Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Aug 2020 · 1 min read

तभी स्त्री पुरुष किसान हो गए थे

जब लोग सीख रहे थे
धर्म की बोआई करना
ताल पत्रों के सीने पर
उस से बहुत पहले …
पहला पुरुष और पहली स्त्री
जान गये थे पेट के भूख को
और सीख गया था पुरुष
स्त्री से प्रेम करना और
स्त्री के माटी में प्रेम बोना
स्त्री ने पुरुष के प्रेम को जन्म दिया
स्त्री ने और स्त्रियों और पुरुषों को जन्म दीया
बिल्कुल सभ्यता के सूरुआत में ही
दोनों सीख गए थे
अपना और अपने प्रेम से जन्में संतानों
के भूख को मिटाना
और रक्षा करना अपनी संत्तियो का
उनके कंठ से तब नहीं गिरा था कोई बीज मंत्र
नहीं जुड़े थे हाॅंथ किसी देवता के सामने
उनका हाॅंथ बढ़ा था औजार बनाने के लिए
उनका हाॅंथ बढ़ा था शिकार करने के लिए
पत्थरों के सीने से आग निकालने और
आग को सहेजने के लिए
भूख से लडने के लिए
तब देवता नहीं जन्में थे
जब भूख ने सीखा दिया था
मनुष्य को धरती का सीना फाड़ कर
बीज बोना और अन्न उपजाना
जब देवता अस्तित्व में नहीं आए थे
तभी स्त्री पुरुष किसान हो गए थे
सीख गए थे भूख से लड़ना
और एक दूसरे से प्रेम करना
घृणा और देवता का जन्म
बहुत बाद में हुआ था
बहुत बाद में लोगों ने सीखा घृणा करना
और जोड़ना हाॅंथ देवताओं के सामने
जिसके तुरन्त बाद सीख गए थे वो
पाप और पुण्य में लोगों को उलझना
~ सिद्धार्थ

Language: Hindi
3 Likes · 240 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
Mana ki mohabbat , aduri nhi hoti
Mana ki mohabbat , aduri nhi hoti
Sakshi Tripathi
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3334.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
मैं क्या लिखूँ
मैं क्या लिखूँ
Aman Sinha
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
बगुले ही बगुले बैठे हैं, भैया हंसों के वेश में
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
*जितना आसान है*
*जितना आसान है*
नेताम आर सी
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
जमाना नहीं शराफ़त का (सामायिक कविता)
Dr. Kishan Karigar
तुम लौट आओ ना
तुम लौट आओ ना
Anju ( Ojhal )
जीवन में कोई भी फैसला लें
जीवन में कोई भी फैसला लें
Dr fauzia Naseem shad
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
तुम्हारी खूब़सूरती क़ी दिन रात तारीफ क़रता हूं मैं....
Swara Kumari arya
अजनवी
अजनवी
Satish Srijan
"विकृति"
Dr. Kishan tandon kranti
माॅर्डन आशिक
माॅर्डन आशिक
Kanchan Khanna
यादें
यादें
Versha Varshney
नज़्म - झरोखे से आवाज
नज़्म - झरोखे से आवाज
रोहताश वर्मा 'मुसाफिर'
#शब्द_सुमन
#शब्द_सुमन
*Author प्रणय प्रभात*
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
कुछ लिखा हैं तुम्हारे लिए, तुम सुन पाओगी क्या
Writer_ermkumar
अपने लक्ष्य की ओर उठाया हर कदम,
अपने लक्ष्य की ओर उठाया हर कदम,
Dhriti Mishra
"न टूटो न रुठो"
Yogendra Chaturwedi
* मन बसेगा नहीं *
* मन बसेगा नहीं *
surenderpal vaidya
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
मनुष्य भी जब ग्रहों का फेर समझ कर
Paras Nath Jha
टेढ़े-मेढ़े दांत वालीं
टेढ़े-मेढ़े दांत वालीं
The_dk_poetry
मेरी कलम
मेरी कलम
Shekhar Chandra Mitra
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
शिव सबके आराध्य हैं, रावण हो या राम।
Sanjay ' शून्य'
करवा चौथ@)
करवा चौथ@)
Vindhya Prakash Mishra
कानून में हाँफने की सजा( हास्य व्यंग्य)
कानून में हाँफने की सजा( हास्य व्यंग्य)
Ravi Prakash
All of a sudden, everything feels unfair. You pour yourself
All of a sudden, everything feels unfair. You pour yourself
पूर्वार्थ
मन की डोर
मन की डोर
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
हे प्रभू !
हे प्रभू !
Shivkumar Bilagrami
फादर्स डे ( Father's Day )
फादर्स डे ( Father's Day )
Atul "Krishn"
साल को बीतता देखना।
साल को बीतता देखना।
Brijpal Singh
Loading...