Varun Singh Gautam 217 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Varun Singh Gautam 21 Jul 2022 · 1 min read #हे__प्रेम #हे__प्रेम तहे दिल से क्षमा, माफ कर दे हमें कैसे मैं अपनी व्यथा कहूं......रोना आता हमें तू रूठ जाना, मुंह फुलाना पर मुझे मत ललचाना मुझे मत अपनाना अपने महक... Hindi · कविता 2 649 Share Varun Singh Gautam 18 Jul 2022 · 1 min read मंजिल दूर है मंजिल दूर है पर जाना जरूर है कोई कहते हैं बहुत दूर है और दूर है रूक जाता हूँ क्योंकि दूर है थोड़ा आराम करूं फिर चलूं पर मंजिल दूर... Hindi · कविता 329 Share Varun Singh Gautam 17 Jul 2022 · 1 min read डूब जाता हूँ डूब जाता हूँ अंधेरे की समंदर में जानता हूँ मगर फिर भी ख़ुद को बचा नहीं पाता, ढूँढ़ लेता हूँ दरिया को यह भी चरम् आनंद क्षण का, फिर वहीं... Hindi · कविता 1 488 Share Varun Singh Gautam 17 Jul 2022 · 1 min read कहते हैं न.... कोई पिछड़ा अपनापन ही कोई बिखरा वो भी अपनापन ही लोग कहते हैं न वो पराया है साथ नहीं देंगे कहते हैं उम्मीद है... तो सब किरण भी दीप ही... Hindi · कविता 1 495 Share Varun Singh Gautam 15 Jul 2022 · 1 min read संसर्ग मुझमें कागज है दो पन्नों की सार पर मिलता इसमें इतिहास नहीं न ही रामायण के तेरह कांड न ही महाभारत महाकाव्य यह गजल कविता कहानी नहीं अपितु है ये किसका... Hindi · कविता 2 274 Share Varun Singh Gautam 15 Jul 2022 · 1 min read इश्क़ नहीं हम इश्क का मारा हूँ इश्क नहीं न ही प्यार कभी क्या है ये ? सब सौंदर्य पर सौंदर्य को पाने आलिंगन के सपने वदन को पाने तृप्ति नहीं फिर क्या... Hindi · कविता 2 358 Share Varun Singh Gautam 5 Jun 2022 · 1 min read हरीतिमा स्वंहृदय में ये होती प्रचंड किसकी सुने! झुलस गई ये नदियाँ, वायु सारी स्मृतियाँ की धुँध धरोहर जिसमें यह अभय शीतलता अब कहाँ ? समुद्र मन्थन अब नहीं...., नहीं है लक्ष्मीप्रिया अब... Hindi · कविता 5 2 358 Share Varun Singh Gautam 13 Mar 2022 · 1 min read चार कदम... लड़ना छोड़ेंगे नहीं जब तक न मिले लक्ष्य कौन कहता है रास्ता दूर है ? चल बस एक बस चार कदम राह - राह में ढूँढेंगे वो संग जहाँ कठिन... Hindi · कविता 3 1 531 Share Varun Singh Gautam 10 Mar 2022 · 1 min read पैसा एक पैसा दो पैसा कितने हो चार पैसा दो पैसा और दो तब होंगे चार पैसा पैसा पैसा ही पैसा क्यों खनकती ही ऐसा गोल - मटोल गोलम् गोल मूल्य... Hindi · कविता 423 Share Varun Singh Gautam 10 Mar 2022 · 2 min read चाहत मेरी लत लग गई मुझे तुझे पाने की चाहत मेरी तेरी स्पर्श की अनुभूति करा दो ज़रा हुस्न हसीन की मुकद्दर चाहता हर कोई पाने की उसे दिन-ए-बारात में आँखों के... Hindi · कविता 363 Share Varun Singh Gautam 9 Mar 2022 · 1 min read बाँध लो ज़रा मोह माया भंग हुई मिथ्या जाना शब्दों का वर्ण देती थी निमंत्रण आओ यूज़ करो हमें टूटे - फूटे फिर भी शब्द संचार का करे गान भाव भी जगेगी ऊर्जा... Hindi · कविता 185 Share Varun Singh Gautam 8 Mar 2022 · 1 min read काफिरे नहीं उसकी खिड़कियाँ खुल चुकी घर के, फाटक के भी इतिहास पलटा बीती काल के कबीर देखा, तुलसी भी यथार्थ के पीछे छूटे तस्वीर इति रचा, स्वं के भी इतिहास बढ़, चल... Hindi · कविता 217 Share Varun Singh Gautam 7 Mar 2022 · 1 min read एक वक्त, एक काल काली, बहुत काली केश सी छा रही मानो वो गहरी रन्ध्र दिखता नहीं, उजाला नहीं धीरे – धीरे……… खग भी जा चुकी कहाँ, कोई