Taposh Kumar Ghosh Language: Hindi 38 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Taposh Kumar Ghosh 25 Nov 2021 · 9 min read ईश के "विशिष्ट अधिकारी" ईश के "विशिष्ट अधिकारी" त्रिगुणा: ब्रह्मा, विष्णु, महेश पृथ्वी के अस्तित्व में आने से पहले लगभग 45 लाख साल पहले, ब्राह्म ने ब्रह्मा, विष्णु और महेश को बहुत विशिष्ट कर्तव्यों... Hindi · कहानी 452 Share Taposh Kumar Ghosh 22 Oct 2021 · 2 min read मेरे अध्यत्मिक संस्थान से मेरा यक्ष प्रश्न मेरे अध्यत्मिक संस्थान से मेरा यक्ष प्रश्न फेसबुक में रोज़ कुछ आवाज़! हिन्दू एक हो जाओ । हिन्दू धर्म नष्ट हो रहा है। कल सारा भारत दूसरे धर्म में बदल... Hindi · लेख 457 Share Taposh Kumar Ghosh 8 Oct 2021 · 1 min read महालय शुभ / अशुभ महालय शुभ / अशुभ ऐसा लगता है कि कुछ लोगो का एक ही विचारधारा में हैं कि महालय शुभ नहीं है क्योंकि उस दिन तर्पण किया जाता है। तर्पण क्या... Hindi · लेख 1 3 578 Share Taposh Kumar Ghosh 18 Aug 2021 · 1 min read ॐ ध्वनि नहीं गुंजन हैं ॐ ध्वनि नहीं गुंजन हैं एक शुक्ष्म दृष्टिकोण में ओम ॐ की ध्वनि की व्यक्षा प्रस्तुत । यह ध्वनि नहीं है, यह ब्रह्मांड के मानक का गुंजन हैं, और यह... Hindi · लेख 2 364 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Jul 2021 · 4 min read निर्वासन में: ईशबोध के खोज में : निर्वासन में: ईशबोध के खोज में : अब तक मैं १७ वर्ष का हो चुका था , और एक बार फिर अज्ञात अंतहीन ईश की खोज कि ओर मेरा झुकाव... Hindi · कहानी 2 634 Share Taposh Kumar Ghosh 22 Jul 2021 · 3 min read भारतीय शास्त्रीय संगीत जुगलबंदी भारतीय शास्त्रीय संगीत जुगलबंदी यह दुर्गापुर 1965 में दुर्गा पूजा का समय था, जहाँ मैं काम कर रहा था, आगरा में घर नहीं गया, क्योंकि पूजा मनाने का कोई मूड... Hindi · कहानी 434 Share Taposh Kumar Ghosh 22 Jul 2021 · 5 min read भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ॐ भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं ॐ वृंदावन में पले-बढ़े हम यमुना नदी में तैरने जाते थे प्रतिदिन "कैसीघाट" पर. कैसीघाट श्रेष्ठ था। यह बहुत लंबा, बहुमंजिला, साधुओं, संतों और आगंतुकों के... Hindi · कहानी 1 529 Share Taposh Kumar Ghosh 15 Jul 2021 · 5 min read पत्नी को पत्र , वर्ष: १९०२ सत्य हास्यास्पद कथा. पत्नी को पत्र : (वर्ष: १९०२) मेरे बड़े दादाजी का मेरी दादी को पत्र। "कहानी पूरी फिल्म है, लेकिन पूर्ण सत्य है" कहानी 119 साल पुरानी! कहानी का उपसर :... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 2 543 Share Taposh Kumar Ghosh 7 Jul 2021 · 5 min read मैं और तिरुमाला के “बालाजी” मैं और तिरुमाला के “बालाजी” मेरा भाई और परिवार ने भगवान वेंकटेश्वर के पहाड़ी मंदिर तिरुमाला का कई बार दर्शन किया औऱ मुझे भगवान बालाजी की महिमा बताई. मुझे यात्रा... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 1 3 727 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Jul 2021 · 1 min read अहं के अंधकार मेँ अहं के अंधकार मेँ मैं ही राजा, मैं ही प्रजा मैं ही ईश, मैं ही जीव मैं ही अग्नि, मैं ही जल मैं ही प्रकाश, मैं ही अंधकार मैं आकर,... Hindi · मुक्तक 400 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Jul 2021 · 1 min read गुज़र गया वक़्त देखते देखते गुज़र गया वक़्त देखते देखते, हर दिन के रुख को सवांरते सवांरते, आंधी ओ तूफान मेँ उलझते और निकलते न दिन का पता चला न रात का.. हर दिन की... Hindi · कविता 434 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Jul 2021 · 6 min read मातृत्व वास्तविकता है पितृत्व विश्वास मातृत्व वास्तविकता है पितृत्व विश्वास पिछले कई महीनों के भाग दौड़ के बाद मेरी कंपनी और एक राज्य सरकार के बीच समझौता ज्ञापन हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हुआ तथा... