अनिल मिश्र Tag: कविता 72 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल मिश्र 24 Apr 2022 · 2 min read पिता पिता **** एक पिता कितना दृढ़ लगता है जीवन के हर चुभने वाले मोड़ों पर भी हँसते, मुस्कुराते बच्चों के चेहरे में जीवन की सारी खुशी और आनंद ढूंढते हुए... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 5 323 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2022 · 1 min read संयोग संयोग ***** जड़ का जहरीला हो जाना महज एक संयोग नहीं है आवृत्ति है नफरतों को उसमें ठूंसे जाने की तब तक जब तक जड़ की एक-एक नसें छोटी से... Hindi · कविता 177 Share अनिल मिश्र 31 Dec 2021 · 1 min read बदल रहा फिर से एक वर्ष बदल रहा फिर से एक वर्ष ********************* बदल रहा फिर से एक वर्ष। तूफानों से जूझ जूझ कर अंधियारों से लड़ते भिड़ते बड़े-बड़े बगुले भी रोते देख-देख चूजे का हर्ष।... Hindi · कविता 368 Share अनिल मिश्र 29 Dec 2021 · 1 min read आओ मित्र आओ मित्र हम भी इत्र की दुनिया मे चलें छिड़केंगे कुछ खुद पर कुछ दूसरों पर अलग अलग किस्म के इत्र मेरे मित्र क्या करोगे पढ़ाकर बच्चे पढ़ गये तो... Hindi · कविता 227 Share अनिल मिश्र 22 Dec 2021 · 1 min read चिड़िया रानी चिड़िया रानी *********** चिड़िया रानी आओ ना ची ची ची ची गाओ ना दूध भात छज्जे पर रखा थोड़ा भोग लगाओ ना। जब तुम खिड़की पर आती हो हँसती हो... Hindi · कविता · बाल कविता 516 Share अनिल मिश्र 20 Dec 2021 · 1 min read हे पाँख पक्षी ने अपने कमजोर होते टूटते पंख से कहा- क्या सच मे चले जाओगे मुझे छोड़कर तुम्हारे ही बल पर विश्वास कर मैंने उड़ने की कोशिश की फिर उड़ना भी... Hindi · कविता 214 Share अनिल मिश्र 17 Dec 2021 · 1 min read रिश्ते आओ ना हम कोशिश करें समझने की रिश्तों की दुनिया को खून के रिश्तों को हाँ उन रिश्तों को जिन्हें हमने नहीं बनाया बनाया है विधाता ने गर समझ जाओ... Hindi · कविता 349 Share अनिल मिश्र 8 Dec 2021 · 1 min read कविताएँ जब-जब दिल को ठेस लगी हँसा जगत,रोयी कविताएँ करुणा के झरने बरसाकर मुस्काकर रोयी कविताएँ। तब हँसा जगत,दिल घबराया जब प्यार लुटाकर रोयी आँखें दिल का जकड़न,भीगी आँखें देख-देख बिलखी... Hindi · कविता 1 485 Share अनिल मिश्र 27 Nov 2021 · 1 min read संबंध संबंध ***** अस्थियां रोती रही,अपना नहीं आया कोई राख के इस रूप में मुझको न पहचाना कोई। मुझसे जन्मे कई रिश्ते प्रेम के और प्यार के पुत्रियाँ कुछ पुत्र भी... Hindi · कविता 1 372 Share अनिल मिश्र 24 Nov 2021 · 1 min read वर्षगाँठ काल के बेपरवाह प्रवाह में बीतते जाते हैं'साल' और हाँ'वर्ष' भी धीमे-धीमे चुभते या आनंदित करते बीत ही जाते हैं बहती हैं धाराएँ प्रेम की कहीं कहीं कहीं नफ़रत रुकने... Hindi · कविता 481 Share अनिल मिश्र 13 Nov 2021 · 1 min read दुआएँ तुम्हारी बददुआओं नें इतनी दुआएँ दे दीं हैं मुझे कि आज हँसता भी हूँ तो आँसू बह निकलते हैं क्या कहूँ ये अपनों का प्यार ही तो है जो आँसू... Hindi · कविता 470 Share अनिल मिश्र 10 Nov 2021 · 1 min read चितचोर सहमी सहमी सी किरण चहुँ ओर है भोर ठंड,सभी बिस्तर पड़े पलकों में चितचोर। पलकों में चितचोर कहीं वह भाग ना जाए बिस्तर पर ही रहूँ पड़ा जब तक चाय... Hindi · कविता 558 Share अनिल मिश्र 9 Nov 2021 · 1 min read