पाया नहीं एक वक्त, एक काल... Hindi · कविता 544 Share Varun Singh Gautam 5 Mar 2022 · 1 min read पहचान ज़रा कवि, कवित्त को पहचान ज़रा शब्द लय मिला या किस बिम्ब छन्द ढूढ़ता वो गान बह चली जिस धार चल, उठ, फिर ठहर जाता मन्द - मन्द भाव - विचार... Hindi · कविता 320 Share Varun Singh Gautam 13 Feb 2022 · 1 min read दिवस पंख के वो... साम्राज्य बिछा इस पन्नों में किसकी खोजूँ मगर मिला नहीं इसमें कहीं इति वर्तमान या भावी में सही पाया न दिखा जैसे हो छू उड़न लूटी दास्तां यह भविष्य किसकी... Hindi · कविता 338 Share Varun Singh Gautam 13 Feb 2022 · 1 min read झर - झर घिरे नव पंखुरी उग उग आएँ मधुकर भी मधु अमृत की ओर विपिन की नव्य जीवन खिला हरी - हरी लताएँ पत्ते लग रहे मानों सौन्दर्य छाई धरा के समीर पर्वत... Hindi · कविता 568 Share Varun Singh Gautam 11 Feb 2022 · 1 min read पतझर होते पथ की मैं देखा पतझर होते पथ की चहुंओर दिखा राख - सी मैली ऊपर - ऊपर छोटी किरणें भी भू तक नहीं पहुंच रही थी मानो प्रत्याशा में थे तस्वीर यहाँ... Hindi · कविता 215 Share Varun Singh Gautam 9 Feb 2022 · 1 min read कोयल कौआ सम्वाद कौआ कोयल उड़े गगन में साथ एक - दूसरे को देख आश्चर्य में भरें शान से कौआ बोला कोयली से तू क्यों आएं इधर मेरे साथ ? कोयली मुँह दूष... Hindi · कविता 232 Share Varun Singh Gautam 9 Feb 2022 · 1 min read चींटी रानी चींटी रानी कहाँ चली कहाँ चली बोलो कहाँ चली ? बढ़ - बढ़ आँगन को जाती फिर कहाँ गुम भी हो जाती मैं देखा था तुझे मुंडेरे पै कितनी सुन्दर... Hindi · कविता 229 Share Varun Singh Gautam 7 Feb 2022 · 8 min read एक घड़ी या दो घड़ी…. एक घड़ी या दो घड़ी…. १. चल दिया लौट इस तस्वीर से बन्धु इस दिव्य ज्योति – सी चमक अब नहीं आया था नव्य कलित बनके इस भव में पर... Hindi · कविता 3 2 936 Share Varun Singh Gautam 7 Feb 2022 · 1 min read ऐ दीदी लता ऐ दीदी लता मंगेशकर वापस आ जा इस दुनिया में क्यों चलें गए हमें छोड़ ? तेरे बिना जीना अधूरा याद है मुझे एकबात जब मैं था प्रथम वर्ग में... Hindi · कविता 3 2 511 Share Varun Singh Gautam 7 Feb 2022 · 1 min read ॐ ॐ उच्चार स्वर - स्वर की लय में लग रहें तार गूंज - गूंज के बिखेरेगी दिव कली में स्वप्निल में सज रही कई स्वप्नों की बढ़ - बढ़ यहाँ , वहाँ... Hindi · कविता 2 598 Share Varun Singh Gautam 5 Feb 2022 · 1 min read शारदा माँ बसन्तपंचमी शारदा का महापर्व ज्ञान ज्योति जग घर - घर विशाल धूप - दीप - अगरबत्ती - फल - मेवा पूजा वन्दन करे माँ भवानी के हम वीणा बजी स्वर... Hindi · कविता 2 613 Share Varun Singh Gautam 5 Feb 2022 · 1 min read बसन्त पंचमी बसन्त पंचमी का महोत्सव चहुंओर फैली खुशियोंत्सव पेड़ों को डालियाँ झूल उठी क्या बच्चें या पक्षियों का खेल ! कहीं दूर से देखो बन्धु सुनायी दी कू की अमराई मानो... Hindi · कविता 1 267 Share Varun Singh Gautam 3 Feb 2022 · 1 min read गूंज उठी भुवन में गूंज उठी भुवन में, ज्योति जली सकल अविनाशी सुर सुर सुरेश्वरी, दसो दिशाओ में तेरी जय जयकार बाधा विध्न को हरण कर , संताप हरे वैष्णवी करूणेश्वरी रास जीवन हंस... Hindi · कविता 3 6 507 Share Varun Singh Gautam 28 Jan 2022 · 2 min read वतन मेघवर्ण – सी… भारत ! कोई मुझसे पूछा , आखिर क्या है यह ? मैं असमंजस में ठहरा , त्वरित गया इति के सार में जहाँ हिमालय किरीटिनीम् , वसुधैव कुटुम्बकम् जगा वहीं... Hindi · कविता 3 2 312 Share Varun Singh Gautam 28 Jan 2022 · 1 min read वतन मेघवर्ष - सी ... भारत ! कोई मुझसे पूछा , आखिर क्या है यह ? मैं असमंजस में ठहरा , त्वरित गया इति के सार में जहाँ हिमालय किरीटिनीम् , बसुधैव कुटुंबकम् जगा वहीं... Bengali · কবিতা 543 Share Varun Singh Gautam 22 Jan 2022 · 7 min read एक घड़ी या दो घड़ी.... १. चल दिया लौट इस तस्वीर से बन्धु इस दिव्य ज्योति - सी चमक अब नहीं आया था नव्य कलित बनके इस भव में पर , कोई पूछा भी नहीं... Hindi · कविता 4 1 344 Share Varun Singh Gautam 18 Jan 2022 · 1 min read Quibilianting Earth Sky - sky - sky exotic sky, It's changing colours day to night. In morning it's likes as sea. And apparently in the east likes as fair bloom one appears... English · Poem 279 Share Varun Singh Gautam 16 Jan 2022 · 4 min read चक्रव्यूह रक्तोच्चार अँधेरे की लपटों छाया में घिरा उजालों का आतम था न बिखरा किस - किस रन्ध्रों में ढूढ़ते थे कभी ? क्या , कभी , किसी को न मिला कभी... Hindi · कविता 1 296 Share Varun Singh Gautam 6 Jan 2022 · 1 min read मधुमय भारती हिन्द हिमालय के तस्वीर रचाएँ जग में कर शृंगार खड़ी धरती निहारती अरुण के पथ सतरंगी इन्द्रधनुष रचे अम्बर के कोने में कोटि - कोटि नमन करें हम मातृभूमि की... Hindi · गीत 520 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2021 · 1 min read गुमनाम पतझड़ के मै गुमनाम बन चला इस पतझड़ के किस करीनों से कहूँ क्या गुमशुम व्यथाएँ ? तस्वीर भी टूटी किस दर्रा में फँसी जा खोजूँ , विकलता के किस ओर गयी... Hindi · कविता 363 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2021 · 1 min read बहुरि अकेला भव में नव्य शैशव हुए कितने वीरान प्लव - प्लव - प्लावित माया अब इस पुलिन की क्या कसूर ? जग - जग हुँकार अब भी त्राण कौन सुने इन दुर्दिन की... Hindi · कविता 249 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2021 · 1 min read महोच्चार जाग्रत उर में सान्ध्य बीती जैसे जीवन नूर की नैया बहती रेत – सी पीछे छुटती छैया तस्वीर बन रचती जैसी हो शशि राग बन , मुरझा उठीं अब अनस्तित्व महफ़िल महाकाल का... Hindi · कविता 227 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2021 · 1 min read मधुमय भारती हिन्द हिमालय के तस्वीर रचाएँ जग में कर शृंगार खड़ी धरती अगोरती अरुण के राष्ट्र धरोहरों के दीवाने वतन है हम सरहद शहादत के फूल - कलियाँ बनें हम सप्तरंगीय... Hindi · गीत 262 Share Varun Singh Gautam 31 Dec 2021 · 1 min read लहर रात गुजर रही मेरे साथ चहुँओर दिखा राख - सी चित्र मानो दे रहा कोई संदेश प्रत्याशा है जैसे झींगुर राग घट के दिशा - दिशा तिरती पवनें मन्द -... Hindi · कविता 404 Share Varun Singh Gautam 27 Dec 2021 · 1 min read धार फँस गई धार बहते जीवन के इस दर तो कभी वो दलहीज़ आँखे नम नहीं जो रूकता तन्हा के लम्हें भी याद आती वो इतिवृत्त के लौट चलता सदा बस... Hindi · कविता 1 323 Share Varun Singh Gautam 8 Nov 2021 · 1 min read Long way of a dream Long way of a dream Life spiny like as rainstorm Warfare soul in mid stream Mystery tangled in brainstorm Emphemeral is fantasy Owl's eyes Or further Shadow of New moon... English · Poem 304 Share Varun Singh Gautam 8 Nov 2021 · 3 min read सार्थक महोत्सव मैं अपनी कहानी की शुरुआत मेरे अपने मोहल्ले