के.आर.परमाल 'मयंक' Tag: कविता 73 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Apr 2021 · 1 min read *डॉ.भीमराव जी अम्बेडकर* भीमराव अम्बेडकर जी ने, सबसे सुन्दर विधान लिखा है| जाति-पाँति मतभेद मिटाकर, समतामूलक वितान लिखा है| दुर्दिन दूर करन की खातिर, पिछड़ों का अधिकार लिखा है| नारी – दलित उद्धारन... Hindi · कविता 1 1 427 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Apr 2021 · 1 min read दुर्व्यसन जुआँ-सट्टा-दुर्व्यसन लक्षण, पैसा-प्रतिष्ठा-स्वजीवन भक्षण। ना इनसे हो परिवार रक्षण, 'मयंक' त्याग दुर्व्यसन तत्क्षण। पढ़-लिखकर बन साक्षर, त्याग कुलक्षण, ज्ञान प्राप्त कर | सुख-आनंदालय लहराकर, परिवार में सुध्यान व्याप्त कर |... Hindi · कविता 432 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Apr 2021 · 1 min read दलदल बनी राजनीति राजनीति दल दल बनी, नेता भये त्रिशूल| पानी सूखा आँखों का, उड़ती बेशर्म धूल|| सत्ता की चाहत बढ़ी, विभक्त करें नाकूल| धर्म-जाति-वर्ग भेद में, प्रमत्तक्रम अनुकूल|| Hindi · कविता 2 529 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Mar 2021 · 1 min read 'अबकी फीकी होली' धरा, हवा व पेड़ बचेंगे, मानव ज्ञान कमाल से| पर्यावरण दुरुस्त रहेगा, धुआँ-धूल-धमाल से| अबकी बार रंग खेलने, ना निकलो तुम होली में| कोरोना की गहन मार है, बैठे रहो... Hindi · कविता 2 483 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Mar 2021 · 1 min read कोरोना का पुनरागमन लो फिर आ गया कोरोना, स्कूलों की ताला बंदी, बच्चों की मानसिक वृद्धि पर, आज़ादी की ताला बंदी| प्रायवेट शिक्षकों पर फिर आई, बेबाक आर्थिक तंगी| इक तरफा है कहर... Hindi · कविता 2 1 353 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Mar 2021 · 1 min read ''काव्य प्रतियोगिता'' साहित्य दहलीज प्रपोज़ करने वाले, आज एक-दूजे को ओट कर रहे हैं| अपनी कलम से चोट करने वाले, अब एक-दूजे को वोट कर रहे हैं| सोने और लोहे में अंतर... Hindi · कविता 1 531 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 18 Mar 2021 · 1 min read गिन्नी रिश्ते हेतु सुहागा 1. कर सकूँ विचरण भावों के पंख दे दो, भर सकूँ रंग धनु सा गगन निरंक दे दो| कर डालूँ सराबोर रिक्त भावों से मन, "मयंक" विमल बुद्धि की सु-तरंग... Hindi · कविता 2 374 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Mar 2021 · 1 min read बदलती फ़िजा बदल रही है फ़िजा, आवो हवा शहर की, अब है फ़िक्र किसे अमृत वा ज़हर की| लगा है 'मयंक' जिसे देखिए स्वारथ में, कहाँ खबर है किसी को सुनहरे प्रहर... Hindi · कविता 1 313 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Mar 2021 · 1 min read "कनकलता" मंद-मंद मुस्का रही प्रभात किरण की लाली, मूँछों पर दे ताव खड़ी कनकलता हरियाली| चमचम चमके स्वर्णिम गेहूँ हरे खेत की बाली, पीत अम्बरी ओढ़ चुनरिया चले पवन निराली| 'मयंक'... Hindi · कविता 2 1 553 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Mar 2021 · 1 min read महाविभूति बामुश्किल जन्मती हैं ऐसी महाविभूतियाँ, युगों-युगों पर्यन्त पूजी जाएँ जिनकी मूर्तियाँ| संत पेरियार, बाबा अम्बेडकर, संत रैदास, साहब कांशीराम शाह, फुले, बुद्ध-सी हस्तियाँ|| आज भी कुर्बानियों का दौर है मयंक,... Hindi · कविता 1 406 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Mar 2021 · 1 min read *श्रङ्गार* रुनक-झुनक पायलिया बाजे, नुपुर पैर इतराय| चमचम चमचम चमके बिंदया, मुखड़ा दमके जाय|| कांति स्वर्णिम फूलों से गाल पर, केश लता लहराय| अधर-लालिमा नाक-नथनिया, माँग सिन्दूर भराय|| कानन कुण्डल बालन... Hindi · कविता 1 336 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Mar 2021 · 1 min read तिरस्कृत-वेदना जला रहे हैं बिना आग के, बीज भेद के उगा रहे हैं | ऊँच-नीच की परिपाटी में, ज़हर समाज में जगा रहे हैं| रुला-रुलाकर खून के आँसू , ढाते ज़ुल्म... Hindi · कविता 1 513 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Mar 2021 · 1 min read 'नेताजी का पारितोष है सस्ता' 1. गैससिलेंडर हुआ और महँगा महँगा पेट्रोल डीज़ल भी महँगा कपडे़ खाद्य तेल सब महँगा साड़ी - बिंदिया चुन्नी - लहँगा नेताजी का पारितोष है सस्ता आका छोड़ बाकी सब... Hindi · कविता 1 276 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2021 · 1 min read *मुफ़लिसी का जादू* बोलता हूँ कुछ तो दुनिया मुखालिफ हो जाती है, मेरे लफ़्ज़ों का क्या इतना असर होता है !! चलो मुफ़लिसी ने दुनिया जानने का हुनर तो दिया, अपना पराया कौन... Hindi · कविता 1 1 374 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Feb 2021 · 1 min read 'आज़ादी का उत्सव' प्यारे आओ आज़ादी का उत्सव मिल के मनाते हैं, त्यागो सारी दुविधाएँ भारत माँ को शीश झुकाते हैं| ना हिन्दू ना मुस्लिम कोई ना सिख ना कोई ईसाई, सबसे पहले... Hindi · कविता 1 258 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Feb 2021 · 1 min read 'निर्मल स्वच्छ अंतर्मन हो' स्वच्छ छवि मण्डित हो अद्भुत पावन गंगा-सा हर घर निर्मल हो! मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर और गुरुद्वारा सा हर घट निर्मल हो! ऊँचे विचार दया और करुणा सहानुभूति हो हर जन-मन में! परोपकार... Hindi · कविता 1 6 362 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Feb 2021 · 1 min read "कहो कहाँ क्या तुमने कमाया!" धन दौलत ज़ायदाद ज़मीन, जगत तुमने क्या खूब कमाया| महल अटारी सदन दुमंजिल, मज़बूरों को बस नाच नचाया| कहो कहाँ क्या तुमने कमाया! रोशन आसमां पहले तुम्हारा, पाई धरा सब... Hindi · कविता 3 2 329 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 18 Feb 2021 · 1 min read आसान नहीं शिक्षक बन जाना पिघल मोम-सा खुद जल जाना, झुलस आगमय सौ बार जलाना | चित्त अबोध स्वरूप की खातिर, आसान नहीं शिक्षक बन जाना | ठोकर दर-दर ठोकर सह-सहकर, दीपक-सा जल सिहर-सिहरकर |... Hindi · कविता 2 235 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Feb 2021 · 1 min read कुन्देन्दु श्वेताम्बरी कुन्देन्दु विराज कुमुद नयनी, सुर कंठ विराज वीणावादिनी| हे पद्मासना! श्वेताम्बरी, हे! जग-जननी मातेश्वरी| चरणों में दे स्थान हमें, हे भगवति! गीता धारिणी| हो हृदय तरंगित तारों से, झंकृत हो... Hindi · कविता 1 246 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Feb 2021 · 1 min read पुलवामा रणवीर नमन हे वीर! तुम्हारा बलिदान, सदा रहेगा याद हमें| नमन हिन्दुस्तान करे, सदा पुलवामा वीर तुम्हें|| आवाम सुरक्षित हे रणवीरो! देश तुम्हारे ही