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28 Nov 2022 · 4 min read

दो दोस्त।

दो दोस्त और शराब।
लॉक डाउन में सबको समस्या हुई थी सो हमको भी हुई। हम दोनों दोस्तों ने अपने परिवारों को गांव में भेज दिया ताकि वे वँहा सुरक्षित रह सकें। हमारी कुछ जिम्मेदारिया थीं जिनकी वजह से हम उनके साथ गांव नहीं जा सके। खैर वक्त बीता , वाइन शॉप खुल गए , चिकेन मटन की तो कभी समस्या ही नहीं आयी थी। अब हमारा प्रिय पेय पदार्थ भी उपलब्ध था। संयोग कुछ ऐसा हुआ कि तकरीबन तीन चार बार अड्डा दोस्त के घर पर ही जमा। कुछ दिनों बाद मेरा वह दोस्त मेरे घर आया पहले से ही पीकर आया था और मेरी तबियत भी जरा नासाज़ थी। वह पौने घण्टे तक मेरे साथ था उसे मैंने शीत पेय और भरपूर नाश्ता भी करवाया। वह भी बातचीत करता रहा फिर अपने घर चला गया। यहां तक तो सब ठीक था समस्या उसके पश्चात आरम्भ हुई। उसने मेरे कॉल अटेंड करने बन्द कर दिए , व्हाट्सएप संदेशों के जबाब नहीं।दिए , मैसेंजर पर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। मैं परेशान हैरान की मुझसे ऐसी क्या गलती हो गयी कि वह मुझसे इस कदर नाराज़ हो गया है।
आखिर एक दिन मैं ही उसके घर पहुँच गया , वह अकेले ही पी रहा था , मुझे हैरत हुई कि अकेले ही ! फिर मैंने सोचा शायद किसी तनाव में होगा। मैंने उससे पूछा
” क्या बात है भाई पिछले कई दिनों से न काल का जबाब , न व्हाट्सएप मैसेज का उत्तर , मुझसे कोई गलती हो गयी है क्या ?
वह बोला “छोड़ यार अपना पैग बना।” मैंने कहा ” बिल्कुल नहीं ,पहले मेरे सवाल का जबाब दो ।”
तो उसने कहा “जो हो गया सो खो गया , पैग बना।”
मेरा माथा ठनका की यह ये किस तरह की बात कर रहा है। मैं कुछ देर तक चुप रहा।
फिर मैंने कहा “क्या उस दिन की नाराज़गी है ?
जब तुम मेरे घर आये और मैंने तुम्हें ड्रिंक्स के लिए नहीं पूछा था?
वह एक सिप लेकर बोला समझदार हो।
मैंने कहा “यार तुम उस दिन पहले से ही पीकर आये थे और मेरी तबियत भी थोड़ी गड़बड़ थी तो मैंने तुम्हे ड्रिंक ऑफर नहीं किया।”
उसने गंभीरता से कहा “मैं पीकर आया था या नहीं ये अलहदा मुद्दा है पर तुम्हारे घर आया था तो एक ड्रिंक आफर करना तुम्हारी ड्यूटी थी।”
मैं शर्मिदंगी महसूस करने के प्रोसेस में ही था कि उसके दूसरे वाक्य ने मुझे अपनी दोस्ती की औकात दिखा दी।
उसने कहा ” तुम्हारे घर आने के पहले कम से कम तुम मेरे घर तीन चार बार आये हर बार मैंने तुम्हारे साथ ड्रिंक किया , चिकेन, मटन के चखने के इंतज़ाम भी मेरा ही था पर उस दिन तुमने मुझसे भूल कर भी एक पैग आफर नहीं किया मुझे बड़ी तकलीफ हुई।”
तकलीफ तो मुझे भी हुई थी कि मैं उस दिन उसके लिए कुछ नहीं कर पाया था पर दोस्ती यारी में ड्रिंक्स का हिसाब रखना मुझे बुरी तरह आहत कर गया। मैंने कहा” मैं चलता हूँ ।”
उसने कहा एक ड्रिंक तो साथ में करके जा।
मैंने कहा जहाँ जा रहा हूँ वहाँ यह करके नहीं जा सकता। फिर कभी।
उसके पश्चात मैं सीधे अपने घर पहुँचा , बैठ कर हिसाब किया कि उन तीन चार दिनों में मैंने उसके साथ कितना ड्रिंक किया था और खाने पीने की सामग्री में उसका कितना खर्च हुआ होगा। मैं उन खर्चो का आधा पैसा उसके अकाउंट में ट्रांसफर करके सो गया।
सुबह सुबह उसका फोन आया कि तुरन्त घर पर आ जाओ मैंने कहा क्या हुआ सब ठीक तो है। उसने कहा सब ठीक है पर तुम आ जाओ। मैं जल्दी जल्दी तैयार हुआ और उसके घर पहुँचा । दरवाजा खुला ही था मैंने भीतर पहुँच कर देखा तो टेबल पर शराब की एक पूरी बोतल और नमकीन वगैरह रखी थी। मैंने कहा “क्यों ? क्या बात है ?
उसने कहा “कुछ नहीं आज साप्ताहिक अवकाश है तो मैंने सोचा पूरा दिन आनन्द उठाया जाए।”
उसने बैठेने का इशारा किया और एक पैग मेरी तरफ बढ़ा दिया। मैंने हिचकिचाते हुए ग्लास हाथ में लिया और शिकायत की “इतनी सुबह सुबह ये क्या नाटक है।
उसने कहा तुम नाटक कर सकते हो तो मैं क्यों नहीं ? ये पैसे किस खुशी में ट्रांसफर किये।
मैंने कहा कोई नाटक नहीं है मेरे दोस्त उस दिन मैं तुझे ड्रिंक ऑफर नहीं कर पाया मुझे भी उसका ध्यान था और मैं उस चूक के लिए थोड़ा परेशान भी था पर उस दिन जब तुमने कहा कि मैंने तुम्हारे घर कितनी बार ड्रिंक की , दारू भी तुम्हारी , चखना भी तुम्हारा , घर भी तुम्हारा तो मुझे एहसास हुआ कि मैं बेवकूफ हूँ। तो मैंने हिसाब किया कि तुम्हारा कितना खर्चा हुआ होगा और उस हिसाब में दो चार सौ रुपये और जोड़कर उसका आधा पैसा तुम्हे ट्रांसफर कर दिया। क्योंकि जो खाया पिया गया था उसमें आधा हिस्सा तुम्हारा भी था। मेरी यह बात सुनकर उसका चेहरा फक्क पड़ गया वह बोला मैंने यह सोचकर नहीं कहा था। तुमने कुछ ज्यादा ही सोच लिया।
मैंने कहा पर मैंने वही सोच लिया और दोस्ती तो हम कायम रखेंगे पर आगे से मैं तुम्हारे घर आया तो मैं अपना कोटा , अपना सोडा और अपना चखना लेकर आऊंगा तुम मेरे घर आना तो तुम भी यही करना न जोड़ने की जरूरत न हिसाब का झंझट। यही सही रहेगा। वह कुछ और कहता उसके पहले मैंने अपना पैग समाप्त किया और कहा कि ये तुम्हारा उधार रहा मेरे ऊपर और उसके रोकते रोकते भी मैं बाहर आ गया।
मैंने ध्यान ही नहीं दिया कि उसने मुझे पुकारा या नहीं वह मेरे पीछे आया या नहीं।
दोस्ती तो नहीं टूटी थी पर दोस्त पीछे छूट गया था।
कुमारकलहन्स।

Language: Hindi
1 Like · 109 Views
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