Mugdha shiddharth 841 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Mugdha shiddharth 1 Nov 2018 · 1 min read माँ मेरी देवी नहीं माँ मेरी देवी नहीं – हाड़ - मांस की नारी है, ये अलग बात है , वो जग से अलग – थोड़ी सी न्यारी है ! नास्तिक नहीं वो –... "माँ" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 40 91 2k Share Mugdha shiddharth 6 Nov 2018 · 1 min read साथी ; आज राम घर आबेंगे साथी ; आज राम घर आबेंगे, पूर्ण करके वचन पिता का। असंख्य रूपों में प्रकट हो के , जन -जन को हर्षावेंगे आज वन को त्याग राम घर आबेंगे !... Hindi · कविता 28 4 302 Share Mugdha shiddharth 1 Nov 2018 · 1 min read माँ मेरी देवी नहीं माँ मेरी देवी नहीं - हार मांस की नारी है, ये अलग बात है , वो जग से अलग - थोड़ी सी न्यारी है ! नास्तिक नहीं वो - फिर... Hindi · कविता 23 2 491 Share Mugdha shiddharth 31 Oct 2018 · 1 min read दिल्ली मर रहा है । दिल्ली मर रहा है , दिल्ली हांफ रहा है, हवा में ज़हर घुल गया है। और लोग, आँख मूंदे चल रहें है, उफ; साँस भी छान- छान के ले रहें... Hindi · कविता 21 1 563 Share Mugdha shiddharth 28 Oct 2018 · 2 min read मेरी क़लम मेरी क़लम एक लकीर खींच दी गई है दायरा बना दिया गया है एक फरमान जारी की गई है बंदिश सी लगा दी गई है मेरी क़लम को दायरे में... Hindi · कविता 20 1 377 Share Mugdha shiddharth 13 Nov 2018 · 2 min read शिव के नंदी मैं , समझ नही पा रही - ये जो हर पाँच सालों में एक बार , हमारे दरवाज़ों पे, हाँथ बांधे ,सर झुकाये , शिव के नंदी से दीखते लोग... Hindi · कविता 19 1 369 Share Mugdha shiddharth 25 Oct 2018 · 2 min read कैसा शरद और कैसा पूर्णिमा आसमान के आचंल में दूधिया सा चाँद गुरु पूर्णिमा का पूरी रवानी पे है, अमावस्या को पछाड़ आया पीछे कहीं , भूतकाल के अंधेरे में विजय पताका लहराता हुआ नीले... Hindi · कविता 18 343 Share Mugdha shiddharth 19 Oct 2018 · 2 min read रावण रूठा हुआ है रावण रूठा हुआ है ---------------------- रावण रूठा हुआ है पूछता है मुझ से बार -बार क्या भाई होना बुरा होता है ? अपनी माँ जाई से प्यार करना क्या बुरा... Hindi · कविता 17 2 481 Share Mugdha shiddharth 6 Oct 2018 · 2 min read बोलते क्यूँ नहीं चुप क्यूँ हो ? बोलते क्यूँ नहीं ? चीखते क्यूँ नहीं ? तुम तो मेरे अपने हो मुझे पहचानते क्यूँ नहीं ? मै हूँ ,हाँ मैं ही तो हूँ... तुम्हारी... Hindi · कविता 16 630 Share Mugdha shiddharth 13 Oct 2018 · 1 min read मेरे बेली के फूल किसी अपने ने कहा फूलों पे लिखो, खुशबु पे लिखो, सफेद, सुगन्धि, शबनम सी बेली के फूल पे लिखो नहीं लिख पाई बेली के फूल को शब्दों के मोतियों के... Hindi · कविता 16 486 Share Mugdha shiddharth 7 Oct 2018 · 2 min read कृषि प्रधान देश का कृषक वो कहलाता है ! बच्चों का पेट काट कर जो, बीज मही में बोता है कृषि प्रधान देश का कृषक वो ही कहलाता है । दुनियाँ का भूख मिटाने को ,जो दिन रात परिश्रम... Hindi · कविता 15 1 537 Share Mugdha shiddharth 5 Oct 2018 · 1 min read औरत हूँ औरत हूँ सपने बुन रही हूँ पानी को तोडने का आसमान पे चलने का आग को हथेलियों पे मसलने का अंगुलियों पे चाँद नचाने का क्या बुराई है सपने बुनने... Hindi · कविता 14 2 636 Share Mugdha shiddharth 6 Oct 2018 · 2 min read कहाँ हो तुम गोबिन्द ... ? कहाँ हो तुम गोबिन्द क्यूँ नहीं देखते खुलती नहीं