Sarfaraz Ahmed Aasee 71 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Sarfaraz Ahmed Aasee 11 Nov 2021 · 1 min read अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह अपने घर में हूँ मैं बे मकां की तरह मेरी हालत है उर्दू ज़बां की की तरह मेरा क़द इस ज़मीं से तो ऊँचा न था मुझको देखा गया आसमां... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 234 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी अब किसी की याद पर है नुक़्ता चीनी इस दिले - बेदाद पर है नुक़्ता चीनी कौन सी तहज़ीब है ये नस्ले नव की अपने ही अजदाद पर है नुक़्ता... Hindi · ग़ज़ल 1 1 137 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read बात तनिक ह हउवा जादा बात तनिक ह हउवा जादा लोग बनल ह कउवा जादा हाल बुरा बा चुल्हानी के रोटी से ह तउवा जादा घर मे अन्न के दाना नइखे गांव गांव में चउवा... Bhojpuri · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 274 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read संघर्ष जा री हट्ठी गौरइया कि तुझसे अब मैं हार चुका खोल दिया है , द्वार देख ले उस पिंजरे का जिसमे तू और तेरे साथी ब्रितानी शासन के जैसे दण्ड... Hindi · कविता 1 1 282 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ अहसासे ग़मे हिज्र बढ़ाने के लिए आ इस बार मुझे छोड़ के जाने के लिए आ बेचैन तेरे वास्ते कब से हैं निगाहें आ दिल पे मेरे बर्क़ गिराने के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 210 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read कवि रात्रि जागरण केवल उल्लूक ही नहीं करता कवि भी करता है वैचारिक मन्थन के लिए समाजिक चिन्तन के लिए। देखता है वह सारी रात अपने दूरदर्शी नेत्रों से रात की... Hindi · कविता 1 178 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है क़रार आये इन आँखों को तिरा दर्शन ज़रूरी है रहे उल्फ़त की ये शमआ सदा रौशन ज़रूरी है वगरना बेच खायेंगे वतन को ये सियासी लोग क़लमकारों का आपस में... Hindi 144 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ अब तो ख़िलाफ़े ज़ुल्म ज़ुबाँ खोलिये मियाँ ये वक़्त बोलने का है कुछ बोलिये मियाँ अब हो सके तो नींद से ग़फ़लत की जागिये दिन चढ़ चुका है,आप बहुत सो... Hindi · ग़ज़ल 119 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच है अभी भी वक़्त प्यारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच फिर न होंगे ये नज़ारे, मैं भी सोचूंँ तू भी सोच ख़ाक कर देंगे यक़ीनन अम्न के सब आशियाँ... Hindi · ग़ज़ल 110 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है बदनाम ये आवारा जबीं हमसे हुई है सच ये है ख़ता तुमसे नहीं हमसे हुई है हमने ही दिया रंग मुसव्विरा को लहू के तस्वीर मुहब्बत की हसीं हमसे हुई... Hindi · Book Review · Poem · ग़ज़ल 161 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे यक़ीनन एक ना इक दिन सभी सच बात बोलेंगे ख़िलाफ़े ज़ुल्म इक होकर ये अख़बारात बोलेंगे ये तन्हाई, ये रुसवाई, ये आंसू , रन्ज और नाले तुम्हारी बे वफ़ाई की... Hindi · ग़ज़ल 113 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज दिल रंज का शिकार है और किस क़दर है आज आहट जो धड़कनों की थी, ख़ामोशतर है आज आंखों को तेरी बख़्शा है जिसने हया का जाम साक़ी तिरी निगाह... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 203 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मरीचिका जीवन के पथ पर भागता रहता हूँ मैं सदैव अपनों से परायों से जिस्मों से सायों से धर्मों समुदायों से भागम-भाग के जीवन में कहाँ ठहराव है मैं नहीं जानता... Hindi · कविता 187 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read समय की उत्पत्ति समय की उत्पत्ति ईश्वर के अस्तित्व से हुई है या ईश्वर की उत्पत्ति समय के अस्तित्व से सत्य चाहे जो भी हो पर है सर्वोपरि समय ही क्यों कि समय... Hindi · कविता 143 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सुगन्ध शर्म से लाल पड़ गया था डूबते हुए सूरज की तरह उसका चाँद सा हसीन सफ़ेद चेहरा जब मैंने चूम लिया था उसकी नर्मो-नाज़ुक गुदाज़ हथेली जिनमें बसी हुई थी... Hindi · कविता 346 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दहशत कई ऐसे भिखारी हैं हमारे शहर में जो किसी देवता या भगवान् के नाम का सहारा नहीं लेते और मांगते हैं भीख दो चार नहीं हज़ार रुपये वो कमाते हैं... Hindi · कविता 175 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शब्द मन की व्याकुलता तन की अभिलाषा तथा आत्मिक अभिरुचियों को अभिव्यक्त करने