Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 Nov 2018 · 1 min read

साथी ; आज राम घर आबेंगे

साथी ; आज राम घर आबेंगे, पूर्ण करके वचन पिता का।
असंख्य रूपों में प्रकट हो के , जन -जन को हर्षावेंगे
आज वन को त्याग राम घर आबेंगे !

झालरों और दीपों की रौशनी होगी चहुँ ओर,
पटाखों और फुलझड़ीयों की आतिशबाज़ी लोग जलाबेंगे
अमावश्या को दूर-बहुत- दूर भगाबेंगे !

किंतु; दीन दुखियों के घर को, देखो, दर काला, दीवारें काली,
नंगे देह को ढकने को बसन नहीं साबूत,
भूखे पेटों के लिए , दाना कहां से आबेंगे,
साथी, घर-घर आज दिवाली लोग मनाबेंगे !

साथी ;राम बड़े मासूम,आज जन -जन के घर आबेंगे
रेशमी बसन पहन के, चंदन तिलक लगाबेंगे,
घृत ,दूध में डूबे हुए मेबे मिश्री खाबेंगे!

खुश होक अमीर भक्तों पे कृपा विशिष्टी लूटावेंगे,
बीस ‘करोड़’ प्रजा उनकी, आँत थाम सो जाबेंगे !
साथी; राम बड़े मासूम !

राम आज फिर लौट के ,निज घर को आबेंगे,
रामराज्य देखने को मेरे ,नयन तरस जाबेंगे,
साथी ; आज राम निज घर आबेंगे

त्रिपाल बना कौशल्या का प्रसूति गृह,
भब्य मंदिर बनाने का झगड़ा-रगड़ा है,
साथी ;राम रैन बसेरा आज कहां बनाबेंगे !

साथी ; राम में इतना कौशल हैं
जो था असाध्य उसे साध लिया,
समुद्र को देखो (३० मील ) बांध दिया,
फिर क्या अपने लिए भवन बनाने नहीं पाबेंगे !
क्या हम सब यूँ ही लड़ते -मरते रह जाबेंगे

साथी ; आज राम मेरे, रुके किस द्वार,
वो आवें, जन -जन में प्रेम -प्रीत का अलख जलाबें,
अपने प्रजा जनों को, रामराज्य का सुख दिखलाबें !

***
06 -11 -2018

[ मुग्धा सिद्धार्थ ]

Language: Hindi
28 Likes · 4 Comments · 300 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कुण्डलिया-मणिपुर
कुण्डलिया-मणिपुर
दुष्यन्त 'बाबा'
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
24/231. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
यह ज़मीं है सबका बसेरा
यह ज़मीं है सबका बसेरा
gurudeenverma198
दादी की वह बोरसी
दादी की वह बोरसी
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*मेरे साथ तुम हो*
*मेरे साथ तुम हो*
Shashi kala vyas
हाजीपुर
हाजीपुर
Hajipur
सिकन्दर बनकर क्या करना
सिकन्दर बनकर क्या करना
Satish Srijan
टैगोर
टैगोर
Aman Kumar Holy
"लक्ष्मण-रेखा"
Dr. Kishan tandon kranti
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
जग की आद्या शक्ति हे ,माता तुम्हें प्रणाम( कुंडलिया )
Ravi Prakash
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
माँ सरस्वती अन्तर्मन मन में..
Vijay kumar Pandey
हिन्दी
हिन्दी
manjula chauhan
खूबसूरत, वो अहसास है,
खूबसूरत, वो अहसास है,
Dhriti Mishra
बेटियां
बेटियां
Nanki Patre
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
गुजरते लम्हों से कुछ पल तुम्हारे लिए चुरा लिए हमने,
Hanuman Ramawat
*हर शाम निहारूँ मै*
*हर शाम निहारूँ मै*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
जिंदगी को बड़े फक्र से जी लिया।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
"जब मिला उजाला अपनाया
*Author प्रणय प्रभात*
स्पीड
स्पीड
Paras Nath Jha
Never settle for less than you deserve.
Never settle for less than you deserve.
पूर्वार्थ
समझा दिया
समझा दिया
sushil sarna
💐प्रेम कौतुक-518💐
💐प्रेम कौतुक-518💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
🥀*अज्ञानीकी कलम*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
रिश्तों में...
रिश्तों में...
Shubham Pandey (S P)
जीवन का मकसद क्या है?
जीवन का मकसद क्या है?
Buddha Prakash
दानी
दानी
Dr. Pradeep Kumar Sharma
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
यूं ही आत्मा उड़ जाएगी
Ravi Ghayal
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
खुलेआम जो देश को लूटते हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
वक्त का इंतजार करो मेरे भाई
Yash mehra
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
नज़्म/गीत - वो मधुशाला, अब कहाँ
अनिल कुमार
Loading...