इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई।
इंतज़ार एक दस्तक की, उस दरवाजे को थी रहती, चौखट पर जिसकी धूल, बरसों की थी जमी हुई। निगाहें धरती की, उस आसमान को थी निहारती, बारिशों ने, जिसके बादलों...
Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी