ॐ ध्वनि नहीं गुंजन हैं
ॐ ध्वनि नहीं गुंजन हैं
एक शुक्ष्म दृष्टिकोण में ओम ॐ की ध्वनि की व्यक्षा प्रस्तुत ।
यह ध्वनि नहीं है, यह ब्रह्मांड के मानक का गुंजन हैं, और यह गुंजन हर ग्रह से गूंजनीत हो कर परिलक्षित होता है।
हमारे पास अरबों आकाशगंगाएँ, ग्रह एवं सूर्य हैं।
बहुत ही साधरण भाषा में, यह गुंजन अरबों घूर्णन त्वत वाली आकाशगंगाओं, ग्रहओं एवं सूर्यो द्वारा उत्पन्न होता है।
और इसी से ही ब्रह्मशक्ति का निर्माण स्थपना प्रारंभ होता है।
प्रत्येक त्वत अवशिष्ट शक्ति से प्रज्वलित हो जाता है। इस अवशिष्ट शक्तिओँ के हर त्वत के सम्मिलित मंडल को ब्राह्म कहते हैं ।
और इसी 33 शक्तिशाली अवशिष्ट शक्क्तिओं से ब्राह्म-नाद (ॐ) गुंजन निर्मित होता है।
तथा यह गुंजन हर जीवा अर्थात वह जड़ जीवा हो या चल जीवा हो, के पदार्थ (शरीर ) गतिशील कंपन से समलय होता हैं
यह गुंजन जीवा के शरीरिक क्रिया
को सक्रिय ऊर्जा उत्पन्न करने में सहयोग करता है।
अतः इस गुंजन के कंपन को सहन करने के लिए हमारे शरीर को समक्ष अवस्था (स्वस्थ) में रखना हमारा कर्तव्य एवं धर्म बन जाता है।
दूसरे शब्दों में, यह पूरे शरीर के जीवन श्रंखला को सक्रिय रखने में गूंजनित करता है। ?