बूते| ताक़त हमारे देश की, हिम्मत तुम्हारे बलबूते|... Hindi · कविता 2 2 287 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Feb 2021 · 1 min read 'सुमंगल जन्म दिवस' जन्म दिवस के सुअवसर पर, मंगल कामना देता हूँ| पूरण हो हर चाह आपकी, अंतरंग सदा दुआएँ देता हूँ|| कष्ट तनिक भी छू न पाएँ, कंटक सब प्रसून बनें| जीवनभर... Hindi · कविता 3 3 305 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Feb 2021 · 1 min read पुत्रियाँ पितृ अंतर्नोद हैं पुत्रियाँ, मातृ हरित गोद हैं पुत्रियाँ! आकाश से ऊँची, संसार से विशाल, समुद्र से भी गहरी हैं पुत्रियाँ! चाँद सी शीतल, चाँदनी सी उज्ज्वल सूरज सी तेज़,... Hindi · कविता 3 2 457 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Feb 2021 · 1 min read 'वर्षगाँठ-शुभकामना' खुशियाँ हज़ारों चेहरे, खिलाती रहें आपकी, युग-युग शुभ घड़ी, मुस्कुराती रहे आपकी! आशियाना जहां बने, गुलज़ार बने ज़िन्दगी, कदम जहाँ-जहाँ पड़ें, हस्ती खिले आपकी!! खिले गली आँगन हँसे, बिखरे सुगंध... Hindi · कविता 1 1 346 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Feb 2021 · 1 min read 'अंतरंग अर्द्धाङ्गनी' अंतर्मन अंतरंग, तुम मेरी जीवन तरंग, पुष्पित नंदनवन, तुम मेरी सुमधुर गंध| अंग अंग सुकांति, अनवरत मेरी शांति, व्योम-क्षिति मिलन, तुम प्रिय विश्रांति| पल पल चहल पहल, तुम मेरी शुभेक्षा,... Hindi · कविता 2 3 324 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Feb 2021 · 1 min read 'सत्ता-प्रहरी' सुना न देखा आज तक, राजा बोबै शूल | सत्तामत्त प्रमुख जी, राज-धरम गये भूल || बनी बनाई मिट गई, राजन सिगरी बात | उँगली ऊँची कर रहे, जिनकी न... Hindi · कविता 2 2 321 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Feb 2021 · 1 min read बिरह का पंछी!! तुम्हारे बिरह की श़मा में जल रहा हूँ, तुम्हारी यादों के संग-संग चल रहा हूँ ! ख़लने लगा हूँ अब दोस्तों को अपने, सोचते हैं वे कि मैं बेढंग चल... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 57 973 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 31 Jan 2021 · 1 min read ये है हिन्दुस्तान हमारा निर्जीवों में भरा उजाला, जीवों में अंधियारा| पत्थर मूरत लड्डू खावै, पंडा घर उजियारा || मूरख मिल सब मंगल गावैं, फूँकें शंख स्वान | ये है हिन्दुस्तान हमारा ये है... Hindi · कविता 340 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 30 Jan 2021 · 1 min read *खत-ए-मोहब्बत लिख रहा हूँ* महर हो नज़र सबकी मेरी कलम पर, खत-ए-मोहब्बत जहाँ लिख रहा हूँ| समकेतिक हैं रिश्ते अतुल्य छबि में, फ़रमान में बस 'माँ' लिख रहा हूँ|| प्रीत है क्या जिसने करके... Hindi · कविता 1 3 343 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Jan 2021 · 1 min read *वक्त की नज़ाकत बदल गई* वक्त की नज़ाकत बदल गई, तदवीर इंसा की बदल गई! ज़माना करवट ले गया, शहादत खुदा की बदल गई! वक्त ए दरम्यां हुकुमत है जुल्मी, इबादत यूँ ही बदल गई!... Hindi · कविता 1 2 278 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Jan 2021 · 1 min read *मैं तुम्हें बुद्धिमान बना दूँगा* तुम यत्न करो बढ़ने का, मैं नित नयी गंग बहा दूँगा| तुम अपने मन आयाम कहो, मैं नये संचार उन्हें दूँगा|| तुम