शब्द शब्द की गहराई अथाह होती है समा जाती हैं सारी चीजें इन शब्दों में। हर्ष,विषाद ईर्ष्या, भावनाएँ मधुरता,संवेदना और सब कुछ। फिर भी लाचार हो जाते हैं शब्द कभी-कभी जब... Hindi · कविता 1 431 Share अनिल मिश्र 9 Nov 2021 · 1 min read आँसू जिनके जिम्मे आँखों में आँसू नहीं आने देना था उनलोगों ने ही नहर खोद दी आँखों मे आँसुओं की और हाँ जिनकी आँखों में आँसू की एक बूंद भी नहीं... Hindi · कविता 411 Share अनिल मिश्र 28 Oct 2021 · 1 min read लोग और रिश्ते कुछ 'लोग' हैं कुछ 'रिश्ते' हैं मैंने दोनों को अलग-अलग ढूँढा सभी रिश्तों में 'लोग' मिले और 'लोगों' में मिले कुछ नायाब रिश्ते मिलते ही रहे अनवरत लोगों में रिश्ते... Hindi · कविता 2 1 356 Share अनिल मिश्र 10 Oct 2021 · 1 min read सड़कें नगरों की तड़पती छटपटाती, बेचैन सड़कें क्या-क्या नहीं देखतीं देखती हैं अत्याचार,अनाचार रात के घुप अंधेरों में और हाँ दिन में भी लुटते लोग, लूटते लोग दोनों ही इसकी क्रोधित... Hindi · कविता 1 2 278 Share अनिल मिश्र 16 Sep 2021 · 1 min read उठो विक्रम राजा विक्रम! क्या बेताल आज भी तुम्हारे कंधे से भाग जाता है तुम उसे कंधे पर ले पाते हो ना या वह कंधे पर भी नहीं आता इतने वर्षों में... Hindi · कविता 1 1 320 Share अनिल मिश्र 11 Sep 2021 · 1 min read हिंदी दिवस फिर आया हिंदी दिवस रोता-गाता मित्र हम बसते निज देश में धरकर चित्र,विचित्र सालों भर अंग्रेज़ी भजें, गीता भी आंग्ल में गाएँ जब आए हिंदी दिवस, मिलकर मोद मनाएँ। काहे... Hindi · कविता 1 347 Share अनिल मिश्र 28 Aug 2021 · 1 min read रोटियाँ बेचैन कर जाता है कभी कभी रोटियों का गोल होना सदियों से रोटियां गोल हैं कोई नहीं उठाता आवाज़ रोटियाँ गोल ही क्यों हैं रोटियों का आकार भ्रमित कर जाता... Hindi · कविता 1 1 329 Share अनिल मिश्र 19 Aug 2021 · 1 min read लेखनी लेखनी जाने क्यूँ काफी दिनों से चुप सी है बात कुछ तो है लेखनी खामोश तो होती नही आदत सी है उसकी बस बोलने की कोई सुने,ना सुने कोई फर्क... Hindi · कविता 528 Share अनिल मिश्र 10 Aug 2021 · 1 min read रिश्ता मैं कौन हूँ मुझसे मेरा रिश्ता है क्या यह तुम बताओ तुम कौन हो तुझसे तेरा रिश्ता है क्या मैं यह बताऊँ। किश्त में रिश्ते निभाना शायद जटिल है एकमुश्त... Hindi · कविता 1 426 Share अनिल मिश्र 31 Jul 2021 · 1 min read बारिश बारिश ***** मेरे घर के बाहर बारिश तेरे घर के बाहर बारिश सबके घर के बाहर बारिश आओ धूम मचाएँ हम। तुम भी झूमो,हम भी झूमे बारिश की बूंदों को... Hindi · कविता 383 Share अनिल मिश्र 30 Jul 2021 · 1 min read कविताएँ कविताएँ थक सी गई हैं अब बहुत बोलीं,बोलती रहीं रहस्यों के पट खोलती रहीं पर थक गयी हैं कविताएँ अब प्रेम को व्यक्त किया बयां किया नफरतों के पीछे का... Hindi · कविता 2 2 456 Share अनिल मिश्र 15 Jul 2021 · 1 min read अभिलाषा बीच सड़क पर खड़ा आदमी भकुआया सा दौड़ रही है गाड़ी देखो इधर-उधर से उधर-इधर से उधर-उधर से इधर-इधर से पार करूँ या रुक जाऊँ या फिर वापस मुड़ जाऊँ... Hindi · कविता 2 314 Share अनिल मिश्र 9 Jul 2021 · 1 min read बेटे का प्यार इस दिल के मृदु वाद्य तरंगों को किसने हर्षाया है मेरे बेटे का प्यार लिपटकर बंद लिफाफे में आया है जीवन के तूफानों से जब टूट चुका था अंतर्मन उस... Hindi · कविता 2 443 