का माध्यम होता है "शब्द" "शब्द" बोलता है चिट्ठियों में ,पत्रियों में समाचार पत्र और विज्ञापनों में अंकित... Hindi · कविता 185 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता दश्त में शह्र की बुनियाद नहीं रख सकता ख़ुश्क आंखों में परीज़ाद नहीं रख सकता हर किसी को है फ़क़त मुझसे वफ़ा की उम्मीद हर किसी को तो कोई शाद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 350 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दीवाली की रात आयी चरागाँ है हर इक आँगन, है दीवाली की रात आई ज़मीं सजकर बनी दूल्हन, है दीवाली की रात आई उतर आये हैं धरती पर सितारे आसमानों के ख़ुशी से क्यों... Hindi · गीत 242 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब आंखों में ख़्वाब है न कोई दास्ताँ है अब तन्हाईयाँ हैं, मैं हूँ, ग़मे - बेकराँ है अब फ़ुर्क़त का एक लम्हा गवारा न था जिसे होकर जुदा वो मुझसे,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 209 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप छन-छन के आ रही है जो बर्गे-शजर से धूप कम हो गयी है आप ही अपने असर से धूप कांधे पे लेके बैठा हूँ ग़ुर्बत का आफ़ताब निकलेगी आज सब्र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 279 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत दिल से दिलदार को मिलते हुए देखे हैं बहुत फूल जज़्बात के खिलते हुए देखे हैं बहुत कौन आया है चमन में ये हवा की सूरत बर्ग को शाख़ पे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 177 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत किया है यूँ तो ज़माने ने एहतिराज़ बहुत मगर हमें है मुहब्बत पे अपनी नाज़ बहुत ख़ुदा करे कोई सज्दा, क़बूल हो जाये पढ़ी है हमने ख़ुदा की क़सम नमाज़... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 198 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट की है निगाहे - नाज़ ने दिल पे हया की चोट ये इब्तदा की चोट है, या इन्तेहा की चोट वो इस अदा से कर गये इज़हारे - दिल लगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 200 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट इक चाँद नज़र आया जब रात ने ली करवट दिल मेरा मचल उट्ठा जज़्बात ने ली करवट हर सिम्त अंधेरा था, तुम आये ख़ुशा क़िस्मत नूरानी हुई महफ़िल, ज़ुल्मात ने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस कोई शुहरत का मेरी है, कोई धन का वारिस काश होता कोई इस ख़ाके - बदन का वारिस जान से प्यारी है मुझको ये वतन की मिट्टी मुल्क का अपने... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read दौड़ कभी दौड़ा करता था मैं तितलियों के पीछे पीछे अब दौड़ रहा हूँ मैं शब्दों के पीछे पीछे यह शब्द ही जैसे तितलियों के पर रूप हैं और दौड़ना मेरे... Hindi · कविता 186 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच ख़ाइफ़ है क्यों फ़स्ले बहारांँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच फूल हैं गोया ख़ार बदामाँ, मैं भी सोचूँ तू भी सोच किसने है दीवार उठाई आज हमारे आँगन में... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read हर क़दम पर सराब है सचमुच हर क़दम पर सराब है सचमुच तिशनगी बे-हिसाब है सचमुच दूर तुझसे हुआ हूँ तब जाना हिज्र क्या है अज़ाब है सचमुच तेरा आँचल है चांदनी गोया चाँद का तू... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 221 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 5 Nov 2021 · 1 min read माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच माइल है दर्दे-ज़ीस्त,मिरे जिस्मो-जाँ के बीच उलझा हुआ है दिल ये, ग़मे-दो जहां के बीच कोई तो है मक़ाम तिरा मर्कज़े - सजूद खोई हुई जबीं है कई आस्ताँ के... Hindi · कविता · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका · शेर 1 262 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 11 Nov 2021 · 1 min read तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह तेरी महफ़िल में सभी लोग थे दिलबर की तरह एक मैं ही था फ़क़त, काबे में काफ़र की तरह मेरे भीतर तो कोई डूबता सूरज भी न था मुझको देखा... Hindi · ग़ज़ल · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भय का भूत नींद खुली जब रात को मैंने छत पर देखा दूर खुली खिड़की से कोई काली छाया घूर-घूर कर शायद- मुझको देख रही थी। अंगारों सी दहक रही थीं आँखें उसकी... Hindi · कविता 472 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read शून्य कुछ वर्षों का ही इतिहास है हमारे पास जब कि यह धरती हज़ारों हज़ार