क्यूँ , तुम्हरी आँख क्या चिर निंद्रा में सोये हो तुम या किसी सहचरी संग, प्रेम प्रसंग में खोए हो तुम... Hindi · कविता 14 459 Share Mugdha shiddharth 9 Oct 2018 · 1 min read अब मरूंगी भी मैं ,और देखूंगी भी मैं मेरी आँखों में कितने ही सपने फूलों सा सुन्दर गंगा सा निर्मल असीम आकाश सा बिस्तृत पर मैं ,मैं तो बंधी हूँ अपने ही किसी अपने से एक घेरा है... Hindi · कविता 13 423 Share Mugdha shiddharth 11 Oct 2018 · 1 min read त्रासदी भिलाई स्टील प्लांट में गैस पाइपलाइन में ब्लास्ट , कल हाँ कल ही एक और त्रासदी एक और दुर्घटना आसामन को छूती आग की लपटें मानो अपनी जद में आने... Hindi · कविता 13 295 Share Mugdha shiddharth 14 Oct 2018 · 1 min read माटी के मूरत में भवानी दिखती नहीं , किस ओर देखूँ मैं, त्योहार है भवानी का माटी के मूरत में भवानी मुझे दिखती नही, देश के आंगन में फिर बेटी जो मसली गई माँ अपना आँचल ओढ़ाती तो... Hindi · कविता 13 501 Share Mugdha shiddharth 25 Nov 2018 · 1 min read बेरोजगार हूँ साहिब, एक अदद रोजगार चाहता हूँ। मेरा नहीं, देश के युवाओं का कहना है/ युवा देश का युवा हूँ, बेज़ार और बेकार हूँ, अपने हाथों के लिए कोई काम चाहता हूँ , बेरोजगार हूँ साहिब अपने... Hindi · कविता 13 4 336 Share Mugdha shiddharth 12 Oct 2018 · 1 min read गंगा पुत्र कौन गंगा पुत्र कौन ? वह जो बिना किसी निजी स्वार्थ के अपना सब कुछ त्याग के सौ दिनों तक... अन्न - जल को भी माँ पे बार के लड़ता रहा... Hindi · कविता 12 300 Share Mugdha shiddharth 13 Oct 2018 · 1 min read भ्रष्टाचार एक सवाल मन में उमड़ घुमड़ के उठता है अपने देश में ही क्यूँ भ्रष्टाचार फैला है , नेता बने हैं अभिनेता कितने गप -सप करतें रहतें हैं लाशों के... Hindi · कविता 12 256 Share Mugdha shiddharth 29 Nov 2018 · 1 min read अपने मजबूत हाथों को अब, लाल झंडे का भार दो ! देश के युवा हो तुम, देश हित में एक नया बलिदान दो देश हित के लिए ,धर्म की बेड़ियों को तुम काट दो, हो अगर हौसलों में दम, बाजुओं में... Hindi · कविता 12 398 Share Mugdha shiddharth 20 Nov 2018 · 1 min read आज मेरी आँखों ने अपनों को जलते देखा। आज जलते हुए लोग देखे सुलगती हुई आँखें देखी सड़ती बदबूदार माबाद निकलती खोपड़ी देखी सब को चलते देखा सब को जलते देखा आज अपने घर [देश ] को जलते... Hindi · कविता 10 2 283 Share Mugdha shiddharth 19 Dec 2018 · 2 min read मुट्ठी बनो या मुट्ठी में रहो ! पीड़ा जब मन में लबालब भर जाता है, वो शब्द हो जाता है, कोरे कागज़ पे,यूँ ही छलक जाता है, अक्षरों से शब्द, शब्द से कविता हो जाता है ।... Hindi · कविता 8 505 Share Mugdha shiddharth 19 Jul 2020 · 4 min read #सुगंधा_की_बकरी सुगंधा कुछ बडबडाते हुए तेज - तेज कदमों से आंगन पार कर रही थी। उसके एक हाथ में छोटी सी बाल्टी दूसरे में बांस की छोटी सी टोकनी जिसमें रात... Hindi · कहानी 8 6 325 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read गले लगाने के लिए तू आ मैं थी कभी सहाराओं में उड़ती हुई तितली सी मेरे पंख अब कट गए गले लगाने के लिए तू आ जिस चाॅंद के अक्स में हर रात दिखता है मुझे... Hindi · शेर 8 5 431 Share Mugdha shiddharth 16 Aug 2020 · 1 min read कुछ खाब कुछ खाब चूमती थी पलकें, कुछ बूंदे मोती सी हो जाती थी उसको छूकर जब पगली हवा हौले से मुझको छू जाती थी ~ सिद्धार्थ हॅंस दूॅं क्या ... कि... Hindi · कविता 7 2 