Share अनिल मिश्र 5 Jul 2021 · 1 min read लम्हें लम्हे चंद ही थे पर लम्हे तो थे वो भी तो चंद-चंद मिलकर ही बने थे 'वो'तो बहुत सारे हैं चंद नहीं हैं पर लम्हे भी तो नहीं हैं लम्हें... Hindi · कविता 218 Share अनिल मिश्र 24 Jun 2021 · 1 min read क्या मिलेगा पत्थरों पर सिर पटककर क्या मिलेगा बेसुध पड़े लोगों से तुमको क्या मिलेगा ज़िंदगी जीवित भी है या मर चुकी दूसरों को यह बताकर क्या मिलेगा? मिल गये दीवार तुमको... Hindi · कविता 356 Share अनिल मिश्र 24 Jun 2021 · 1 min read सुनो शकुनि शुभ संध्या मित्रों! सुनो शकुनि! स्वस्थ तो जरूर होगे कोरोना से बच भी गये होगे तुमने सब रिश्तों में तो आग लगा ही दी थी अब सब बीमारी भी आपस... Hindi · कविता 552 Share अनिल मिश्र 22 Jun 2021 · 1 min read नीति शुभ दुपहरी मित्रों! नहीं नेक है नीति किसी की है यह कौआ युद्ध नोच रहे हैं प्रतिपल सबको नहीं कोई है शुद्ध। कैसे काटें,कैसे नोचें कैसे मारें चोंच दर्द भी... Hindi · कविता 2 562 Share अनिल मिश्र 16 Jun 2021 · 1 min read श्वांस श्वांस ना रुक जाए,यूँ भयभीत हूँ ज़िंदगी!तुम गद्य हो,मैं गीत हूँ। इस जगत् में हम सदा संघर्ष ही करते रहे हैं जीवन-अनल से,रोग से तो हम सदा लड़ते रहे हैं... Hindi · कविता 279 Share अनिल मिश्र 11 Jun 2021 · 1 min read रिश्ते अपने ही कंधों पर अपनी लाश लिए मैं चलता हूँ रिश्ते सारे मिथ्या हैं,मृत हैं,नित जलता हूँ,चलता हूँ। अग्नि कौन देगा यह चिंता,हे राम तुम्हारे कंधे पर जपकर प्रतिपल नाम... Hindi · कविता 1 2 260 Share अनिल मिश्र 29 May 2021 · 1 min read किसान किसान ***** सुबह-शाम,दिन-रात परिश्रम के पर्याय हैं वीर किसान कर्म-साधना के साधक हैं ये अपने भारत की शान। घनघोर हो बारिश,सर्दी,ठिठुरन जेठ की तपती दुपहरिया बढ़ें फसल खेतों में निशि... Hindi · कविता 295 Share अनिल मिश्र 9 May 2021 · 1 min read प्यार खुले संदूक में फरेबी रिश्तों का झूठा प्यार भर रखा है मैंने जो समय-असमय मिलते रहे थे ठगने के लिए पूरी तरह से ठगा गया था मैं इसलिए कि भावना... Hindi · कविता 331 Share अनिल मिश्र 28 Mar 2021 · 1 min read प्रह्लाद प्रह्लाद! बुआ से बचकर रहना तुम्हारी बुआ आज भी जिंदा है वो बार बार तुम्हें लेकर जलती चिता पर बैठेगी पर हर बार जलोगे तुम ही वो बचती रहेगी छल,छद्म... Hindi · कविता 3 424 Share अनिल मिश्र 11 Mar 2021 · 1 min read शब्द शायद थक गये हैं शब्द जो अक्षरों की भावनाओं में बहकर शब्द बन गये थे। कई अर्द्ध अक्षर भी राहों में आये अर्द्ध अक्षरों का साथ मिला पूर्णता मिली फिर... Hindi · कविता 425 Share अनिल मिश्र 23 Jan 2021 · 1 min read कोरोना जीवन ग़ज़ल सी सबकी धीमी कर गया सुना है अब कोरोना मर गया। आत्मीयता और रिश्ते सभी के खो गए कोरोना परिचय सभी का दे गया। मर गये कई लोग... Hindi · कविता 1 443 Share अनिल मिश्र 18 Jan 2021 · 1 min read बस यूँ ही बढ़ते चलो यह ज़िंदगी की जंग है तुम भाग भी सकते नही लड़ना पड़ेगा अनवरत मन कर्म में,संघर्षरत। प्रतिपल ही होंगी परीक्षाएँ धीरज अडिग है या नही टिक सको तो जीत लोगे... Hindi · कविता 1 447 Share अनिल मिश्र 17 Jan 2021 · 1 min read रिश्ते जीवनदान भी देकर कोई स्नेह-सुधा ना पाता है यह धरणी है कलियुग की रिश्तों का भ्रम छल जाता है। इसमें नही विशेष है कुछ भी चिंतन और मनन को