यत्न जन-निर्वाह करो, मैं नित नये महल गढ़ा... Hindi · कविता 1 272 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2021 · 1 min read *ना करो ऐसा ओ कोरोना !! * *ना करो ऐसा, ओ कोरोना! करो ना!! * दहशत में बैठी है सब जनता, कहते-सुनते कुछ नहीं बनता! दहल रहा जग तेरे डर से, बार-बार है यही निवेदन! भीषण संहार... Hindi · कविता 2 4 279 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Jan 2021 · 1 min read *कोरोना गजब ढा गया तू* ओ कोरोना ओ कोरोना, गजब ढा गया तू, सोचा था न कभी किसी ने, जगत छा गया तू ! चला चाइना चाल चुलबुली, मची विश्व में अजब खलबली ! हर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 763 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Dec 2020 · 1 min read ऐसा हो परिवार ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| निर्मल, निश्छल, निष्कपट, नि:स्वारथ हर इंसान हो|| ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| हर्ष, उमंग, उत्साही धारा, निशदिन... Hindi · कविता 1 1 371 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Oct 2020 · 1 min read तस्दीक-ए-हिफ़ाज़त अरि दल भंजन कर सके, न कोई ऐसा वीर यहाँ। नारी के सम्मान की खातिर, आवाज बने शमशीर जहाँ। उठ चल स्वरक्षा कर बेटी , बचा शिवा सा वीर कहाँ।... Hindi · कविता 1 390 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2020 · 1 min read अत्याचारी दौर निकल अकेली ना घर से बेटी, साया बाहर शैतानों का। जहाँ फूल झड़ते बातों में डेरा वहीं हैवानों का।। आज दरिंदे औरंगजेब से बदतर सोचें रखते हैं । अपनी हवस... Hindi · कविता 2 1 427 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2020 · 1 min read कहाँ से चले आते हो दहक रहा संसार फिर क्यों नहीं जल जाते हो। जाने करने अत्याचार कहाँ से तुम चले आते हो।। माँ-बहन-बीबी और बच्चे सब अपने ही तो हैं। जाने फिर क्यों तुम... Hindi · कविता 1 249 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Sep 2020 · 1 min read गुरूर मिट जाएगी रूह एक दिन मिट्टी में मिल जाएगी, शान-ए-शौक़त जागीर तेरी फ़क़त यहीं रह जाएगी, ग़ुरूर-ए-मिलकियत कब तलक आख़िर ये भी यहीं रह जाएगी। अता फरमाता है वक़्त, ख़ता... Hindi · कविता 250 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Sep 2020 · 1 min read $ समरसता की चाह $ समरसता हो अगर देश में,जाति-पाँति का भेद नहीं। मिल जुलकर रहें किसी को हो किसी से बैर नहीं।। पा प्रज्ञान रविदास का, हम शत् प्रसून खिलाएँगे। ऊँच-नीच का भेद परन्तु,... Hindi · कविता 1 208 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 17 Aug 2020 · 1 min read कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं!! उन्मुक्त हो मैं चल नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! अपना कमाया खर्च नहीं सकता, कहो कहाँ स्वतंत्र हूँ मैं! हक सबका उत्पाद में मेरे, हक जता मैं नहीं... Hindi · कविता 7 6 220 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Apr 2020 · 1 min read *नहीं कहीं भगवान रे* कोरोना ने तय कर दीन्हा, मानो बात इंसान रे! ये तो तय है मंदिर-मस्जिद,नहीं कहीं भगवान रे, सबसे पहले करलो तुम मानवता की पहचान रे ! पंच तत्व पृथ्वी, वायु,... Hindi · कविता 