वर्ष पुरानी है और यह अम्बर अनगिनत गिनतियों के आंकड़े से पार का। हमें ज्ञात नहीं... Hindi · कविता 144 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read गिद्ध और लाशें कल सांय एक गिद्ध मेरी छत के बुर्ज पर बैठा ख़ून का आंसू बहा रहा था थका-हारा अभी -अभी उतरा था वह सुदूर आकाशीय सफ़र से शायद - 'भुज' से... Hindi · कविता 145 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के यूँ भी हल्के हों मियाँ बोझ हमारे दिल के चायख़ाने चलो कुछ बात करेंगे मिलके Aasee yusufpuri Quote Writer 157 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 3 Jan 2024 · 1 min read تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے تونے جنت کے حسیں خواب دکھائے جب سے ہے عجب حال یہ دنیا ہی نہ بھائے جی کو Quote Writer 121 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read परिवर्तन यह प्रथाएं हमारी पोषित हैं हमने जना(जन्मा) है इन्हें समय-समय पर निज स्वार्थ हेतु धार्मिक/अधार्मिक समाजिक/असमाजिक मकड़जाल में गूंथ कर। कितनी क्रूर और विभत्स थी हमारी वह 'सतीप्रथा' जो नहीं... Hindi · कविता 144 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read नूतन वर्ष ख़त्म किया है कई बार मैंने फाड़ कर घर की दीवार पर टंगे पंचांग का एक-एक पृष्ठ आज पुनः फाड़ रहा हूँ घर की दीवार पर टंगे पंचांग का अंतिम... Hindi · कविता 140 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सम्बन्ध पश्चताप कर अपना लिया था पुनःमेरे बाप ने मेरी माँ के साथ मुझे भी और ढो रहा है आजतक मुझसे अपनी सन्तान के सम्बन्ध का बोझ- वह नहीं जानता मैं... Hindi · कविता 181 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read हिमालय कौन हूँ मैं कौन हूँ ? पाषाणी तन का मैं प्रिय जन जन का मैं धरती से गौरवान्वित अम्बर से लज्जित हूँ अन गिनत रत्नों के ढेर से सुसज्जित हूँ... Hindi · कविता 153 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read चन्द्रमाँ चन्द्रमा की उपमाओं से सुसज्जित मेरी सारी कवितायेँ हंस रही हैं मुझ पर क्यों कि- आज फिर दिख रहा है आकाश की गोद में उंघता हुआ खपरैल पर बैठे कोई... Hindi · कविता 220 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read सम आयु आयुएक धुंधले दर्पण की भांति मेरी यह बुझी बुझी सी बूढ़ी आँखें जिनमें झाँक कर तुम देखना चाहते हो अपना अतीत का चेहरा। वह चेहरा जो कभी किसी कालीन की... Hindi · कविता 163 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read यथार्त की बलि यथार्त के नाम पर चला है जब भी क़लम और पड़ी है नीव किसी उपन्यास की जाने अन्जाने ही हुई है बदनाम समाज में कोई न कोई "लोलिता" ***** सरफ़राज़... Hindi · कविता 134 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read लोलिता छुपी है कोई "लोलिता'' मेरे जीवन के उपन्यास में सिसकियाँ भरती हुई अपना सब कुछ खो कर बहुत कुछ पा लेने की आस धरे। खोज रही है मुझमे अपने बाल्यकाल... Hindi · कविता 276 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मंदिर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं हूँ एक बूढ़ी नदी के तट पे निर्मित एक अति प्राचीन मन्दिर मन के सब दीपक बुझे मूर्तियां काई में... Hindi · कविता 177 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read भाष्कर मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मैं जो होता नीले अम्बर पर चमकता और दमकता "भाष्कर'' मेरी पहली रश्मियों की तेज से जागता अधखिला धरती का यह... Hindi · कविता 151 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read मैं मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ आज हूँ एक जीर्ण-शीर्ण पीत काग़ज़ ढेर में रद्दी के गल रहा दिन रात मैं झेलता बूढ़े बदन पर धूप की... Hindi · कविता 187 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read आतंकवाद यह किसने उखाड़ फेंके गुलाबों के सरसब्ज़ मासूम पौधे और उगा दिया है जगह जगह खूंरेज़ संगीनों के मज़बूत दरख़्त ?? **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 194 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read छलिया नहीं देख पाया मैं आज तक तेरा असली रूप छलता है मुझे तू भी बादलों की तरह नित्य नए आकार में परिवर्तित कर स्वयं को **** सरफ़राज़ अहमद "आसी" Hindi · कविता 181 Share Sarfaraz Ahmed Aasee 4 Nov 2021 · 1 min read अभिलाषा मैं कवि हूँ कल्पना ही मेरा जीवन सोचता हूँ मेघपट से मैं गिरा स्वाती की एक बूंद हूँ सूर्य की स्वर्णिम किरण की तेज है मुझमें तो क्या तप रहा... Hindi · कविता 170 Share Page 1 Next