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ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं,
Manisha Manjari
सर्द आसमां में दिखती हैं, अधूरे चाँद की अंगड़ाईयाँ
Manisha Manjari
ठोकरें आज भी मुझे खुद ढूंढ लेती हैं
Manisha Manjari
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं
Manisha Manjari
बहने दो निःशब्दिता की नदी में, समंदर शोर का मुझे भाता नहीं है
Manisha Manjari
तुम गए जैसे, वैसे कोई जाता नहीं
Manisha Manjari
स्मरण और विस्मरण से परे शाश्वतता का संग हो
Manisha Manjari
सुनहरे झील पर बुझते सूरज से पूछो।
Manisha Manjari
वो दूरियां सात समंदर की, तो तुम पार कर आये।
Manisha Manjari
आदतों में जो थी आवाजें।
Manisha Manjari
वो गुलमोहर जो कभी, ख्वाहिशों में गिरा करती थी।
Manisha Manjari
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही।
Manisha Manjari
मुझे मुझसे हीं अब मांगती है, गुजरे लम्हों की रुसवाईयाँ।
Manisha Manjari
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं।
Manisha Manjari
ये यादों की किस्तें जाने कबतक रुलायेंगी।
Manisha Manjari
मोहब्बत पलों में साँसें लेती है, और सजाएं सदियों को मिल जाती है।
Manisha Manjari
हाँ, ये आँखें अब तो सपनों में भी, सपनों से तौबा करती हैं।
Manisha Manjari
वो ख़्वाहिशें जो सदियों तक, ज़हन में पलती हैं।
Manisha Manjari
संदेशे भेजूं कैसे?
Manisha Manjari
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए।
Manisha Manjari
तृष्णा उस मृग की भी अब मिटेगी, तुम आवाज तो दो।
Manisha Manjari
काश थोड़ा सा वक़्त, तेरे पास और होता।
Manisha Manjari
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
खुद के ताबूत से हीं, खुद को गवां कर गए।
Manisha Manjari
इंतज़ार एक दस्तक की।
Manisha Manjari
कल्पित एक भोर पे आस टिकी थी, जिसकी ओस में तरुण कोपल जीवंत हुए।
Manisha Manjari
सिसकियाँ जो स्याह कमरों को रुलाती हैं।
Manisha Manjari
अनन्तता में यादों की हम बिखर गए हैं।
Manisha Manjari
मसान।
Manisha Manjari
ये खामोशियाँ मुझको भाने लगीं हैं।
Manisha Manjari
निःशब्दिता की नदी
Manisha Manjari
आज असंवेदनाओं का संसार देखा।
Manisha Manjari
कुछ बारिशें बंजर लेकर आती हैं
Manisha Manjari
इस दर्द को यदि भूला दिया, तो शब्द कहाँ से लाऊँगी।
Manisha Manjari
किसी ने कहा, पीड़ा को स्पर्श करना बंद कर पीड़ा कम जायेगी।
Manisha Manjari
निःशब्दता हीं, जीवन का सार होता है......
Manisha Manjari
सवाल सिर्फ आँखों में बचे थे, जुबान तो खामोश हो चली थी, साँसों में बेबसी का संगीत था, धड़कने बर्फ़ सी जमीं थी.......
Manisha Manjari
दर्द की शर्त लगी है दर्द से, और रूह ने खुद को दफ़्न होता पाया है....
Manisha Manjari
नींव में इस अस्तित्व के, सैकड़ों घावों के दर्द समाये हैं, आँखों में चमक भी आयी, जब जी भर कर अश्रु बहाये हैं....
Manisha Manjari
फ़ितरत
Manisha Manjari
सुस्त हवाओं की उदासी, दिल को भारी कर जाती है...
Manisha Manjari
जब मरहम हीं ज़ख्मों की सजा दे जाए, मुस्कराहट आंसुओं की सदा दे जाए..
Manisha Manjari
बिखरे सपनों की ताबूत पर, दो कील तुम्हारे और सही..
Manisha Manjari
मसान.....
Manisha Manjari
संघर्षशीलता की दरकार है।
Manisha Manjari
पाषाण जज्बातों से मेरी, मोहब्बत जता रहे हो तुम।
Manisha Manjari
कभी वैरागी ज़हन, हर पड़ाव से विरक्त किया करती है।
Manisha Manjari
ये तलाश सत्य की।
Manisha Manjari
हर्षित आभा रंगों में समेट कर, फ़ाल्गुन लो फिर आया है,
Manisha Manjari