Mugdha shiddharth Tag: कविता 458 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read भूखे लोग भूखे लोग खाली थाली बढ़ाते हैं कि थाली खाली है भरने का उपाय करो फ़कीर लोग उन्हें समझाते हैं खाली थाली बजाओ कि भूख डर कर भाग जाए ऎसा तुम... Hindi · कविता 3 473 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read भाषण जिस देश के लोग भाषण सुनकर ये कहे कि ... "नून रोटी खाएंगे फलाने को जीताएंगे" उस देश के लोगों को कोई अधिकार नहीं कि रोजगार की मांग करे ...... Hindi · कविता 4 298 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक बहुत शोर है वादी में कि आदम भूखा नंगा है मुझे ऎसा लिबास चाहिए भूख जिस में दिखता नहीं ~ सिद्धार्थ फिर तुम मुझे याद आए फिर यादों ने ली... Hindi · कविता 3 252 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read लौट जाना नियति है ... लौट जाना नियति है ... इसे स्वीकार करना कठिन है मगर असम्भव नहीं ... हम सभी लौट जाने के लिए ही आए हैं पेड़, पौधे, बादल, पानी, हम और तुम... Hindi · कविता 5 283 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read पत्ते कभी हरे थे ये पत्ते कभी हरे थे, पेड़ पे लगे थे अब जर्द होकर गिर पड़े हैं समेट रही हूं अन्न पकाने के काम आएंगे ... भूख मिटाने के ये भी सहायक... Hindi · कविता 4 268 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक अब कहीं भी चाय पे चर्चा नहीं होता चर्चा तो होता है अगर्चा चाय नहीं होता ~ सिद्धार्थ भूख से बड़ा कोई भी धर्म नहीं रोटी से बड़ा कोई भगवान... Hindi · कविता 4 293 Share Mugdha shiddharth 22 Sep 2020 · 1 min read स्त्रियां सीख लेती हैं स्त्रियां सीख लेती हैं बचपन के दहलीज पे ही संभलना और संभालना अपना टूटना, बिखरना भी सब कुछ सीख लिया था मैंने भी ... स्त्री हूं न ... स्त्रित्व के... Hindi · कविता 4 2 349 Share Mugdha shiddharth 13 Sep 2020 · 1 min read चलिए ये भी तो अच्छा ही किया आपने चलिए ये भी तो अच्छा ही किया आपने लोग कहते थे जिसे पागल उसे भुला दिया आपने रोती न थी जो ऑंखें अज़िय्यत ए जिंदगी पर उन ऑंखों को भी... Hindi · कविता 3 244 Share Mugdha shiddharth 13 Sep 2020 · 1 min read माॅं ? माॅं हर बात तुझी से शुरू और ख़तम होती है मगर अफ़सोस तुझी से बात नहीं होती है ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 3 265 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read लोग यूॅं ही मर जाते हैैं लोग यूॅं ही मर जाते हैैं कुछ लोग रोते भी हैं कुछ लोग रोने का नाटक भी करते हैं मगर पीछे कुछ तो छूट जाता है और वही कुछ मरने... Hindi · कविता 5 1 215 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read कोई झंझोरो मुझे कोई झंझोरो मुझे मेरे अंतस् को हिलाओ करो कोई जादू टोना कि मैं खुद में ही अनागत हो रही हूॅं मुझसे मैं ही विदा हो रही हूॅं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 4 268 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read असमंजस असमंजस ... जाऊं या रुकूं देखूं या फेर लूं ऑंखें उसे क्या चाहिए मेरा रुक जाना ... या चले जाना लहलहाते फसलों से उफनती नदी की ओर बढ़ जाना ...... Hindi · कविता 3 442 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक हॅंसीं खूबसूरत थी उसकी वो लड़की से माॅं हो रही थी ~ सिद्धार्थ इस वक़्त के दरम्यान साथी दरारे ही दरारें है जिधर देखो बस भूख