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 3 6 619 Share Taposh Kumar Ghosh 2 Jul 2021 · 5 min read "मैं और ईश" "मैं और ईश" (अविश्वासनिय, परन्तु सत्य ) कन्या कुमारी के अलग-अलग स्थानों के दर्शन के बाद, रेल द्वारा दूसरे स्थान रवाना हुआ औऱ भोर 3 बजे उस शहर पहुँचा l... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 5 427 Share Taposh Kumar Ghosh 1 Jul 2021 · 5 min read सूर्यदेव के किरिट-वर्ण का आशीष ??????? सूर्यदेव के किरिट-वर्ण का आशीष ?? 1971 मई माह में, मेरे निवास पर एक निमंत्रण पत्र मद्रास (अब चेन्नई ) के सैनिक प्रतीक्ष्ण स्कुल से आया. जहाँ मेरा कनिष्ट... साहित्यपीडिया कहानी प्रतियोगिता · कहानी 4 10 627 Share Taposh Kumar Ghosh 12 May 2021 · 1 min read प्राप्ति के भर्म में राम को बेचा धर्म को बेचा जब कुछ न आया हाथ बेच दिया अपनों को विभीष्णो के हाथ . निर्वस्त्र करने निकले थे सर्वस्थ ध्वंश करने आय थे अहं व्यंग... Hindi · कविता 1 370 Share Taposh Kumar Ghosh 24 Apr 2020 · 1 min read बस आज कुछ पढ़ते पढ़ते बस आज कुछ पढ़ते पढ़ते.. व्यंग छंद ? ??? शाबाश, लिख लिख के थक गये ?? अब दिखा दिखा के, इन को अमर बना दीजिये l लगे रहें ये धर्म... Hindi · मुक्तक 1 526 Share Taposh Kumar Ghosh 18 Feb 2020 · 1 min read कुछ हादसों के अल्फाज़ नहीं होते कुछ हादसों के अल्फाज़ नहीं होते कियुं वे अल्फाज़ दिलों की गहराईयों को नहीं छू पाते. किन लफ़्ज़ों मेँ जिक्र करू जब मेरा बेटा तड़फ रहा था कैंसर की तीखी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 4 360 Share Taposh Kumar Ghosh 15 Dec 2019 · 1 min read तुम्हारे साथ हर क्षण शिशिर के कोहरे मेँ, दोनों हाथ फैलाने से, कोहरे के शीतल स्पर्श से, यदि पुलकित होता हो मन, तो सोच लेना, मैं हूं, मैं हूं.. तुम्हारे साथ हर क्षण ?? Hindi · मुक्तक 1 4 347 Share Taposh Kumar Ghosh 15 Dec 2019 · 1 min read तुम्हारे साथ हर पल शिशिर के कोहरे मेँ, दोनों हाथ फैलाने से, कोहरे के शीतल स्पर्श से, यदि पुलकित होता हो मन, तो सोच लेना, मैं हूं, मैं हूं.. तुम्हारे साथ हर क्षण ?? Hindi · मुक्तक 450 Share Taposh Kumar Ghosh 13 Dec 2019 · 1 min read मैं अपराजिता हूँ, मैं मृतुन्जय हूँ मैं अपराजित हूं, मेरे अनेक रूप मैं मृतुन्जय हूँ, चार बार मृत्यु द्वार से बापस आया कारण मैंने "अति " को अपने जीवन के स्पर्धा को छूने नहीं दिया मनुष्य... Hindi · कविता 1 1 256 Share Taposh Kumar Ghosh 13 Dec 2019 · 1 min read पुरानी किताब के बीच गुलाब क्या दिखा मेरे जवान दोस्त की य़ादो के झरोखों में , मेरे बिते हुये दिनो कि य़ादें .....रतनदीप सक्सेना ???? पुरानी किताब के पन्नों के बीच गुलाब क्या दिखा . ?...... ?अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share Taposh Kumar Ghosh 12 Dec 2019 · 1 min read जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति जीवन काल मेँ मोक्ष प्रॉति ? ना पीछे कोइ, ना आगे कोइ, ना बाएँ कोइ, ना दायेँ कोइ, ना ऊपर कोइ, ना नीचे कोइ... मैं ही हूं, बस मैं ही... Hindi · कविता 407 Share Taposh Kumar Ghosh 9 Aug 2018 · 1 min read पुत्र अंत्येष्टि में, शोककित पुत्र अन्त्येष्टि में , शोकाकित !! वक़्त कटता नहीं , उसकी यादों में हर लम्हा , हर पल , याद आती है, मेरे बेटे की वक़्त का क्या ज़िक्र करू,... Hindi · कविता 483 Share Taposh Kumar Ghosh 8 Aug 2018 · 1 min read ग़ुज़रें हैं हम , देखते देखते गुज़रें हैं हम , देखते देखते हम भी गुज़र जायेंगे , देखते देखते | सालों साल गुज़र गये, देकते दखते बाकी भी ग़ुज़र जायगा , देखते देखते | दिलों की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 281 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Aug 2018 · 1 min read ज़िंदगी में तोल मोल ज़िंदगी में तोल मोल जब ज़िंदगी में तोल मोल आ जाये