकायत है ।
न बाँट जमाने को तन्हाईयाँ तू अपनी ,
पास दुनियाँ के अपना ही ग़म बहुत है ।
…. विवेक दुबे “निश्चल”©..

Language: Hindi
457 Views
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