ने हाॅंथ अपने पसारे... Hindi · कविता 3 447 Share Mugdha shiddharth 12 Sep 2020 · 1 min read किसी घोर चुप्पी के प्रहर में हम - तुम मर जाएंगे किसी घोर चुप्पी के प्रहर में हम - तुम और तमाम हमसे जुड़े लोग मर जाएंगे ... एक अफ़सोस के साथ ... कि हमें बोलना था भूख के ख़िलाफ़ हमें... Hindi · कविता 3 2 523 Share Mugdha shiddharth 10 Sep 2020 · 1 min read क्या रोइए ऐसे दुख पे जो आप से आप को लगा है क्या रोइए ऐसे दुख पे जो आप से आप को लगा चलिए उठिए मुस्काइए कि घाव अब रिसने लगा है हमें दरकार थी कि इक बार पुकारे वो हमको हाय... Hindi · कविता 2 251 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read कदमों से मुहब्बत को कभी नापा नहीं जाता कदमों से मुहब्बत को कभी नापा नहीं जाता ये वो रोग है जिसका दाग कभी नहीं जाता उनकी मर्जी वो दो चार कदम हाथ पकड़ के चले निभाने का हुनर... Hindi · कविता 4 430 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी क्यूॅं रोये ऑंखें मेरी और क्यूॅं धोए भला वो खुद को इसकी तो बस इतनी सी तलब देखे ये खुश उसको तारों भरी रात में चाॅंद संध्या के साथ बडा... Hindi · कविता 4 373 Share Mugdha shiddharth 9 Sep 2020 · 1 min read मैंने कभी हाॅंथ उठा कर दुआ नहीं मांगी मैंने कभी हाॅंथ उठा कर दुआ नहीं मांगी न ही कभी किसी मन्दिर में पत्थरों के देवता से कोई आशीष मांगी हाॅं झूठ नहीं कहूंगी कई बार जोड़े थे हाॅंथ... Hindi · कविता 5 2 375 Share Mugdha shiddharth 8 Sep 2020 · 1 min read मुक्तक खुश रहें सब और क्या ही मेरी मिट्टी चाहेगी मिट्टी उठ कर आखिर मिट्टी को ही तो जाएगी । ~ सिद्धार्थ सभी अच्छे ही हो महफ़िल में ये जरूरी तो... Hindi · कविता 4 1 464 Share Mugdha shiddharth 8 Sep 2020 · 1 min read मैंने तुमको ही तो बस याद किया था ... सड़क से लेकर बाहन तक पटरी से लेकर ट्रेन तक अल्साई फूलों पे बैठी तितली से लेकर फूलों को पानी देते माली तक खाना बनाती औरतों से लेकर पतंग लुटते... Hindi · कविता 4 406 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read मैं हो रही हूं ख़राब ख़राब होने दो मैं हो रही हूं ख़राब मुझे ख़राब होने दो आज चाॅंद के कांधे पे सर कर रोने दो सोचती हूं झटक दूं उसको अपनी यादों से खैर छोड़ो जहां है... Hindi · कविता 2 211 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read सुखन भला क्यूॅं कर सूख गया सब टोकते है मुझको तेरा सुखन भला क्यूॅं कर सूख गया इक मचलती नदी हर्फों की किस घाट पे जाके सूख गया अब किस तरह कहें किस किस को जाकर... Hindi · कविता 4 237 Share Mugdha shiddharth 7 Sep 2020 · 1 min read क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं क्यूॅं तकती हैं आंखे तेरी आखिर मैं तेरी क्या लगती हूॅं मैं तो वो हूं जो तनहाई में भी जाने क्या क्या बकती हूॅं क्या आसान रास्ते से मिली थी... Hindi · कविता 2 384 Share Mugdha shiddharth 6 Sep 2020 · 1 min read यार नहीं माना शाइस्ता दिल मेरा बहुत ख़राब है जाना चिंख़ कर कहते हैं हम दिल मानता नहीं जाना। वो दिल मेरा उनकी गली में ही घुमा करता है हर वक़्त दहलीज को... Hindi · कविता 4 284 Share Mugdha shiddharth 5 Sep 2020 · 1 min read खिसिआए हुए हैं हम को मनाओ न हम खिसियाए हुए हैं इन दिनों हम न, तुम से रिसियाए हुए हैं । मान जाएंगे एके गो टॉफी में बालों में हाथ फिराओ न आओ... Hindi · कविता 4 431 Share Mugdha shiddharth 5 