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4 Nov 2021 · 1 min read

दौड़

कभी दौड़ा करता था मैं
तितलियों के पीछे पीछे
अब दौड़ रहा हूँ मैं
शब्दों के पीछे पीछे
यह शब्द ही जैसे
तितलियों के पर रूप हैं
और दौड़ना
मेरे जीवन का लक्ष्य

अन्तर बस
मेरी दौड़ में है
वह दौड़ थी
कुछ न पाकर भी
सब कुछ पाने के
एहसास दिलाने की दौड़
यह दौड़ है
सब कुछ पाकर भी
कुछ न पाने के
एहसास दिलाने की दौड़
****

सरफ़राज़ अहमद “आसी”

Language: Hindi
185 Views
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