Kumar Kalhans Language: Hindi 159 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read कुबूल है। कुबूल है। कुबूल है। सलीम एक निहायत सीधा साधा युवक था पर उसमें एक बड़ी खामी थी कि वह कोई भी काम टिक कर नहीं कर पाता था। कुछ महीने काम पर कुछ महीने... Hindi · कहानी 16 3 608 Share Kumar Kalhans 16 May 2021 · 3 min read मां का दिल। एक पुराना किस्सा है बचपन में किसी सस्ती सी पत्रिका में पढ़ा था। वही वाली पत्रिका जो दस दस पैसे में बस स्टेशनों पर मिला करती थी। किस्सा यूँ था... Hindi · कहानी 14 1 767 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read एक सफर ऐसा भी। बहुत समय के बाद अचानक ही वो बाज़ार में मिली।पहले तो हम काफी देर तक एक दूसरे को देखते ही रहे। फिर मैंने उससे कहा कि कहीं चल कर बैठते... Hindi · कहानी 14 1 524 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read जरा अदब से मुझसे मिला करो। तेरी मुफलिसी का जबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो। मैं बीती रात का ख्वाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो। ***** तेरे लम्स जिसको उम्र भर तरसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 5 254 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read हाँ मैं दोमुंहा हूं। हाँ मैं दोमुंहा हूँ, जानना चाहते हो क्यों, क्योंकि तुम अनेकमुहाँ हो, मैं तुमसे कमीनगी में , कभी जीत ही नहीं सकता, इसका अहसास होता , उसके पहले ही दोमुंहा... Hindi · कविता 13 248 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर। एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर। जिंदगी है झूठे रिश्तों को निभाने का हुनर। ,,,,,,,,,, जिंदगी सिखला ही देती है यहां हर एक को। आसुओं से जलते ख्वाबों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 429 Share Kumar Kalhans 23 May 2021 · 1 min read दीपक। दीपक तुम उन्मुक्त बहुत हो। तुमको ये मालूम खूब है जलते जलते बुझ जाओगे। प्रतिपल घटते तरल नेह के घटते ही तुम चुक जाओगे। ये सारे बंधन होकर भी उर्ध्वमुखी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 13 4 414 Share Kumar Kalhans 23 May 2021 · 1 min read जीजा जी । सन 1984 , 1985 की बात होगी।हम इलाहाबाद में 12 वीं में पढ़ते थे। अब इलाहाबाद में रहें और इलाहाबादी रंग न चढ़े तो इलाहाबाद का घोर अपमान। बंक मारकर... Hindi · लेख 13 306 Share Kumar Kalhans 4 May 2021 · 1 min read भेद मन के खोल बादल। भेद मन के खोल बादल। कौन है जिसकी झलक से ये धरा आक्रांत होती। लेके आता जल कहाँ से जिससे दुनिया शांत होती। रख न अपने तक इसे तू कूट... Hindi · कविता 12 5 509 Share Kumar Kalhans 11 May 2021 · 1 min read गुनगुनाता है कोई। बन गईं हो एक नगमा गुनगुनाता है कोई। अपनी ख़ामोशी में भी तुझको बुलाता है कोई। तुम जहां पर पांव रखती हो वहाँ की धूल को। अपने हाथों से उठा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 4 403 Share Kumar Kalhans 14 May 2021 · 1 min read मातृ दिवस। जिस मां ने नौ महीने हमें अपनी कोख में रखकर भयंकर प्रसव वेदना सहकर इस संसार में लाई , अमृत समान दुग्ध पान करा हमारी हड्डियों और हमारे शरीर का... Hindi · तेवरी 12 1 378 Share Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है। तब्दील होकर बन गया यह बाज़ क्यों है। इस कदर यह आसमां नाराज़ क्यो हैं। --- देखिये क्या है निग़ाहों की गली में। कमज़ोर होती जा रही आवाज़ क्यों है।