Sep 2020 · 1 min read तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है तेरी याद है हम हैं और मय की मुखतारी है धुआं धुआं है कमरा और दिल में दुश्वारी है। जाने शराब पी है हमने या पी गया है शराब मुझे... Hindi · कविता 3 409 Share Mugdha shiddharth 1 Sep 2020 · 1 min read इश्क में यार जां से अधिक अज़ीज़ है मसला मुहब्बत का नहीं यार मसले हैं मुहब्बत में सभी समझाइश झेलनी पड़ती है यार मुहब्बत में मुझे बिल्कुल नहीं शऊर रिवायती मुहब्बत की तुम तहज़ीबी लोग ही पढ़ो कलमे... Hindi · कविता 3 483 Share Mugdha shiddharth 1 Sep 2020 · 1 min read दिखा कोई अपना क्या यहां ? एक खिड़की है गली में मेरे चांदनी छिटकी रहती है यहां डर अंधियारे का था शायद इस लिए ज्यादा रहती थी यहां ! कोई नहीं था अपना शायद बस हम... Hindi · कविता 4 203 Share Mugdha shiddharth 31 Aug 2020 · 1 min read तभी स्त्री पुरुष किसान हो गए थे जब लोग सीख रहे थे धर्म की बोआई करना ताल पत्रों के सीने पर उस से बहुत पहले ... पहला पुरुष और पहली स्त्री जान गये थे पेट के भूख... Hindi · कविता 3 270 Share Mugdha shiddharth 31 Aug 2020 · 1 min read अपने अस्त होने से पहले अपने अस्त होने से पहले किसी दिन उतर आऊंगी तुम्हारी पीठ के आंगन में टांग दूंगी अपने भिंगे मन को तुम्हारी बांहों के अलगनी पर ताकि सूख सके तुम्हारे आंच... Hindi · कविता 3 255 Share Mugdha shiddharth 31 Aug 2020 · 1 min read इक ख़वाब ऑंखों को मेरे तर कर जाता है इक ख़वाब ऑंखों को मेरे तर कर जाता है ख़वाब के अंगनाई में तू ही तू नज़र आता है । देखे मुस्काए बात करे ख़वाब में तू प्यार लिखे मैं... Hindi · कविता 4 288 Share Mugdha shiddharth 29 Aug 2020 · 1 min read मेरे दिल का गांव उजड़ गया मेरा चांद मुझ से बिछड़ गया मेरा मुश्क कहीं पे गिर गया मै होश वालों से क्या ही कहूं मेरा जोश मुझ से बिछड़ गया मैं हॅंस रही हूं ...... Hindi · कविता 3 232 Share Mugdha shiddharth 29 Aug 2020 · 1 min read प्रेम का नशा प्रेम बन्धु बांधव नहीं जिसका अवसान हो जाय प्रेम कोई नदी तालाब नहीं जो सूख जाय पानी विषाक्त हो जाय प्रेम एक एहसास है प्रेम एक नशा है प्रेमी वो... Hindi · कविता 3 2 779 Share Mugdha shiddharth 28 Aug 2020 · 1 min read हमीं बैठे रहे देर तलक हमीं बैठे रहे बड़ी देर तलक उनको न आना था न वो आए उस पुर नूर सुबह की बात ही अलग खिड़की से कोई फूल वो जब दे जाए हम... Hindi · कविता 2 241 Share Mugdha shiddharth 28 Aug 2020 · 1 min read खुशी हुई मुझ से मिलकर तुम्हें खुशी हुई, ये जान कर हमें भी खुशी हुई मुझ में तो मैं ही रही नहीं ... अब फिर किस से मिले और तुम्हें खुशी हुई... Hindi · कविता 2 280 Share Mugdha shiddharth 24 Aug 2020 · 1 min read गणेशा माटी कोड़ी,माटी को छानी कूट पीस के फिर उस में मिलाया थोड़ा सा पानी पैरों से मर्दन दिए फिर माटी बनी मूर्ति बनने के लाने सयानी हाथों से आकर दिए... Hindi · कविता 2 4 255 Share Mugdha shiddharth 24 Aug 2020 · 1 min read मुझ से मेरे सफ़र की न पूछ मुझ से मेरे सफ़र की न पूछ वो जिस दम तू मुझ से रूठा था साथ रूह का अपना छूटा था खाली जिस्म सफ़र कर के घर की दहलीज पे... Hindi · कविता 2 234 Share Mugdha shiddharth 24 Aug 2020 · 5 min read शनिचरी नई दिल्ली से छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर जाने के लिए राजधानी एक्सप्रेस में तमाम छोटी बड़ी मुश्किलों को