आज... Hindi · कविता 1 231 Share अनिल मिश्र 6 Jan 2021 · 1 min read महल अट्टालिकाएँ यूं पडी रह जाएँगी खंभे उसमे सब गड़े रह जाएँगे बेईमानी हर पल तुझे तड़पाएगी ना चैन आएगा तुम्हें ना नींद आएगी। तेरे महल के पाषाण भी शिक्षक बने... Hindi · कविता 1 3 251 Share अनिल मिश्र 5 Jan 2021 · 1 min read फिर एक नया वर्ष आया है शीर्षक-फिर एक नया वर्ष आया है कितने ही संकल्प बचे हैं कई कसम पूरे करने हैं राह बड़ी अनजानी लगती लगता है सब माया है फिर एक नया वर्ष आया... Hindi · कविता 2 9 262 Share अनिल मिश्र 30 Dec 2020 · 1 min read अलविदा 2020 अलविदा 2020! तुम से बड़ा कोई विश्वगुरु नहीं।तुमने हमें विश्व का सारा विज्ञान पढ़ा दिया।रिश्तों का विज्ञान,अर्थ का विज्ञान,व्यवस्था का विज्ञान,वेतन का विज्ञान,डी ए का विज्ञान,आजीविका का विज्ञान,प्रवास का विज्ञान,स्वास्थ्य... Hindi · कविता 3 4 367 Share अनिल मिश्र 21 Dec 2020 · 1 min read क्या बोलूँ मैं तुम ही बोलो ना क्या बोलूँ मैं दिल के भाव सभी चोटिल हैं रक्तिम सब उद्गार कैसा कृत्रिम प्यार तुम्हारा रिश्तों का व्यापार सब नकली उपहार कहो ना क्या बोलूँ... Hindi · कविता 1 2 286 Share अनिल मिश्र 5 Dec 2020 · 1 min read गीत मैं खुद के साथ हूँ फिर भी अकेला गीत गाता हूँ नयन में आँसुओं की धार लेकर गुनगुनाता हूँ। समर बेचैन तो करता हृदय में हूक भी उठती ये रिश्ते... Hindi · कविता 1 2 248 Share अनिल मिश्र 2 Dec 2020 · 1 min read दोहे कोरोना है द्वार पर,दस्तक देता रोज संभल संभल घर मे रहें,बनकर राजा भोज। घर से बाहर निकलें नहीं,कोरोना को तड़पाएँ दास बनाकर कोरोना को,बर्त्तन हम धुलवाएँ। पियें चाय चालीस कप,अदरख... Hindi · कविता 249 Share अनिल मिश्र 30 Nov 2020 · 1 min read श्राद्ध रिश्तों ने मेरा श्राद्ध कर दिया पर लगता है मैं जिंदा हूँ यह कलयुग है मेरे भैया जिंदा होकर शर्मिंदा हूँ रिश्तों ने मेरा श्राद्ध कर दिया मेरे नाम की... Hindi · कविता 327 Share अनिल मिश्र 25 Jul 2020 · 1 min read आस्तीन के साँप ऐ आस्तीन के साँपों! बाहर आज तो आओ मैं पूजन की थाली लेकर व्याकुलता से ढूँढ रहा हूँ थाली है, सब पूजन सामग्री है आस्तीन भी नया सिलाकर लाया हूँ... Hindi · कविता 3 7 460 Share अनिल मिश्र 24 Jul 2020 · 1 min read श्रमिक पसीने से लथपथ एक श्रमिक का टूटता शरीर तलवे से आधा लटका मांस का लोथड़ा तपती सड़क पर हज़ारों किलोमीटर से गांव में बसे भारत की खोज में जब पल-पल... Hindi · कविता 4 6 217 Share अनिल मिश्र 2 Jul 2020 · 1 min read कोरोना कोरोना! तुम जाओ ना ***************** कोरोना!तुमने बहुत सताया अब तो घर को जाओ ना तेरी मम्मी ढूँढती तुझको दूध-भात तो खाओ ना। क्यूँ भूखे प्यासे दौड़ रहे हो देश-देश में... Hindi · कविता · बाल कविता 1 2 423 Share अनिल मिश्र 1 Jul 2020 · 1 min read अपने अपने ***** डरती है दुनिया शत्रुओं से ज्ञात और अज्ञात वे काफी शक्तिशाली होते हैं आखिर शत्रु जो हैं रिश्तों के अंतरतम विवेक से परे संवेदनहीन, रक्तपिपासु आत्मा को अंदर... Hindi · कविता 3 449 Share अनिल मिश्र 8 Apr 2020 · 1 min read हे मानव भीड़ सड़क पर पशुओं की करती सिंहनाद प्रतिपल सुनते क्यों नहीं बात जगत की बचे नही क्या आज नयन-जल। आज भीड़ सड़कों पर अपनी अपनी मंज़िल अपना राग अपनी डफली... Hindi · कविता 509 Share Page 1 Next