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 1 215 Share Kumar Kalhans 16 May 2021 · 1 min read मुक्तक। कोई कहीं मेरी ख़ातिर भी होगा। अहसास है यह मुझे यह खबर है। मैं एक टुकड़ा जमीं खोजता हूँ। आँखों में उगता हुआ एक घर है। Hindi · मुक्तक 12 1 342 Share Kumar Kalhans 17 May 2021 · 1 min read जिंदा लाश। जी हां में एक लाश हूँ। नदियों में बहती, फूलती , पिचकती, जलचरों , उभयचरों को आमंत्रण देती, आओ महाभोग में सहभागी बन जाओ, संतुष्ट होकर जाओ, तुम्हारे उदर निर्वाह... Hindi · कविता 12 499 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 1 min read खुशी तो आयी टुकड़े टुकडे , गम पर हरपल पास रहा। खुशी तो आयी टुकड़े टुकड़े गम पर हरपल पास रहा। बस्ती में है उम्र गुज़ारी मगर वनवास रहा। सम्बन्धो के बियाबान में उलझे सुलझे रहे सदा। उबड़ खाबड़ भू पर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 12 270 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 1 min read पीड़ा कैसे समाप्त होती है। पीड़ा कैसे समाप्त होती है, समय के साथ साथ, मन वृछ पर लगा वह पत्ता, जिस पर पीड़ा अंकित थी, शनैः शनैः सूख कर, पीत वर्ण धारण कर , स्मृति... Hindi · कविता 12 201 Share Kumar Kalhans 19 May 2021 · 2 min read साहेब की अंतर्दृष्टि। एक महिला नेता के अंतर्वस्त्र के रंग का खुलासा कर और उस पर तालियां बटोर कर साहब घर पहुँचे तो गर्मी की वजह से बड़ी प्यास लगी थी। बेगम को... Hindi · कहानी 12 272 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 3 min read हरा पत्ता। शरद ऋतु अपने यौवन पर थी। उसने बड़ी निर्ममता से पेड़ों से उनके वस्त्र छीनकर उन्हें निर्वसन कर दिया था। वृक्ष कातर होकर खड़े थे। उनकी ऊपर उठी हुई डालियां... Hindi · कहानी 12 1 794 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 1 min read जेएनयू धिक्कार तुम्हे है जेएनयू धिक्कार। जेनयू धिक्कार तुझे है जेनयू धिक्कार। मेमन , अफज़ल , अज़मल की है होती खूब बड़ाई, वे शहीद हैं, भारत कातिल , मचती खूब दुहाई, पढ़े लिखे बच्चे तेरे क्यों... Hindi · कविता 12 6 386 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 2 min read नेह के बादल कहते जाओ अब कब फिर से आना होगा। मित्रों हमारे उत्तर प्रदेश , बिहार से लाखों लाख लोग पैसे कमाने के लिए प्रदेश जाते हैं। चार , छह , आठ महीने पश्चात जब कुछ रुपये पैसे एकत्रित हो... Hindi · कविता 12 443 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read देखो बरखा की रुत आयी। देखो बरखा की रुत आयी। रिमझिम रिमझिम नर्स रही हैं, धरती पर अमृत की बूंदे। कन कण इस कृतज्ञ धरा का पान करे इसका और झूमें। इसका कोई जोड़ नहीं... Hindi · कविता 12 1 327 Share Kumar Kalhans 5 May 2021 · 1 min read जहाँ इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों। जहां फूलों की शक्लों में कभी काटें न उगते हों, जहां रिश्तों के आईने न पल भर में चटकते हों, ऐ मेरे दिल कहीं पर हो अगर ऐसी जगह तो... Hindi · कविता 11 1 241 Share Kumar Kalhans 6 May 2021 · 1 min read कर्ज़ जिसका।है वही ढोये उठाये। कर्ज़ जिसका है वही ढोये उठाये। देवकी के अश्रु से गोकुल क्यों भीगे, क्यों यशोदा की व्यथा हो देवकी की, गोपियों के प्रेम को मथुरा क्यों समझे, जान क्यों पाए... Hindi · कविता 11 6 338 Share Kumar Kalhans 7 May 2021 · 1 min read जब जब लगा मुझे वह भोला। जब ख़ुद को रूपए मैं तौला। वज़न नहीं कुछ कांटा बोला। उसकी तरल निगाहें ऐसी। जब देखा है तब कुछ डोला। थाली वही भली लगती है। खट्टा मीठा संग हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 4 300 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read मुमताज़ हमारे पास भी है। इश्क का सर पर ताज भी है। शाहजादों का अंदाज़ भी है। बनवा न सकें भले ताजमहल। मुमताज़ हमारे भी पास भी है। ***** कुमारकलकन्स, 13,05,2021, Hindi · मुक्तक 11 2 322 Share Kumar Kalhans 13 May 2021 · 1 min read भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत। भेज रहा हूँ पास आपके ताजे ताजे गीत। आगे आप निभाना अपनी संपादक की रीत। चाहो तो दे देना अपनी पुस्तक में स्थान , रद्दी की ढेरी में होने देना... Hindi · गीत 11 5 258 Share Kumar Kalhans 14 May 2021 · 1 min read क्यों बदलना है जरूरी यह बता दो। क्यों बदलना है ज़रूरी यह बता दो। फिर बदल जाओ मुझे बेशक सज़ा दो। --- मैं रहूंगा तुम वहां जब तक रहोगे। अंजुमन से तुम मुझे बेशक उठा दो। ---... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 1 405 Share Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read मैं लेकर सब्र का इतिहास बैठा हूँ। मैं लेकर हसरतों और सब्र का इतिहास बैठा हूँ। मैं दरिया के किनारे लेके कब से प्यास बैठा हूँ। मुझे कूवत मेरी मालूम है मुंसिफ मैं कैसा हूँ। मगर मज़मा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 274 Share Kumar Kalhans 15 May 2021 · 1 min read मरना पड़ता है। हम रोज, थोड़ा थोड़ा , मरते हैं, जब किसी को , कुछ अप्रिय कह देते हैं, जब अपने किसी, संबधी को , स्वयं से दूर कर देते हैं, भले ही... Hindi · कविता 11 1 237 Share Kumar Kalhans 22 May 2021 · 3 min read गाज़ियाबाद कै बियाह। परसपुर से पसका जा रहा था। जीप में बैठा उकता रहा था। जीप वाले से पूछा कि भाई जीप कब चलेगी तो उसने बताया या तो अच्छी खासी सवारी मिल... Hindi · कहानी 11 1 420 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 3 min read टेम्पल रन। पुनः एक बार भीषण पराजय के सागर में गोते खाते हुए चिरयुवा अध्यक्ष दीन हीन अवस्था में सोफे पर पसरे हुए थे। उनके मासूम सुंदर मुखड़े पर ईर्ष्या , छोभ... Hindi · कहानी 11 468 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read देखो बरखा की रुत आयी। देखो बरखा की रुत आयी। रिमझिम रिमझिम बरस रही हैं, धरती पर अमृत की बूंदे। कन कण इस कृतज्ञ धरा का पान करे इसका और झूमें। इसका कोई जोड़ नहीं... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · कविता 11 7 536 Share Kumar Kalhans 27 May 2021 · 1 min read सीधी सादी राह न चलते खुद को हम उलझाते हैं। कसम उठाते हैं सुबह को शाम को जाम उठाते हैं। शौक शाम के छूट न पाते सुबह को हम बहलाते हैं। फ़ौज़ बहानों की लो हमसे क्यों पीते क्यों मरते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 2 530 Share Kumar Kalhans 29 May 2021 · 1 min read मृत्यु के साये में राह जीवन चले। मृत्यु के साए में राह जीवन चले। आँख खुलते ही मिलता अँधेरे का भय, उत्तरोत्तर बढ़त है की होता है क्षय, काल के राहू केतू डगर में मिलें, मध्य आकाश... Hindi · गीत 11 3 310 Share Kumar Kalhans 1 Jun 2021 · 1 min read मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है। मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है। मगर मैं ये कभी कर ही नहीं पाऊंगा ये सच है। ***** जमाना आएगा समझायेगा देगा तसल्ली पर। मैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 11 3 545 Share Kumar Kalhans 6 May 2021 · 1 min read कुंडलियां मित्रों तीन कुंडलियां आपके सम्मुख हैं। प्रतिक्रियाओं की प्रतीक्षा है। 1. कविताई के रंग सब उस अबूझ का नूर। मन में जिसने रख दिया अक्षय भाव कपूर। अक्षय भाव कपूर... Hindi · कुण्डलिया 10 1 286 Share Kumar Kalhans 9 May 2021 · 1 min read लोग कहते हैं बहुत बुरा हूँ मैं। लोग कहते हैं बहुत बुरा हूं मैँ। और मैँ सोचता हूँ खरा हूं मैं। मुझको सहरा समझने वालों। पास आओ बहुत भरा हूँ मैं। कुछ बदतमीजों से बना ली दूरी।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 10 1 244 Share Kumar Kalhans 11 May 2021 · 1 min read कोरोना काल। 