262 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में मैं डूब गई थी रात ख्वाब के दरिया में किसी ने पलट कर देखा ही नहीं दरिया में कोई रस्सी लाओ लाश निकालो सड न जाए लाश कहीं दरिया में... Hindi · कविता 7 2 379 Share Mugdha shiddharth 1 Dec 2018 · 1 min read असली मालिक आज चौकीदार से मिलने आये हैं, असली मालिक आज राजधानी आए हैं, चौकीदार से अपना हिसाब मांगने आए हैं, जो चीख़ते थे बुलाना किसी चौराहे पे एक दिन, चौराहा आज उनके दरवाज़े पे ले के आए... Hindi · कविता 6 4 377 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2019 · 1 min read बस अविराम मैं और तुम... कई अनुत्तरित प्रश्न और मैं एक युद्ध जो मुझ में ही विराजमान है जाने कब से, युद्धविराम की तलाश में भटक रही हूँ, मन के गलियारे में और, तुम जाने... Hindi · कविता 6 2 215 Share Mugdha shiddharth 20 Jul 2020 · 1 min read तुम भूल जाना तुम भूल जाना कि जिंदगी के कैनवास पे कोई पतली सी हंसी की लकीर उभरी थी जो तुम्हारी ओर देखते ही सुर्ख हो जाया करती थी तुम भूल जाना की... Hindi · कविता 6 2 486 Share Mugdha shiddharth 24 Jul 2020 · 1 min read रोटियां बड़ी बदनसीब होती है रोटियां बड़ी बदनसीब होती है रोटियों को वो रसोई नहीं मिलती जिस रसोई को उनकी कद्र और जरूरत होती है रोटियों को उस मुंह का पता नहीं दिया जाता जिस... Hindi · कविता 6 234 Share Mugdha shiddharth 29 Jul 2020 · 1 min read मुक्तक कभी मुझे भी रुह में तुम्हारे याद बन इतराने दो तुम तो मुझ में यादों का काफ़िला बने फिरते हो ! ...पुर्दिल 2. मन के कमरे की दीवार सीलन वाली... Hindi · मुक्तक 6 1 395 Share Mugdha shiddharth 13 Aug 2020 · 1 min read मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था मौत के हथेली पे लिखा इक मेरा नाम था हमने कहा … जा अभी फुर्सत नहीं यार से मिलना मेरा सबसे जरूरी काम था जिंदगी से कोई गिला शिकवा नहीं... Hindi · कविता 6 232 Share Mugdha shiddharth 14 Jan 2021 · 1 min read खाली टूटे बर्तन खाली टूटे बर्तनों को मैंने हमेशा गमले का शक्ल दिया छोटे छोटे पेड़ लगाए और शहर में रह कर भी गांव का नकल किया मेरी इस आदत ने खाली जगहों... Hindi · कविता 6 1 363 Share Mugdha shiddharth 25 Dec 2018 · 2 min read तो आओ घसीटो हमें ! रोज - रोज थोड़ा - थोड़ा मारने में क्या मज़ा है ? मैं तो बोलती हूँ उठाओ अपना हाथ, ले जाओ हमारे बालों तक और घसीटो हमें, राज महल से... Hindi · कविता 5 1 319 Share Mugdha shiddharth 25 Feb 2019 · 1 min read अपने ही मन के अंदर से ! कुछ रोज टूट जाती हूँ मैं,'अंदर' से तुम देखते हो मुझे बाहर से, मैं बिखरती-सिसकती-सुबकती हूँ मन के अंदर से। एक पालना टूट के बिखरा है, कुछ खिलौने छूट के... Hindi · कविता 5 295 Share Mugdha shiddharth 2 Mar 2019 · 1 min read लेख एक उम्मीद थी अब वो भी टूटी समझो उसकी हर बात को तुम झूठी ही समझो ! --------------------------------------------- चारों तरफ़ मिडिया में कुछ गिने चुने चैनलों को छोड़ कर यही... Hindi · लेख 5 1 416 Share Mugdha shiddharth 22 Apr 2019 · 2 min read आइये हम मिलते हैं तेज़ाब के शिकार से ! आइये हम मिलते हैं तेज़ाब के शिकार से ऊधडी हुई खालों में सिसकती बयार से. गलती हुई खालों से उठती, अजीब सी सड़ाँध से आइये हम मिलते हैं तेज़ाब के... Hindi · कविता 5 2 403 Share Mugdha shiddharth 15 Aug 2019 · 1 min read कैसी आजादी...? कैसा 