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पिता।
Kumar Kalhans
खुद ही पीना सीख गए।
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दर्द को आंसूं बना कर देख लो।
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कितने ग़मगीन हैं जमाने में।
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विश्वासों ने पार उतारा।
Kumar Kalhans
आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं।
Kumar Kalhans
सब ऋतुओं की रानी हो तुम , बरखा अमर जवानी हो तुम।
Kumar Kalhans
खो गया हूँ मैं ख्यालों के जहां में।
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आत्महंता।
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चाइना का टिकाऊ माल।
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चप्पल बुआ।
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संग मेला कोई नहीं लाया।
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नाक।
Kumar Kalhans
खोटा भाई और उनकी फाइल।
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खान साहब।
Kumar Kalhans
जहां इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों।
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घोसडी वाले।
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तुम्हारे साथ की गई चैट।
Kumar Kalhans
निर्ममता का नाम जगत है।
Kumar Kalhans
ज़हर देकर जो मुस्काए उसे सरकार कहते हैं।
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नेता जी का जूता।
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मां और पिता के आंसू।
Kumar Kalhans
पानी की तरह बनना सीखो।
Kumar Kalhans
राजनेता।
Kumar Kalhans
इक अदद बेटे की ख़्वाहिश में बेचारी कोख को।
Kumar Kalhans
सच कहता हूं मैंने मेले देखे हैं।
Kumar Kalhans
सुंकू वह चीज है हर पल जिसे हम पा नहीं सकते।
Kumar Kalhans
हो जाओ होशियार फिर मक्कार आ गए।
Kumar Kalhans
मुझको मुस्काने का हक है।
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खूब इस दुनियां में हमने है तमाशा देखा।
Kumar Kalhans
वो इक पूजनीय हैं।
Kumar Kalhans
किसी की आंख का आंसू।
Kumar Kalhans
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
महबूब मेरा करता है कोई खता नहीं।
Kumar Kalhans
आकर नहीं जाते हैं ये मेहमान कसम से।
Kumar Kalhans
कोई शौक नहीं मेरी ज़रूरत है शायरी।
Kumar Kalhans
जैसी भी वैसी ही बनी रहना।
Kumar Kalhans
बेरुखी के पल टहलते जर्द हर अहसास है।
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निर्ममता का नाम जगत है।
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दो दोस्त।
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किसी ने पूजा मुझे अपना मुकद्दर समझा।
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अंगवस्त्र
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नदी
Kumar Kalhans
घन घटाओं के जैसा कोई मीत हो।
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बस यूं ही कुछ हो गया था।
Kumar Kalhans
मुद्दा सुलझे रार मचाए बैठे हो।
Kumar Kalhans
पुर शाम की तन्हाइयां जीने नहीं देती।
Kumar Kalhans
मैं जब भी चाहूंगा आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
कैसे परहेजगार होते हैं।
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कर्ज जिसका है वही ढोए उठाए।
Kumar Kalhans