Comments (4)
25 Aug 2020 07:26 AM
आपकी व्यंगपूर्ण प्रस्तुति करोड़ों देशवासियों जो
श्री गणेश जी पर आस्था रखते हैं की भावनाओं पर कटाक्ष करती हुई प्रतीत होती है।
कृपया काव्य विधा प्रस्तुति में परोक्ष रूप में किसी समुदाय विशेष की भावनाओं को आहत करने से बचें।
यह मेरा आपसे निवेदन है।
धन्यवाद !
Mugdha shiddharth
Author
25 Aug 2020 01:29 PM
मैं कटाक्ष तो कर ही नहीं रही … एक कुम्हारिन को गनु भैया की मूर्ति बनाते और उसके दीन हीन हालत पर जो मेरे मन की हालत थी बस उसिको शब्द दी हूं …
6 Sep 2020 05:57 PM
यह आपकी शानदार प्रस्तुति है. आलोचना से विचलित मत होइएगा. आपके सूक्ष्म जज्बातों-विचारों को कोटिश: नमन. आपकी कविता को समझने के लिए अध्ययनशीलता और मंझी हुई सोच चाहिए. काश: लोग नागाजरुन, मुक्तबोध, शमशेर बहादुर सिंह जैसे महान रचनाकारों को भी पढ़ते!!!
आपकी शानदार, धारदार और सूक्ष्म भावनाओं और कुछ हटकर व्यंजित करनेवाली कविताएं मुङों बहुत अच्छी लगती हैं. आपकी धारदार कलम को कोटिश: नमन..