1. कोरोना ने छीन लिया कितनों का सुख चैन। झोला भर ग़म दे दिया हुए सभी बैचैन। हुए सभी बैचैन न कोई राह सूझती। सांसे अटक रही हैं जन की... Hindi · कुण्डलिया 10 2 307 Share Kumar Kalhans 24 May 2021 · 3 min read कटी हुई नाक। बनारस की एक गली में लोगों की भीड़ जमा थी। भीड़ कौतूहल से गली के एक कोने में पड़ी वस्तु की तरफ देख रही थी। पर उसके करीब कोई डर... Hindi · कहानी 10 1 486 Share Kumar Kalhans 24 May 2021 · 1 min read सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना। सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना। जल जाओगे यदि धरती पर कौन उजाला ले आएगा। फिर तो हम नन्हे बच्चों को अंधियारा यह धमकाएगा। अंधियारे में... Hindi · कविता 10 1 567 Share Kumar Kalhans 26 May 2021 · 1 min read ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे। ऐसा बरसो तरस गए नयनों से पानी बरसे। धूप नहाई धरती का तन लावा जैसे तपता, रुछ पवन रेतीली आंधी बन नयनों में चुभता, धूसर सी लगती है भू की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 7 267 Share Kumar Kalhans 30 May 2021 · 1 min read प्यार का स्वभाव। सच कहूं, तुम्हारी तरफ आकर्षित हुआ था, वस्त्रों के पीछे , छुपी तुम्हारी मांसलता देखकर, अपनी कल्पना की आंखों से देखकर, यह सोचकर, की तुम्हारी देह को प्राप्त करना, कितना... Hindi · कविता 10 461 Share Kumar Kalhans 1 Jun 2021 · 1 min read इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं। सेंक रहे वे रोटी हम सिंकवाते हैं। इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं। सदियों से कुछ सीख नहीं ले पाए हैं। सदियों से एक भूल वही दोहराए हैं। बटें... Hindi · गीत 10 1 260 Share Kumar Kalhans 6 Jun 2021 · 1 min read भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं। भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं। बूँदे झरतीं मेघों से बन धाराएं बहती हैं। इन ऊंचे पर्वत का जैसे पति ये सावन ही हो। कभी तो लगता ऐसे... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 3 418 Share Kumar Kalhans 12 Jun 2021 · 2 min read आओ इश्को करम की बात करें, आओ तेरे सनम की बात करें। आओ इश्को करम की बात करें। आओ तेरे सनम की की बात करें। जिस्म जिसपर शबाब छाया है। बकौल तेरे रुआब आया है। आंखों में जिसके दो जहाँ तेरे। रूख़... Hindi · कविता 10 1 277 Share Kumar Kalhans 13 Jun 2021 · 1 min read बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है। बरस रही हो बरखा रानी पर आग़ाज़ अलग है। बीते कुछ बरसों से तेरा रंग अंदाज़ अलग है। कहीं कहीं पर बूंदे झरतीं कहीं कहीं पर पत्थर, कहीं खुशी की... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · गीत 10 1 560 Share Kumar Kalhans 8 May 2021 · 1 min read जला कर चला गया। वह कौन था जो दिल को दुखा कर चला गया। चेहरा जो अपना असली दिखा कर चला गया। अब कैसे कहूँ मेरा करीबी ही कोई था। एतबार की फसल जो... Hindi · मुक्तक 9 1 549 Share Kumar Kalhans 28 May 2021 · 1 min read रेलगाड़ी रेलगाड़ी मित्रों सम्भवतः आपको स्मरण हो कि पिछले वर्ष एक रेलगाड़ी अपने गंतव्य से अलग दूसरे स्टेशन पर पहुँच गयी थी और वह भी दस घण्टे अतिरिक्त समय लेकर। वह पूरा... Hindi · गीत 9 4 480 Share Kumar Kalhans 5 Jun 2021 · 1 min read सूरज रोज नहीं आएगा। सूरज रोज नहीं आएगा। जब तक है तब तक किरणों से अपने मन की झोली भर लो, अंधियारा घिरने से पहले सतरंगी रंगोली कर लो, संचय किया हुआ ये सब... Hindi · गीत 9 2 245 Share Kumar Kalhans 14 Jun 2021 · 1 min read एक ही पल होता है टूटने का। एक ही पल होता है टूटने का , एक ही छण होता है बिखरने का, और ये एक ही पल , एक ही छण, अचानक ही नहीं आ जाता, इसके... Hindi · कविता 9 283 Share Page 1 Next