15 अगस्त...? कैसी आजादी...? कैसा 15 अगस्त...? खुशी कैसी, कैसे रहे मन मस्त कैसे मनाऊं, मैं 15 अगस्त तुम्हें मनाना है क्या ...? मनाओ न, रोका किस ने है ? रोक भी... Hindi · कविता 5 1 454 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2019 · 2 min read पुरुष से किस बिधि छल कर सकता हूँ... मैं ही कृष्ण, मैं ही केशव, मैं ही तो हूँ मधुसूदन मैं ही सहस्रजीत (हजारों को जीतने वाले), मैं ही सहस्रपात (जिनके हजारों पैर हों) मैं हर पुरुष के पुरुष्त्व... Hindi · कविता 5 640 Share Mugdha shiddharth 22 Aug 2019 · 1 min read कोई नही कोई नही, शब्द मेरे पानी हैं, बहता ही रहेगा, पाथर हो तुम, तो ये घिसता ही रहेगा तुम मत बदलो, ये तुम पे अपनी निशानी छोड़ता रहेगा तुम जैसे पाथर... Hindi · कविता 5 431 Share Mugdha shiddharth 24 Aug 2019 · 1 min read मेरा हिस्सा है मुझे में ही जो सांसे लेता है. मुझमे ही पलता और निखरता है वो यार है मेरा, वो प्यार है मेरा जो मुझ में ही निस दिन तांका झांकी करता... Hindi · कविता 5 2 276 Share Mugdha shiddharth 21 Feb 2020 · 1 min read मुक्तक 1. तेरे लब्ज लब्ज़ के मैयार पर मैं तो इश्क तोलती हूं मैं तो होठों से कम अपने आंखों से ज्यादा बोलती हुं ~ पुर्दिल 2. मैं हर्फ हर्फ जुदा... Hindi · मुक्तक 5 290 Share Mugdha shiddharth 15 Mar 2020 · 1 min read मुक्तक जीने के होड़ में मर जाते हैं लोग खुदी की लाश लिए खुदी में उम्र भर जी जाते हैं लोग ~ सिद्धार्थ 2. गवाही दो कि तुम चुप बैठे थे,... Hindi · मुक्तक 5 214 Share Mugdha shiddharth 18 Mar 2020 · 1 min read अपेक्षित प्रेम पुराने किताब के पन्नों में दबे गुलाब के साथ गुलाब की हिफाज़त में कांटे भी सूख जाते हैं वो रोते नहीं, वो चुभते नहीं पन्नों को वो हिफाज़त करते है... Hindi · कविता 5 402 Share Mugdha shiddharth 17 Apr 2020 · 1 min read मा'ज़ूर मैं उस की गली से गुजरी आंखों से मा'ज़ूर हो गई पलकों को धोया नमक से और फिर बेनूर हो गई ~ सिद्धार्थ ऐब ही देखोगे क्या? कोई खूबी भी... Hindi · मुक्तक 5 351 Share Mugdha shiddharth 13 May 2020 · 2 min read अनर्गल_बात... अनर्गल_बात... अभी कल परसों की ही बात है। लॉकडाउन को 50 - 55 दिन हो चुके शायद मैंने गिनना छोड़ दिया है। सुबह का वक़्त था बालकनी में खड़ी थी... Hindi · लघु कथा 5 4 435 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read प्रेम करती औरतें वेश्या कैसे??? तुमने जितनी बार आंख उठाई सुन्दर औरतों से आंख मिलाई तुमने गर्व से कहा... हाय मुझे पुनः प्यार हो आया उन अनगिनत औरतों ने जिन्हें तुमने प्यार किया प्यार में... Hindi · कविता 5 1 503 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read तुम्हारा नाम मुमकिन है मैं किसी दिन तुम्हारे बगल से गुजर जाऊं... और तुम्हें पता न चले मेरे गुजर जाने के बाद मेरे सांसों में बसा तुम्हारा नाम हवा में तैरता हुआ... Hindi · कविता 5 1 417 Share Mugdha shiddharth 18 May 2020 · 1 min read नन्हे पांव तपती शड़क है और पांव हैं नन्हें कोमल से मंजिल है अभी दूर छांव नजरों से ओझल से कि चल पड़े हैं कुछ लोग शहर से गांव की ओर मिल... Hindi · कविता 5 413 Share Mugdha shiddharth 20 May 2020 · 1 min read जाना आंख भी तुम आंखों में मचलता ख्वाब भी तुम रात भी तुम और रात में दमकता चांद भी तुम तुम ही तुम हो दिल जाना चारो तरफ मेरे दिल भी... Hindi · कविता 5 249 Share Page 1 Next