के.आर.परमाल 'मयंक' Tag: कविता 73 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Dec 2019 · 1 min read 'आडम्बर' रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का, मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है, और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते, काले-दिल-निस्तेज।।... Hindi · कविता 438 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Nov 2019 · 1 min read 'हौसले की ओर' टूटते शाखों से पत्ते, पतझड़ का संदेश है। आएगी फिर बहार, यह प्रकृति का वेश है। न हो दुःखी कोई दिल हल्का करके 'मयंक', मौसम बनते बिगड़ते हैं यहाँ,ये भारत... Hindi · कविता 252 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Nov 2019 · 1 min read 'परहित पर परतीति' जल गईं तीलियां सारी, चिंगारी भी न रही, बन गए रिश्ते बेसक, कोई दूरी भी न रही। अवगुण ही हों किसी में ये हो नहीं सकता, गुण खोजने की मुझमें... Hindi · कविता 2 351 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Nov 2019 · 1 min read @'बाल दिवस'@ तुम्हीं चन्द्रमा,तुम्हीं हो सूरज तुम ही पवन सितारे हो । तुम्हीं समय, सुरक्षा प्यारे भाग्य विधाता हमारे हो । तुम्हीं देश और वेश तुम्हीं हो, तुम ही प्रान्त हमारे हो... Hindi · कविता 485 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *टूटे ख्वाबों की तसवीर* टूटे हुए ख्वाबों की तसवीर बनाई है मैंने, ग़मों में मुस्कराने की तासीर बनाई है मैंने। भरा है सैलाब इन बेजुबान आँखों में, जिसे छुपाने की तदवीर बनाई है मैंने... Hindi · कविता 1 504 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 27 Oct 2019 · 1 min read "शुभ दीपावली" आओ सब मिल मनाएँ हम दीवाली, कोई घर न रहे अब खाली! आओ सब मिल दीप जलाएँ, खुशियों में सब घुल-मिल जाएँ! बैर-भाव सब भूल-भालकर, एक-दूजे के घर-घर जाकर! बाँटें... Hindi · कविता 1 521 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 22 Oct 2019 · 1 min read 'मैं निकला बेचने देश को' झटपट बदला वेष को, त्याग स्व परिवेश को! श्वेत जामा पहनकर मैं, निकला बेचने देश को!! समझ न पायी जनता जुमले भड़कावे में आई, पाँचों उँगली घी में अपनी,मथनी हाथ... Hindi · कविता 1 295 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 19 Oct 2019 · 1 min read @माँ! तुम नहीं हो@ दरिद्रता-दीन-दुर्दिन बीत गये सारे, पर माँ! तुम नहीं हो, मिलती भरपेट रोटियाँ साँझ-सकारे पर माँ! तुम नहीं हो! करते हैं प्यार अपार ये संसार वाले, पर माँ! तुम नहीं हो,... Hindi · कविता 1 507 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Oct 2019 · 1 min read @इत्रों की खुशबू मंद पड़ गई@ सारे इत्रों की खुशबू आज मंद पड़ गई । धरती अतुलित जलमय हो गई, सृष्टि अनंत आनंदमय हो गई, मिट्टी भई प्रसन्न आज गंध बढ़ गई ।। सराबोर नदियाँ और... Hindi · कविता 1 395 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Oct 2019 · 1 min read *बेसुध सियासत* सोफा गद्दीदार गद्दारों को नींद बहुत आती है, घर में बिलख रही माँ, सियासत खिलखिलाती है। उजड़ रही है मांग किसी की गोद उजड़ रही, उजड़ा बहन का प्यार वो... Hindi · कविता 1 225 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Oct 2019 · 1 min read ' सच्चाई गाँव की' यही है सच्चाई मेरे गाँव की मानो, यही है सच्चाई मेरे गाँव की! बाहर-बाहर, भाई-भाई, अंदर-अंदर, कैंची लगाई! रेवड़ियाँ - सी बाँट रहे हैं, अपने-अपने छाँट रहे हैं! चिंता है... Hindi · कविता 1 202 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *गुरु