पराजित कर भाई ट्रेन के रिजर्व सीट पर बैठा कर वापस हो... Hindi · कविता 4 1 326 Share Mugdha shiddharth 24 Aug 2020 · 1 min read तेरे साथ होने के भरम को जिंदा हम रखते हैं सभी एक दूसरे के हाल पे रोते हमें दिखते हैं सब के सब यहां बेहाल ही हम को दिखते हैं ! इक बस आप के आंगन से आती थी चांदनी... Hindi · कविता 2 251 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2020 · 1 min read तुम्हीं सब्र तुम्हीं जब्र रहे होगे उसका हदफ़ बन कर तुम शायद रह गए होगे उसका वक़्त की पैकर में दिल छिल गया होगा उसका उतरती रात की अंगनाई में चल कर आई तो होगी तुम मिले... Hindi · कविता 4 1 439 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2020 · 1 min read क्यूॅं कर रंजीदा रहे दिल तुम से क्यूॅं कर रंजीदा रहे दिल तुम से तुम्हीं से दिल ने धड़कना सीखा है हर आहट पे पलट कर तुम्हीं को देखे फिर तेरे नाम से ही ये पागल खाबिदा... Hindi · कविता 3 236 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2020 · 1 min read वो तेरा ही तो नाम था! अटका था दिल मेरा, जगह वो आम था पलट कर देखा, वो तेरा ही तो नाम था! इन दिनों कुछ बुझी बुझी सी दिखती हूॅं मैं इश्क हुआ होगा, अपनों... Hindi · कविता 2 1 255 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2020 · 1 min read दहाड़े मार कर रोना चाहती हॅं दहाड़े मार कर रोना चाहती हॅं देखो तो जां मैं ए क्या चाहती हॅं ! बड़ी उलझी उलझन सी रहती है मन के गांठों को खुलवाना चाहती हूॅं ! रात... Hindi · कविता 1 340 Share Mugdha shiddharth 20 Aug 2020 · 1 min read वो तेरा ही तो नाम था अटका था दिल मेरा जगह वो आम था पलट कर देखा, वो तेरा ही तो नाम था इन दिनों कुछ बुझी बुझी सी दिखती हूॅं मैं इश्क हुआ होगा, अपनों... Hindi · कविता 2 274 Share Mugdha shiddharth 19 Aug 2020 · 1 min read एक बुद्घ ढूंढ के लाओ एक बुद्घ ढूंढ के लाओ पत्थरों में नहीं ... अपने अंतस् में पत्थरों में मिले बुद्ध भी देवता हो जाते हैं अंतस् के बुद्ध ही जारित होते हैं ~ सिद्धार्थ Hindi · कविता 3 1 252 Share Mugdha shiddharth 19 Aug 2020 · 1 min read भूख और राम अतड़ियों की ऐठन जब अपने पूरे उरूज पर होती है मूक - बाधिर से भी रोटी और भूख पर चर्चा करवा लेती है चौंक पड़ेंगे वो भी इक दिन अपने... Hindi · कविता 5 2 544 Share Mugdha shiddharth 19 Aug 2020 · 1 min read जब तक बांस कांच नमक पानी से गूंथी गई मिट्टी हो तो चाक पे नहीं चढ़ती आग में तप जाने पे सुराही अपना आकार नहीं बदलती ~ सिद्धार्थ जब तक बांस कांच तभी तक... Hindi · कविता 4 244 Share Mugdha shiddharth 18 Aug 2020 · 1 min read हम रोज उम्मीदों वाला एक शजर लगाते हैं हम रोज उम्मीदों वाला एक शजर लगाते हैं तुम्हें खिड़की पे सोच कर ही मुस्कुराते है चाॅंद दूर गगन में ही सही, मुस्कुराता तो होगा हम जमीं से ही देख... Hindi · कविता 3 2 248 Share Mugdha shiddharth 18 Aug 2020 · 2 min read अंधेरा अंधेरा ... अंधेरा ही तो था जब नन्ही हथेलियों से दरवाजे को धकेला था उसने माॅं के सीने से लग कर सोने के लिए चुभ गई थी कुछ रक्त लगी... Hindi · कविता 3 1 402 Share Mugdha shiddharth 17 Aug 2020 · 1 min read मुक्तक बड़े ऎहतियत से दिल को अपने हमने समझाया था यार को भूल जाने पे भी उसे मनुहार से मनाया था स्वप्न से भिंगी आंख खुली तो था पेशानी पे बोसा... Hindi · कविता 5 2 311 Share Previous Page 2 Next