2 269 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 23 Mar 2020 · 1 min read *विज्ञान और मानव* उड़ रहे थे हम अपनी अहम नियत में, छानना चाहा समंदर क़ाबिलियत में! घुटने टिके विज्ञान तेरे एक झटके में, समेटकर रख दिया झट तूने मटके में! अब आलम है... Hindi · कविता 1 271 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Mar 2020 · 1 min read *राजनैतिक तिबाहा* मध्यप्रदेश की राजनीति ने अजब-सा मोड़ लिया, मिला न हिस्सा जिन्हें, उन्होंने ऐसा सबक दिया। वर्षों की वफ़ा का सिलसिला चंद लम्हों में अदा किया, उम्मीद तनिक न थी जिनसे,... Hindi · कविता 237 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Mar 2020 · 1 min read *मद्यमय मध्यप्रदेश* मधु-सी कोमल अंगों वाली, जब मधुशाला खोलेगी। मध्यप्रदेश 'मद्यप्रदेश' बनेगा, ढक्कन महिला तोड़ेगी।। न्यून था अत्याचार नारी, अब अति आचार बढ़ाएगी। करुण-प्रेम से ममतामयी, अब मदिरापान कराएगी।। मधुर-मधुर वाणी उसकी,... Hindi · कविता 1 1 257 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read दोगला पंथी रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का,मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है,और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते,काले-दिल-निस्तेज।। बहिर्मुखी उमंग लिए... Hindi · कविता 2 371 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Feb 2020 · 1 min read *आसमान से ऊँची बेटियाँ* पिता का अंतर्नोद होती हैं बेटियाँ, माँ की हरी-भरी गोद होती हैं बेटियाँ! हिमालय से ऊँची, संसार से विशाल, समुद्र से भी गहरी होती हैं बेटियाँ! आसमान से ऊँची, सूरज... Hindi · कविता 184 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2020 · 1 min read लोहड़ी,पोंगल (मकर-सक्रांति) उत्तरायण जब सूरज आये, ठंडी लहर थर-थर थर्राए! हर्षोल्लासमय पतंग उड़ाएँ, मकर-सक्रांति का पर्व मनाएँ! यह सुसंकेत नई फसल का है, सब समस्याओं के हल का है, आओ मिलके खुशियाँ... Hindi · कविता 4 455 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Jan 2020 · 1 min read परिवर्तन की आस नववर्षी शुभकामना में, सबसे मुझको कहना है! देश-समाज सुसमृद्धि हेतु, सुन्दर छविमय बने ये सेतु, जाति-पाँति की तोड़ दीवारें, मिलकर सबको रहना है! नूतनवर्षी शुभकामना में, सबको संदेश ये देना... Hindi · कविता 1 2 378 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Dec 2019 · 1 min read *बेटी का संदेश* जब धरा न होगी दुनिया में, अंकुर कहाँ उग पाएगा! जब बेटी ही न होगी जग में, तो बेटा कहाँ से आएगा!! जब दिनकर ही न उग पाया, तो दिवस... Hindi · कविता 439 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Dec 2019 · 1 min read 'धिक्कार पौरुषाई पर' जब कूक उठी तब मीठी थी, क्यों हूक उठी अब कर्कश है। है बेटी क्या ये जगती वालो, कोई खेल तमाशा सर्कस है ? जब चाहा तब अपमान किया, इच्छा... Hindi · कविता 312 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Dec 2019 · 1 min read 'नेता जी बचालो देश को' नेता जी बचालो देश को, अब घूमो ना परदेश को। अर्थव्यवस्था की डूबी लुटिया, लाचार हो रही घर की बिटिया। अनभिज्ञ नहीं तुम सच्चाई से, मान लो भीषण संदेश को।... Hindi · कविता 2 416 Share Page 1 Next