ज़िंदगी तब गोल मोल हो जाती है, बहती ज़िंदगी , बर्फ बन जाती है, और भाप बन उड़ जाती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 296 Share Taposh Kumar Ghosh 6 Aug 2018 · 1 min read शिक़वाए ग़ुस्सा शिक़वाए गुस्सा शिक़वा अपनों से होती है, परायों से नहीं गुस्सा ख़ून के रिश्तों से होती हे , गैरों से नहीं | उड़ादे गुस्से को हवा में फूँक कर, क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read रिश्ताए फुर्र , पैसा ही मौला रिश्ताए फ़ुर्र, पैसा ही मोला क्या ग़म करें , जब अपने ही बेगाने हो गये पैसेके जोश में , अपना होश खो गये | सोचा न था, तारीख यहाँ तक... Hindi · कविता 272 Share Taposh Kumar Ghosh 5 Aug 2018 · 1 min read हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत हाले नाज़ुक ; रिश्ते नदारत दिल धड़का , साँस फूली कमर लचका , दर्द से कहराया डाक्टर दिखाया, चाय पिलाई , खाना खिलाया डाक्टर बोला टैस्ट कराओ मैंने पूंछा कितने... Hindi · कविता 269 Share Taposh Kumar Ghosh 4 Aug 2018 · 1 min read कभी वक़्त था , वक़्त का .... कभी वक़्त था, दौड़ते थे वक़्त के पीछे तब वक़्त था वक़्त का | अब वक़्त है , हमारा दौड़ती है हमारे पीछे | अब वक़्त आया अब हमारी मुठ्ठी... Hindi · कविता 374 Share Taposh Kumar Ghosh 3 Aug 2018 · 2 min read अहं के भर्म में अहं के भर्म में...... रात के अँधेरे में , जब दिन का प्रकाश हो तो रात को दिन नहीं माानना चाहिये ; और जिस ने मान लिया , उस का... Hindi · कविता 514 Share Taposh Kumar Ghosh 2 Aug 2018 · 1 min read बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम, यह भारत देश हमारा बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम यह भारत देश हमारा , है हम सबको प्यारा | बन्दे माँ तरम, बन्दे माँ तरम.... उत्तर में है हिमालय , तीन दिशा में... Hindi · गीत 462 Share Taposh Kumar Ghosh 1 Aug 2018 · 1 min read फूल खिलते नहीं बहार से पहले फूल खिलते नहीं बहार से पहले , हमदम मिलते नहीं वक्त से पहले | बहार जब आती हैं, ख्शबू सात लती हैं , वक्ते इंतजार खत्म हो जाती हैं, ऊनके... Hindi · कविता 276 Share Taposh Kumar Ghosh 31 Jul 2018 · 1 min read सन्नाटा ही सन्नाटा सन्नाटा ही सन्नाटा !!! सुबह होती है सन्नाटा लिए दोपहर होती है सन्नाटा लिए शाम होती है सन्नाटा लिए रात होती है सन्नाटा लिए गुज़रता हर लम्हा सन्नाटा लिए सन्नाटा... Hindi · कविता 323 Share Taposh Kumar Ghosh 29 Jul 2018 · 1 min read ज़माना बदल गया Hahaha..... ज़ामाना बदल गया | तुम कहते हो -----ज़माना बदल गया, वह कहता हैं -----ज़माना बदल गया, यह कहता हैं ----- ज़माना बदल गया, ज़माना कहता हैं ---- ज़माना बदल... Hindi · कविता 1 258 Share Taposh Kumar Ghosh 26 Apr 2018 · 1 min read मेरे जवान जवाँ दोस्त रत्नादीप सक्सेना से नोंक झोक मेरे जवान दोस्त की य़ादो के झरोखों में , मेरे बिते हुये दिनो कि य़ादें .....???? पुरानी किताब के पन्नों के बीच गुलाब क्या दिखा . ? दिल गुलकंद हो... Hindi · मुक्तक 272 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read न तो मैं शायर हूँ ; न शायरी आती है My shayri मैं ना तो शायर हूँ, ना शायरी आती है कभी कभी जोशे आगोश में, तुक बन्दी कर दिता हूँ तो वाह वाह हो जाती है और कभी दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 677 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read जीवन एक क्षण है.... जीवन एक छण है, सूर्य के उदय के तरह , सूर्य के अस्त के तरह | जीवन एक छण है ... जीवन एक छण है , पानी के बुलबुले की... Hindi · कविता 2 464 Share Taposh Kumar Ghosh 25 Apr 2018 · 1 min read मैं मैं हूँ, तुम तुम हो..... कियूं करते हैं --- अभिमान ! कियूं करते हैं --- रोष ! क्या मिलता है ! अहं के मैं में ; व्यंग के कटुता में ? मैं, मैं हूँ ,... Hindi · कविता 1 467 Share