के दो भाइयों से करता हूँ । वे दोनों आसपास के मोहल्ले में लोगों को मदद करके , उससे जो भी पारितोषिक... उत्सव - कहानी प्रतियोगिता · कहानी 2 1 343 Share Varun Singh Gautam 7 Nov 2021 · 1 min read कहर उठी उर में इस मिट्टी में वों सुगन्ध कहाँ अब ? जब राम कृष्ण बुद्ध की बेला थी कहते वों देश काल के स्वयं प्राण भारत माँ बिखर गई जैसी गंगा - सी... Hindi · कविता 1 421 Share Varun Singh Gautam 6 Nov 2021 · 1 min read शीर्षक :- तस्वीर फूलों के महक में क्या छिपा ? उस छिपी कलियों से जाकर पूछो यह प्रश्न चिन्ह नहीं ख्वाबों के है यह प्रकृति के रंगीन तस्वीर देखो इन्द्रधनुष कैसी छाई अम्बर... Hindi · कविता 362 Share Varun Singh Gautam 6 Nov 2021 · 1 min read अग्नि में दिये ( कविता) कब जलेंगे आँगन में दीपक खूबसूरत लगेंगे यें कितना अग्नि में दिये , दिये में बाती चलें चलों खुशियां के घर में प्रेम बन्धन का दीप जलाएँ रोशनी की दुनिया... Hindi · कविता 1 259 Share Varun Singh Gautam 6 Nov 2021 · 1 min read शीर्षक :- सज रही कुन्तल ( स्वामी विवेकानंद की स्मृति में ) जग उठी है पूर्व की किरणें गिरी धो रही अँचल काया क्षितिज कोने से देखो वसन्त करता पदवन्दन तरुवर नरेन्द्र का राह के कण्टकाकीर्ण छिप रही पन्थ - पन्थ भी... Hindi · कविता 241 Share Varun Singh Gautam 30 Sep 2021 · 66 min read मँझधार 0 1. मेरे गुरुवर शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवर प्रभा प्रज्वलित हो तिमिर में मैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर के पराभव अगोचर आपके चरण में पथ - पथ प्रशस्त रहनुमा हमारे कुसीद... Hindi · कविता 2 797 Share Varun Singh Gautam 30 Sep 2021 · 36 min read मँझधार ०२ ____०२ 1. विधान जीवन का राग सङ्गीत है , जीवन का अस्तित्व अतीत है । प्रकृति रूपी अपना धरा , सम्पदा जहाँ भरपूर है । मानवता का जीवन ही , मानव... Hindi · कविता 419 Share Varun Singh Gautam 29 Sep 2021 · 31 min read मँझधार ०१__२ 1 1. मेरे गुरुवर शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवर प्रभा प्रज्वलित हो तिमिर में मैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर के पराभव अगोचर आपके चरण में पथ - पथ प्रशस्त रहनुमा हमारे... Hindi · कविता 1 488 Share Varun Singh Gautam 28 Sep 2021 · 66 min read मँझधार 1 1. मेरे गुरुवर शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवर प्रभा प्रज्वलित हो तिमिर में मैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर के पराभव अगोचर आपके चरण में पथ - पथ प्रशस्त रहनुमा हमारे... Hindi · कविता 2 658 Share Varun Singh Gautam 28 Sep 2021 · 66 min read मँझधार 1 1. मेरे गुरुवर शिक्षा दायिनी मेरे गुरुवर प्रभा प्रज्वलित हो तिमिर में मैं छत्रछाया हूँ आपके अजिर के पराभव अगोचर आपके चरण में पथ - पथ प्रशस्त रहनुमा हमारे... Hindi · कविता 790 Share Varun Singh Gautam 24 Sep 2021 · 10 min read मँझधार ०३ 1. विधान जीवन का राग सङ्गीत है , जीवन का अस्तित्व अतीत है । प्रकृति रूपी अपना धरा , सम्पदा जहाँ भरपूर है । मानवता का जीवन ही , मानव... Hindi · कविता 547 Share Varun Singh Gautam 24 Sep 2021 · 15 min read मँझधार ०५ 1. बरखा आई घूम - घूम के बरखा आई बूँद - बूँद के करतें मृदङ्ग बढ़ - बढ़ आँगन के चढ़ते - उतरते बहिरङ्ग सङ्गिनी चली बयार की लीन्ही सतरङ्ग... Hindi · कविता 475 Share Previous Page 2 Next