वेदना* *आज गुरु की गरिमा, तार-तार हो गई। * गुरु और शिष्य में तकरार हो गई। झूठ की सच पर इस तरह मार हो गई, *'गुरु कुम्हार शिष्य कुंंभ'* की युक्ति... Hindi · कविता 1 665 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Oct 2019 · 1 min read 'धरती पुत्र किसान' न धूप कभी विचलित करती, न छाँह कभी आलस भरती। संतोष सदा गहना जिसका, वह देशरत्न कोई और नहीं। वह धरती-पुत्र किसान है। चाहे अतुलित बरसातें हों, सूखे का प्रचण्ड... Hindi · कविता 2 938 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Oct 2019 · 1 min read माटी के सपूत हे माटी के सपूत! तुम्हें शत-शत नमन, बंजर पड़ी धरा भी तुम बना देते चमन। बाजुओं में जमाने की ताक़त है तुम्हारे । तुम पर ही आश्रित हैं शहर-गांव हमारे... Hindi · कविता 3 660 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read मुझे नज़र आता है बेटी ! मुझे नज़र आता है बेटी, तुझमें सब संसार। तू शीतल चंदन-सी खुशबू,तू रमणीक बहार।। गर्जन-तर्जन तू बादल-सी,तू बिजली-सा तार। सूरज-सी आभा है तुझमें, शीतलता चंदा-सी। निर्मल गंगा-सी पावन, तू पृथ्वी-सा... Hindi · कविता 2 237 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read *मैं ऐसा देश बनाऊँगा* "मैं ऐसा देश बनाऊँगा" जहाँ प्रेम रहे और समता हो, जहाँ हर मानव में ममता हो , बसती जन-जन मानवता हो। मैं ऐसा वतन बनाऊँगा । मैं ऐसा देश बनाऊँगा।... Hindi · कविता 1 520 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2019 · 1 min read 'मोड़ दो रुख' मोड़ दो रुख हवाओं का गर बाधा बन बहने लगें। फूँक दो मंत्र कानों में लबों पर शब्द बहने लगें। झुकें न वे जो झुकते हैं थकें न वे जो... Hindi · कविता 1 460 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'केसह पताका' वन्दे मातरम् बोलो वन्दे मातरम्, देश हमारा हिंदुस्तान, बसती इसमें अपनी जान। बोलो वन्दे....... 'केसह' रंग पताका इसकी सदा बढ़ाये शान। इसको फहराने की ख़ातिर, हुए कई बलिदान । बोलो... Hindi · कविता 1 237 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Sep 2019 · 1 min read 'बेटी' बेटी कुल का चाँद बनेगी, बेटी सुर का तार। उज्ज्वल दीपक बनेगी बेटी, चमकेगा घर -द्वार । गगन गरजना बनेगी बेटी, पृथ्वी-सा आधार । सूरज-सा तेज़ बनेगी बेटी, सरिता-सी निर्मल... Hindi · कविता 1 255 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'मलिनता का प्रहार' हो क्या गया जाने निगोड़े समाज को, ताक में रख दी है सारी लोक लाज को। अब शिक्षा - मंदिर भी बचे न सुपावन, देख यूँ हृदय रोये, बरसे ज्यों... Hindi · कविता 1 234 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'न काँटा-कील होती माँ' मेरे जीवन की धड़कन है, मेरी पलकों की फड़कन है। बरसते बादलों के बीच, बिजली सी कड़कन है। प्यारी माँ रूप सृष्टि का, दिया जीवन ये उपकारी कभी इन्दु सी... Hindi · कविता 1 573 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Sep 2019 · 1 min read 'मानवता की ललकार' तुम मरे तो भारतभूमि ने सहर्ष तुम्हें स्वीकार किया । इहलोक से परमलोक तक मानवता का नाम दिया। हमें जिन्दा रहकर भी न जीने का अधिकार दिया ! जिन्दा लाश... Hindi · कविता 3 593 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Sep 2019 · 1 min read *देश पर जान कुर्बान करूँ* देश पर जान कुर्बान करूँ मैं, जन्म मिले सौ बार अगर, सौ बार मरूँ मैं, पल-पल जीवन, कण-कण तन का, स्वदेश पर न्यौछावर करूँ मैं । पर्वत-सा दृढ़ कर, निश्चय... Hindi · कविता 3 225 Share Previous Page 2