Language: Hindi
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सदा दे रहे
अंसार एटवी
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
अंसार एटवी
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
अंसार एटवी
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
अंसार एटवी
कभी ख़ुद को गले से तो लगाया जा नहीं सकता
अंसार एटवी
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
अंसार एटवी
मोहब्बत का यहाँ पर वो फ़साना छोड़ जाता है
अंसार एटवी
निभाने को यहाँ अब सब नए रिश्ते निभाते हैं
अंसार एटवी
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
अंसार एटवी
अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं
अंसार एटवी
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा
अंसार एटवी
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
अंसार एटवी
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
अंसार एटवी
इससे पहले कोई आकर के बचा ले मुझको
अंसार एटवी
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
अंसार एटवी
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
सच्चाई है कि ऐसे भी मंज़र मिले मुझे
अंसार एटवी
जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
अंसार एटवी
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
अंसार एटवी
हो न मुख़्लिस वो है फिर किस काम का
अंसार एटवी
भला अपने लिए ऐसी हिमाक़त कौन करता है
अंसार एटवी
आँखों की कुछ तो नमी से डरते हैं
अंसार एटवी
चराग़ों की सभी ताक़त अँधेरा जानता है
अंसार एटवी
भला अपने लिए ऐसी हिमाक़त कौन करता है
अंसार एटवी
किसी से लड़ के छोडूँगा न ही अब डर के छोड़ूँगा
अंसार एटवी
किसी सहरा में तो इक फूल है खिलना बहुत मुश्किल
अंसार एटवी
कभी तो देखने आओ जहाँ हर बार लगता है
अंसार एटवी
उसे दिल से लगा लूँ ये गवारा हो नहीं सकता
अंसार एटवी
जिसे तुम राज़ देते हो वही नुक़्सान भी देगा
अंसार एटवी
कौन है जिसको यहाँ पर बेबसी अच्छी लगी
अंसार एटवी
मोहब्बत का यहाँ पर वो फ़साना छोड़ जाता है
अंसार एटवी
उसे जब भूख लगती है वो दाना ढूँढ लेता है
अंसार एटवी
क़िस्मत हमारी ख़ुद के ही पहलू से आ मिली
अंसार एटवी
अब तक तबाही के ये इशारे उसी के हैं
अंसार एटवी
मुझे बेज़ार करने के उसे भी ख़्वाब रहते हैं
अंसार एटवी
वो ठोकर से गिराना चाहता है
अंसार एटवी
मोहब्बत का वो दावा कर रहा होगा
अंसार एटवी
लड़ने को तो होती नहीं लश्कर की ज़रूरत
अंसार एटवी
लड़ता रहा जो अपने ही अंदर के ख़ौफ़ से
अंसार एटवी
मंज़िल मिली उसी को इसी इक लगन के साथ
अंसार एटवी
ख़ुद को फ़लक़ से नीचे उतारा अभी अभी
अंसार एटवी
कुछ मेरा तो कुछ तो तुम्हारा जाएगा
अंसार एटवी
जो भी आते हैं वो बस तोड़ के चल देते हैं
अंसार एटवी
लहरों ने टूटी कश्ती को कमतर समझ लिया
अंसार एटवी